Rajasthan

Ajmer

CC/444/2013

ABID ALI - Complainant(s)

Versus

AEGON RELIGARE LIFE INS - Opp.Party(s)

ADV MAHESH AGARWAL

16 Apr 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/444/2013
 
1. ABID ALI
KISHANGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. AEGON RELIGARE LIFE INS
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

आबिद अली पुत्र श्री बदरूद्दीन, निवासी- 614, जगदीष जी के कुए के पास, वार्ड नं.9, चमडाघर , मदनगंज-किषनगढ, जिला-अजमेर(राजस्थान) 

                                                             प्रार्थी

                            बनाम

1.  ।म्ळव्छ त्मसपहंतम स्पमि प्देनतंदबम ब्वउचंदल स्जक जरिए प्रबन्धक छवउनतंए ठ.ॅपदहए थ्पतेज थ्सववतए न्दपज छवण् 102ए छमंत क्. डंतजए भ्पतंदंदकंदप ठनेपदमेे च्ंताए भ्पतंदंदकंदप ळंतकमदए च्वूंपए डनउइंप-400076
2.  ।म्ळव्छ त्मसपहंतम स्पमि प्देनतंदबम ब्वउचंदल स्जक एश्।दपदकलं ैीपअंश् टजी थ्सववत मीरषाली,जयपुर रोड, अजमेर । 
                                                        अप्रार्थीगण 
                    परिवाद संख्या 444/2013

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
           2. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री महेष अग्रवाल,अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री विवेक सक्सेना,अधिवक्ता अप्रार्थीगण 

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 16.04.2015

1.           परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से दिनंाक 18.2.2012 को एक हैल्थ प्लान बीमा पाॅलिसी संख्या 612020062401 प्राप्त की । बीमार होने पर उसने  बालाजी अस्पताल, मदनगंज-किषनगढ, अजमेर में दिनंाक 27.8.2012 से 10.9.2012 तक ईलाज करवाया जिसमें उसे रू. 60,000/- खर्च हुए ।  अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम पेष करने पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  केवल रू. 16,000/- की राषि का चैक  4 दिन का रेस्ट  अपने टीपीए की राय के अनुसार  भेजा । प्रार्थी ने  अपने अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए  उक्त राषि प्राप्त कर ली और अपने अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भिजवाते हुए बकाया क्लेम राषि अदा करने का निवेदन किया किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने बकाया क्लेम राषि रू. 44,000/- अदा नहीं कर सेवा में कमी की है । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी  की ओर से जवाब  पेष हुआ जिसमें दर्षाया है कि प्रार्थी बालाजी अस्पताल, अजमेर में  बुखार और उल्टी व पेटदर्द से पीडित होने पर  भर्ती हुआ  था  प्रार्थी की पैथेलाजिकल जांच के अनुसार प्रार्थी का वाईड ब्लक काउट 16800 था और  टाईफाईड की जांच रिर्पोट भी पाजिटिव थी । डिस्चार्ज समरी के अनुसार प्रार्थी च्लतमगपं   व िन्दादवूद व्तपहपदध् म्दजमतपब थ्मअमत से ग्रसित था । प्रार्थी से  उसके इन्डोर  केस  पेपर्स  पत्र दिनंाक 16.11.2012 के मांगे जाने पर भी  प्रार्थी ने  अप्रार्थी को उक्त दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए और ना ही  27.8.2012 के बाद हुई किसी भी पथलेाजिकल रिर्पोट उपलब्ध नहीं करवाई है ।  सामान्यतः टाईफाईड 3-4 दिन में ठीक हो जाता है इसलिए इसी आधार पर प्रार्थी को क्लेम सिर्फ 4 दिन के हिसाब से  4000ग्4 त्र16,000/- मंजूर करते  हुए दिनंाक 2.1.2013 के पत्र द्वारा सूचित कर दिया गया था । प्रार्थी ने  उक्त राषि फुल एण्ड फाईनल  सेटलमेंट के रूप में प्राप्त कर लिए  और उक्त राषि प्राप्त होने तक प्रार्थी ने कभी क्लेम सेटलमेंट पर कोई आपत्ति नहीं उठाई। प्रार्थी का परिवाद खारिज होना दर्षाया । 
3.    हमने पक्षकारान को सुना एवं  पत्रावली का अनुषीलन किया ।  
4.    हमारे समक्ष निर्णय हेतु निम्नांकित बिन्दु  है:-
    (1)    क्या अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को मात्र 4 दिन अस्पतालीकरण  मानते हुए रू. 16,000/- की राषि हेतु स्वीकार किया जबकि प्रार्थी दिनंाक 27.8.2012 से 10.9.2012 अर्थात 15 दिन तक भर्ती रहा था । अतः क्या अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी के क्लेम को सही  रूप से निस्तारित किया है ?
    (2)    क्या प्रार्थी ने 4 दिन के अस्पतालीकरण  की राषि प्राप्त कर ली एवं उक्त राषि फुल एण्ड फाईनल भुगतान के रूप में प्राप्त की । अतः प्रार्थी का यह परिवाद चलने योग्य नही ंहै
    (3)    अनुतोष 
5.     उपरोक्त कायम किए गए निर्णय बिन्दुओं पर पक्षकारान की बहस सुनी ।  हम निर्णय बिन्दु संख्या 2 का निर्णय पहले करना उचित समझते है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी का जवाब में यह कथन अवष्य रहा है कि प्रार्थी ने रू. 16,000/- की राषि फुल एण्ड फाईनल  पेमेन्ट के रूप में प्राप्त कर ली अतः उसके द्वारा लाया गया यह परिवाद चलने योग्य नहीं है, के  संबंध में हमारी विवेचना है कि प्रार्थी ने  यह रािष फुल एण्ड फाईनल  भुगतान के रूप में प्राप्त की ऐसी कोई  स्वीकारोक्ति प्रार्थी की नहीं है और ना ही इस आषय की कोई रसीद प्रार्थी की ओर से जारी कर अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी है और ना ही अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से ऐसी कोई रसीद प्रस्तुत की है । प्रार्थी का क्लेम 15 दिन के अस्पतालीकरण हेतु प्रस्तुत हुआ था जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने मात्र 4 दिन का मानते हुए  रू. 16,000/- की राषि  चैक द्वारा भेजी उक्त चैक प्रार्थी ने प्राप्त किया , मात्र इस तथ्य से यह नहीं माना जा सकता कि  प्रार्थी ने बाकी के क्लेम का परित्याग कर दिया हो । अतः यह निर्णय बिन्दु अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर  से सिद्व होना नहीं पाया गया है एवं प्रार्थी का परिवाद चलने योग्य है । 
6.    निर्णय बिन्दु संख्या 1ः- इस निर्णय बिन्दु पर हुई बहस पर गौर किया एवं पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।  प्रकरण में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा भ्मंसजी प्दकपं डमकपबंस ैमतअपबमे  च्अजण् स्जक  से जांच करवाई गई एवं उक्त जांच के बाद  अप्रार्थी बीमा कम्पनी के टीपीए पैरामाउण्ट हैल्थ सर्विस ने मात्र 4 दिन के अस्पतालीकरण  का लाभ रू. 16,000/- के रूप में दिया है जिसके संबंध में पत्र दिनंाक 2.1.2013 पत्रावली पर उपलब्ध है । इस पत्र में अस्पतालीकरण की अवधि दिनंाक 27.8.2012 से 10.9.2012 वर्णित की है लेकिन इस 15  दिन की अवधि के स्थान पर मात्र 4 दिन की अवधि की राषि को ही देय माना  है, 11 दिन की राषि देय क्यों नहीं है कोई कारण पत्र में उल्लेखित नहीं किया । बहस  के प्रक्रम पर   अधिवक्ता अप्रार्थी का कथन रहा है कि जिस बीमारी का इलाज यथा च्न्व् ूपजी ळंेजतपजपे बीमारी का पता लगाने एवं इस बीमारी के इलाज हेतु प्रार्थी का अस्पताल में भर्ती होना पाया गया है किन्तु ऐसी बीमारी हेतु  15 दिन के लिए भर्ती  की आवष्यकता कैसे हुए, प्रार्थी की ओर से कुछ भी नहीं दर्षाया गया है । अधिवक्ता अप्रार्थी की यह भी बहस रही है कि पैरामाउण्ट हैल्थ सर्विस से जो जांच करवाई उससे भी यही पाया गया है कि इस बीमारी हेतु 15 दिन की अवधि तक भर्ती रहने का कोई औचित्य नही ंथा । इसके अतिरिक्त जो रिकार्ड अस्पताल का  प्राप्त किया उसमें बीमार व्यक्ति
( बीमित) के रोज का तापमान  व  ब्लड प्रेषर का कोई रिकार्ड पेष नहीं हुआ है   अतः 4 दिन की अवधि हेतु ही  राषि देय होने योग्य मानी है । हमने बहस पर गौर किया । 
7.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी का यह कथन कि इस बीमारी हेतु 15 दिन हेतु भर्ती रहने की आवष्यकता नही ंथी, को सिद्व करने का भार अप्रार्थी बीमा कम्पनी पर था । निर्विवाद रूप से 4 दिन के अस्पतालीकरण को अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  उचित माना एवं बीमा कम्पनी का यह निर्णय बालाजी अस्पताल के डिस्चार्ज टिकिट के आधार पर ही  है एवं इस हेतु अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से अलग से कोई चिकित्सकीय राय पेष नहीं  हुई है। कि जो बीमारी प्रार्थी को  थी उस हेतु 4 दिन का अस्पतालीकरण ही प्रर्याप्त था एवं 15 दिन का नहीं था और ना ही अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से इस संबंध में कोई चिकित्सकीय सामग्री(साहित्य) आदि पेष हुआ है ।  अप्रार्थी  बीमा कम्पनी ने जो दस्तावेजात प्रार्थी की ओर से क्लेम के साथ पेष किए  उन्हीं के आधार पर 4 दिन का  अस्पतालीकरण उचित मान रही है  तो प्रार्थी का अस्पतालीकरण 15 दिन हेतु जैसा कि डिस्चार्ज टिकिट व अन्य पेष किए गए दस्तावेजात से सिद्व पाया गया है, उचित क्यों नहीं माना जा सकता , अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से कोई कारण नहीं दर्षाया गया है । परिणामस्वरूप अप्रार्थी बीमा कम्पनी का यह निर्णय उचित एवं सही नहीं माना जा सकता कि प्रार्थी का अस्पतालीकरण मात्र 4 दिन तक का ही होना चाहिए था, ना कि 15 दिन हेतु । अप्रार्थी बीमा कम्पनी का यह भी कथन नहीं है कि प्रार्थी ने अस्पतालीकरण हेतु कोई फर्जी या झूठा रिकार्ड  तैयार किया हो ।
8.    उपरोक्त विवेचन के अनुसार हमारे विनम्र मत  में  प्रार्थी प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी की षर्ताे अनुसार अपने  इलाज हेतु  दिनांक  27.8.2012 से 10.9.2012 तक  15 दिन की अवधि हेतु रू. 60000/- की राषि प्राप्त करनेे का अधिकारी पाया  जाता है । इस राषि में से रू. 16,000/- की राषि प्रार्थी को प्राप्त हो चुकी है अतः षेष राषि रू. 44,000/- प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से प्राप्त करने का अधिकारी है । अतः आदेष है कि 
                       :ः- आदेष:ः-
9.    (1)    प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से रू. 44,000/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (2)    प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में राषि रू. 2000/- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
           (3)          क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।  
           (4)  दो माह  में आदेषित राषि का भुगतान  नहीं करने पर  प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी  से  उक्त राषियों पर  निर्णय की दिनांक से  ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक  दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा  ।

                
(श्रीमती ज्योति डोसी)                              (गौतम प्रकाष षर्मा)
           सदस्या                                           अध्यक्ष    
11.        आदेष दिनांक 16.04.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्या                                           अध्यक्ष

  
 

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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