राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील सं0- 350/2017
मै0 तिरूपति बाला जी कोल्ड स्टोरेज एण्ड आइस फैक्ट्री, फरीदपुर, जिला बरेली/द्वारा पार्टनर देवेन्द्र सिंह मौर्य व एक अन्य।
.........अपीलार्थी
बनाम
अधीन पाल सिंह पुत्र सियाराम निवासी खमरिया थाना फरीदपुर, जिला बरेली।
............प्रत्यर्थी
समक्ष:-
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री ओ0पी0 दुबेल,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अनिल कुमार मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 28.11.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 217/2007 अधीन पाल सिंह बनाम जागन लाल मौर्य, पार्टनर, तिरूपति बालाजी कोल्ड स्टोरेज व एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग द्वितीय, बरेली द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 30.01.2017 के विरुद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है।
2. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में रखे हुए आलू वापस न लौटाने पर अंकन 1,90,528/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश दिया है तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 10,000/-रू0 के लिए भी आदेशित किया है।
3. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि प्रत्यर्थी/परिवादी उपभोक्ता को आलू उठाने का नोटिस दिया गया है। उपभोक्ता द्वारा नोटिस के पश्चात अपना उठाने आये और यह कहकर चले गए कि वाहन का प्रबंध करने जाना है, फिर कभी वापस नहीं आये, इसलिए अपीलार्थी/विपक्षी के स्तर से सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई है, अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय व आदेश विधि विरुद्ध है।
4. हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री ओ0पी0 दबेुल तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अनिल कुमार मिश्रा को सुना। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया।
5. अपीलार्थी के कोल्ड स्टोरेज में प्रत्यर्थी/परिवादी का आलू रखना दोनों पक्षकारों को स्वीकार है। अत: इस बिन्दु पर विस्तृत विवेचना की आवश्यकता नहीं है। अपीलार्थी/विपक्षी का केवल यह कहना है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा नोटिस के अनुपालन में अपना आलू शीतगृह से निकाल लिया गया और कोल्ड स्टोरेज के गेट पर रख दिया गया। क्या प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के कथनानुसार शीतगृह से आलू निकाल लिया गया और गेट पर रख दिया गया, यदि हां तो उसका प्रभाव?
6. प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि दि0 07.11.2007 को जब अपना आलू निकालने गया था तब यह पाया गया कि पूरा आलू सड़ गया है तब उसने शिकायत की।
7. अपीलार्थी/विपक्षी का कथन है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा आलू निकलवा लिया गया और एक जगह सुरक्षित रखवा दिया गया तथा आलू शीतगृह के परिसर में ही पड़ा रहा।
8. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने इस बिन्दु पर यह निष्कर्ष दिया है कि यथार्थ में कभी भी आलू प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा नहीं निकाला गया। आलू को निकालने जाने के लिए गेटपास एक सुबूत हो सकता है, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा कोई गेटपास प्रस्तुत नहीं किया गया। इसलिए आलू निकलवाने का कोई सुबूत नहीं है। यदि आलू गेटपास के माध्यम से शीतगृह के परिसर से बाहर नहीं निकलता तब आलू शीतगृह में सुपुर्द किया गया समझा जायेगा। अत: इस तर्क में कोई बल नहीं है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपना आलू निकाल लिया गया। तदनुसार अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
9. अपील खारिज की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है। अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय व आदेश के अनुसार जिला उपभोक्ता आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0, कोर्ट नं0- 2