न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 15 सन् 2016ई0
रामकेश मौर्य पुत्र स्व0 तुलसी निवासी ग्राम व पो0 शहाबगंज तहसील चकिया जिला चन्दौली।
...........परिवादी बनाम
अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड प्रथम उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 चन्दौली।
.............................विपक्षी
उपस्थितिः-
रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
लक्ष्मण स्वरूप, सदस्य
निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1- परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी द्वारा जारी नोटिस को वापस लेने एवं मानसिक,शारीरिक प्रताडना एवं वाद व्यय हेतु रू0 100000/-दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2- परिवादी की ओर से परिवाद प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी एक साधारण लघु सीमान्त किसान है और परिवादी ने अपने खेत की सिंचाई हेतु 5 हार्सपावर का नलकूप कनेक्शन विपक्षी के यहॉं से सन् 1980 में लिया था जिसका विद्युत कनेक्शन संख्या 4781/539210 है। परिवादी द्वारा विद्युत बिल का भुगतान सन् 1980 से लेकर अक्टूबर 2015 तक किया है,जिसकी रसीद परिवादी के पास उपलब्ध है। परिवादी के ऊपर बिजली का बिल अक्टूबर 2015 से अबतक का बकाया है जो लगभग 3000/-से 4000/- होगा। उस बकाये बिल के एवज में परिवादी द्वारा दिनांक 29-2-2016 को रू0 1000/- का भुगतान किया है। परिवादी को विद्युत विभाग का बिल दिनांक 5-2-2016 को प्राप्त हुई। जिसमे परिवादी के ऊपर कुल रू0 94091/- का विद्युत बिल बकाया होना बताया गया है जिसको देखकर परिवादी हतप्रभ हो गया। उक्त बकाया विद्युत बिल प्राप्त होने के बाद 5 मार्च 2016 को विपक्षी विद्युत विभाग की नोटिस परिवादी को प्राप्त हुई जिसमे परिवादी के ऊपर माह जनवरी 2016 तक रू0 94091 बकाया होना दर्शाया गया है तथा उपरोक्त विद्युत बिल जमा न करने पर आर0सी0 की कार्यवाही प्रारम्भ करने की बात कही गयी है। उक्त नोटिस प्राप्त होने पर परिवादी ने अपने नलकूप उपभोक्ता के पासबुक का अवलोकन किया जिसके अनुसार परिवादी ने सन् 2002 से जनवरी 2008 तक के सम्पूर्ण विद्युत बिल का भुगतान कर दिया है और जनवरी 2008 से अक्टूबर 2015तक बिलों का भुगतान करता चला आया है और इस प्रकार परिवादी के ऊपर केवल अक्टूबर 2015 के बाद का बिल बकाया है। दिनांक 8-2-2015 को परिवादी अपने उपभोक्ता पासबुक व भुगतान की पावती लेकर विपक्षी के अधिकारी से मिला और अपने विद्युत बिल के संशोधन हेतु अनुरोध किया व खाते का सम्पूर्ण विवरण मांगा लेकिन उपखण्ड अधिकारी ने बिल के संशोधन करने एवं खाते का विवरण देने से इन्कार कर दिये और परिवादी को चेतावनी दिये कि अपने बिल का भुगतान जल्द से जल्द नहीं करेगे तो आपके
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विरूद्ध आर0सी0 द्वारा वसूली की कार्यवाही की जायेगी। विपक्षीगण का उपरोक्त कृत्य उनके दायित्व पूर्ति में विफलता का द्योतक है तथा सेवा में कमी है, जिससे परिवादी को घोर शारीरिक व मानसिक क्षति पहुंची है अतः उसने यह परिवाद दाखिल किया है।
3- विपक्षी को इस फोरम द्वारा रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी गयी जो उन पर तामिल भी हुई किन्तु न तो विपक्षी हाजिर आये एवं न ही जबाबदावा दाखिल किये। अतः यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से चल रहा है।
4- परिवादी की ओर से परिवादी रामकेश मौर्य का शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में मतदाता पहचान पत्र की छायाप्रति,विद्युत कनेक्शन के रसीद की छायाप्रति,विद्युत बिल जमा करने की रसीदों की छायाप्रतियॉं 65 अद्द,विद्युत विभाग के बकाये विद्युत बिल की रसीद की छायाप्रति,विद्युत विभाग द्वारा परिवादी को दी गयी नोटिस की छायाप्रति तथा पासबुक की छायाप्रति दाखिल की गयी है।
5- परिवादी की एक पक्षीय बहस सुनी गयी है। पत्रावली का सम्यक अवलोकन किया गया।
6- परिवादी की ओर से तर्क दिया गया है कि परिवादी अपने खेतों की सिंचाई के लिए नलकूप का विद्युत कनेक्शन सन् 1980 में लिया था और तब से अक्टूबर सन् 2015 तक के बिल का भुगतान परिवादी द्वारा किया गया है और उसके बाद भी दिनांक 29-2-2016 को रू0 1000/- का भुगतान परिवादी द्वारा विपक्षी को किया गया है। इसके बावजूद विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा मनमाने तरीके से परिवादी को दिनांक 5-2-2016 को रू 94091/- का विद्युत बिल भेजा गया है जो बिल्कुल गलत है और इसी प्रकार विपक्षी द्वारा परिवादी को 29-2-2016 को एक नोटिस भी जारी की गयी है जिसमे परिवादी को बिल अदा न करने पर आर0सी0 जारी करने की धमकी दी गयी है परिवादी के अधिवक्ता का तर्क है कि सन् 2015 में परिवादी का नलकूप की विद्युत बिल रू0 595/- मासिक आती थी और चूंकि परिवादी ने अक्टूबर सन् 2015 तक का बिल अदा कर दिया है इसलिए 31 जनवरी सन् 2016 का बकाया बिल किसी भी हालत में रू0 94091/- नहीं हो सकती। इसप्रकार विद्युत विभाग द्वारा गलत बिल भेजकर परिवादी से गलत वसूली की जा रही है जो उनकी लापरवाही एवं सेवा में कमी का द्योतक है। परिवादी द्वारा बार-बार कहे जाने के बावजूद विपक्षी ने सही बिल नहीं भेजा है जिससे परिवादी को शारीरिक एवं मानसिक क्षति कारित हुई है। अतः परिवादी इस हेतु क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय प्राप्त करने का अधिकारी है तथा विपक्षी को अवैध नोटिस वापस लेने एवं परिवादी के खाते का सम्पूर्ण विवरण देने हेतु आदेशित किया जाना आवश्यक है।
7- पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि अपने अभिकथनों के समर्थन में परिवादी की ओर से परिवादी रामकेश मौर्या का शपथ पत्र दाखिल किया गया है इसके अतिरिक्त परिवादी की ओर से विद्युत बिल की छायाप्रतियां 65 अदद् दाखिल
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की गयी है जिसके अवलोकन से प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादी द्वारा मई सन् 2015 तक का बिल दिनांक 29-6-2015 को अदा की गयी है जैसा कि कागज संख्या 6ग/66 के अवलोकन से स्पष्ट हो रहा है इसके बाद भी परिवादी द्वारा दिनांक 29-2-2016 को विद्युत बिल के एवज में रू0 1000/- जमा किया गया है उक्त बिलों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि इस दौरान परिवादी के नलकूप का मासिक विद्युत बिल रू0 595/- रहा है ऐसी स्थिति में जनवरी सन् 2016 तक परिवादी का विद्युत बिल रू0 94091/- होना प्रथम दृष्टया सम्भव प्रतीत नहीं हो रहा है। परिवादी के अभिकथनों तथा उसके द्वारा दाखिल उपरोक्त साक्ष्य के खण्डन में विपक्षी द्वारा अवसर दिये जाने के बावजूद न तो कोई जबाबदावा दाखिल किया गया और न ही कोई साक्ष्य दाखिल किया गया है। इस प्रकार परिवादी के अभिकथन एवं उसके द्वारा दाखिल साक्ष्य पूर्णतः अखण्डित है। अतः उनपर अविश्वास किये जाने का कोई कारण प्रतीत नहीं होता है।
8- इस प्रकार पत्रावली पर उपलब्ध समस्त साक्ष्य के परिशीलन से प्रथम दृष्टया यह पाया जाता है कि विपक्षी द्वारा परिवादी को रू094091/- का जो विद्युत बिल भेजा गया है वह सही प्रतीत नहीं होता है। विपक्षी विद्युत विभाग का यह दायित्व है कि वह अपने ग्राहक को उसके द्वारा देय विद्युत बिल का सम्पूर्ण विवरण नियमानुसार उपलब्ध करावे किन्तु विपक्षी द्वारा ऐसा नहीं किया गया है। अतएव उनके द्वारा सेवा में कमी किये जाने का मामला बनता है। अतः विपक्षी को परिवादी के विद्युत बिल का सही विवरण देने और उनके द्वारा परिवादी को दी गयी नोटिस दिनांकित 29-2-2016 को निरस्त करते हुए एवं परिवादी को शारीरिक एवं मानसिक क्षति के रूप में रू0 4000/- तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1000/- दिलाते हुए उसका परिवाद एक पक्षीय रूप से स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है।
आदेश
परिवादी का परिवाद एक पक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रेषित नोटिस दिनांकित 29-2-2016 निरस्त की जाती है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वे 2 माह के अन्दर परिवादी के नलकूप से सम्बन्धित विद्युत बिल का सम्पूर्ण विवरण परिवादी को उपलब्ध करावे और इस दौरान गलत वसूली न करें। विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे इसी अवधि में परिवादी को शारीरिक एवं मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 4000/-(चार हजार) तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1000/-(एक हजार) अर्थात कुल रू0 5000/-(पांच हजार) अदा करें। यदि विपक्षी उक्त अवधि में इस धनराशि का भुगतान नहीं करते है तो परिवादी उक्त धनराशि पर 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
(लक्ष्मण स्वरूप) (रामजीत सिंह यादव)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांकः 12-7-2017
12-7-2017
निर्णय खुले फोरम में हस्ताक्षरित करने उद्धघोषित किया गया एतद्द्वारा आदेश हुआ किः-परिवादी का परिवाद एक पक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रेषित नोटिस दिनांकित 29-2-2016 निरस्त की जाती है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वे 2 माह के अन्दर परिवादी के नलकूप से सम्बन्धित विद्युत बिल का सम्पूर्ण विवरण परिवादी को उपलब्ध करावे और इस दौरान गलत वसूली न करें। विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे इसी अवधि में परिवादी को शारीरिक एवं मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 4000/-(चार हजार) तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1000/-(एक हजार) अर्थात कुल रू0 5000/-(पांच हजार) अदा करें। यदि विपक्षी उक्त अवधि में इस धनराशि का भुगतान नहीं करते है तो परिवादी उक्त धनराशि पर 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
(लक्ष्मण स्वरूप) (रामजीत सिंह यादव)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांकः 12-7-2017