( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :69/2021
(जिला उपभोक्ता आयोग, बागपत द्वारा परिवाद संख्या-170/2013 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05-12-2020 विरूद्ध)
राज सिंह पुत्र श्री खजान सिंह निवासी ग्राम ग्वाली खेड़ा तहसील व जनपद बागपत।
बनाम्
1-अधिशासी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड, बागपत जनपद बागपत।
2-मुख्य सचिव, विद्युत वितरण लखनऊ, उ0प्र0।
3- उ0प्र0 राज्य द्वारा जिलाधिकारी महोदय, जनपद बागपत।
प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री आर0 डी0 क्रांति।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- श्री इसार हुसैन।
दिनांक : 28-11-2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-170/2013 राज सिंह बनाम अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड, बागपत में जिला उपभोक्ता आयोग, बागपत द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 05-12-2020 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
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‘’आक्षेपित निर्णय के द्वारा जिला आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के परिवादी की ओर से यह अपील जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को संशोधित किये जाने हेतु प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिक्ता श्री आर0 डी0 क्रांति उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन उपस्थित आए।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत अपील सव्यय स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05-12-2020 को संशोधित करते हुए परिवाद के अनुसार अनुतोष प्रदान किये जावे तथा बंद पड़े नलकूप के समय का विद्युत बिल न वसूल
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किया जावे एवं परिवाद के अनुसार 02 वर्ष की फसलों का मुआवजा मय हर्जा-खर्चा दिलाया जावे।
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के अनुसार है। अत: अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
मेरे द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
पत्रावली के परिशीलन एवं उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्ता को सुनने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विश्लेषण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील अंतिम रूप से निस्तारित किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील अंतिम रूप से निस्तारित की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1