जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू
अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
परिवाद संख्या- 256/2013
शिशुपाल सिंह पुत्र श्री हीराराम जाति जाट निवासी लोहसनाबड़ा तहसील व जिला चूरू (राजस्थान)
......परिवादी
बनाम
1. अधीक्षक महोदय डाकघर, चूरू खण्ड चूरू
2. मुख्य पोस्टमास्टर जनरल राजस्थान ब्पतबसम ;स्प्ैम्ब्द्ध सर्किल एल.आई. सेक्सन जयपुर 302007
3. अपर महानिदेशक सेना डाक सेवा (पी.एल.आई.से) पश्चिमी खण्ड तृतीय आर.के., पुरम् नई दिल्ली 110066
......अप्रार्थीगण
दिनांक- 09.02.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1. श्री राकेश सहारण एडवोकेट - परिवादी की ओर से
2. श्री गोपाल प्रसाद शर्मा एडवोकेट - अप्रार्थी संख्या 1 व 2 की ओर से
3. अप्रार्थी संख्या 3 की ओर से - कोई उपस्थित नहीं
1. परिवादी ने अपना परिवाद पेष कर बताया कि परिवादी ने भारतीय सैना में एस.डी.एम. रैंक पर कार्यरत रहते हुए दिनांक 08.12.1995 को एक डाक जीवन बीमा पोलिसी करवाई थी जिसके नम्बर पोलिसी एपीए/एनएम/150/05 एल.एस.पी.सिंह ई.ए./50 है बीमा राशि 40,000 रूपये है जो बीमा की मासिक किश्त 206 रूपये प्रतिमाह परिवादी के मासिक वेतन से कटौति होने का करार कर की थी। परिवादी दिनंाक 30.06.2006 को सेवानिवृत हो गया जिस पर परिवादी ने उक्त बीमा पोलिसी पोस्ट आॅफिस, चूरू में उतरवादी संख्या 1 के यहां स्थानान्तरित करवा ली। उक्त बीमा पोलिसी की परिपक्व तिथि 09.06.12 थी। परिवादी सेवानिवृती के पश्चात उक्त पोलिसी की समस्त किश्तें अंतिम किश्त तक की राशि उतरवादी संख्या 1 के यहां चूरू में जमा करवाता रहा है।
2. आगे परिवादी ने बताया कि परिवादी ने उक्त पोलिसी की परिपक्वता तिथि से पूर्व ही मई 2012 में उतरवादी संख्या 1 के यहां समस्त कागजात पासबुक मूल पोलिसी बाॅण्ड जमा करवा दिया था फिर भी उतरवादीगण ने परिवादी को परिपक्वता तिथि पर परिपक्वता राशि रूपये 86040 रूपये का भुगतान नहीं किया जिस पर परिवादी ने उतरवादी संख्या 1 से सम्पर्क किया तो उतरवादी संख्या 2 से सम्पर्क किया मगर उतरवादी संख्या 2 ने उतरवादी संख्या 3 से सम्पर्क करने का कहा जिस पर परिवादी ने उतरवादी संख्या 3 से सम्पर्क किया तब उतरवादी स. 3 ने समस्त कार्यवाही उतरवादी स. 1 के यहां से होने का कह कर परिवादी का वापिस भेज दिया जिस पर परिवादी ने पुनः उतरवादी स. 1 से सम्पर्क किया तब उतरवादी स. 1 ने परिवादी को आश्वासन दिया कि स्टिम में समय लगेगा। मगर परिपक्व तिथि से बाद का जो भी समय लगेगा उसका अलग से परिवादी को ब्याज दिया जायेगा। परन्तु अप्रार्थीगण ने परिवादी को बार-बार चक्कर लगाने के बावजूद केवल मेच्योरिटी राशि का ही भुगतान किया और 3 माह 10 दिन देरी हेतु कोई ब्याज अदा नहीं किया। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवादोष की श्रेणी में आता है। इसलिए परिवादी अधिवक्ता ने उक्त 3 माह 10 दिन देरी के लिए 9 प्रतिशत ब्याज मूल परिपक्व राशि पर, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय की मांग की।
3. अप्रार्थी संख्या 1 व 2 परिवादी के परिवाद का विरोध कर जवाब पेश किया कि पोलिसी धारक श्री शिशुपाल सिंह पुत्र श्री हीराराम जाट ने डाक जीवन बीमा पोलिसी संख्या ।च्ै.छड.150105.स् म्।.50 बीमा राशि 40000 रूपये मासिक किश्त 206 दिनांक 08.12.1995 को भारतीय सेना में सर्विस के दौरान आर्मी पोस्टल सर्विस में करवायी गयी है जिसका प्रीमियम पोलिसी धारक के वेतन से जून 2006 तक जमा होता रहा है। पोलिसी धारक ने अपनी पोलिसी आर्मी पेास्टल सर्विस के माध्यम से दिनांक 05.06.2008 को मुख्य पोस्टमास्टर जनरल राजस्थान परिमण्डल (डाक जीवन बीमा) सेक्शन जयपुर को स्थानान्तरण किया जिसका प्रीमियम नवम्बर 2005 तक के.एल.सी. में जमा करवाया गया। दिसम्बर 2005 से जून 2006 तक प्रीमियम शेड्यूल शीघ्र भिजवाने के लिए अपने संदर्भित पत्रांक दिनांक 05.07.2006 में दर्शाया है। जुलाई 2006 से प्रीमीयम पासबुक में जमा करवाने के लिए पोलिसी धारक को निर्देशित किया गया। आगे जवाब दिया कि पोलिसी धारक ने पोलिसी का भुगतान करवाने के लिए मूल दस्तावेज 02.05.2012 को अधीक्षक डाकघर कार्यालय में सीधे जमा करवाया। पोलिसी धारक का जमा प्रीमियम राशि 206 रूपया जो दिसम्बर 2005 से जून 2006 तक आर्मी सर्विस के दौरान वेतन से कटौती हो रही थी उसका शेड्यूल के.एल.सी. सम्बंधित में नहीं भिजवाया। प्रीमियम कटौती का विवरण दिसम्बर 2005 से जून 2006 तक भिजवाने के लिए क्क्।च्ै ;च्स्प्द्ध व्ध्व ।क् ।च्ै च्स्प् ब्मसस ब्ध्व 56 ।च्व् को इस कार्यालय के पत्रांक ।च्ै.छड.150105.स् दिनांक 15.05.2012 व स्मरण पत्र दिनांक 08.06.2012, 08.09.2012 को लिखा गया। साथ उपमण्डल प्रबन्धक डाक जीवन बीमा कार्यालय मुख्य पोस्टमास्ट जनरल राज. परिमण्डल जयपुर- 7 को भी इस सम्बंध में समसंख्यक पत्रांक यही दिनांक 06.07.2012, 18.07.2012, 20.07.2012, 27.08.2012 व 18.09.2012 को लिखा गया। पत्र के संदर्भ में विक्रम केप्टेन ।क्।च्ै ;च्स्प्द्धए ब्ध्व 56 ।च्व् ने अपने पत्रांक 10710821 के द्वारा वोटिंग केडिट प्रमाण-पत्र प्रेषित किया जो अधीक्षक डाकघर कार्यालय, चूरू को 19.09.2012 को प्राप्त हुआ और पोलिसी धारक को इस कार्यालय पत्रांक उंजनतपजल 76 ;।च्ै.छड.150.105.स्द्ध ामल पक 138848 दिनांक 19.09.2012 के द्वारा 86040 रूपये की स्वीकृति जारी करके दिनांक 20.09.2012 को भुगतान करवा दिया गया है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने की मांग की।
4. अप्रार्थी संख्या 3 परिवादी के परिवाद का विरोध कर जवाब पेश किया ।तउल छव 1071082 म्ग् क्थ्त् ैभ्प्ैभ्न् च्।स् ैप्छळभ् ेनइउपजजमक ं चतवचवेंस वित च्स्प् वित ेनउ ंेेनतमक त्े 40ए000ध्. ;त्नचममे थ्वतजल ज्ीवनेंदक वदसलद्ध ूीपसम पद ेमतअपबम ंदक जीम ेंउम ूंे ंबबमचजमक वद 08 क्मब 1995 ंदक चवसपबल छव ूंे ंससवजजमक ंे ।च्ै.छड.150105.स्ण् ूपजी उवदजीसल चतमउपं व ित्े 206ध्.च्डण् ।तउल छव 1071082 म्ग् क्थ्त् ैभ्प्ैन् च्।स् ैप्छळभ् ींक ेनइउपजजमक ंद ंचचसपबंजपवद वित जतंदेमित व िीपे च्स्प् चवसपबल छव.।च्ै.छड.150105.स् जव त्ंरंेजींद ब्पअपस च्वेजंस ब्पतबसम कनम जव ीपे तमजपतमउमदज तिवउ ेमतअपबमए भ्मदबमए जीम चवसपबल ूंे जतंदेमिततमक जव क्क्ड ;च्स्प्द्धए व्ध्व ब्ीपम िच्वेजउंेजमत ळमदमतंसए त्ंरंेजींद ब्पतबसमए श्रंपचनत वद 05 श्रनस 2006ण् । दमबमेेंतल च्तमउपं त्मबमपचज ठववा ूंे ेनचचसपमक जव जीम पदेनतंदज जव कमचवेपज ीपे नितजीमत चतमउपं तिवउ जीम उवदजी श्रनस 2006 वदूंतके जीतवनही ब्ीनतन भ्0.331001ण् ज्ीम क्क्ड ;च्स्प्द्धए त्ंरंेजींद ब्पतबसम ींे ंसेव पदजपउंजमक जींज जीम चतमउपं तमबवअमतल पद तध्व चवसपबल ूंे उंकम नच जव छवअ 2005ण् ज्ीम ूंदजपदह बतमकपज वित जीम उवदजी तिवउ क्मब 2005 जव श्रनद 2006 ूपसस इम वितूंतकमक ंजिमत तमबमपचज तिवउ जीम च्।व् ;व्त्द्धए ।तउक ब्वतचेए ।ीउमकदंहंतण् ।जिमत तमबमपचज व िच्स्प् चतमउपं तमबवअमतल वित जीम चमतपवक तिवउ क्मब 05 जव श्रनद 06 तिवउ च्।व् ;व्त्द्धए ।तउवनतमक ब्वतचेए ।ीउमकदंहंतए जीपे क्जम ेमदज ं बमतजपपिबंजम तमहंतकपदह तमबमपचज व िूंदजपदह बतमकपजे तिवउ जीम चमतपवक तिवउ क्मब 2005 जव डंल 2006 तिवउ च्।व् ;व्त्द्ध बवदबमतदमक ूंे वितूंतकमक जव क्क्ड ;च्स्प्द्धए व्ध्व ब्ीपम िच्वेजउंेजमत ळमदमतंसए त्ंरंेजींद ब्पतबसमए श्रंपचनत.302 007 अपकम जीपे क्जम समजजमत 1071082ध्।तउकध्।च्ै.7क्.सस कंजमक 07 श्रनद 12ण् ज्ीपे क्जम ंहंपद वितूंतकमक ं बमतजपपिबंजम तमहंतकपदह तमबमपचज व िूंदजपदह बतमकपजे जीम चमतपवक तिवउ क्मब 2005 जव श्रनद 2006 तिवउ च्।व् ;व्त्द्ध बवदबमतदमक जव क्क्ड ;च्स्प्द्धए व्ध्व ब्ीपम ि च्वेजउंेजमत ळमदमतंसए त्ंरंेजींद ब्पतबसमए श्रंपचनत.302 007 अपकम जीपे क्जम समजजमत 1071082ध्।तउकध्।च्ै.7क्.सस कंजमक 18 ैमच 12 ंे जीमल तमुनमेजमक ेंउम अपकम जीमपत समजजमत छव च्स्प्ध्ज्तध्1ि5.2ध्2012ध्।च्ै.छड.150105.स् कंजमक 07 ।नह 12ण् । बवचल व िजीपे बमतजपपिबंजम ंसेव उंतामक जव पदेनतंदज बवदबमतदमकण्
5. परिवादी की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, बीमा प्रस्ताव पत्र, पोलिसी ट्रांसफर प्रमाण-पत्र, चैक की प्रति दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थीगण की ओर से पोलिसी ट्रांसफर प्रमाण-पत्र, लेजर डिटेल, रामसिंह का शपथ-पत्र दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया हैै।
6. पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।
7. परिवादी अधिवक्ता ने परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि परिवादी ने अप्रार्थीगण से दिनांक 08.12.1995 को एक डाक बीमा पोलिसी संख्या एपीए/एनएम/150/05 एल.एस.पी.सिंह ई.ए./50 क्रय की थी। उक्त पोलिसी दिनांक 09.06.2012 को परिपक्व हुई। परिवादी ने उक्त पोलिसी की परिपक्वता तिथि से पूर्व ही मई 2012 में अप्रार्थी संख्या 1 के यहां समस्त कागजात मूल पोलिसी जमा करवा दिये परन्तु इसके बावजूद भी अप्रार्थीगण ने परिवादी को परिपक्वता राशि 86,040 रूपये का भुगतान नहीं किया। परिवादी बार-बार उक्त परिपक्वता राशि हेतु अप्रार्थीगण के यहां चक्कर लगाता रहा परन्तु हर बार परिवादी को यही कहा जाता रहा कि जब भी परिवादी को प्रश्नगत पोलिसी का भुगतान किया जायेगा। ब्याज सहित किया जायेगा। परन्तु अप्रार्थीगण ने दिनांक 20.09.2012 को परिवादी को केवल परिपक्वता राशि 86,040 रूपये का भुगतान किया गया। उक्त राशि पर 3 माह की देरी के भुगतान पर ब्याज अदा नहीं किया गया। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवादोष की श्रेणी में आता है। इसलिए परिवादी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने परिवादी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए तर्क दिया कि वास्तव में परिवादी को प्रश्नगत पोलिसी पर समय अनुसार भुगतान कर दिया गया था जो देरी हुई उस हेतु स्वंय परिवादी उत्तरदायी है क्योंकि परिवादी ने अपनी प्रश्नगत पोलिसी स्थानान्तरण के समय दिसम्बर 2005 से जून 2006 तक प्रीमियम सेड्यूल हेतु निर्देशित किया गया था। परन्तु अप्रार्थी संख्या 3 द्वारा उक्त विवरण अप्रार्थी संख्या 1 व 2 के पास दिनांक 19.09.2012 को प्राप्त हुआ और दिनांक 20.09.2012 को परिवादी को भुगतान कर दिया गया। परिवादी ने उक्त राशि बिना किसी आपत्ति के स्वीकार कर ली। परिवादी ने अप्रार्थीगण विभाग में ब्याज के समय में कभी भी कोई प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत नहीं किया। यदि परिवादी उक्त पोलिसी की राशि प्राप्त करते समय ब्याज के सम्बंध में कोई आपत्ति करता तो परिवादी को नियमानुसार ब्याज का भुगतान भी सम्बंधित उत्तरदायी विभाग से करवाया जाता। यदि एक बार परिवादी द्वारा बिना किसी आपत्ति के प्रश्नगत पोलिसी के पेटे मेच्योरिटी राशि स्वीकार कर ली है तो वह अब पुनः प्रश्नगत पोलिसी के पेटे विवाद लाने का अधिकारी नहीं है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
8. हमने उभय पक्षेां के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में परिवादी द्वारा अपनी प्रश्नगत पेालिसी संख्या एपीए/एनएम/150/05 एल.एस.पी.सिंह ई.ए./50 के पेटे मेच्योरिटी राशि प्राप्त करना स्वीकृत तथ्य है। विवादक बिन्दु केवल यह है कि परिवादी उक्त राशि पर 3 माह 10 दिन का ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में यह तर्क दिया कि परिवादी ने प्रश्नगत पेालिसी के पेटे परिपक्वता राशि बिना किसी आपत्ति के स्वीकार कर ली है। परिवादी ने ब्याज हेतु कभी भी अप्रार्थीगण के यहां कोई प्रार्थना-पत्र नहीं दिया इसलिए परिवादी प्रश्नगत पोलिसी के पेटे अब विवाद लाने हेतु विबंधित है। परिवादी अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि परिवादी बार-बार अप्रार्थीगण के यहां ब्याज हेतु निवेदन करता रहा। परन्तु अप्रार्थीगण ने परिवादी के निवेदन पर कोई गौर नहीं किया। वर्तमान प्रकरण में परिवादी ने प्रश्नगत पोलिसी की परिपक्वता राशि दिनांक 20.09.2012 जरिये चैक संख्या 130191 से 86040 रूपये स्वीकार कर लिये थे और यह परिवाद इस मंच में दिनांक 10.05.2013 को प्रस्तुत किया। वर्तमान परिवाद से पूर्व परिवादी ने अप्रार्थीगण के यहां अपनी पोलिसी के परिपक्व राशि की देरी हेतु ब्याज के सम्बंध में कोई भी प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया हो ऐसा कोई दस्तावेज पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं किया। परिवादी ने प्रश्नगत पोलिसी के पेटे परिपक्वता राशि प्राप्त करने के बाद उक्त राशि आपत्ति के अद्यधीन प्राप्त की हो ऐसा कोई दस्तावेज भी परिवादी द्वारा पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं किया गया। ना ही परिवादी ने अपने परिवाद में यह तथ्य अंकित किया कि परिवादी ने प्रश्नगत पोलिसी की परिपक्वता राशि अंडर प्रोटेस्ट प्राप्त की थी। इसलिए मंच की राय में परिवादी ने प्रश्नगत पोलिसी के पेटे परिपक्वता राशि बिना किसी आपत्ति के अपनी स्वेच्छा से प्राप्त की है। परिवादी ने परिपक्वता राशि की देरी के सम्बंध मेें किसी भी प्रकार का कोई प्रार्थना-पत्र आपत्ति स्वरूप अप्रार्थीगण को नहीं दिया। इसलिए मंच की राय में परिवादी द्वारा यदि उक्त राशि स्वेच्छा से बिना किसी आपत्ति के प्राप्त कर ली है तो वह परिपक्वता राशि के सम्बंध में अब परिवाद लाने का अधिकारी नहीं है ऐसा ही मत माननीय राष्ट्रीय आयोग के नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त 2 सी.पी.जे. 2014 पेज 280 एन.सी. जैसराम खुशीराम प्रा.लि. एण्ड अदर्स बनाम नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी एण्ड अदर्स में यह निर्धारित किया कि यदि किसी पक्षकार द्वारा एक बार बिना किसी आपत्ति के फूल एण्ड फाईनल सेटलमेन्ट के तहत क्लेम राशि स्वीकार कर ली जाती है तो वह पुनः क्लेम हेतु परिवाद लाने का अधिकारी नहीं रहेगा। उक्त न्यायिक दृष्टान्त के तथ्य वर्तमान प्रकरण पर पूर्णत चस्पा होते है क्योंकि वर्तमान प्रकरण में परिवादी ने अपनी पत्रावली पर ऐसा कोई दस्तावेज या साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया जिससे यह साबित हो कि परिवादी ने अप्रार्थीगण द्वारा प्रश्नगत पोलिसी के पेटे अदा की गयी परिपक्वता राशि आपत्ति के अद्यधीन प्राप्त की हो। इसलिए परिवादी का परिवाद उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त की रोशनी में खारिज किये जाने योग्य है।
अतः परिवादी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध अस्वीकार कर खारिज किया जाता है। पक्षकार प्रकरण का व्यय अपना-अपना वहन करेंगे।
सुभाष चन्द्र नसीम बानो षिव शंकर
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 09.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
सुभाष चन्द्र नसीम बानो षिव शंकर
सदस्य सदस्या अध्यक्ष