राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-59/2021
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्या 893/2007 में पारित आदेश दिनांक 05.12.2020 के विरूद्ध)
ब्रज आइस क्यूब्स, स्थित-894 एम बिनगवॉं, कानपुर द्वारा प्रोपराइटर, ब्रजेश चन्द्र दीक्षित, निवासी-मकान नं0-127/49/डब्लू.1, साकेत नगर, कानपुर
........................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. अधिशाषी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड, केसको, नौबस्ता, कानपुर नगर
2. महाप्रबंधक, केसको कार्यालय, परेड, कानपुर
...................प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री सर्वेश्वर मेहरोत्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन के सहयोगी
श्री अबुल कासिम जैदी,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 15.02.2023
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री सर्वेश्वर मेहरोत्रा एवं प्रत्यर्थी/विपक्षीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन के सहयोगी श्री अबुल कासिम जैदी को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्या-893/2007 ब्रज आइस क्यूब्स बनाम अधिशाषी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड केसको व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05.12.2020 के विरूद्ध योजित की गयी है।
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जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा प्रश्नगत आदेश के द्वारा उपरोक्त परिवाद निरस्त किया गया है।
अपीलार्थी/परिवादी द्वारा आइस फैक्ट्री हेतु हैवी पावर कनेक्शन के लिए प्रत्यर्थी/विपक्षी विद्युत विभाग में आवेदन किया गया था। यह कनेक्शन स्वीकृत रूप से दिनांक 18.01.2008 को आरम्भ किया गया था एवं स्वयं अपीलार्थी/परिवादी के अनुसार उक्त के संबंध में धनराशि दिनांक 24.02.2007 को प्रत्यर्थी/विपक्षी विद्युत विभाग में जमा की गयी थी। निश्चित रूप से यह विद्युत कनेक्शन आइस फैक्ट्री जैसे बड़े व्यवसाय के लिए हैवी श्रेणी का है, जो व्यवसायिक उद्देश्य से ही लगाया जाता है।
परिवाद पत्र के अवलोकन से कहीं भी यह स्पष्ट नहीं होता है कि अपीलार्थी/परिवादी ने अपने स्वरोजगार अथवा जीविकोपार्जन के लिए उक्त कनेक्शन लिया था। धारा-2 (1) (डी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत व्यवसायिक उद्देश्य से किया गया कोई संव्यवहार उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में नहीं आता है एवं ऐसी सेवा के लिए सेवा लेने वाला व्यक्ति उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। इसके अपवाद स्वरूप यदि परिवादी यह अभिवचन करता है कि उक्त विद्युत कनेक्शन स्वरोजगार के माध्यम से जीविकोपार्जन के लिए लिया गया है तो ऐसे परिवादी को उपभोक्ता की श्रेणी में माना जा सकता है, किन्तु यह तथ्य विशिष्ट रूप से अभिकथित होना चाहिए एवं साबित होना चाहिए कि यह वास्तव में स्वरोजगार एवं जीवन-यापन हेतु लिया गया है।
इस सम्बन्ध में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय शिखा बिरला बनाम डी0एल0एफ0 रिटेलर्स डेवलपर्स, प्रकाशित I (2013) CPJ पृष्ठ 665 (एन0सी0) का उल्लेख करना उचित होगा। इस निर्णय में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि व्यवसायिक उद्देश्य से किये गये संव्यवहार के मामले में परिवादी को स्वयं को उपभोक्ता सिद्ध करने के लिए यह आवश्यक होगा कि वह स्पष्ट रूप से अभिवचन करे कि उक्त संव्यवहार ''स्वरोजगार'' के माध्यम से ''जीविकोपार्जन'' हेतु किया गया है।
प्रस्तुत मामले में इस प्रकार का कोई भी अभिवचन परिवाद पत्र से स्पष्ट नहीं होता है कि यह विद्युत कनेक्शन स्वरोजगार हेतु लिया गया। अत: अपीलार्थी/परिवादी के व्यवसाय आइस फैक्ट्री के
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परिमाप एवं प्रकृति को देखते हुए निश्चय ही यह व्यवसायिक दृष्टि से लिया गया विद्युत कनेक्शन है। अत: अपीलार्थी/परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में धारा-2 (1) (डी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत नहीं माना जा सकता है एवं इस कारण परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत पोषणीय नहीं है। अपीलार्थी/परिवादी सक्षम प्राधिकारी/न्यायालय के समक्ष अपना परिवाद प्रस्तुत कर सकता है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उचित प्रकार से निर्णय पारित करते हुए परिवाद निरस्त किया है। जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय में कोई त्रुटि नहीं है। अत: जिला उपभोक्ता आयोग का आदेश पुष्ट होने योग्य है एवं अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्या-893/2007 ब्रज आइस क्यूब्स बनाम अधिशाषी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड केसको व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05.12.2020 पुष्ट किया जाता है। अपीलार्थी/परिवादी सक्षम प्राधिकारी/न्यायालय के समक्ष अपना परिवाद प्रस्तुत करने हेतु स्वतंत्र है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1