जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्याः-280/2016
देवी प्रसाद शुक्ला बनाम ऐगॉन रिलाइंस लाइफ इ0कं0लि0।
14.01.2020
अभिलेख आज वाद दाखिल करने में हुए विलम्ब माफ करने हेतु दाखिल आवेदन पर आदेश के लिये प्रस्तुत हुआ।
अभिलेख का अवलोकन किया, जिससे प्रतीत होता है कि परिवादी ने यह कहा है कि वह 92 वर्ष का बृद्ध व्यक्ति है तथा वह मधुमेह एवं अन्य वृद्धावस्था वाली बीमारियों से ग्रसित है। परिवादी ने जनवरी, 2014 में परिवाद दाखिल करने हेतु कागजात श्री एस0के0 गुप्ता अधिवक्ता को दे दिया था। उन्होंने परिवादी को कई बार बुलाया और वाद के संबंध में बातचीत किया। श्री एस0के0गुप्ता अधिवक्ता ने परिवाद पत्र तैयार किया जो शपथ पत्र से समर्थित था जो परिवादी ने उस पर फरवरी, 2014 में हस्ताक्षर किया था। परिवादी अपने लड़के के यहॉं विदेश चला गया था और वह नवम्बर, 2014 में वापस आये। परिवादी ने टेलीफोन से अपने वाद के बारे में कई बार पूछ-ताछ किया, तब यह कहा गया कि परिवाद दाखिल हो गया है और उसमें तिथि पड़ रही है। दिसम्बर, 2015 में परिवादी वाद की स्थिति जानने के लिये अपने अधिवक्ता से सम्पर्क किया, परन्तु उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और अन्त में मार्च, 2016 में वाद से संबंधित फाइल परिवादी को वापस कर दिया। परिवादी जून, 2016 में उपभोक्ता फोरम में अपने केस की स्थिति जानने के लिये संपर्क किया तब उसे पता चला कि कोई भी वाद परिवादी का दाखिल नहीं किया गया है। परिवादी ने फरवरी, 2014 में हस्ताक्षर किये हुए परिवाद पत्र एवं शपथ पत्र दाखिल किया है। जून, 2016 में परिवादी ने श्री आलोक सिन्हा, अधिवक्ता से संपर्क स्थापित किया, जिन्होंने वाद तैयार किया और परिवादी ने उसे दाखिल किया है। परिवाद दाखिल करने में सात माह का विलम्ब किया है।
विपक्षी ने यह कहा कि जिन अधिवक्ता को परिवादी ने वाद दाखिल करने के लिये दिया था उनका कोई शपथपत्र अभिलेख पर परिवादी ने दाखिल नहीं किया है। परिवादी के अनुसार ही वाद दाखिल करने में सात माह का विलम्ब हुआ है और परिवादी को विलम्ब हुए अवधि के प्रत्येक दिन का स्पष्टीकरण देना है, जो उन्होंने स्पष्ट नहीं किया है। विपक्षी द्वारा यह भी कहा गया कि परिवादी वृद्ध व्यक्ति हैं, तब वह इस उम्र में अमेरिका जा सकते हैं, परन्तु वाद दायर करने के लिये अधिवक्ता से संपर्क स्थापित नहीं कर सकते। ऐसी परिस्थिति में परिवादी का विलम्ब से दाखिल हुए वाद पत्र का स्पष्टीकरण सही प्रतीत नहीं होता है। अतः उनको आवेदन पत्र खारिज किया जाए।
उभयपक्षों की बहस के उपरान्त फोरम यह पाता है कि परिवादी ने विलम्ब के कारण जो दिखाय हैं वह स्वीकार करने योग्य नही ंहै। अतः परिवादी का विलम्ब आवेदन पत्र खारिज किया है, उनका परिवाद पत्र भी अस्वीकार किया जाता है।