राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-601/2021
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ द्वारा परिवाद संख्या 58/2012 में पारित आदेश दिनांक 24.09.2021 के विरूद्ध)
विश्राम प्रजापति पुत्र स्व0 रामसुमेर उम्र लगभग 70 वर्ष साकिन – इटौरी खालिसपुर पोस्ट – मदियापार जिला- आजमगढ़ (उ0प्र0) – 223223
........................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
अधिशाषी अभियन्ता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड विद्युत वितरण खण्ड प्रथम पटेलनगर उरई 285001 (उ0प्र0) द्वारा उप मुख्य लेखाधिकारी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड मऊ बाईपास सिधारी आजमगढ़ (उ0प्र0) – 276001
...................प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 06.06.2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी विश्राम प्रजापति द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ द्वारा परिवाद संख्या-58/2012 विश्राम प्रजापति बनाम अधिशासी अभियन्ता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.09.2021 के विरूद्ध इस न्यायालय के सम्मुख अपीलार्थी/परिवादी द्वारा स्वयं हस्ताक्षर कर प्रस्तुत की गयी।
अपीलार्थी/परिवादी द्वारा परिवाद संख्या-58/2012 विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ के सम्मुख परिवाद पत्र में अंकित निम्न अनुतोष प्रदान किये जाने हेतु प्रस्तुत किया:-
''1. यह कि विपक्षी को यह आदेश दिया जाये कि वह पेंशन की धनराशि रूपए-3,75,824/- दिनांक 05.11.08 से अन्तिम भुगतान तक 9% ब्याज के साथ अदा करे।
2. यह कि विपक्षी द्वारा हम शिकायतकर्ता को मानसिक रूप से परेशान करने तथा
-2-
वाद खर्च व अन्य खर्चों के मद में रूपया एक लाख क्षतिपूर्ति करने का आदेश दिया जाय।
3. अन्य जो न्यायालय की दृष्टि से उचित हो हम शिकायतकर्ता को विपक्षी से दिलाया जाय।''
उपरोक्त परिवाद लगभग 10 वर्षों के पश्चात् जिला उपभोक्ता आयोग, आजमगढ़ द्वारा निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.09.2021 द्वारा अन्तिम रूप से निरस्त किया गया, जिसके विरूद्ध प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गयी।
अपीलार्थी न तो स्वयं उपस्थित हैं तथा न ही उनके अधिवक्ता उपस्थित हैं।
मेरे द्वारा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी की माता स्वर्गीया श्रीमती मोहनी देवी की पारिवारिक पेंशन के सम्बन्ध में प्रत्यर्थी/विपक्षी से उनके जीवनकाल से ही लिखा-पढ़ी चल रही थी तथा यह कि अपीलार्थी/परिवादी की माता स्वर्गीया श्रीमती मोहनी देवी की मृत्यु दिनांक 05.11.2008 के उपरान्त अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी से लिखा-पढ़ी जारी रखी गयी तथा समय-समय पर प्रत्यर्थी/विपक्षी विभाग द्वारा वांछित कागजात प्रेषित किये गये, परन्तु समस्त कागजातों का प्रेषण अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी के अनुरूप करने पर भी प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा परिवारिक पेंशन की बकाया राशि के सम्बन्ध में नहीं बताया गया तथा न ही भुगतान किया गया तथा मौखिक रूप से ज्ञात करायी गयी बकाया धनराशि 3,75,824/-रू0 का भुगतान नहीं किया गया।
अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा पत्रांक संख्या 2720 वि.वि.खं.1/उरई/2011 दिनांक 07.10.2011 के माध्यम से वांछित मृत्यु प्रमाण पत्र, परिवार के सदस्यों का शपथ पत्र, उत्तराधिकार प्रमाण पत्र, परिवार के सदस्यों का अनापत्ति प्रमाण पत्र तथा सदस्य का नाम जिसको धनराशि का भुगतान होना है अपीलार्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 22.12.2011 को प्रेषित कर दिया गया। प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा पुन:
-3-
पत्रांक 5314 दिनांक 09.12.2011 के माध्यम से वांछित सूचना के सन्दर्भ में अपीलार्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 30.12.2011 को पत्र लिखा गया, जिसके पश्चात् प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा दिनांक 22.03.2012 का पत्रांक 7954 वि.वि.खं./1/उरई प्राप्त हुआ जिसके माध्यम से प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा जिला जज द्वारा जारी सक्सेशन प्रमाण पत्र की मांग की गयी तो इस सन्दर्भ में अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी को दिनांक 30.03.2012 का पत्र लिखकर धनराशि की गणना के बारे में पूछा गया जो कि जिला जज के सक्सेशन प्रमाण पत्र हेतु आवश्यक है, जिसे उसके द्वारा आज तक नहीं दिया तथा इस सन्दर्भ में दिनांक 16.04.2012 को अपीलार्थी/परिवादी के छोटे भाई श्री सुखराम द्वारा भी पत्र लिखा गया, परन्तु कोई उत्तर न मिलने पर दिनांक 16.05.2012 को प्रत्यर्थी/विपक्षी को कानूनी नोटिस जरिए अधिवक्ता भेजी गयी, परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई, अत: क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी के विरूद्ध जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया, जिसमें परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया गया तथा अतिरिक्त कथन में प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा कहा गया कि श्रीमती मोहनी देवी की मृत्यु के उपरान्त उसके पुत्र विश्राम प्रजापति को पारिवारिक पेंशन के सम्बन्ध में पत्रांक संख्या 2720 दिनांक 07.10.2011 को कुछ आवश्यक कागजात उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा गया, परन्तु अपीलार्थी/परिवादी द्वारा अग्रिम कार्यवाही नहीं की गयी।
प्रत्यर्थी/विपक्षी का कथन है कि कागजात संख्या 01 स्व0 मोहनी देवी पत्नी स्व0 श्री रामसुमेर का मृत्यु प्रमाण पत्र राजपत्रित अधिकारी (जन्म एवं मृत्यु) द्वारा निर्गत, 2- परिवार के समस्त सदस्यों द्वारा दिया गया शपथ पत्र, 3- उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जिलाधिकारी द्वारा निर्गत किया गया, 4- पारिवारिक सदस्यों द्वारा दिया गया अनापत्ति प्रमाण पत्र, 5- सदस्य का नाम जिसके हक में भुगतान होना है। उपरोक्त कागजात अपीलार्थी/परिवादी द्वारा उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है, जिससे
-4-
पारिवारिक पेंशन के सम्बन्ध में कार्यवाही की जा सके, परन्तु अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा मांगे गये कागजात उपलब्ध न कराकर गलत तरीका अख्तियार किया गया, जिससे प्रत्यर्थी/विपक्षी कागजात के अभाव में पेंशन की कार्यवाही नहीं कर पा रहे हैं। खिलाफ इसके कथन अपीलार्थी/परिवादी झूठा व बेबुनियाद है।
प्रत्यर्थी/विपक्षी का कथन है कि प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा अपीलार्थी/परिवादी से कार्यालय के पत्रांक संख्या 2720 दिनांक 07.10.2011 के माध्यम से मृत्यु प्रमाण पत्र एवं अन्य प्रपत्र की मांग की गयी, परन्तु अपीलार्थी/परिवादी द्वारा जो प्रपत्र प्रेषित किये गये वह अपूर्ण थे तथा मृत्यु प्रमाण पत्र सक्षम अधिकारी द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित नहीं था। जिसके सन्दर्भ एवं सम्बन्ध में मुख्य चिकित्साधिकारी को भी पत्र लिखा गया था।
प्रत्यर्थी/विपक्षी का कथन है कि स्व0 श्रीमती मोहनी देवी पत्नी स्व0 रामसुमेर (लाइनमैन) विभाग की पेंशनर थी, जिनको इस कार्यालय द्वारा पारिवारिक पेंशन माह जून 1994 तक आहरित की गयी उसके उक्त पेंशनर का जीवित प्रमाण पत्र न मिलने के कारण पेंशन का आहरण माह जुलाई 1994 से अब तक नहीं हो सका। स्व0 मोहनी देवी का मृत्यु प्रमाण पत्र ए0एन0एम0 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मदियापार आजमगढ़ द्वारा दिनांक 15.12.2008 को निर्गत किया गया है, जबकि ए0एन0एम0 मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत करने की सक्षम अधिकारी नहीं है। सी0एम0ओ0 आजमगढ़ से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने का अनुरोध किया गया था, जो अभी तक प्रतीक्षित है। अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद निराधार है। अत: खारिज किया जाये।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त अपने निर्णय में विवेचना की कि जो कागजात प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा अपीलार्थी/परिवादी से मांगे गये थे वह कागजात अपीलार्थी/परिवादी ने प्रत्यर्थी/विपक्षी को उपलब्ध नहीं कराया तथा यह कि जो कागजात अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत किये गये थे उसके आधार पर न तो पेंशन का निर्धारण किया जा सकता है और न तो उसे देने के लिए आदेश पारित किया जा सकता है। अतएव जिला
-5-
उपभोक्ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद खारिज किया गया।
मेरे द्वारा सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया। अतएव, प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
यहॉं यह कहना समीचीन होगा कि यदि अपीलार्थी/परिवादी आवश्यक अपेक्षित प्रपत्र सम्बन्धित विभाग/विपक्षी को प्राप्त कराता है तब उस स्थिति में प्रत्यर्थी/विपक्षी समुचित जॉंच कर अपीलार्थी/परिवादी को नियमानुसार कार्यवाही कर अवगत करावें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1