राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-613/2014
बाबू बनारसी दास इस्टीट्यूट आफ टैक्नालाजी।
.....अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम
अभिषेक सोनी पुत्र श्री रमेश सोनी निवासी 1/5449, बी,
गली नं0 15, बलबीर नगर एक्सटेन्शन शहदरा दिल्ली
-110032 .......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक रंजन, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 01.02.2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 65/12 अभिषेक सोनी बनाम बाबू बनारसी दास इन्स्टीट्यूट में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 15.02.2014 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच ने परिवादी स्वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया है कि परिवादी द्वारा जमा की गई धनराशि में से एक हजार रूपये प्रोसेस फीस काटकर शेष राशि अंकन रू. 90550/- अदा करें। अंकन रू. 3000/- क्षतिपूर्ति के रूप में भी आदेशित किया गया है।
2. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच ने विधि विरूद्ध निर्णय पारित किया है। विद्यालय के संबंध में उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है। परिवादिया स्वयं सीट छोड़कर चली गई, जिसके कारण विद्यालय को
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नुकसान हुआ, कभी भी नए विद्यार्थी का दाखिला नहीं दिया गया, इसलिए परिवादी द्वारा जमा राशि को वापस लौटाने का आदेश विधि विरूद्ध है।
3. केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
4. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि कोई भी शैक्षिक संस्थान उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत नहीं आता, इसलिए भी परिवाद संधारणीय नहीं है। उनके द्वारा अपने तर्क के समर्थन में नजीर मनु सोलंकी व अन्य बनाम विनायक मिशन यूनिवर्सिटी 1(2020) सीपीजे 210(एनसी) प्रस्तुत की गई है। इस नजीर में स्पष्ट व्यवस्था दी गई है कि शैक्षिक संस्थान से संबंधित प्रकरण में उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है, अत: जिला उपभोक्ता मंच द्वारा अवैध रूप से उपभोक्ता परिवाद मानते हुए निर्णय पारित किया गया है, जो अपास्त होने योग्य है।
आदेश
5. अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्त किया जाता है। यद्यपि परिवादी को अधिकार होगा कि वे दीवानी न्यायालय के समक्ष अपने द्वारा जमा राशि की वापसी की मांग कर सकें।
अपीलार्थी द्वारा धारा-15 के अंतर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को
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आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2