Uttar Pradesh

StateCommission

A/237/2022

Ravindra Pal Singh - Complainant(s)

Versus

Adhishashi Abhiyanta Vidyut Vitran Khand I - Opp.Party(s)

Self (By Post)

03 Dec 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/237/2022
( Date of Filing : 07 Apr 2022 )
(Arisen out of Order Dated 04/03/2022 in Case No. C/2021/48 of District Mainpuri)
 
1. Ravindra Pal Singh
S/o Sri Gaya Prasad R/o D.N. Nagar Radharaman Road Rangoli Mandap Ke Pass Mainpuri
...........Appellant(s)
Versus
1. Adhishashi Abhiyanta Vidyut Vitran Khand I
Mainpuri
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 03 Dec 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-237/2022

रवीन्‍द्र पाल सिंह पुत्र गयाप्रसाद, निवासी मुहल्‍ला डी0एन0 नगर, राधारमन रोड, रंगोली मण्‍डप के पास, मैनपुरी।

बनाम

अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण खण्‍ड (प्रथम) मैनपुरी।

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : श्री दीपक मेहरोत्रा

दिनांक :- 03.12.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादी रवीन्‍द्रपाल सिंह द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, मैनपुरी द्वारा परिवाद सं0-48/2021 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.3.2022 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसके द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद को निरस्‍त कर दिया है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी का घरेलू कनेक्‍शन दिनांक 17.02.2015 को प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा लगाया गया था जो कि दो किलोवाट भार का था उक्‍त विद्युत कनेक्‍शन पर मीटर सं0-46218407-ए०ओ० 9994 लगाया गया था। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा प्रेषित बिलों का भुगतान अपीलार्थी/परिवादी प्रत्येक माह करता रहा, परन्तु विद्युत विभाग के द्वारा दिनांक 09.5.2019 को विद्युत मीटर जिस हालत में लगाया गया था उसके स्थान पर नया मीटर लगा दिया गया और उसे भी सील कर दिया गया। दिनांक 17.02.2015 से लेकर दिनांक 09.5.2019 तक प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा किसी प्रकार की कोई

-2-

शिकायत नहीं की गयी और अपीलार्थी/परिवादी दिनांक 17.02.2015 से आज दिनांक तक विद्युत उपभोग के बिलों का भुगतान करता चला आ रहा है। यदि उखाड़े गये मीटर में किसी प्रकार की कोई छेड़छाड़ अपीलार्थी/परिवादी द्वारा की गयी थी, तो विभाग द्वारा पहले चेक मीटर लगाया जाना चाहिए था।

यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी पर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी विद्युत विभाग का कोई विद्युत देय बकाया नहीं है क्योंकि अपीलार्थी/परिवादी प्रत्येक माह उपभोग किए गए विद्युत बिलों का भुगतान समय से करता चला आ रहा है। दिनांक 21.4.2023 को विभाग द्वारा एक नोटिस प्रेषित किया गया और रू0 50,410/- की अवैध एवं नाजायज माँग की गयी। उक्त अवैध बिल को अपीलार्थी/परिवादी द्वारा निरस्त करने की प्रार्थना की गयी, किन्तु प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा अपीलार्थी/परिवादी की प्रार्थना पत्र कोई विचार नहीं किया गया अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर अपीलार्थी/परिवादी को प्रत्‍यर्थी/विपक्षी विद्युत विभाग का उपभोक्ता होना स्वीकार किया गया है तथा यह कथन किया  गया कि अपीलार्थी/परिवादी के यहाँ दिनांक 09.5.2019 को मीटर टैम्पर होने के कारण उतारा गया था, उक्त मीटर की विद्युत प्रयोगशाला में उपभोक्ता के प्रतिनिधि की उपस्थिति में दिनांक 15.5.2019 को जाँच की गयी। जॉच में यह पाया गया कि मीटर के अन्दर एक अतिरिक्त कम्पोनेट लगाया गया था तथा उपभोक्ता के द्वारा मीटर के साथ छेडछाड़ की गयी थी। अतः मीटर में उक्त छेडछाड़ करने के कारण विद्युत अधिनिमय, 2003 की धारा-126 के अन्तर्गत रू0 50,410/- का

-3-

राजस्व निर्धारण किया गया। राजस्व निर्धारण किए जाने के कारण परिवाद जिला आयोग में संचालनीय नहीं है। अतः परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की गयी है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों पर विस्‍तृत विवेचना करने के पश्‍चात अपीलार्थी/परिवादी के परिवाद को निरस्‍त कर दिया गया, जिससे असंतुष्‍ट होकर प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

प्रस्‍तुत अपील वर्ष-2022 से लम्बित है, जो कि अपीलार्थी द्वारा पंजीकृत डाक के माध्‍यम से इस न्‍यायालय के सम्‍मुख योजित की गई है एवं पूर्व में अनेकों तिथियों पर अपीलार्थी की अनुपस्थिति व त्रुटि के निवारण हेतु स्‍थगित की जाती रही। आज अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

मेरे द्वारा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि चूंकि दिनांक 09.5.2019 को प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा मीटर टैम्पर होने के कारण उतारा गया और उक्त मीटर की विद्युत प्रयोगशाला में उपभोक्ता के प्रतिनिधि की उपस्थिति में दिनांक 15.5.2019 को जाँच करायी गयी, जिसमें मीटर के अन्दर एक अतिरिक्त कम्पोनेट लगा होना पाया गया, जिससे उपभोक्ता के द्वारा मीटर के साथ छेडछाड़ किया जाना सिद्ध होता है, जिस कारण अपीलार्थी/परिवादी का विद्युत अधिनिमय के अन्तर्गत रू0 50,410/-

 

-4-

का राजस्व निर्धारण किया गया, इसलिए अपीलार्थी/परिवादी प्रत्‍यर्थी/विपक्षी का उपभोक्‍ता स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है।  

विद्युत चोरी से सम्‍बन्धित वादों के निस्‍तारण के संबंध में माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा  U.P. Power Corporation Ltd. & Ors Vs. Anis Ahmad III (2013) CPJ 1 (SC) में इस आशय का सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि असेसमेंट के मामलों में इस न्‍यायालय अथवा जिला उपभोक्‍ता आयोग को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है। असेसमेंट गलत है अथवा नियमानुसार नहीं किया गया है, इस संदर्भ में भी विचार करने का क्षेत्राधिकर जिला उपभोक्‍ता आयोग को प्राप्‍त नहीं है और इस सम्‍बन्‍ध में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि सम्‍मत है एवं विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पा‍रित निर्णय/आदेश में किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलीय स्‍तर पर नहीं पायी गई, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                            

                               (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)            

                                                                         अध्‍यक्ष                                                                                                                             

 

 

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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