राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-574/2024
बरखा पत्नी गुफरान
बनाम
एगोन लाईफ इंश्योरेंस कम्पनी लि0
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री संजय त्रिपाठी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 02.05.2024
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, सहारनपुर द्वारा परिवाद संख्या-24/2022 बरखा बनाम एगोन लाईफ इंश्योरेंस कंपनी लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 14.03.2024 के विरूद्ध योजित की गयी है।
हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री संजय त्रिपाठी को सुना गया, प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन व परीक्षण किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादनी के पति/बीमित गुफरान दर्जी की दुकान करते थे और शारीरिक रूप से स्वस्थ थे। परिवादनी के पति/बीमित गुफरान द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी से उसके एजेण्ट फिलिप कार्ड इण्टरनेट प्रा०लि० के माध्यम से ऑनलाईन बीमा प्रमाणपत्र सं०-एफ 07 जी 00000000469 एवं मास्टर पॉलिसी नं०-एफएलकेजीपी 0000000001 अंकन 50 लाख रूपये अंकन 6440/-रू0 प्रीमीयम अदा कर ली गयी थी।
परिवादिनी का कथन है कि दिनांक 24.05.2021 को परिवादनी के पति को अचानक तेज बुखार, खांसी, कमजोरी व सांस
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लेने में तकलीफ हुई, जिस पर उन्हें दिनांक 28.05.2021 को गौधा अस्पताल महेश्वरी खुर्द, बेहट रोड़, सहारनपुर में भर्ती कराया गया तथा दिनांक 29.05.2021 को उनकी मृत्यु हो गयी, जिसकी सूचना विपक्षी बीमा कम्पनी को दी गयी। परिवादिनी उक्त बीमा पॉलिसी में नॉमिनी है। परिवादिनी ने क्लेम हेतु विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचित किया और बीमा राशि का भुगतान करने के लिये कहा। परिवादिनी द्वारा सभी आवश्यक दस्तावेज विपक्षी बीमा कम्पनी को उपलब्ध कराये गये, परन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक 05.01.2022 को ई-मेल द्वारा यह कहते हुये क्लेम देने से मना कर दिया कि परिवादिनी के पति द्वारा स्वास्थ्य सम्बन्धी गलत तथ्य बताये गये और वे कैंसर की बीमारी से पीड़ित थे।
परिवादिनी का कथन है कि परिवादनी के पति पॉलिसी लेने से पहले पूर्णतः स्वस्थ थे, उन्हें कोई बीमारी नहीं थी और विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा पूर्ण स्वास्थ्य परीक्षण के उपरान्त ही पॉलिसी जारी की गयी थी। बीमा क्लेम की राशि का भुगतान न करना विपक्षी की सेवा में कमी को दर्शाता है। अत: क्षुब्ध होकर परिवादिनी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से नोटिस की पर्याप्त तामील के उपरान्त भी न तो कोर्इ उपस्थित हुआ तथा न ही उत्तर पत्र दाखिल किया गया। अत: जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी।
जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवादिनी के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त परिवाद निरस्त किया गया।
अपीलार्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि अपीलार्थी द्वारा चिकित्सा दस्तावेजों, अस्पताल के डिस्चार्ज कार्ड
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और अस्पताल द्वारा निर्धारित चिकित्सा परीक्षणों से संबंधित दस्तावेजों की व्यक्तिगत फाइल पहले ही प्रत्यर्थी/विपक्षी को प्रेषित की गयी थी, जो खो/गुम हो गयी थी, जिसे काफी मेहनत के बाद भी पता नहीं लगाया जा सका। अपीलार्थी को अचानक संयोग से उसकी खोई हुई फाइल उसके घर में मिल गयी तथा जिसे जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत नहीं किया जा सका, अत: अपीलार्थी/परिवादिनी उपरोक्त प्रपत्रों को अतिरिक्त साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करना चाहती है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुनने के उपरान्त बिना गुणदोष पर कोई मत व्यक्त किये हुए हम इस मत के हैं कि अपील स्वीकार करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाए तथा इस प्रकरण को जिला उपभोक्ता आयोग को इस आग्रह/निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाए कि जिला उपभोक्ता आयोग उपरोक्त परिवाद अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित कर तथा उभय पक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का पुन: गुणदोष के आधार पर निस्तारण, यथासंभव 06 माह में करना, सुनिश्चित करे।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, सहारनपुर द्वारा परिवाद संख्या-24/2022 बरखा बनाम एगोन लाईफ इंश्योरेंस कंपनी लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 14.03.2024 अपास्त किया जाता है तथा यह प्रकरण जिला उपभोक्ता आयोग, सहारनपुर को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि जिला उपभोक्ता आयोग, सहारनपुर उपरोक्त परिवाद अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित कर तथा उभय पक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए बिना परिवाद
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स्थगित करते हुए परिवाद का पुन: गुणदोष के आधार पर निस्तारण, यथासंभव 06 माह में करना, सुनिश्चित करे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1