Uttar Pradesh

StateCommission

A/2003/950

U I I Co - Complainant(s)

Versus

Adhunik Radimade Garments - Opp.Party(s)

V. P. Sharma

20 Sep 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2003/3048
( Date of Filing : 12 Nov 2003 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/S Adhunik Readymade Garments
a
...........Appellant(s)
Versus
1. United India Insurance Co. Ltd.
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2003/950
( Date of Filing : 16 Apr 2003 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. U I I Co
Varanasi
...........Appellant(s)
Versus
1. Adhunik Radimade Garments
Jaunpur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Sep 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील संख्‍या-3048/2003

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्‍या 312/1998 में पारित आदेश दिनांक 13.03.2003 के विरूद्ध)

1. मै0 आधुनिक रेडीमेड गारमेन्‍ट्स द्वारा प्रोपराइटर श्री सोरन सिंह स्थित नरायन कटरा, पानदरीबा, फैजाबाद रोड, शाहगंज, जौनपुर

2. सोरन सिंह पुत्र श्री बिसन सिंह, निवासी-साकिन मौजा पानदरीबा उसराभादी शाहगंज, जौनपुर

              ...................अपीलार्थीगण/परिवादीगण

बनाम

1. डिवीजनल मैनेजर, यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0, डिवीजनल आफिस-2, सी-26/35-16-जे-1, द्वितीय तल, राम कटोरा चौराहा, वाराणसी-221081

2. ब्रांच मैनेजर, यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0, जौनपुर

3. ब्रांच मैनेजर, यूनियन बैंक आफ इण्डिया, ब्रांच सुगर मिल शाहगंज, जौनपुर             ................प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

एवं

अपील संख्‍या-950/2003

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्‍या 312/1998 में पारित आदेश दिनांक 13.03.2003 के विरूद्ध)

1. डिवीजनल मैनेजर, यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0, डिवीजनल आफिस-2, सी-26/35-16-1, द्वितीय तल, राम कटोरा चौराहा, वाराणसी

2. ब्रांच मैनेजर, यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0, जौनपुर

              ...................अपीलार्थीगण/विपक्षी सं01 व 2

बनाम

1. मै0 आधुनिक रेडीमेड गारमेन्‍ट्स, नरायन मार्केट, पानदरीबा, फैजाबाद रोड, शाहगंज, जौनपुर द्वारा प्रोपराइटर सोरन सिंह

2. सोरन सिंह पुत्र श्री बिसन सिंह, निवासी-पानदरीबा, शाहगंज, जौनपुर

3. ब्रांच मैनेजर, यूनियन बैंक आफ इण्डिया, ब्रांच सुगर मिल शाहगंज, जौनपुर

        ................प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण एवं विपक्षी संख्‍या-3

 

 

 

-2-

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

 

परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री पियूष मणि त्रिपाठी,  

                             विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी सं01 व 2 की ओर से उपस्थित : श्री वी0पी0 शर्मा,  

                                  विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी सं03 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 20.09.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

उपरोक्‍त दोनों अपीलों के तथ्‍य एक समान हैं, इसलिए उपरोक्‍त दोनों अपीलों का निस्‍तारण एक साथ किया जा रहा             है।

जिला उपभोक्‍ता आयोग, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-312/1998 मेसर्स आधुनिक रेडीमेड गारमेन्‍टस द्वारा सोरन सिंह व अन्‍य बनाम डिवीजनल मैनेजर यूनाइटेड इण्डिया इन्‍श्‍योरेन्‍स कं0लि0 व दो अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 13.03.2003 के विरूद्ध उपरोक्‍त अपील संख्‍या-3048/2003 परिवाद के परिवादीगण की ओर से तथा अपील संख्‍या-950/2003 परिवाद के विपक्षी संख्‍या-1 व 2 बीमा कम्‍पनी की ओर से इस न्‍यायालय के सम्‍मुख योजित की गयी हैं।

अपील संख्‍या-3048/2003 में परिवादीगण द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रदान किए गए अनुतोष में बढ़ोत्‍तरी हेतु प्रार्थना की गयी है तथा अपील संख्‍या-950/2003 में बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश को अपास्‍त किए जाने की प्रार्थना की गयी है।

प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश के द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उपरोक्‍त परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया:-

 

 

-3-

''परिवाद आंशिक रूप से सफल होता है। विपक्षी सं.1 व 2 के शाखा प्रबन्‍धक को आदेश दिया जाता है कि वे परिवादी के क्‍लेम की धनराशि मु0 90,000/-रू0 एवं उस पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि दि.20.11.98 से देयता की ति‍थि तक 10प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से निर्णय होने की तिथि से दो माह के अन्‍दर परिवादी को भुगतान करे। पक्षकार अपना-अपना खर्च स्‍वयं वहन करेगें।''

मेरे द्वारा परिवादीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता  श्री पियूष मणि त्रिपाठी एवं विपक्षी संख्‍या-1 व 2 बीमा कम्‍पनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी0पी0 शर्मा को सुना गया, प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा अपील पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक परीक्षण व परिशीलन किया गया। विपक्षी संख्‍या-3 बैंक की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए विपक्षी संख्‍या-3 बैंक से 70,000/-रू0 का ऋण लेकर आधुनिक रेडीमेड गारमेन्‍टस का कारोबार प्रारम्‍भ किया।  परिवादी द्वारा अपनी दुकान व सामान का बीमा सपरिवार इंश्‍योरेंस पालिसी के अन्‍तर्गत 1,50,000/-रू0 का दिनांक 25.10.1996 को विपक्षी संख्‍या-2 से प्रीमियम अदा कर  एक वर्ष की अवधि हेतु दिनांक 24.10.1997 तक का कराया गया। उक्‍त बीमा पालिसी परिवादी की दुकान में रखे हुए सारे सामान व कैश के लिए था तथा दुकान में चोरी अथवा अन्‍य किसी भी प्रकार से क्षति पहुंचने का रिश्‍क कवर था।

परिवादी की दुकान में दिनांक 7/8 मार्च, 1997 की रात्रि में शटर व ताला तोड़कर चोरी हो गयी तथा चोरों द्वारा दुकान से 1,25,000/-रू0 का कपड़ा तथा 8000/-रू0 नकद की चोरी की गयी। परिवादी द्वारा चोरी की सूचना मिलने पर दिनांक 08.03.1997 को चोरी की घटना की रिपोर्ट कोतवाली  शाहगंज  में

 

 

 

 

-4-

अंकित कराया तथा विपक्षीगण को भी चोरी की घटना की सूचना दी गयी।

विपक्षी बीमा कम्‍पनी के सर्वेयर द्वारा दिनांक 09.03.1997 को परिवादी की दुकान का निरीक्षण किया गया। परिवादी द्वारा क्‍लेम से सम्‍बन्धित कागजात भरकर बीमा कम्‍पनी को तथा विपक्षी संख्‍या-3 बैंक के द्वारा आवश्‍यक कार्यवाही हेतु प्रेषित किए गए। बीमा कम्‍पनी द्वारा परिवादी के क्‍लेम को जल्‍द ही निस्‍तारित किए जाने का आश्‍वासन दिया गया, परन्‍तु बीमा कम्‍पनी द्वारा अपने अपने पत्र दिनांक 29.10.1998 द्वारा परिवादी को सूचित किया गया कि परिवादी का दावा फाईल दिनांक 30.03.1998 को उसके दावा को निरस्‍त करते हुए बन्‍द कर दी गयी। कोतवाली शाहगंज के अधिकारियों द्वारा तफ्तीश के दौरान 60-65 हजार रूपए के सामान व कपड़ों की चोरी होने का उल्‍लेख अपनी रिपोर्ट दिनांक 30.07.1998 में किया गया, परन्‍तु इसके बावजूद बीमा कम्‍पनी द्वारा विधि विरूद्ध तरीके से परिवादी का क्‍लेम निरस्‍त किया गया। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

विपक्षी संख्‍या-3 बैंक द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख जवाबदावा प्रस्‍तुत करते हुए मुख्‍य रूप से कथन किया गया कि परिवादी द्वारा चोरी होने की सूचना बैंक को दी गयी, जिस पर बैंक द्वारा विपक्षी संख्‍या-2 को सूचना प्रेषित करते हुए आवश्‍यक कार्यवाही हेतु निर्देश दिए गए तथा यह कि विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी को दिनांक 16.03.1998 को इस आशय का पत्र प्रेषित किया गया कि बीमा क्षतिपूर्ति के संबंध में आवश्‍यक प्रपत्र बीमा कम्‍पनी को उपलब्‍ध करावें। परिवाद विपक्षी बैंक के विरूद्ध निरस्‍त  होने योग्‍य है।

विपक्षी संख्‍या-1 व 2 बीमा कम्‍पनी  द्वारा  जिला  उपभोक्‍ता  

 

 

 

 

-5-

आयोग के सम्‍मुख जवाबदावा प्रस्‍तुत करते हुए मुख्‍य रूप से कथन किया गया कि परिवादी द्वारा सूचना दिए जाने पर घटना की जांच के लिए दिनांक 09.03.1997 को सर्वेयर नियुक्‍त किया गया। सर्वेयर द्वारा वांछित प्रपत्र परिवादी द्वारा उपलब्‍ध नहीं कराए गए। सर्वेयर द्वारा पुन: परिवादी को विभिन्‍न तिथियों पर पत्र प्रेषित करते हुए कुछ कागजात की मांग की गयी ताकि परिवादी के क्‍लेम का निस्‍तारण यथाशीघ्र किया जा सके, परन्तु परिवादी द्वारा विलम्‍ब के पश्‍चात् वर्ष 1994 से 1997 तक के क्रय-विक्रय का विवरण ही प्रस्‍तुत किया, अन्‍य वांछित कागजात प्रेषित नहीं किए गए।

परिवादी के स्‍वयं स्‍टाक व बैलेंस के विवरण अनुसार किसी स्‍टाक की चोरी न होना पाया गया, जिस कारण परिवादी कोई भी क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है। परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करते हुए परिवादी की दुकान में चोरी होना पाया गया। तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, जिसका उल्‍लेख ऊपर किया गया है।

उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्वय को सुनने तथा समस्‍त          तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता           आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण  करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता              आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, जिसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

तदनुसार उपरोक्‍त दोनों अपीलें निरस्‍त की जाती हैं।

अपील संख्‍या-950/2003 में अपीलार्थीगण द्वारा  यदि  कोई

 

 

 

 

-6-

धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

इस निर्णय की मूल प्रति अपील संख्‍या-3048/2003 में एवं छायाप्रति अपील संख्‍या-950/2003 में रखी जाये।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                           (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)           

                         अध्‍यक्ष             

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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