Uttar Pradesh

StateCommission

A/964/2018

Sovaran Singh - Complainant(s)

Versus

Adhishashi Abhiyanta Vidyut KESCO - Opp.Party(s)

S.K. Shukla

09 Dec 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/964/2018
( Date of Filing : 23 May 2018 )
(Arisen out of Order Dated 17/01/2018 in Case No. C/104/2010 of District Kanpur Nagar)
 
1. Sovaran Singh
S/O Late Ram singh Niwasi Makan No. 1 (5A) Saray Mashvanpur Kanpur Nagar
...........Appellant(s)
Versus
1. Adhishashi Abhiyanta Vidyut KESCO
Khand Klyanpur Kanpur Nagar U.P.
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 09 Dec 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-964/2018

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्‍या 104/2010 में पारित आदेश दिनांक 17.01.2018 के विरूद्ध)

सोवरन सिंह पुत्र स्‍व0 राम सिंह,

निवासी : म0सं0 1 (5ए), सराय मशवानपुर,

कानपुर नगर।

                                     ........................अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

अधिशाषी अभियन्‍ता

विद्युत केस्‍कों खण्‍ड कल्‍यानपुर

कानपुर नगर

(उ0प्र0)

                                     ...................प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस0के0 शुक्‍ला,  

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन,  

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 09.12.2021

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख अपीलार्थी सोवरन सिंह द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्‍या-104/2010 सोवरन सिंह बनाम अधिशाषी अभियन्‍ता विद्युत केस्‍को में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 17.01.2018 के विरूद्ध योजित की गयी।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उपरोक्‍त परिवाद खारिज किया गया।

अपीलार्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0के0 शुक्‍ला उपस्थित हैं। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन उपस्थित हैं।

 

 

-2-

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी मकान नं0-1 एफ (5ए) सराय मशवानपुर, कानपुर नगर का निवासी है और वह वर्ष 2000 से 2005 तक कल्‍यानपुर वार्ड-5 से सभासद रह चुका है। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा अपने मकान में विद्युत कनेक्‍शन वर्ष 1992 में लिया था, किन्‍तु कनेक्‍शन लेने के महीने भर बाद ही पिता की बीमारी के कारण अपीलार्थी/परिवादी अपने मूल गांव हिफतपुर पोस्‍ट याकूबपुर थाना वेला जिला औरैया चला गया और अपीलार्थी/परिवादी को वर्ष 1992 से दिसम्‍बर 1999 तक गांव में ही रूकना पड़ा। इस बीच अपीलार्थी/परिवादी के मकान में चोरी हो गयी, जिसमें सभी कागजात एवं समान चोरी चला गया। इस दौरान अपीलार्थी/परिवादी ने विद्युत का कोई उपयोग नहीं किया। वर्ष 1992 से दिसम्‍बर 1999 तक अपीलार्थी/परिवादी द्वारा बिजली का प्रयोग न करने के संबंध में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के अवर अभियन्‍ता ने मौके का सर्वे करके अपनी रिपोर्ट दिनांक 19.01.2010 में प्रविष्टि की, जिसमें अपीलार्थी/परिवादी का बयान एवं पड़ोसियों के बयान व शपथपत्र संलग्‍न है।

अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि उसका मीटर वर्ष 2007 में जल गया, जिसकी सूचना प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को दिनांक 10.05.2007 को दी गयी। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने अपीलार्थी/परिवादी को दिनांक 14.05.2008 को कटिया कनेक्‍शन दर्शाकर फर्जी रूप से जेल भिजवा दिया तथा अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के यहॉं 10,000/-रू0 जमा करवाने पर अपीलार्थी/परिवादी जेल से जमानत पर रिहा हुआ।

अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि उसके जेल जाने पर दिनांक 14.05.2008 को उसका विद्युत कनेक्‍शन प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा काट दिया गया तथा पुन: दिनांक 14.11.2009 को नया मीटर दिया गया, अत: इस बीच 17 महीने का बिल निरस्‍त किया जाना न्‍यायोचित एवं न्‍यायसंगत है। केस्‍को एम0डी0 के द्वारा भी दिनांक 06.01.2010 को अधीक्षण अ‍भियन्‍ता को आदेशित किया गया कि मीटर रीडिंग के अनुसार बिल निर्गत करे तथा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने 1992 से 2010 तक का फर्जी बिल, बन्‍द मीटर का बनाकर 72,785/-रू0 का दिया गया, जिसकी शिकायत एम0डी0 केस्‍को को करने पर अवर अभियन्‍ता समरनाथ यादव व बाबू  हरवंश  ने  मिलीभगत

 

 

-3-

करके बिल ठीक न करके 86,443/-रू0 का बिल भेज दिया, जो गलत है और जिसकी शिकायत करने पर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा कुछ नहीं किया गया, जिससे क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद योजित किया गया।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख जवाब दावा प्रस्‍तुत किया गया और अपीलार्थी/परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्‍यों का प्रस्‍तवार खण्‍डन करते हुए अतिरिक्‍त कथन में कहा गया कि अपीलार्थी/परिवादी ने 1992 में विद्युत कनेक्‍शन प्राप्‍त किया और आज तक एक भी पैसा विद्युत विभाग को जमा नहीं किया, बल्कि बड़ी होशियारी और चालाकी से अपने पिता की बीमारी व मृत्‍यु का कारण बताकर गांव जाने की बात की, परन्‍तु अपीलार्थी/परिवादी ने कोई प्रार्थना पत्र प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के कार्यालय में अस्‍थाई विच्‍छेदन किये जाने व कनेक्‍शन समाप्‍त किये जाने का वर्ष 1992 से 1999 के बीच नहीं दिया गया और वर्ष 2000 में आकर सभासद हो गया और 5 वर्ष सभासद रहा फिर भी विद्युत का कोई बिल जमा नहीं किया, जबकि विद्युत का प्रयोग बराबर करता रहा। विद्युत कर्मचारियों द्वारा जनवरी 2008 में विद्युत बिल के बकाये के कारण विद्यत कनेक्‍शन विच्‍छेदित कर दिया गया, जिस पर अपीलार्थी/परिवादी डायरेक्‍ट कटिया डालकर विद्युत का प्रयोग करने लगा, जिसके कारण अपीलार्थी/परिवादी विद्युत चोरी में पकड़ा गया। पुन: अपीलार्थी/परिवादी ने प्रबन्‍ध निदेशक से मिलकर राजनैतिक प्रभाव डालकर अपना कनेक्शन जुड़वा लिया और पुराने मीटर को जला बताकर उसके स्‍थान पर नया मीटर लगा लिया। अपीलार्थी/परिवादी के यहां विद्युत कनेक्‍शन वर्ष 1992 से लगा हुआ है और अपीलार्थी/परिवादी द्वारा एक भी पैसा विद्युत उपयोग का अदा नहीं किया गया। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा उपभोग अवधि के बिल की अदायगी की मांग अपीलार्थी/परिवादी से की गयी। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा बिना किसी उचित आधार के परिवाद योजित किया गया।

मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण  को  सुना,  पत्रावली  पर

 

 

-4-

उपलब्‍ध प्रपत्रों का परिशीलन किया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 17.01.2018 का समुचित परिशीलन किया। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उपरोक्‍त निर्णय पारित करते समय अपने निष्‍कर्ष में निम्‍न तथ्‍यों को सुस्‍पष्‍ट रूप से वर्णित किया गया:-

''परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनने तथा पत्रावली के सम्‍यक परिशीलन से विदित होता है कि परिवाद द्वारा ओ0टी0एस0 स्‍कीम के अंतर्गत रू0 1000.00 जमा किया गया है, जो कि परिवादी की ओर से सूची के साथ दाखिल पंजीकरण फार्म कागज सं0-5 के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि परिवादी द्वारा स्‍वयं डिफाल्‍टर होना स्‍वीकार किया गया है। क्‍योंकि विपक्षी के द्वारा यह कहा गया है कि डिफाल्‍टर व्‍यक्ति को ओ0टी0एस0 स्‍कीम के अन्‍तर्गत जमा करने पर छूट दी जाती है। विपक्षी के द्वारा परिवादी द्वारा बिजली चोरी किया जाना भी बताया गया है। इस सम्‍बन्‍ध में विपक्षी के द्वारा परिवादी के विरूद्ध की गयी कार्यवाही स्‍वयं परिवादी की ओर से सूची के साथ दाखिल प्रपत्र उपभोक्‍ता निरीक्षण प्रपत्र कागज सं0-1 लगायत 3 के अवलोकन से विदित होता है कि परिवादी को प्रथमत: विपक्षी द्वारा बिजली की चोरी करते हुए दिनांक 28.12.2007 को पाया गया और परिवादी के विरूद्ध कार्यवाही की गयी। स्‍वयं परिवादी के द्वारा ही सूची के साथ दाखिल प्रपत्र कागज सं0-3/1 लगायत 3/7 से स्‍पष्‍ट होता है कि दूसरी बार पुन: परिवादी के विरूद्ध बिजली चोरी की कार्यवाही दिनांक 26.11.15 को की गयी है। जिससे स्‍पष्‍ट होता है कि मामला समन शुल्‍क पर विद्युत चोरी से सम्‍बन्धित है। मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा विधि निर्णय यू0पी0 पावर कार्पोरेशन एवं अन्‍य बनाम अनीष अहमद AIR 2013 (SC) 2766 में यह विधिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि फोरम को विद्युत चोरी व विद्युत बिल निर्धारण से सम्‍बन्धित मामलों के विनिश्चियन का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है।''

उक्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुनने के पश्‍चात् तथा यह कि बिजली चोरी के प्रकरण में अपीलार्थी/परिवादी को आपराधिक कृत्‍य करने हेतु जेल  भी  जाना  पड़ा

 

 

-5-

तथा चूँकि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा स्‍वयं बिजली चोरी के सम्‍बन्‍ध में स्‍वीकार किया गया है, अतएव प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

   (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                

                             अध्‍यक्ष        

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.