Uttar Pradesh

Chanduali

MA/3/2015

RAMNAUMI SINGH - Complainant(s)

Versus

Adhishasi Abhiyanta Vidyut - Opp.Party(s)

Sudarshan Singh

03 Jun 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Miscellaneous Application No. MA/3/2015
In
Miscellaneous Application No. 0
 
1. RAMNAUMI SINGH
Vill-Bhatija saiyadraja Chandauli
Chandauli
UP
...........Appellant(s)
Versus
1. Adhishasi Abhiyanta Vidyut
Chandauli
Chandauli
UP
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Shashi Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

3-06-2016
    पत्रावली आदेशार्थ प्रस्तुत हुई।
    प्रार्थना पत्र अन्र्तगत धारा 24 क(।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया है, पत्रावली का सम्यक अवलोकन किया गया। 
    परिवादी द्वारा धारा 24 क(।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्र्तगत प्रार्थना इस आशय का दाखिल किया गया है कि परिवादी ने दिनांक 31-8-98 को विद्युत कनेक्शन लेने के लिए विद्युत विभाग के यहाॅं रू0 600/- जमा किया  गया  किन्तु विद्युत विभाग की ओर से खम्भा गाड दिया गया लेकिन न तो तार खीचा गया और न ही विद्युत कनेक्शन दिया गया। प्रार्थी ने अनेक बार इसके लिए शिकायत की किन्तु विभागीय कर्मचारी अवैध रूप से रू0 10000/- की मांग करने लगे जिसकी शिकायत परिवादी ने विभागी अधिकारियों से किया लेकिन उनके द्वारा भी टाल-मटोल किया जाता रहा और बिना विद्युत तार खीचे ही दिनांक 7-10-2008 की देय तिथि हेतु परिवादी को विद्युत बिल भेजी गयी जिसकी शिकायत उसने विभागीय कर्मचारियों से किया। पुनः दिनांक 20-12-2009 को दूसरी विद्युत बिल भेजी गयी उपरोक्त बिलों को लेकर परिवादी विभागीय कर्मचारियों के यहाॅं दौडता रहा लेकिन वे टाल-मटोल करते रहे जिस पर दिनांक 2-2-2010 को परिवादी ने तहसील दिवस में एक प्रार्थना पत्र दिया और तहसील दिवस में उपस्थित कर्मचारियों द्वारा उसे आश्वासन किया गया कि यह त्रुटि भूलवश हुई है इसे ठीक कर दिया जायेगा लेकिन बिलों की धनराशि को समाप्त करने के लिए विभागीय कर्मचारियों ने अवैध धनराशि की मांग करने लगे परिवादी ने अवैध धनराशि देने से इन्कार कर दिया तब विपक्षी ने बिल की धनराशि समाप्त करके विद्युत कनेक्शन देने से दिनांक 15-12-2014 को इन्कार कर दिया। परिवादी कम पढा लिखा ग्रामीण व्यक्ति है जिसे कानून की जानकारी नहीं है। अतः परिवाद प्रस्तुत करने में यदि बिलम्ब पाया जाय तो धारा 24 क(।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का छूट देते हुए उसका मुकदमा पंजीकृत किया जाय।
    पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादी के अभिकथनों के मुताबिक उसने विद्युत कनेक्शन लेने के लिए विद्युत विभाग में दिनांक 31-8-98 को रू0 600/- जमा किया लेकिन विद्युत विभाग ने सन् 1998 में पोल तो गाड दिया लेकिन कभी उस पर बिजली का तार नहीं खीचा गया बल्कि इसके लिए परिवादी से अवैध धनराशि की मांग की गयी जिसे परिवादी ने नहीं दिया अतः उसे कभी विद्युत कनेक्शन नहीं दिया गया। परिवादी के कथनानुसार उसे पहली बार विद्युत बिल भेजा गया जिसकी देय तिथि 7-10-07 थी पुनः दूसरी विद्युत बिल भी विपक्षी द्वारा दिनांक 30-10-09 से दिनांक 30-12-09 को विद्युत उपभोग हेतु भेजी गयी थी। परिवादी के अनुसार बिना विद्युत कनेक्शन दिये ही बिल भेजी गयी थी जो अवैध थी और जिसे माफ किये जाने हेतु वह विपक्षी के विभाग में भागदौड करता रहा और तहसील दिवस में भी दिनांक 2-2-2010 को प्रार्थना पत्र दिया जब परिवादी के अवैध विद्युत बिल को निरस्त करने तथा परिवादी को विद्युत कनेक्शन देने से विपक्षी ने मना कर दिया तब परिवादी ने यह दावा दाखिल किया।
    इस प्रकार परिवादी के अभिकथनों के मुताबिक ही उसका परिवाद अत्यधिक बिलम्ब से दाखिल किया गया है क्योंकि परिवादी के अभिकथनों के मुताबिक उसने सन् 1998 में विद्युत कनेक्शन लेने के लिए विद्युत विभाग में रू0 600/-जमा किया था किन्तु विद्युत विभाग ने सन् 1998 में ही बिजली का खम्भा तो गाड दिया लेकिन न तो तार खीचा गया और न कभी परिवादी को विद्युत कनेक्शन दिया गया किन्तु परिवादी ने सन् 1998 से लेकर सन् 2015 तक इस सम्बन्ध में कोई मुकदमा दाखिल नहीं है। परिवादी के अभिकथन के मुताबिक उसे वर्ष 2007 में ही बिना विद्युत कनेक्शन दिये विद्युत बिल भेजी गयी थी और उसके बाद सन् 2009 में विद्युत बिल भेजी गयी थी लेकिन उस समय भी परिवादी की ओर से कोई परिवाद दाखिल नहीं किया गया।
    धारा 24 क(।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के मुताबिक कोई भी परिवाद वाद कारण उत्पन्न होने के दिनांक से 2 वर्ष की अवधि में ही प्रस्तुत किया जा सकता है इसी अधिनयम की धारा  24 क(।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार यदि परिवादी जिला फोरम,राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग जैसी कि स्थिति हो को संतुष्ट कर देता है उसके पास उस अवधि के अन्र्तगत परिवाद प्रस्तुत न करने का समुचित कारण था, तो धारा 24 क(।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में वर्णित अवधि के बाद भी परिवाद ग्रहण किया जा सकता है किन्तु ऐसा परिवाद तब तक ग्रहण नहीं किया जायेगा जबतक कि यथा स्थित 
2

राष्ट्रीय आयोग,राज्य आयोग या जिला फोरम ऐसे बिलम्ब क्षमा किये जाने के कारणों को उल्लिखित न करें।
    इस प्रकार धारा 24-क, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के उपरोक्त प्राविधानों से यह स्पष्ट है कि इस अधिनियम के अन्र्तगत कोई भी परिवाद वाद कारण उत्पन्न होने के 2 वर्ष तक ही दाखिल किया जा सकता है इसके बाद परिवाद उसी स्थिति में ग्रहण किया जा सकता है जब परिवादी फोरम को इस बात से संतुष्ट कर दे कि उसके द्वारा समय से परिवाद दाखिल न करने का समुचित कारण मौजूद था।
    प्रस्तुत मामले में परिवादी ने विद्युत कनेक्शन लेने के लिए पैसा सन् 1998 में जमा किया और उसके कथनानुसार उसे विद्युत कनेक्शन नहीं दिया गया तो वाद कारण सन् 1998 में ही पैदा हो गया था। इसी प्रकार स्वयं परिवादी के कथनानुसार सन् 2007 और सन् 2009 में उसे विद्युत बिल भेजा गया था तो कम से कम उस समय भी वाद कारण उत्पन्न होना मान लिया जाय तब भी परिवादी को उसके 2 वर्ष बाद अर्थात सन् 2011 तक ही हर हाल में परिवाद दाखिल करना चाहिए था किन्तु परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद दिनांक 19 जनवरी 2015 को दाखिल किया है जो अत्यधिक बिलम्ब से है। परिवादी ने बिलम्ब का कारण यह बताया है कि वह विद्युत विभाग में भागदौड करता रहा और विद्युत विभाग के कर्मचारी टालमटोल करते रहे और उससे अवैध धन की मांग करते रहे किन्तु फोरम की राय में परिवादी द्वारा बिलम्ब का बतया गया उपरोक्त कारण संतोषजनक एवं विश्वसनीय नहीं पाया जाता क्योंकि कोई व्यक्ति इतने वर्षो तक केवल विभागीय कर्मचारियों के पास दौडता रहे और वैधानिक कार्यवाही न करे तो उसे मियाद अधिनियम के तहत कोई छूट दिया जाना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता।
    फोरम की राय में प्रस्तुत परिवाद अत्यधिक बिलम्ब से दाखिल किया गया है जो कालबाधित है और परिवादी की धारा 24 क(।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्र्तगत कोई लाभ दिये जाने का भी संतोषजनक कारण नहीं पाया जाता है अतः उसका प्रार्थना पत्र, धारा 24 क(।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम एवं उसका परिवाद तद्नुसार निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दपतर हो।
    

सदस्या                                                             अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Shashi Yadav]
MEMBER

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