राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1326/2022
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता आयोग, रामपुर द्वारा परिवाद संख्या 13/2020 में पारित आदेश दिनांक 20.08.2022 के विरूद्ध)
तेजराम, आयु लगभग 74 वर्ष, पुत्र स्व0 श्री राम लाल निवासी ग्राम सींगन खेड़ा, तहसील सदर, जिला रामपुर
........................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. अधिशाषी अभियंता, विद्युत वितरण खंड-द्वितीय, निकट रोडवेज, सिविल लाइंस, जनपद रामपुर उत्तर प्रदेश
2. अवर अभियंता, उपविद्युत केंद्र खौद, तहसील सदर, जनपद रामपुर, उत्तर प्रदेश
...................प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अरविन्द कुमार गौतम,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 07.12.2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री अरविन्द कुमार गौतम को सुना।
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, रामपुर द्वारा परिवाद संख्या-13/2020 तेज राम बनाम अधिशासी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 20.08.2022 के विरूद्ध योजित की गयी है।
प्रश्नगत निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग ने उपरोक्त परिवाद निरस्त किया है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी का विद्युत कनैक्शन संख्या 152/1312/105428 एस सी नम्बर 1521321105428
-2-
एकाउन्ट नम्बर 771711575476 दिनांक 14.01.2012 से शुरू है तथा परिवादी का उक्त कनेक्शन ग्रामीण है, परन्तु विपक्षी द्वारा विद्युत बिल शहरी हिसाब से भेजा जा रहा है, जो गलत है।
परिवादी का कथन है कि विपक्षी द्वारा परिवादी को कोई बिल नहीं भेजा गया, जिस पर परिवादी द्वारा विपक्षी के यहॉं सम्पर्क किया गया, परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी। परिवादी द्वारा जनवरी, 2019 में नेट से बिल निकलवाया गया तथा यह कि परिवादी द्वारा एकमुश्त योजना के अनुसार दिनांक 19.01.2019 को 2,000/-रू0 जमा करके ओ0टी0एस0 कराया तथा ओ0टी0एस0 कर्मचारी के कहने पर 30 प्रतिशत बिल 5504/-रू0 जमा किया। परिवादी द्वारा विपक्षी के यहॉं दिनांक 21.01.2019 को बिल संशोधन हेतु प्रार्थना पत्र दिया गया, परन्तु विपक्षी द्वारा बिल संशोधित नहीं किया गया तथा 41,693/-रू0 का गैर कानूनी बिल भेजा गया, जबकि 1205 यूनिट के हिसाब से 10,000/-रू0 का ही बिल आना चाहिए था।
परिवादी का कथन है कि विपक्षी द्वारा परिवादी के बिल को संशोधित नहीं किया गया तथा परिवादी के ऊपर बिल का अधिभार जारी है। परिवादी द्वारा दिनांक 16.08.2019 को बिल संशोधन हेतु विपक्षीगण को नोटिस जारी कर सूचित किया गया, परन्तु विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी तथा यह कि दिनांक 11.11.2019 को परिवादी पर 33,607/-रू0 का बकाया दिखाकर परिवादी का कनैक्शन विच्छेदित कर दिया गया। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षीगण द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया तथा कथन किया गया कि विपक्षी द्वारा परिवादी को दी जाने वाली सेवा में कोई कमी नहीं की गयी। परिवादी को 41,993/-रू0 का जो बिल दिया गया वह मीटर में उपभोग की गयी रीडिंग के अनुसार था, जिसे संशोधित किये जाने का कोई औचित्य नहीं है। परिवादी पर 33,607/-रू0 का बकाया हो जाने के कारण विद्युत
-3-
कनैक्शन विच्छेदित किया गया। परिवादी पर जनवरी 2019 तक 41,693/-रू0 का बिल था, जिसके सापेक्ष परिवादी द्वारा दिनांक 19.01.2019 को 5504/-रू0 जमा किया गया। जनवरी 2020 में परिवादी को 39038/-रू0 का बिल भेजा गया, जिसके सापेक्ष परिवादी द्वारा दिनांक 27.01.2020 को मात्र 1794/-रू0 जमा किया गया। परिवादी द्वारा शेष बकाया जमा नहीं किया गया। परिवादी द्वारा बकाया विद्युत बिल जमा करने से बचने के लिए परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त यह पाया गया कि परिवादी का विद्युत कनैक्शन दिनांक 14.01.2012 से शुरू है तथा उस समय के बाद परिवादी द्वारा जनवरी 2019 में ओ0टी0एस0 स्कीम के अन्तर्गत 5504/-रू0 जमा किया गया। दिनांक 14.01.2012 से दिनांक 19.01.2019 की अवधि का कोई बिल परिवादी द्वारा जमा किये जाने का कोई प्रमाण नहीं है, अत: विपक्षी द्वारा परिवादी को बकाया एरियर शामिल करते हुए बिल निर्गत किये गये, जो विपक्षी की सेवा में कमी नहीं है। तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद निरस्त किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुनने के उपरान्त तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त मेरे विचार से प्रस्तुत अपील में कोई बल नहीं है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है, वह पूर्णत: सुसंगत है, जिसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं प्रतीत होती है।
अतएव, प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0, कोर्ट नं0-1