Uttar Pradesh

StateCommission

A/831/2022

Dayashankar - Complainant(s)

Versus

Adhishashi Abhiyanta Vidyut Vitran Khand - Opp.Party(s)

Anil Kumar Sharma

29 Aug 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/831/2022
( Date of Filing : 25 Aug 2022 )
(Arisen out of Order Dated 26/07/2022 in Case No. C/2021/35 of District Unnao)
 
1. Dayashankar
Dist. Unnao
...........Appellant(s)
Versus
1. Adhishashi Abhiyanta Vidyut Vitran Khand
P.D. Nagar Unnao
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 29 Aug 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)                                                                                  

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या:-831/2022

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उन्‍नाव परिवाद सं0-35/2021 में पारित आदेश दिनांक 26.07.2022 के विरूद्ध)

दयाशंकर पुत्र बसन्‍त वास्‍ते सुरेश यादव, निवासी मकान नं0 113 मोहल्‍ला लोक नगर, थाना कोतवाली तहसील व जिला उन्‍नाव। 

                                                   ........... अपीलार्थी/परिवादी

बनाम         

  1. अधिशाषी अभियंता, विद्युत वितरण खण्‍ड प्रथम उ0प्र0 कारपोरेशन पी0डी0 नगर, उन्‍नाव।
  2. उपखण्‍ड अधिकारी, विद्युतवितरण खण्‍ड प्रथम काशीराम कालोनी जरिये राजकुमार कुश्‍वाहा।
  3. मध्‍यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड शक्ति भवन, लखनऊ 4ए गोखले मार्ग लखनऊ जरिये प्रबन्‍धक निदेशक।

…….. प्रत्‍यर्थीगण

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता       : श्री अनिल कुमार शर्मा।

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता        : कोई नहीं।

दिनांक-29.08.2022

 

 

                   

 -2-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, उन्‍नाव द्वारा परिवाद सं0 35/2021 में पारित आदेश दिनांक 26.07.2022 के विरूद्ध योजित की गयी है।

     जिला उपभोक्‍ता आयोग उन्‍नाव द्वारा निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

     ‘ उपरोक्‍त विश्‍लेषण के आधार पर प्रस्‍तुत परिवाद संख्‍या 35/2021 दयाशंकर बनाम अधि0 अभि0 विद्युत वितरण खण्‍ड प्रथम आदि खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्त्‍तर हो।‘’

     संक्षेप में परिवाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी सुरेश यादव मकान नं0 113 मोहल्‍ला लोकर नगर थाना कोतवाली जिला उन्‍नाव का निवासी है जिसका विद्युत एकाउण्‍ट नं0 5042342000 स्‍वीकृत भार 01 किलोवाट तथा मीटर सं0 16058513 है। परिवादी का उक्‍त कनेक्‍शन नं0 010974, विभागीय मीटर सं0 ई-45989 है।

परिवादी का उक्‍त मीटर निकाल कर दूसरा नया मीटर लगाया गया जिसका सीलिंग सार्टिफिकेट नहीं दिया गया। परिवादी ने अपना बिल माह नवम्‍बर 2020 आनलाइन जमा किया तो विभाग द्वारा फर्जी बकाया रू0 21,782/- दिखाया गया जो मीटर रीडर द्वारा परिवादी को दिया गया उसमें रू0 669.56 अंकित है। परिवादी द्वारा निर्धारित समय पर बिलों का भुगतान किया गया। आखिरी बिल दिनांक 06.12.2020 को रू0 669.56 पैसे का आया केवल यही बिल परिवादी का बकाया था तथा उक्‍त बिल जब परिवादी जमा करने गया तो विपक्षी द्वारा बकाया रू0 21,782/- की देयता बतायी गयी तथा परिवादी को वापस कर दिया गया। परिवादी का कथन है कि उसके विरूद्ध कोई बिल बकाया नहीं है। परिवादी को बकाया का कोई नोटिस विभाग द्वारा नहीं दिया गया। बाबू द्वारा बकाया  बिल  रू0

-3-

21,782/- बताने पर परिवादी का मानसिक संतुलन बिगड़ गया न ही विभाग द्वारा उसे दूसरा सीलिंग सार्टीफिकेट दिया गया। विभाग में सम्‍पर्क करने पर उसकी  कोई बात नहीं सुनी न ही उसका कोई प्रार्थना पत्र लिया गया बल्कि परिवादी को विपक्षी द्वारा अपने कार्यालय से भगा दिया गया। तब परिवादी ने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से बिधिक नोटिस दिनांक 02.02.2021 को रजिस्‍टर्ड डाक से प्रेषित किया परन्‍तु विपक्षीगण द्वारा नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया। कथन किया कि परिवादी के विरूद्ध कोई बकाया नहीं है।

विपक्षी द्वारा परिवादी से यह भी कहा गया/धमकाया गया कि रू0 10,000/- जमा करें नहीं तो उसके खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करा देंगे। परिवादी के ऊपर विभाग का कोई बकाया नहीं है। फर्जी तरीके से रू0 21,782/- का बकाया परिवादी के विरूद्ध दिखाया गया है जो निरस्‍त किये जाने योग्‍य है। यह भी कथन किया गया कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को बकाया की कोई नोटिस नहीं दी है अत: परिवादी के विरूद्ध गलत एवं फर्जी तथ्‍य दिखाकर जारी बकाया मु0 21,782/- का बिल निरस्‍त किया जाय तथा सही बिल जमा कराया जाय तथा परिवादी को हुयी मानसिक, शारीरिक व सामयिक क्षति के लिये क्षतिपूर्ति व परिवाद व्‍यय हेतु रू0 50,000/- विपक्षीगण से दिलाया जाय।

     जिला फोरम के सम्‍मुख परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद में विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा जारी बकाया रू0 21,782/- को निरस्‍त किये जाने हेतु प्रार्थना की तथा यह कथन किया कि परिवादी द्वारा लगातार विद्युत देय का भुगतान किया जाता रहा है उसके विरूद्ध कोई बकाया नहीं है। यह कि परिवादी को मानसिक एवं शारीरिक व सामाजिक क्षति जो कारित हुयी है की पूर्ति हेतु रू0 20,000/-  दिलाये जाय तथा रू0 20,000/- परिवाद व्‍यय हेतु भी विद्युत विभाग से दिलाये जाय।

 

 

-4-

     जिला फोरम के सम्‍मुख विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से कोई अपना पक्ष प्रस्‍तुत किये जाने हेतु उपस्थित नहीं हुआ। तदनुसार जिला आयोग द्वारा गुण-दोष के आधार पर तथा परिवादी के परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुये निर्णय एवं आदेश दिनांक 26.07.2022 पारित किया गया जिसके द्वारा परिवादी/अपीलार्थी प्रस्‍तुत परिवाद निरस्‍त किया गया जिससे क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रस्‍तुत की गयी।

     हमारे द्वारा प्रस्‍तुत अपील का सम्‍यक परीक्षण एवं परिशीलन किया गया एवं अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को अंगीकरण के बिन्‍दु पर सुना गया। तथा यह पाया गया कि जिला फोरम द्वारा जो निर्णय पारित किया गया है सुसंगत एवं विधि पूर्ण है क्‍योंकि जिला फोरम द्वारा परिवादी द्वारा फोरम के सम्‍मुख प्रस्‍तुत समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक परीक्षण एवं परिशीलन किया गया तथा यह पाया गया कि परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत कागज सं0 8 सीलिंग सर्टीफिकेट दिनांक 26.06.2011, सूची कागज सं0 14 व कागज सं0 15 मीटर रीडर द्वारा दिया गया विद्युत बिल दिनांक 04.04.2021 की मूल प्रति है तथा कागज सं0 16 एस0डी0ओ0 द्वारा बकाया दिया गया बिल दिनांकित 31.03.2021 की प्रति है। जिला फोरम द्वारा प्रस्‍तुत उपरोक्‍त समस्‍त साक्ष्‍यों का अवलोकन किया गया व परीक्षण किया गया तथा यह पाया गया कि उपरोक्‍त सभी बिल सीलिंग सर्टीफिकेट दयाशंकर परिवादी के पिता के नाम जारी किये गये है तथा यह कि दया शंकर की मृत्‍यु सन् 2003 में हो गयी थी जैसा कि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वार दौरान बहस इस पीठ द्वारा पॅूछे गये प्रश्‍न के उत्‍तर में अवगत कराया गया तथा यह कि सुरेश यादव द्वारा अपने पिता के मृतक दया शंकर के नाम से परिवाद संस्थित किया न कि स्‍वयं के नाम से तथा यह कि उसके द्वारा परिवाद संस्थित न किये जाने से, को दृष्टिगत रखते हुये व सुरेश यादव मृतक के पुत्र द्वारा शपथ पत्र दिया गया जो तथ्‍य दयाशंकर की

 

-5-

ओर से प्रस्‍तुत किये जाने थे उनका हवाला/विवरण दिया गया जो कदापि स्‍वीकार योग्‍य नहीं था। तदनुसार परिवाद विधिक रूप से पोषणीय नहीं पाया गया। अतएव निरस्‍त किया गया।

     हमारे द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का परीक्षण एवं परिशीलन किया गया तथा यह पाया गया कि प्रस्‍तुत अपील मृतक व्‍यक्ति की ओर से योजित की गयी है जिसके पुत्र द्वारा मृतक पिता के नाम से परिवाद योजित किया गया था जो पूर्णत: अपोषणीय है। तदनुसार अपील निरस्‍त की जाती है।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)             (सुशील कुमार)

                  अध्‍यक्ष                        सदस्‍य

 

रामेश्‍वर, पी ए ग्रेड-2,

कोर्ट नं0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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