Uttar Pradesh

Chanduali

CC/11/2016

Pratap Narain Singh - Complainant(s)

Versus

Adhishashi Abhiyanta vidhyut vitran khand Mugalsarai - Opp.Party(s)

Mnoj Kumar Singh

27 Mar 2017

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum, Chanduali
Final Order
 
Complaint Case No. CC/11/2016
 
1. Pratap Narain Singh
107Ravi Nagar Mughalsarai Chandauli
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. Adhishashi Abhiyanta vidhyut vitran khand Mugalsarai
Mughalsarai Chandauli
Chandauli
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 27 Mar 2017
Final Order / Judgement

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 11                              सन् 2016ई0
प्रताप नारायण सिंह पुत्र स्व0 जगतनारायण सिंह मकान नं0 107 रविनगर मुगलसराय जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
1-अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड मुगलसराय जिला चन्दौली।
2-सहायक अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड मुगलसराय, जिला चन्दौली।
                                             ............विपक्षीगण
उपस्थितिः-
 रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
 लक्ष्मण स्वरूप, सदस्य
                               निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1-    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण द्वारा परिवादी को जारी दोनों विद्युत बिलों को समायोजित करने तथा मानसिक उत्पीडन हेतु रू0 250000/- बतौर  क्षतिपूर्ति दिलाये  जाने तथा मीटर बदलवाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2-     परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी विपक्षी का सन् 1995 से उपभोक्ता है। परिवादी के दो लडके उच्च शिक्षा एवं रोजगार के सिलसिले में सन् 2000 से 2014 तक बाहर रहते थे और मात्र परिवादी एवं उसकी पत्नी घर पर रहते थे।परिवादी के यहॉं प्रारम्भ से ही एक विद्युत कनेशन लगा हुआ है। विपक्षी द्वारा बहुत दिनों तक दो मीटर नम्बर क्रमशः ए.सी.संख्या 0217933 व मीटर नम्बर सी. 13412 एवं ए.सी.नम्बर 217930 तथा मीटर संख्या सी.सी. 3412 पर बिल भेजा जाता रहा। जिसके लिए परिवादी ने अनेको बार विपक्षी के अधिकारियों से सम्पर्क किया तो ज्ञात हुआ कि विद्युत कनेक्शन नं0 217933 तथा मीटर संख्या सी 13412 परिवादी का है तथा दूसरा कनेक्शन किसी अन्य का है। परिवादी दोनों विद्युत कनेक्शनों का बिल भ्रम में जमा करता रहा।बाद में विपक्षी के अधिकारियों के आश्वासन पर कि बिल की धनराशि समायोजित कर दिया जायेगा तब परिवादी ने अपने नाम वाले मीटर का बिल जमा करना प्रारम्भ किया । काफी प्रयास के बाद सन् 2008 में नया मीटरर लगने के उपरान्त उपरोक्त बिल की धनराशि समायोजित की गयी। किन्तु जो मीटर परिवादी के नाम से दर्ज नहीं था उसका भी बिल वर्ष 2011 तक परिवादी के यहॉं आता रहा। परिवादी के विद्युत मीटर में वर्ष 2006 में वास्तविक रीडिंग 5005 थी जो दिनांक 5-5-2008 को 7409 यूनिट हो गयी। इस प्रकार 28 महीने का एवरेज 83 यूनिट प्रतिमाह 2324 थी। तत्पश्चात विपक्षी द्वारा परिवादी के घर पर इलेक्ट्रानिक मीटर लगाया गया, और परिवादी के ऊपर पुराने मीटर का कोई भी विद्युत बिल बकाया नहीं था। इलेक्ट्रानिक मीटर लगाने के बाद दिनांक 5-7-2014 को परिवादी के मीटर का लोड 3 किलोवाट विपक्षी द्वारा कर दिया जबकि इसके पूर्व परिवादी का विद्युत लोड 1 किलोवाट था। परिवादी के नाम पते पर एक विद्युत कनेक्शन लगा है जबकि आज भी परिवादी के पास दो मीटर नम्बरों क्रमशः 41653100सी.120000000002 एवं एम. 416531बी.32304पी. के दो बिल आ रही हैं।इसके लिए परिवादी ने अनेक बार
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 विद्युत अधिकारियों से शिकायत किया तो आश्वासन दिये कि बिल जमा करते रहे दोनों बिलों का समायोजन कर दिया जायेगा। परिवादी ने विपक्षी से मीटर अधिक चलने की शिकायत किया।अप्रैल 2015 में परिवादी का मीटर रीडिग 19651 रहा किन्तु एक महीने बाद माह मई 2015 में मीटर की रीडिंग 26865 दिखाया जा रहा है। अर्थात एक माह में 7214 यूनिट बढ गया है जो किसी रूप से सम्भव नहीं है। माह फरवरी 2016 जो जनवरी 2016 की रीडिग है उसमे 40120 यूनिट दिखाया गया है अर्थात 10 महीने में मीटर रीडिंग 20469 दिखाया जा रहा है। जिसके लिए परिवादी विद्युत विभाग के अधिकारियों से अनेकों बार लिखित एवं मौखिक शिकायत अपने मीटर एवं विद्युत बिल के सम्बन्ध में किया किन्तु विपक्षी द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया।परिवादी ने सूचना अधिकार के तहत उपरोक्त सभी बातों की सूचना विपक्षी संख्या 2 से मांगा और सूचना न मिलने पर विपक्षी संख्या 1 के यहॉं अपील किया और सूचना न मिलने पर राज्य सूचना आयोग में अपील किया जो विचाराधीन है। परिवादी ने उक्त सभी बातों को जिला प्रशासन के समक्ष तहसील दिवस में उपस्थित होकर कह चुका है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। परिवादी पुराने मीटर का कोई बकाया न होने पर एवं नया मीटर लगने के उपरान्त लगभग 80000/- जमा कर चुका है और पुराने मीटर के हिसाब से देखा जाय तो परिवादी अधिक पैसा विपक्षी के यहॉं जमा कर चुका है। विपक्षी ने परिवादी के दोनों बिल को ठीक नहीं किया गया और न ही चेक मीटर लगाया, और न ही मीटर बदला तो परिवादी ने विपक्षी 1 को दिनांक 20-1-2016 को नोटिस दिया और नोटिस के बावजूद विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही न किये जाने पर यह परिवाद दाखिल किया है।
3-    विपक्षीगण की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत करके परिवादी को विद्युत विभाग का उपभोक्ता होना स्वीकार किया है, एवं प्रस्तर 5 में लोड बढाया जाना स्वीकार करते हुए अतिरिक्त कथन में कहा है कि परिवादी ने झूठे कथानक के आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया है जो निरस्त किये जाने योग्य है। परिवादी के परिसर में दूसरा मीटर संख्या 3412 और कनेक्शन संख्या 217930 परिवादी के नाम से ही लगा है जिसका परिवादी प्रयोग भी किया था किन्तु कभी भी बिल अदा न करने के कारण उस कनेक्शन को काटकर बिलिंग बन्द कर दी गयी है। परिवादी का कनेक्शन चेक करने पर स्वयं परिवादी द्वारा अपना लोड 3 किलोवाट बढंवाया गया है। परिवादी के पूर्व मीटर सी. 13412 को दिनांक 16-9-2008 को रीडिंग 7679 किलो हार्स पर उतारा गया एवं नया मीटर बी. 32304 लगाया गया जिसकी रीडिंग दिनांक 26-3-2016 तक 40950 है। परिवादी की िंशकायत पर मीटर परीक्षक को चेक मीटर लगाने हेतु भेजा गया किन्तु परिवादी ने चेक मीटर लगवाने में सहयोग नहीं किया। परिवादी द्वारा जमा किये गये समस्त बिलों का समायोजन किया जा चुका है और परिवादी से अनर्गल सरचार्ज नहीं लिया गया है। दिनांक 1-8-2008 को पुराने मीटर 13412 जिसकी रीडिंग 7603 थी उसकी बकाया धनराशि रू0 9413/- थी और पुराना मीटर दिनांक 16-9-2008 की रीडिंग 7679 किलो हार्स पर उतारा गया  तथा नया  मीटर  बी. 32304  लगाया  गया  जिसकी 

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दिनांक 26-3-2016 तक की रीडिंग 40950 है। पुराने मीटर से नये मीटर के लगने व दिनांक 26-3-2016 तक के कुल 92 माह की रीडिंग 41026 है जिसकी देय विद्युत राशि मय व्याज रू0 112542/- है। इस प्रकार परिवादी के जिम्मे शुद्ध बकाया धनराशि दिनांक 26-3-2016 तक मय व्याज रू0 119294/- देय है, जिसे जमा किया जाना आवश्यक है। उपरोक्त आधारों पर परिवादी के परिवाद को निरस्त किये जाने की प्रार्थना विपक्षीगण द्वारा की गयी है। 
4-    परिवादी की ओर से शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में पेमेन्ट की छायाप्रति,विद्युत विभाग को चेक मीटर लगाने हेतु परिवादी द्वारा दिये गये प्रार्थना पत्र की छायाप्रति,जन सूचना अधिकार के प्रार्थना पत्र की छायाप्रतियॉं 2 अदद्,अधिशासी अभियन्ता विद्युत एवं जिलाधिकारी चन्दौली को बिल एवं मीटर ठीक करवाने हेतु दिये गये प्रार्थनापत्र की छायाप्रतियॉं,तहसील दिवस के पर्चे की छायाप्रति,जन सूचना अधिकार के प्रार्थना पत्र की छायाप्रतियॉं 2 अदद्,जिलाधिकारी चन्दौली को दिये गये प्रार्थना पत्र की छायाप्रति, विपक्षी को दी गयी नोटिस की छायाप्रति,विद्युत बिल की छायाप्रतियॉं 8 अद्द दाखिल की गयी है। परिवादी की ओर से एक दूसरी सूची से अधिशासी अभियन्ता विद्युत को दिये गये प्रार्थना पत्र की छायाप्रतियॉं 7 अद्द दाखिल की गयी है। विपक्षी की ओर से मात्र ए0रघुवंशी अधिशासी अभियन्ता विद्युत का शपथ पत्र दाखिल किया गया है। विपक्षी के जबाबदावा के बाद परिवादी की ओर से प्रतिउत्तर भी दाखिल किया गया है जिसमे जबाबदावा के अभिकथनों को असत्य बताते हुए परिवादी ने करीब-करीब वहीं अभिकथन किये है जो उसने अपने परिवाद में किया है।
5-    पक्षकारों की ओर से लिखित तर्क दाखिल किया गया है इसके अतिरिक्त उनके अधिवक्तागण की मौखिक बहस भी सुनी गयी तथा पत्रावली का सम्यक रूपेण परिशीलन किया गया।
6-    परिवादी की ओर से मुख्य रूप से यह तर्क दिया गया है कि परिवादी ने सन् 1995 में अपने नाम से एक विद्युत कनेक्शन लिया था जो 1 किलोवाट का था और जो जुलाई सन् 2014 में बढकर 3 किलोवाट का हो गया। विद्युत विभाग शुरू से ही परिवादी को 2 विद्युत कनेक्शन एवं 2 मीटरों को दिखाते हुए बिल भेजता रहा जिनमे पहले का नम्बर क्रमशः एस.सी.0217933 तथा मीटर नं0 सी13412 तथा दूसरे का एस.सी.217930 एवं मीटर नम्बर 3412 है। शुरू में परिवादी भ्रमवश दोनों बिलों का भुगतान करता रहा। परिवादी ने दिनांक 26-7-2001 को रू0 31593/-,दिनांक 21-1-2003 को रू0 10647/- तथा दिनांक 18-1-2006 को रू0 7975/- का भुगतान चेक द्वारा विपक्षी को किया। इस प्रकार सन् 2006 के पूर्व परिवादी कुल रू0 50215/- का भुगतान विपक्षी को किया और उस समय तक कुल रू0 7409यूनिट बिजली खर्च हुई थी जब परिवादी को यह ज्ञात हुआ कि उसे 2 विद्युत कनेक्शन का विद्युत बिल प्रेषित किया जा रहा है तो उसने विपक्षी 
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विद्युत विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क किया तो पता चला कि जिन दो विद्युत कनेक्शन का बिल परिवादी के नाम से आ रहा है उनमे से कनेक्शन संख्या 217930 तथा मीटर संख्या 3412 किसी समन्दर गांगुली निवासी हनुमानपुर के नाम का है तब परिवादी ने विपक्षी विभाग में अनेक प्रार्थना पत्र दिया। सन् 2008 में परिवादी के आवास पर विद्युत विभाग द्वारा नया इलेक्ट्रानिक मीटर लगाया गया लेकिन इसके बाद भी 2 विद्युत बिल परिवादी के नाम से आता रहा जब कि परिवादी के आवास पर केवल एक ही कनेक्शन है। परिवादी की ओर से यह तर्क दिया गया कि अप्रैल सन् 2015 में परिवादी के विद्युत मीटर में विद्युत उपभोग की रीडिग 19651 यूनिट थी जो मई सन् 2015 में 26865 यूनिट हो गयी अर्थात 1 महीने में 7114 यूनिट बढ गयी जो किसी भी रूप से सम्भव नहीं है। परिवादी ने विपक्षी के यहॉं शिकायत किया कि मीटर अधिक रीडिग दिखा रहा है इसे बदल दिया जाय और चेक मीटर लगाकर चेक कर लिया जाय लेकिन विपक्षी की ओर से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। परिवादी ने तहसील दिवस में तथा जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई उसने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत लिखित रूप से विद्युत विभाग से अपने मीटर के सम्बन्ध में अनेक सूचनाएं मांगी लेकिन विद्युत विभाग द्वारा उसका कोई जबाब नहीं दिया गया। परिवादी के अधिवक्ता द्वारा यह भी तर्क दिया गया कि अप्रैल 2015 के पूर्व का विद्युत का कोई बकाया परिवादी के जिम्मे नहीं है और मई सन् 2015 जब से मीटर में विद्युत उपभोग की यूनिट बढी हुई दिखाई जाने लगी तब से परिवादी ने दर्जनों बार प्रार्थना पत्र दिया लेकिन विद्युत विभाग द्वारा न तो इस पर कोई कार्यवाही की गयी और न ही सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगे गये प्रश्नों का कोई जबाब दिया गया। इस प्रकार परिवादी को विपक्षी के द्वारा शारीरिक एवं मानसिक रूप से उत्पीडित किया गया है अतः इसके लिए परिवादी क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी के अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि यदि विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा नया मीटर लगा दिया जाता है तो उस मीटर रीडिग के आधार पर औसत विद्युत उपभोग निकालते हुए परिवादी के जिम्मे जो बकाया होगा उसे अदा करने के लिए परिवादी तैयार है।
7-    इसके विपरीत विपक्षी की ओर से यह तर्क दिया गया कि परिवादी के परिसर में 2 विद्युत कनेक्शन थे और दोनों परिवादी के नाम से थे। विद्युत कनेक्शन संख्या 217930 जिसके मीटर संख्या 3412 है, का भी परिवादी ने प्रयोग किया था लेकिन उसने कभी इसका बिल अदा नहीं किया जिसके कारण विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा यह कनेक्शन काट दिया गया और उसकी बिलिंग बन्द कर दी गयी। विपक्षी की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि परिवादी का मीटर संख्या 13412 की रीडिग दिनांक 16-9-2008 तक 7679 किलो हार्स थी और नया मीटर लगने के बाद दिनांक 26-3-2016 तक की रीडिग 40950 है और परिवादी के समस्त बिलों का समायोजन किया जा चुका है और इस प्रकार दिनांक 26-3-2016 तक परिवादी के

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 जिम्मे व्याज सहित रू0 119294/- बकाया है जिसे अदा करने के लिए परिवादी उत्तरदायी है।
8-    उभय पक्ष के तर्को को सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादी के नाम विद्युत विभाग में 2 विद्युत कनेक्शन दिखाते हुए विद्युत विभाग द्वारा बिल प्रेषित किया जाता रहा है। परिवादी की ओर से दाखिल दस्तावेजी साक्ष्य कागज संख्या 11ग/1 के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादी का सही विद्युत कनेक्शन संख्या 217933 है तथा दूसरा विद्युत कनेक्शन जिसका नम्बर 217930 है और जिसका बिल परिवादी के नाम आता रहा है वह कनेक्शन वास्तव में किसी समन्दर गांगुली निवासी हनुमानपुर के नाम है इस दस्तावेज के खण्डन में विद्युत विभाग की ओर से कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया है। अतः परिवादी के शपत्रपत्र तथा दस्तावेजी साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि परिवादी केनाम विधिक रूप से एक ही कनेक्शन है जिसका कनेक्शन नं0 217933 है अतः परिवादी इसी विद्युत कनेक्शन का बिल अदा करने के लिए उत्तरदायी है। विद्युत कनेक्शन संख्या 217930 का जो भी बिल परिवादी द्वारा अदा किया गया है वह विद्युत विभाग द्वारा गलत रूप से वसूला गया है अतः इस वसूली गयी धनराशि का समायोजन परिवादी के सही विद्युत कनेक्शन के बिल के साथ किया जाना न्यायोचित है। परिवादी ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि सन् 2008 में नया मीटर लगवाने के पूर्व का उसके द्वारा जमा बिल समायोजित हो गया है। परिवादी के कनेक्शन  पर सन् 2011 में नया इलेक्ट्रानिक मीटर लगाया गया है जिसकी रीडिग सही नहीं आ रही है क्योंकि अप्रैल सन् 2015 में मीटर की रीडिग 19651 यूनिट दिखाई गयी थी और मात्र 1 महीने बाद मई सन् 2015 में 26865 यूनिट दिखाई गयी है अर्थात 1 महीने में ही 7214 यूनिट बढ गयी जो किसी आधार से सम्भव नहीं है इसीतरह फरवरी सन् 2016 तक यह रीडिग 40120 तक हो गयी। अर्थात 10 महीने में 20469 यूनिट बिजली का खर्च दिखाया गया है जो परिवादी के पूर्व के विद्युत उपभोग को देखते हुए सम्भव नहीं है। परिवादी ने अपने शपथ पत्र में यह कहा है कि उसने विद्युत विभाग के अधिकारियों को अनेक बार लिखित एवं मौखिक रूप से मीटर बदले जाने एवं बिल ठीक किये जाने के सम्बन्ध में प्रार्थना पत्र दिया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। परिवादी की ओर से विद्युत विभाग को प्रेषित अनेक प्रार्थना पत्रों की छायाप्रतियॉं दाखिल की गयी है। परिवादी द्वारा तहसील दिवस में शिकायत किये जाने तथा जिलाधिकारी को प्रेषित प्रार्थना पत्र की भी छायाप्रति दाखिल की गयी है। परिवादी द्वारा जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करने हेतु दिये गये प्रार्थना पत्र की छायाप्रति दाखिल की गयी है जिससे यह स्पष्ट है कि परिवादी काफी लम्बे समय से अपने विद्युत कनेक्शन का सही बिल दिये जाने तथा मीटर सही किये जाने की मांग करता रहा है किन्तु विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा परिवादी के इन प्रार्थना पत्रों पर कोइ्र कार्यवाही की गयी हो ऐसा कोई साक्ष्य विपक्षी की ओर से दाखिल नहीं किया गया है अपने जबाबदावा में विपक्षी ने यह कहा है कि परिवादी की शिकायत पर मीटर परीक्षक को चेक मीटर लगाने हेतु
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 भेजा गया किन्तु परिवादी ने चेक मीटर लगवाने में सहयोग नहीं किया किन्तु विपक्षी की ओर से यह नहीं बताया गया कि मीटर परीक्षक को कब-कब परिवादी के यहॉं भेजा गया था।मीटर परीक्षक की कोई रिर्पोट या उसके द्वारा दिया गया कोई प्रमाण पत्र विपक्षी की ओर से दाखिल नहीं किया गया है जिससे यह सिद्ध हो सके कि विद्युत विभाग का कोई मीटर परीक्षक मीटर ठीक करने या मीटर बदलने या कोई चेक मीटर लगाने परिवादी के यहॉं गया था। यह बात विश्वास योग्य प्रतीत नहीं होता कि जो परिवादी इतने वर्षो से अपना मीटर तथा विद्युत बिल ठीक कराने के लिए अनेक प्रार्थना पत्र देता रहा हो और यहॉं तक की जिलाधिकारी को भी प्रार्थना पत्र प्रेषित किया हो वह विद्युत विभाग द्वारा चेक मीटर लगाये जाने पर सहयोग न करें। यदि वास्तव में कोई मीटर परीक्षक परिवादी के घर गया होता और परिवादी चेक मीटर लगवाने से मना किया होता तो इस सम्बन्ध में मीटर परीक्षक निश्चित रूप से विभाग में लिखित रूप से सूचना देता किन्तु मीटर परीक्षक की कोई सूचना या रिर्पोट दाखिल नहीं है। अतः विपक्षी का यह अभिकथन कि स्वयं परिवादी ने चेक मीटर लगवाने में सहयोग नहीं किया कत्तई विश्वास योग्य प्रतीत नहीं होता है। उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट है कि परिवादी के परिसर में एक ही विद्युत कनेक्शन है जबकि विपक्षी द्वारा 2 कनेक्शन दिखाते हुए 2 बिल प्रेषित किये गये अतः जो कनेक्शन परिवादी के नाम का नहीं है उस कनेक्शन का जो भी बिल परिवादी ने अदा किया है उसका समयोजन परिवादी के वास्तविक मीटर के बिल के साथ किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। इसी प्रकार परिवादी के मीटर की रीडिग 1 महीने में ही 7214 यूनिट बढ जाय यह बात विश्वास योग्य प्रतीत नहीं होती। इसी प्रकार जब परिवादी का सन् 2006 से दिनांक 5-5-2008 तक के 28 महीनों तक का विद्युत उपभोग औसत रूप से 83 यूनिट रहा हो तब वह मई सन् 2015 से फरवरी सन् 2016 के बीच 10 महीने में 20469 यूनिट हो जाय यह विश्वास योग्य प्रतीत नहीं होती है ऐसी स्थिति में यह उचित प्रतीत होता है कि विपक्षी विद्युत विभाग परिवादी के परिसर में एक चेक मीटर लगावे जिसकी 3 महीने तक रीडिंग ली जाय और प्रतिमाह के औसत विद्युत खर्च की यूनिट निकाली जाय और उसी के आधार पर विद्युत उपभोग मानते हुए परिवादी से पिछला बकाया बिल लिया जाय तथा यह भी आवश्यक प्रतीत होता है कि उचित चार्ज लेकर विपक्षी विद्युत विभाग परिवादी के परिसर में नया विद्युत मीटर लगा दे और भविष्य में परिवादी उस विद्युत मीटर के रीडिंग के आधार पर भुगतान करता रहे। मुकदमें के सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए परिवादी को विपक्षी से शारीरिक एवं मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 3000/-तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1000/-दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है और इस प्रकार परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार जाने योग्य है।
                       आदेश
    परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वे 2 माह के अन्दर परिवादी द्वारा मीटर संख्या 
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217930 का जो भी विद्युत बिल जमा किया गया है। उसे परिवादी के मीटर संख्या 217933 की बिल के साथ समायोजित करें तथा परिवादी के परिसर में एक चेक मीटर लगाकर 3 महीने तक उसकी रीडिग लेकर औसत मासिक विद्युत उपभोग निकालकर उसी के आधार पर परिवादी से पिछले बकायों का भुगतान लिया जाय, तथा इसके बाद चेक मीटर हटाकर परिवादी के खर्च पर नया इलेक्ट्रानिक मीटर लगवा दिया जाय और भविष्य में इसी मीटर रीडिग के अनुसार परिवादी विद्युत बिल का भुगतान करता रहे। विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्त अवधि में परिवादी को शारीरिक एवं मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 3000/-(तीन हजार) तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1000/-(एक हजार)अर्थात कुल रू0 4000/-(चार हजार) अदा करें। यदि विपक्षी ऐसा नहीं करता है तो परिवादी निर्णय की तिथि से पैसा प्राप्त होने की तिथि तक इस धनराशि पर 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा। 

 (लक्ष्मण स्वरूप)                                     (रामजीत सिंह यादव)
 सदस्य                                                अध्यक्ष
                                                 दिनांक-27-3-2017

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop]
MEMBER

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