(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या 436/17
श्रीमती सुनीता, पत्नी श्री बृजपाल सिंह, आयु 32 वर्ष, निवासी 782, कृष्णानगर बागू, थाना विजय नगर, जनपद गाजियाबाद
….परिवादिनी
बनाम
- अधिशासी अभियन्ता, विद्युत नगरीय वितरण खण्ड-प्रथम पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 कमला नेहरू नगर, गाजियाबाद।
- उपखण्ड अधिकारी, विद्युत नगरीय वितरण खण्ड प्रथम, पश्चिामंचल विद्युत वितरण निगम लि0 33/11 के0वी0 उपकेन्द्र, कविनगर, गाजियाबाद।
- उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लि0, शक्ति भवन, 14 अशोक मार्ग, लखनऊ उ0प्र0 द्वारा प्रबन्ध निदेशक।
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समक्ष :-
1. मा. श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य
2. मा. श्री सुशील कुमार, सदस्य
उपस्थिति:-
परिवादी की ओर से उपस्थित- श्री सुशील कुमार शर्मा।
विपक्षीकी ओर से उपस्थित- श्री इसार हुसैन।
दिनांक : 30-11-2021
मा. सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित निर्णय
1. यह परिवाद श्रीमती सुनीता द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवादिनी के पति की लापरवाही से मृत्यु के कारण अंकन 45,00,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिये, मानसिक, आर्थिक, शारीरिक प्रताड़ना के मद में 4,00,000/- रूपये प्राप्त करने के लिये तथा वाद व्यय अंकन 2500/- रूपये प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत की गयी है। परिवाद का तथ्य संक्षेप इस प्रकार है कि दिनांक 17.06.2010 को परिवादिनी के पति स्व. बृजपाल सिंह नित्य क्रिया के लिये कोलंबिया एशिया अस्पताल, एन.एच.-
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24, गाजियाबाद के बराबर से जा रहे थे, तभी वह वहॉं विपक्षीगण के विभाग द्वारा डाली गयी 33000 वोल्ट की विद्युत लाईन जो मात्र 4-5 फिट की ऊँचाई पर लटक रही थी, की चपेट में आ गये तथा बुरी तरह झुलस गये, जिन्हें तुरन्त सर्वोदय अस्पताल कविनगर में व यशोदा अस्पताल, गाजियाबाद ले जाया गया, जिनके द्वारा परिवादिनी के पति को बुरी तरह जल जाने के कारण सफदरगंज अस्पताल दिल्ली रैफर कर दिया गया था।
3. परिवादिनी के पति स्व. श्री ब्रजपाल सिंह की सफदरगंज अस्पताल दिल्ली में दिनांक 21.06.2010 को उपरोक्त घटना में विद्युत से बुरी तरह 65 प्रतिशत से अधिक जल जाने के कारण मृत्यु हो गयी थी।
4. उपरोक्त घटना के संबंध में परिवादिनी के पति के बड़े भाई श्री ललित कुमार द्वारा एक प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 842/2010 अंतर्गत धारा 338 आई.पी.सी. थाना कविनगर पर विपक्षीगण के तत्कालीन कर्मचारियों के विरूद्ध पंजीकृत करायी गयी। जिसमें परिवादिनी के पति की मृत्यु हो जाने के पश्चात् धारा 304-ए आई.पी.सी. की वृद्धि करते हुये जॉंच उपरान्त थाना पुलिस द्वारा विपक्षीगण के तत्कालीन अधिशासी अभियंता, उपखण्ड अधिकारी व अवर अभियन्ता के विरूद्ध लापरवाही से कार्य करने व उससे मृत्यु कारित करने के संबंध में आरोप पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है जिससे सम्बन्धित वाद माननीय न्यायालय के समक्ष लम्बित चला आता है।
5. परिवादिनी का कथन है कि यह दुर्घटना विपक्षीगण के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण घटित हुयी है क्योंकि यदि 33000 वोल्ट की विद्युत लाइन को भूमि से उचित दूरी पर लगाया गया होता तब परिवादिनी के पति की मृत्यु तारों के चपेट में आने के कारण न हुयी होती इसलिए परिवादिनी द्वारा क्षतिपूर्ति के लिए यह दावा प्रस्तुत किया गया।
6. परिवाद में वर्णित तथ्यों के समर्थन में श्रीमती सुनीता द्वारा शपथ पत्र तथा अतिरिक्त शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया। यह भी उल्लिखित है कि परिवादिनी द्वारा अंकन 20,00,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति तथा 10,00,000/- प्रताड़ना के मद में तथा 1,00,000/- रूपये वाद-व्यय की मांग करते हुये परिवाद संख्या 108/15 जिला उपभोक्ता मंच, गाजियाबाद
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के समक्ष प्रस्तुत किया गया था जो आर्थिक क्षेत्राधिकार के आधार पर खारिज कर दिया गया। तत्पश्चात् प्रश्नगत् परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
7. विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत करते हुये प्रारम्भिक आपत्ति इसी आशय की, की गयी है कि परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद 408/15 गाजियाबाद जिला उपभोक्ता मंच द्वारा खारिज कर दिया गया है। जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष परिवाद देरी से प्रस्तुत किया गया था जिसमें देरी माफी का कोई अनुरोध नहीं किया गया था इसलिए यह परिवाद भी देरी से प्रस्तुत किया गया है।
8. यह भी आपत्ति की गयी है कि उत्तर प्रदेश इलक्ट्रिक आपूर्ति कर 2005 चैप्टर संख्या 9, क्लॉस संख्या 9.1 की व्यवस्था के अनुसार Force Mejure की स्थिति में विद्युत विभाग उत्तरदायी नहीं है, स्वयं परिवादिनी ने स्वीकार किया है कि कम्पनी की दीवार साइक्लोन के कारण गिर गयी थी इसलिए विपक्षीगण का कोई उत्तरदायित्व नहीं है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा प्रस्तुत किया गया परिवाद संधारणीय नहीं है।
9. लिखित कथन में यह भी उल्लेख किया गया है कि घटना दिन के सुबह 8:30 बजे घटित हुयी है। स्वयं परिवादिनी का पति टूटे हुये तारों को देखकर बच सकता था। किसी अज्ञात वाहन द्वारा 33 के.वी.ए. के विद्युत पोल में टक्कर मारी गयी इसलिए यह घटना नियंत्रण के बाहर थी। यह भी उल्लेख किया गया है कि विपक्षी संख्या 1 द्वारा अंकन 1,00,000/- का चेक 30.08.2016 को प्रेषित किया गया।
10. लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया।
11. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता को सुना। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
12. सर्वप्रथम इस बिन्दु पर विचार किया गया कि क्या परिवादिनी उपभोक्ता की श्रेणी में आती है। परिवाद पत्र में उल्लेख किया गया है कि परिवादिनी का संयुक्त परिवार है। परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण की जा रही विद्युत आपूर्ति का उपभोग किया जा रहा था तथा मूल्य अदा किया जा रहा था इसलिये परिवादिनी भी उपभोक्ता की श्रेणी में आती है। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादिनी ने स्पष्ट नहीं किया कि
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किस विद्युत पोल से कनेक्शन प्राप्त किया जा रहा था। परिवादिनी की ओर से श्रीमती पुष्पा देवी पत्नी श्री प्रेम चन्द द्वारा इस आशय का शपथ पत्र दिया गया है कि वह श्री बृजपाल सिंह के बड़े भाई श्री प्रेम चन्द पुत्र श्री कन्छिद लाल की पत्नी हैं जिसमें श्री प्रेम चन्द एवं बृजपाल सिंह संयुक्त रूप से निवास करते हैं। इस आवास के अतिरिक्त उनका कोई अन्य निवास स्थान नहीं है। शपथ पत्र में यह भी उल्लेख है कि भवन संख्या 782 एवं 783 कृष्णा नगर बागू, थाना विजय नगर, गाजियाबाद एक ही संयुक्त परिवार का आवास है जिसे नगर निगम द्वारा अलग-अलग नम्बर दिये गये हैं। संयुक्त आवास में एक ही विद्युत कनेक्शन है जो शपथकर्ता के नाम आवंटित है। शपथकर्ता के नाम पर आवंटित विद्युत कनेक्शन को संयुक्त परिवार का विद्युत कनेक्शन नहीं माना जा सकता इसलिए मृतक को विद्युत विभाग का उपभोक्ता नहीं माना जा सकता। नजीर दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम लिमिटेड तथा अन्य बनाम भगवान दास तथा अन्य में व्यवस्था दी गयी है कि जब इस आशय का कोई सबूत दाखिल न किया गया हो कि परिवादी किस विद्युत कनेक्शन का लाभ धारक है और घर में अग्नि से किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है तब विद्युत विभाग के साथ विद्युत कनेक्शन लिये जाने की संविदा में संलिप्तता शामिल नहीं है। नजीर अधीक्षण अभियंता बनाम कृष्णा पुजारी IV (2011) CPJ 530 NC में व्यवस्था दी गयी है कि जब सेवा प्रदाता तथा परिवादी में उपभोक्ता का संबंध न हो तब विद्युत विभाग को Metering Point से बाहर की किसी घटना के लिये उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।
13. परिवादी को ओर से नजीर चेयरमैन, सी.एम.डी., आन्ध्र प्रदेश विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड बनाम टी. राजेश्वरी, एन.सी.डी.आर.सी., न्यू दिल्ली लॉ फाइन्डर प्रस्तुत की गयी है। इस केस के तथ्य इस प्रकार थे कि श्री टी. गोपाला कृष्णन परिवादिनी संख्या 1 के पति के पास ट्यूबवेल के लिये विद्युत कनेक्शन था। जब टी. गोपाला कृष्णन उस कनेक्शन को चालू कर रहे थे तब वह 11 के.वी. इलेक्ट्रिक वायर के सम्पर्क में आ गये। यह तार जमीन पर उनके ऊपर गिरा था और परिणामत: मृत्युकारित हो गयी। उपरोक्त केस के तथ्य दर्शित करते हैं कि मृतक के पास विद्युत कनेक्शन था। दुर्घटना के समय वह अपने विद्युत कनेक्शन
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को प्रारम्भ कर रहे थे जबकि प्रस्तुत केस में परिवादी के नाम विद्युत कनेक्शन होने का कोई सबूत नहीं मिलता तथा घटनास्थल कोलम्बिया एशिया, एन.एच. 24 के पास है, जो विद्युत कनेक्शन बताया गया है, वह विजय नगर में बताया गया है, जो घटनास्थल से कई किलोमीटर दूरी पर है। यद्यपि इस कनेक्शन का परिवादी से कोई संबंध स्थापित नहीं होता। वह विजय नगर क्षेत्र का बताया गया है जो कई किलोमीटर दूर है। दुर्घटना के समय मृतक विद्युत कनेक्शन से संबंधित किसी कार्य को अंजाम देने के लिये नहीं जा रहे थे, अत: प्रस्तुत केस विशुद्ध रूप से विपक्षीगण के विरूद्ध अपकृत (Tort) की श्रेणी में आता है न कि उपभोक्ता एवं सेवा प्रदाता की श्रेणी में। अत: परिवादी अपकृत विधि के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति की मांग कर सकता है।
आदेश
परिवाद इस आधार पर खारिज किया जाता है कि परिवादी विद्युत विभाग का उपभोक्ता नहीं है, यद्यपि परिवादी सक्षम न्यायालय में क्षतिपूर्ति के लिये दावा प्रस्तुत कर सकता है। यह दावा प्रस्तुत करने के लिये जिला उपभोक्ता मंच, गाजियाबाद या इस आयोग के समक्ष जो समय व्यतीत हुआ है वह समयावधि की गणना में विधि के अनुसार शामिल नहीं रहेगा।
उभयपक्ष अपना अपना वाद-व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
आशीष श्रीवास्तव
आशु0, कोर्ट नं.2