Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/753/2010

VEENA - Complainant(s)

Versus

ACC - Opp.Party(s)

01 Jun 2016

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. CC/753/2010
 
1. VEENA
KANPUR
...........Complainant(s)
Versus
1. ACC
KANPUR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
    पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
    

उपभोक्ता वाद संख्या-753/2010
1.    आकाश कुमार पुत्र श्री जगदीष 
2.    कु0 लता गुप्ता पुत्री स्व0 राम सुन्दर गुप्ता
निवासीगण मकान नं0-106/152, राम पार्क गांधी नगर, कानपुर नगर।

                                  ................परिवादीगण
बनाम
1.    प्रबन्धक, टेली प्लस सर्विसेज अथराईज्ड फ्रेंचाइजी एयरटेल कार्यालय 8/226 एस.जे. एम. प्लाजा, आर्य नगर, विपरीत उत्तर प्रदेष टेंट हाउस कानपुर नगर।
2.    प्रबन्धक भारतीय टेली वेन्चर्स लि0, एयरटेल टावर, 12 रानी लक्ष्मी बाई मार्ग हजरतगंज लखनऊ।
                             ...........विपक्षी
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 21.10.2010
निर्णय की तिथिः 25.06.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.      परिवादीगण की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादीगण को विपक्षीगण से षारीरिक, मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 30,000.00, कनेक्षन आवंटित न कर पाने की दषा में हुई आर्थिक क्षति के रूप में रू0 20,000.00, परिवादीगण द्वारा जमा रू0 1000.00 मय ब्याज तथा वाद व्यय नोटिस खर्चा एवं अधिवक्ता फीस के रूप में रू0 5000.00 इस प्रकार कुल रू0 56000.00 दिलाया जाये।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादीगण का कथन यह है कि परिवादी सं0-1 व 2 आपस में भतीजे और मौसी का रिस्ता रखते हैं। जबकि विपक्षी सं0-1 विपक्षी सं0-2 का अधिकृत फ्रेंचाइजी है, जिसका कार्य एयरटेल का कनेक्षन देकर षुल्क लेना है व विपक्षी सं0-2 का कार्य 
..............2
...2...

अपने ग्राहकों को एयरटेल मोबाइल सेवा उपलब्ध कराना है। परिवादी सं0-1 विपक्षीगण की कंपनी से एक पोस्टपेड कनेक्षन सं0-9935842222 दिनांक 19.04.08 को लिया था, जिसका नियमित बिल परिवादी सं0-1 द्वारा भुगतान किया जाता रहा है। अंतिम बिल 2009 में जमा किया गया था। तदोपरान्त परिवादी सं0-1 अपने काम के सिलसिले में बाहर जाने के कारण उपरोक्त कनेक्षन को कस्टमर केयर नम्बर पर बात करके बन्द करा दिया गया था। परिवादी सं0-1 को बाहर से आने के बाद पुनः उपरोक्त कनेक्षन की आवष्यकता हुई। तब विपक्षी एजेंसी के द्वारा परिवादी को यह बताया गया कि उसके पुराने उपरोक्त नम्बर पर रू0 591.00 बकाया निकलता है। उक्त बकाया जमा करने पर परिवादी को उसका उपरोक्त पूर्व नम्बर एलाट कर दिया जायेगा। अतः दिनांक 19.04.10 को परिवादी सं0-1 द्वारा विपक्षी सं0-1 के यहां रू0 591.00 जमा कर दिया। बकाया बिल जमा करने के बाद परिवादी सं0-1 उसी दिन पुनः वही कनेक्षन प्राप्त करने हेतु विपक्षी सं0-1 को रू0 800.00 प्रदान किया। उक्त बकाया बिल जमा करने के पष्चात विपक्षी सं0-1 परिवादी सं0-1 से कहा कि उक्त पुराना कनेक्षन परिवादी सं0-1 की आई.डी. पर एक्टीवेट नहीं हो रहा है, इसलिए परिवादी किसी अन्य सदस्य की आई.डी. देवे। इस प्रकार परिवादी सं0-1 ने अपनी मौसी लता गुप्ता परिवादी सं0-2 की आई.डी. दे दी। विपक्षी सं0-1 द्वारा एक हफ्ते में परिवादी को पुराना कनेक्षन एक्टीवेट होने के बावजूद कनेक्षन चालू नहीं हुआ। परिवादी द्वारा षिकायत करने पर विपक्षी सं0-1 ने कहा कि आपके कागजात वैरीफिकेषन के लिए भेजे गये हैं, इसलिए कुछ और समय लगेगा। कुछ दिन बाद परिवादी सं0-2 के अल्टरनेट नम्बर पर विपक्षी सं0-1 की कंपनी के मिस्टर आरिफ का फोन आया, जिसमें उन्होंने कहा कि पुनः उसी नम्बर को रिलीज कराने के लिए रू0 200.00 जमा करने होंगे। इस पर परिवादी ने विपक्षी सं0-1 के कार्यालय जाकर रू0 200.00 जमा कर दिया। इस पर विपक्षी सं0-1 के द्वारा परिवादी को नया सिम दिया गया, जिसका नं0- 8991540806063591381-32 के.पी.के.डी. 031/10 है और परिवादीगण से 
...............3
...3...

कहा गया कि उक्त सिम को अपने मोबाइल पर स्विच आन कर स्विच आफ कर दें। पुनः 24 घंटे बाद चालू कर दें तो नम्बर चालू हो जायेगा, परन्तु ऐसा नहीं हुआ। चालू न होने पर एजेंसी नं0-1 से अल्टरनेट नं0- 99355596158 पर संपर्क किया तो विपक्षी द्वारा झूठ ही कह दिया कि लता गुप्ता परिवादी सं0-2 दिये गये पते पर नहीं रहती हैं, जबकि कनेक्षन की औपचारिकतायें पूरी करते समय वोटर आई.डी. कार्ड व ड्राईविंग लाइसेंस की फोटोकापी लगायी थी। परिवादीगण द्वारा दिनांक 02.06.10 को पुनः विपक्षी सं0-1 से संपर्क करने पर विपक्षी सं0-1 द्वारा कागज वैरीफिकेषन करने की बात कह कर परिवादीगण को टरका दिया गया। परिवादीगण के दोस्तों, रिस्तेदारों और क्लाइंटों ने 03.06.10 को बताया कि मैंने तुम्हारे नं0-9935842222 पर फोन किया तो दूसरे व्यक्ति का नम्बर निकला। इस प्रकार परिवादीगण ने पुनः विपक्षी सं0-1 के कार्यालय जाकर संपर्क किया, तो विपक्षी सं0-1 ने कहा कि वह पुराना कनेक्षन दूसरे व्यक्ति को एलाट कर दिया गया है। अब वह नम्बर आपको नहीं मिल सकता। विपक्षीगण के उपरोक्त कृत्य से परिवादीगण को घोर कश्ट हुआ और तदोपरान्त प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया।
3.    परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षी सं0-1 को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, लेकिन पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद भी विपक्षी सं0-1 फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आये। अतः विपक्षी सं0-1 पर पर्याप्त तामीला मानते हुए दिनांक 30.08.11 को विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही किये जाने का आदेष पारित किया गया।
4.    विपक्षी सं0-2 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि परिवादी का परिवाद संधार्य नहीं है, क्योंकि परिवाद सद्भावनापूर्ण मंषा से प्रस्तुत नहीं किया गया है। मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा जनरल मैनेजर टेलीकाॅम बनाम एम0 कृश्णन एवं अन्य निर्णीत 01.09.09 की धारा 7 के अंतर्गत टेलीग्राफ अधिनियम से बाधित है। 
..............4
...4...

इसलिए फोरम को प्रस्तुत परिवाद के सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। उक्त प्राविधान के अंतर्गत इस प्रकार के विवाद को सुलझाने का अधिकार मध्यस्थ ;आर्बीटेटरद्ध को प्राप्त है। उपरोक्त के अतिरिक्त परिवादी द्वारा वास्तविक तथ्यों को फोरम से छिपाकर परिवाद योजित किया गया है। परिवादी की ओर से जो भी भुगतान किये गये है, वह उसके पूर्व कनेक्षन को योजित करने के लिए नहीं किये गये हैं, बल्कि पहले से जो बकाया धनराषि थी, वही अदा की गयी है। परिवादी द्वारा आधारहीन तथ्यों पर परिवाद योजित किया गया है। परिवादी को किसी प्रकार की मानसिक, षारीरिक क्षति कारित नहीं हुई है। विपक्षीगण की ओर से सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
5.    परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्तुत किये गये जवाब दावा में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये बिलों से स्पश्ट होता है कि परिवादीगण द्वारा मात्र पूर्व में एलाट नम्बर को पुनः पाने के लिए भुगतान किया गया था। विपक्षीगण का कृत्य अनुचित व्यापार व सेवा की कमी दर्षाता है। विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत की गयी साइटेषन का सार प्रस्तुत मामले में लागू नहीं होता है। परिवादीगण को यदि विपक्षी सं0-1 द्वारा आष्वासन न दिया गया होता तो परिवादीगण को उक्त समस्त औपचारिकतायें व भुगतान करने की आवष्यकता ही नहीं होती। परिवादीगण का परिवाद न्यायहित में स्वीकार किया जाये।
परिवादीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.    परिवादीगण ने अपने कथन के समर्थन में आजाद अहमद का षपथपत्र दिनांकित 18.10.10 व 28.03.12 एवं कु0 लता गुप्ता का षपथपत्र दिनांकित 28.03.12 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कलेक्षन रसीद की प्रति, नोटिस की प्रति, कु0 लता गुप्ता के निर्वाचन कार्ड की प्रति, डी0एल0 
.............5

...5...

की प्रति, प्रारूप फार्म की प्रति तथा खण्ड षिक्षा अधिकारी विकास खण्ड मैथा रमाबाई नगर द्वारा जारी प्रमाण पत्र की प्रति दाखिल किया है।
7.    विपक्षीगण की ओर से किसी प्रकार का न तो कोई षपथपत्र दाखिल किया गया है और न ही कोई अभिलेखीय साक्ष्य दाखिल किया गया है।
निष्कर्श
8.    बहस के समय विपक्षीगण अनुपस्थित थे। अतः फोरम द्वारा परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया। 
    परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन कसे विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में विवाद का प्रमुख विशय यह है कि विपक्षीगण के द्वारा परिवादीगण से वायदा करने के बावजूद परिवादीगण को उसके मोबाइल के एयरटेल का कनेक्षन संख्या- 9935842222 को प्रदान नहीं किया गया, बल्कि उक्त नम्बर किसी अन्य को आवंटित कर दिया गया और परिवादीगण से पूर्व नम्बर आवंटित करने के लिए आवष्यक षुल्क भी जमा करा लिया गया।
    उपरोक्त विचारणीय बिन्दु के सम्बन्ध में परिवादीगण का यह कथन है कि परिवादी सं0-1 द्वारा विपक्षी सं0-1 की कंपनी से एक पोस्ट पेड कनेक्षन सं0-9935842222 दिनांक 19.04.08 को लिया गया था। कुछ समय पष्चात परिवादी सं0-1 अपने काम के सिलसिले में बाहर जाने के कारण कस्टमर केयर नम्बर पर बात करके अपना नम्बर बन्द करा दिया गया। बाहर से आने के बाद पुनः उपरोक्त कनेक्षन को चालू करने के लिए परिवादी सं0-1 ने विपक्षी सं0-1 से संपर्क किया। विपक्षी सं0-1 के द्वारा उक्त नम्बर पर बकाया धनराषि रू0 591.00 बतायी गयी, जो कि परिवादी द्वारा जमा कर दी गयी। विपक्षी सं0-1 द्वारा पूर्व नम्बर जारी करने के लिए परिवादी सं0-1 से रू0 800.00 लेकर पुराना नम्बर एक्टीवेट करने की बात कही गयी,  किन्तु पुराना नम्बर चालू न होने  पर परिवादी 
.........6
...6...

सं0-1 ने विपक्षी सं0-1 से कहा कि परिवादी सं0-1 की आई.डी. पर उसका पूर्व का कनेक्षन चालू नहीं हो रहा है, इसलिए वह किसी अन्य सदस्य की आई.डी. देवे। इस पर परिवादी सं0-1 द्वारा परिवादी सं0-2 की आई.डी. दी गयी, फिर भी पूर्व कनेक्षन चालू नहीं हुआ। इसके पष्चात परिवादी सं0-1 द्वारा षिकायत करने पर विपक्षी सं0-1 ने यह कहा कि आपके कागजात वैरीफिकेषन के लिए भेजे गये हैं, इसलिए कुछ और समय लगेगा। इसके पष्चात विपक्षी सं0-1 की कंपनी से मिस्टर आरिफ का फोन परिवादी सं0-2 के अल्टरनेट नम्बर पर आया, जिसमें यह कहा गया कि पूर्व नम्बर रिलीज कराने के लिए उन्हें रू0 200.00 और जमा करना होगा। इस पर परिवादी सं0-1 ने विपक्षी सं0-1 के कार्यालय जाकर रू0 200.00 और जमा कर दिया, तब विपक्षी सं0-1 के द्वारा परिवादी को नया सिम नं0-8991540806063591381-32 के.पी.के.डी. 031/10 दे दिया गया और कहा गया कि उक्त सिम को अपने मोबाइल पर स्विच आन करके स्विच आफ कर देना तो 24 घंटे में उक्त नम्बर चालू हो जायेगा। किन्तु परिवादी सं0-1 का पूर्व नम्बर चालू नहीं हुआ। पुनः षिकायत करने पर विपक्षी सं0-1 द्वारा यह कहा गया कि परिवादी सं0-2 दिये पते पर नहीं रहती है। विपक्षी सं0-1 द्वारा यह कथन असत्य किया गया है। क्योंकि कनेक्षन लेने के समय औपचारिकतायें पूरी करते समय वोटर आई.डी. कार्ट व ड्राईविंग लाइसेंस की फोटोकाॅपी उसी पते की लगायी गयी थीं। परिवादी सं0-1 के दोस्तों व रिस्तेदारों के द्वारा दिनांक 03.06.10 को यह बताया गया कि परिवादी के पूर्व फोन नम्बर पर फोन करने पर वह नम्बर दूसरे व्यक्ति का निकला। पुनः परिवादी सं0-1 ने विपक्षी सं0-1 से संपर्क किया, तो विपक्षी सं0-1 ने परिवादी से कहा कि अब वह नम्बर आपको नहीं मिल सकता, क्योंकि वह नम्बर दूसरे व्यक्ति को एलाट कर दिया गया है। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा परिवादीगण के प्रति सेवा में कमी कारित की गयी है।
    विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा में यह कहा गया है कि परिवादीगण के द्वारा जो भी पूर्व भुगतान किये गये हैं,  वह  उसके 
................7
...7...

पूर्व कनेक्षन को चालू करने के लिए नहीं किये गये है, बल्कि पहले से जो बकाया था, वही लिया गया है। किन्तु विपक्षी सं0-2 की ओर से न तो कोई षपथपत्र और न ही कोई प्रलेखीय साक्ष्य दाखिल किया गया हैं अतः विपक्षी सं0-2 की ओर से किये गये उपरोक्त कथन साबित नहीं होते हैं। विपक्षी सं0-2 के द्वारा अपने जवाब दावा में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिपादित विधिक सिद्धांत जनरल मैनेजर टेलीकाॅम बनाम एम0 कृश्णन एवं अन्य निर्णीत दिनंाक 01.09.09 का उल्लेख किया गया है। मा0 उच्चतम न्यायालय का संपूर्ण सम्मान रखते हुए स्पश्ट करना है कि उपरोक्त विधि निर्णय में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत प्रस्तुत मामले में, तथ्यों की भिन्नता के कारण लागू नहीं होता है। क्योंकि प्रस्तुत मामले में टेलीग्राफ लाइन, टेलीग्राफ से सम्बन्धित किसी यंत्र से सम्बन्धित नहीं है। अतः फोरम इस मत का है कि प्रस्तुत मामले में सुनवाई का क्षेत्राधिकार फोरम को प्राप्त है।
    उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से परिवादीगण द्वारा पूर्व कनेक्षन प्राप्त करने के लिए जमा की गयी धनराषि रू0 800$200=1000  प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसूली 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज दिलाये जाने तथा रू0 6000.00 परिवाद व्यय के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है। रू0 591.00 स्वीकार्य रूप से पूर्व कनेक्षन के बकाया के रूप में जमा किया गया है। अतः उक्त धनराषि वापस दिलाये जाने का कोई औचित्य नहीं है। जहां तक परिवादीगण की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है-उक्त याचित उपषम के लिए परिवादीगण द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादीगण द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।    
ःःःआदेषःःः
9.     परिवादीगण का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 
................8
...8...

30 दिन के अंदर विपक्षीगण, परिवादीगण को रू0 1000.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से, प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसूली अदा करें तथा रू0 6000.00 परिवाद व्यय भी अदा करें।


      (पुरूशोत्तम सिंह)                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
          सदस्य                              अध्यक्ष
    जिला उपभोक्ता विवाद                     जिला उपभोक्ता विवाद
        प्रतितोश फोरम                            प्रतितोश फोरम
        कानपुर नगर।                             कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।


      (पुरूशोत्तम सिंह)                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
          सदस्य                              अध्यक्ष
    जिला उपभोक्ता विवाद                     जिला उपभोक्ता विवाद
        प्रतितोश फोरम                            प्रतितोश फोरम
        कानपुर नगर।                             कानपुर नगर।

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.