(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1871/2002
शिखर चन्द जैन पुत्र स्व0 श्री पी.एल. जैन, निवासी मोहल्ला कालवनगज, छोटी बाजार, बांदा
बनाम
एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, मायनर इरिगेशन डिपार्टमेंट, सिविल लाइन्स, बांदा तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अमित चन्द्रा।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री एस.के. वर्मा।
दिनांक : 12.02.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-166/1999, शिखर चन्द जैन बनाम अधिशासी अभियन्ता, लघु सिंचाई विभाग तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, बांदा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.7.2002 के विरूद्ध परिवादी की ओर से प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अमित चन्द्रा तथा प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री एस.के. वर्मा. की बहस सुनी गयी तथा तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने उत्तर प्रदेश शासन के लघु सिंचाई विभाग तथा कृषक के मध्य किसी प्रकार की संविदा न होने के कारण परिवाद खारिज कर दिया।
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3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा जो बोरिंग करायी गयी थी, वह दिनांक 18.12.1998 को फेल हो गयी, इसलिए परिवादी द्वारा निवेशित धनराशि अंकन 99,000/-रू0 24 प्रतिशत ब्याज सहित तथा कृषि में हुई हानि के लिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. इस पीठ द्वारा उपभोक्ता परिवाद में वर्णित तथ्यों का अवलोकन किया गया और यह पाया गया कि बोरिंग स्थापित करने की किसी तिथि का उल्लेख नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता से मौखिक रूप से भी पूछा गया कि यथार्थ में बोरिंग किस दिन स्थापित हुई, परन्तु उनके द्वारा भी बोरिंग स्थापित करने की तिथि नहीं बतायी गयी।
5. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा आगे यह बहस की गयी कि संविदा के अनुसार यदि बोरिंग करते समय ही बोरिंग विफल हो जाती है तब अंकन 01 हजार रूयपे की कटौती कर धनराशि वापस कर दी जाएगी। यदि इस तर्क को ज्यौं का त्यौं सत्य मान लिया जाय तब भी अपीलार्थी द्वारा इस संबंध में जारी शासनादेश, परिपत्र आदि की कोई प्रति इस पीठ के अवलोकनार्थ प्रस्तुत नहीं की है। फिर यह भी कि लिखित कथन के विवरण के अनुसार यदि मान लिया जाय कि बोरिंग फेल होने की स्थिति में अंकन 01 हजार काटकर धनराशि वापस की जाएगी तब परिवादी के लिए यह आवश्यक था कि वह बोरिंग किये जाने की तिथि का उल्लेख करते तथा परिवाद पत्र में यह भी अंकित करते कि बोरिंग करते समय ही बोरिंग पूर्ण रूप से विफल हो चुकी है। इन सब तथ्यों के
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अभाव में यह सुनिश्चित करना संभव नहीं है कि बोरिंग करते समय ही बोरिंग फेल हुई है, इसलिए इस तर्क को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि बोरिंग करते समय बोरिंग फेल होने पर अंकन 01 हजार रूपये की कटौती करने के पश्चात अवशेष राशि लौटा दी जाए, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अहस्तक्षेपनीय है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3