Madhya Pradesh

Seoni

CC/53/2013

SATAYENSH KUMAR GATHORIYA - Complainant(s)

Versus

ABHISHEK MALU S/O SHRI ASHOK MALU,NIVASISHUKRAWARI BAZAR SEONI,TECH.-SEONI,DIST.-SEONI,PIN-480661 - Opp.Party(s)

ADV. SACHIN SONI

10 Sep 2013

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)

 प्रकरण क्रमांक- 53-2013                              प्रस्तुति दिनांक-15.05.2013
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,

सत्यांष कुमार गठोरिया, पिता श्री जे0पी0
गठोरिया, उम्र लगभग 50 वर्श, निवासी-
राधाकृश्ण नगरी टैगोर वार्ड, सिवनी,
तहसील व जिला सिवनी (म0प्र0)।.......................आवेदक परिवादी।


                :-विरूद्ध-: 
(1)    अभिशेक मालू पिता स्वर्गीय श्री अषोक
    मालू, निवासी षुक्रवारी बाजार, सिवनी
    तहसील व जिला सिवनी (म0प्र0)।
(2)    मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर
    पालिका परिशद, सिवनी 
    (म0प्र0)।...................................................अनावेदकगण विपक्षीगण। 


                    
                 :-आदेश-:
    
     (आज दिनांक- 10/09/2013  को पारित)

द्वारा-अध्यक्ष:-

(1)        उक्त सभी मामलों के परिवादीगण द्वारा, उनके द्वारा, उक्त कथित कालोनी (राधाकृश्ण नगरी) में आवासीय प्लाट के क्रेता होने के आधार पर, कालोनी में कालोनार्इजर द्वारा, जल आपूर्ति की व्यवस्था न करने व कालोनी में नालियां व स्थार्इ विधुत कनेक्षन उपलब्ध न कराने बाबद अनावेदकों द्वारा, की गर्इ सेवा में कमी कहते हुये, हर्जाना दिलाने व उक्त मूलभूत सुविधायें उपलब्ध कराने के अनुतोश हेतु पेष किये हैं। 
(2)        अनावेदक क्रमांक-1 कालोनार्इजर व डेब्लेपर मामले में उपसिथत नहीं हुये, उसकी ओर से कोर्इ परिवाद का जवाब भी पेष नहीं।
(3)        यह विवादित नहीं है कि-प्रकरण क्रमांक-532013 के परिवादी-सत्यांष कुमार गठोरिया द्वारा, अनावेदक क्रमांक-1 से कालोनी में खरीदे गये प्लाट के संबंध में अनावेदक क्रमांक-2 नगरपालिका से नल कनेक्षन हेतु पेष आवेदन को अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा इस आधार पर स्थगित कर दिया गया कि-कालोनार्इजर अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, उक्त कालोनी को नगरपालिका को अंतरण नहीं किया गया है।
(4)        सभी मामलों के परिवाद का सार यह है कि-अनावेदक क्रमांक-1 ने अपने भूस्वामी हक की पड़त भूमि में विकसित आवासीय कालोनी निर्माण हेतु दिसम्बर-2004 में कालोनार्इजर लायसेन्स हासिल किया था व कालोनी में मूलभूत सुविधाओं के विकास का आष्वासन देकर, उक्त मामलों के परिवादीगण के पक्ष में विक्रय-पत्र निश्पादित कर दिये थे और क्रयषुदा भूमि पर परिवादी-पक्ष ने आवास निर्माण कराये, पर अभी तक अनावेदक क्रमांक-1 ने कालोनी में सड़क निर्माण पूरा नहीं किया है, कालोनी में नालियां नहीं हैं, बच्चों के खेलने को कोर्इ बगीचा नहीं और कालोनी में स्थार्इ विधुत कनेक्षन नहीं है, जो कि-उक्त मूलभूत सुविधायें उपलब्ध न कराकर, अनावेदक क्रमांक-1 ने सेवा में कमी किया है। परिवादी द्वारा, अनावेदक क्रमांक-2 नगरपालिका सिवनी के समक्ष नल कनेक्षन व मूलभूत सुविधायें उपलब्ध कराने आवेदन पेष किया गया, तो अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, दिनांक-01.06.2009 को कालोनी में नल संयोजन किये जाने में इस आधार पर असमर्थता जतार्इ गर्इ कि-कालोनार्इजर द्वारा, उक्त कालोनी, नगरपालिका को अंतरित नहीं की गर्इ है, जो कि-अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा भी परिवादी-पक्ष की मूलभूत सुविधाओं के संबंध में कोर्इ ध्यान नहीं दिया गया और मध्यप्रदेष नगरपालिका (कालोनार्इजर का रजिस्ट्रीकरण निर्वचन तथा षर्तें) वर्श-1998 के नियम-13 (2) के तहत आपेक्षित कार्यवाही अनावेदक क्रमांक-1 के विरूद्ध नहीं की गर्इ और अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, मूलभूत सुविधायें उपलब्ध न कराने के रवैये से परिवादीगण को जो मानसिक-क्लेष व आर्थिक क्षति हुर्इ है, जिसके लिये परिवादी-पक्ष हर्जाना पाने के अधिकारी हैं। 
(5)        अनावेदक क्रमांक-2 के सभी मामलों में जवाब का सार यह रहा है कि-नल कनेक्षन के आवेदन पर, उक्त कालोनी निकाय को अंतरण न किये जाने की सूचना परिवादी-पक्ष को दी गर्इ थी, अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, परिवादीगण के प्रति-सेवा में कमी किये जाने का कोर्इ प्रष्न नहीं है, क्योंकि उक्त कालोनी अवैधानिक है और नगरपालिका निकाय को अंतरित नहीं की गर्इ है, जो कि-परिवादी-पक्ष को प्लाट क्रय करते समय जांच लेना चाहिये था कि-कालोनी, वैध कालोनी की श्रेणी में है या नहीं। और वास्तव में अवैध कालोनी के संबंध में कार्यवाही करने का अधिकार अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को है, जो कि-अनावेदक क्रमांक-2 की ओर से कर्इ बार अनावेदक क्रमांक-1 और अनुविभागीय अधिकारी को कार्यवाही करने बाबद पत्र लिखे गये हैं, जो कि-अनावेदक क्रमांक-2 ने, अनावेदक क्रमांक-1 को अंतिम-पत्र दिनांक-16.07.2013 को उक्त कालोनी में सुविधायें उपलब्ध कराने बाबद लिखा गया है, तो विवाद परिवादी-पक्ष और अनावेदक क्रमांक-1 के बीच का है और क्योंकि कालोनी अनावेदक क्रमांक-2 को अंतरित नहीं हुर्इ, इसलिए अनावेदक क्रमांक-2 का उक्त विवाद से कोर्इ लेनादेना नहीं, उसे मात्र परेषान करने की नीयत से पक्षकार बनाया गया है। अत: अनावेदक क्रमांक-2 के विरूद्ध परिवाद निरस्त कर हर्जाना दिलाया जाये।
(6)        सभी मामलों में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हंंै कि:-
        (अ)    क्या परिवादीगण अनावेदक क्रमांक-1 से कालोनी में
            प्लाट क्रय करने वाले उपभोक्ता हैं?
        (ब)    क्या अनावेदक क्रमांक-1 ने कालोनी में मूलभूत विकास
            की सुविधायें उपलब्ध न कराने बाबद परिवादी-पक्ष के
            विरूद्ध सेवा में कमी किया है?
        (स)    क्या परिवादी-पक्ष और अनावेदक क्रमांक-2 के
            विरूद्ध उपभोक्ता व सेवाप्रदाता के संबंध है और
            अनावेदक क्रमांक-2 ने परिवादी के प्रति-सेवा में
            कमी किया है?
        (द)    सहायता एवं व्यय?
                -:सकारण निष्कर्ष:-
        सभी मामलों का विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(7)        उक्त में-से जिन मामलों के परिवादीगण ने, अनावेदक क्रमांक-1 कालोनार्इजर द्वारा विकसित की जा रही कालोनी व उससे प्लाट क्रय किये जाने के संबंध में विक्रय-पत्र की प्रतियां पेष की हैं, उनसे यह प्रकट है कि-प्रकरण क्रमांक-462013 के परिवादी-डी0डी0 उपाध्याय द्वारा दिसम्बर-2004 में प्रकरण क्रमांक-412013 के परिवादी-संतोश राव देषमुख द्वारा जनवरी-2013, जबकि प्रकरण क्रमांक-41, 42, 43, 44, 45, 48, 49, 50 व प्रकरण क्रमांक-532013 के परिवादीगण द्वारा, वर्श-2005 में अनावेदक क्रमांक-1 से उक्त कालोनी में प्लाट क्रय किये गये थे, इसलिए वे कालोनी में मूलभूत अधोसंरचना विकास की सुविधायें प्राप्त कर सकने बाबद, अनावेदक क्रमांक-1 के उपभोक्ता हैं। जबकि-परिवाद प्रकरण क्रमांक-512013 की परिवादिया-श्रीमति षारदा बरकडे द्वारा, उक्त मामले में पेष विक्रय-पत्र से स्पश्ट है कि-उक्त विक्रय-पत्र के द्वारा उसका जो प्लाट क्रय किया गया था, वह अनावेदक क्रमांक-1 से क्रय नहीं किया गया है, बलिक उक्त विक्रय-पत्र दिनांक-26.11.2009 में विक्रेता श्रीमति सुशमा पटेल दर्षार्इ गर्इ है और उक्त प्लाट भी अन्य परिवादीगण द्वारा खरीदे गये प्लाटों के सर्वे बटा नंबर से भिन्न है। जबकि-विक्रय-पत्र की प्रतियां पेष करने के लिए आदेष किये जाने के बावजूद, प्रकरण क्रमांक-472013 के परिवादी-मनीश कुमार सोनी और प्रकरण क्रमांक-522013 के परिवादी- डिगम्बर सिंह के द्वारा कालोनी में प्लाट क्रय किये जाने बाबद कोर्इ विक्रय-पत्र की प्रतियां पेष नहीं की गर्इं हैं। प्रकरण क्रमांक-512013, 472013, 522013 के परिवादीगण ने अनावेदक क्रमांक-1 को कोर्इ प्रतिफल भुगतान किया जाना या उनसे अनावेदक क्रमांक-1 का कोर्इ अनुबंध रहा होना और उनके द्वारा कालोनी में अनावेदक क्रमांक-1 से कोर्इ प्लाट क्रय किया जाना दर्षित नहीं है, इसलिए प्रकरण क्रमांक-472013 और 512013 व 522013 के परिवादीगण, अनावेदक क्रमांक-1 के उपभोक्ता रहे होना स्थापित पाया गया है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
        सभी मामलों का विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(8)        सभी मामलों में प्रदर्ष सी-6 के रूप में अनावेदक क्रमांक-1 अभिशेक मालू को अनुविभागीय अधिकारी, सिवनी द्वारा आदेष दिनांक-10.12.2004 के द्वारा जो सर्वे नंबर-6401 के अनुमोदित अभिन्यास में दर्षित रकबा 9641.29 वर्गमीटर के आवासीय प्रयोजनों के लिये व्यपवर्तन की अनुमति का आदेष पेष किया गया है, प्रदर्ष सी-5 के रूप में राधाकृश्ण नगरी कालोनी के प्रस्तावित लेआउट प्लान की प्रति पेष की गर्इ है और कालोनी वासियों द्वारा जिनमें अधिकांष परिवादीगण षामिल रहे हैं, जिला कलेक्टर को संबोधित आवेदन की प्रति प्रदर्ष सी-1 और अनुविभागीय अधिकारी को संबोधित आवेदन की प्रति प्रदर्ष सी-2 पेष की गर्इ है, पर वे पावती प्रतियां नहीं, जिनमें की कालोनी में मूलभूत सुविधायें स्टीट लार्इट, नालियां व जलप्रदाय उपलब्ध न कराये जाने की षिकायत का वृतांत होना दर्षित है, तो उक्त सुविधायें कालोनी में कालोनार्इजर द्वारा उपलब्ध न कराये जाने बाबद, मामलों में परिवादी-पक्ष के षपथ-पत्र पेष हुये हैं, इसके अतिरिक्त प्रदर्ष सी-7ए से लगायत प्रदर्ष सी-7र्इ तक के फोटोग्राफ प्रकरण क्रमांक-522013 में पेष हुये हैं, जिसकी फोटोप्रतियां उक्त अन्य सभी प्रकरणों में पेष की गर्इं हैं, जो कि-मौके के उक्त फोटोग्राफ से यह दर्षित हो रहा है कि-उक्त कालोनी में न तो पक्की सड़क निर्मित हुर्इ है, न ही समुचित रूप से नालियों का कोर्इ निर्माण हुआ और कालोनी में विधुत प्रकाष बाबद भी समुचित अधोसंरचना निर्मित नहीं की गर्इ है और जलप्रदाय बाबद कोर्इ अधोसंरचना निर्मित नहीं की गर्इ है, जो कि-प्रदर्ष सी-3 के सभी मामलों में पेष प्रतियों से यह दर्षित हो रहा है कि-प्रकरण क्रमांक-532012 के परिवादी-सत्यांष कुमार गठोरिया के द्वारा, नगरपालिका परिशद में नल कनेक्षन हेतु आवेदन पेष किये जाने पर, नगरपालिका द्वारा, नल संयोजन प्रदान करने से यह कहते हुये दिनांक-10.06.2009 को असमर्थता जतार्इ गर्इ कि-कालोनार्इजर द्वारा अब-तक कालोनी को निकाय को अंतरण नहीं करवाया गया है। 
(9)        स्पश्ट है कि-अनावेदक क्रमांक-1 कालोनार्इजर के द्वारा, उक्त कालोनी के प्लाट 2004-2005 से 2008-2009 तक विक्रय कर दिये गये, फिर भी कालोनी के विकास बाबद पक्की सड़क, नाली, बिजली व जल की आपूर्ति बाबद समुचित रूप से अधोसंरचना का विकास नहीं किया गया है और यह भी स्पश्ट है कि-कालोनी का विकास कार्य पूर्ण न होने के कारण ही, उक्त कालोनी नगरीय निकाय को अंतरण किये जाने की कार्यवाही अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा नहीं की जा रही है, जिससे कालोनी में प्लाट क्रय करने वाले व उन पर मकान बनाकर रहने वाले कालोनी में अनावेदक क्रमांक-1 से प्लाट क्रेता जो भी परिवादीगण हैं, उनको अत्यंत असुविधा व आर्थिक क्षति हो रही है। इस तरह उनके प्रति अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा सेवा में कमी की गर्इ है और अनावेदक क्रमांक-1 का रवैया यह रहा है कि-वह मामले का नोटिस मिलने के बावजूद भी परिवाद का जवाब देने के लिए तक उपथित नहीं हुआ। इस तरह प्रकरण क्रमांक-41, 42, 43, 44, 45, 46 व 48, 49, 50 और 532013 में वाद प्रष्न क्रमांक-'ब को इस तरह निश्कर्शित किया जाता है कि-अनावेदक क्रमांक-1 ने उक्त मामलों के परिवादीगण के प्रति कालोनी में विकास की उक्त अधोसंरचनायें विकसित न कर, सेवा में कमी किया है। 
(10)        जबकि-प्रकरण क्रमांक-472013, 512013 और 522013 के परिवादीगण, अनावेदक क्रमांक-1 के उपभोक्ता होना स्थापित नहीं। अत: उनके प्रति अनावेदक क्रमांक-1 का कोर्इ दायित्व होना स्थापित नहीं है, इसलिए उक्त तीनों मामलों के परिवादीगण के प्रति अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा कोर्इ सेवा में कमी किये जाने का प्रष्न ही नहीं। 
(11)        उक्त अनुसार ही मामलों में विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'ब को निश्कर्शित किया जाता है। 
        सभी मामलों का विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(स):-
(12)        अनावेदक क्रमांक-2 नगरपालिका परिशद को अभी उक्त कालोनी का अंतरण नहीं हुआ है, यह अविवादित है, ऐसे में कालोनी में उक्त अधोसंरचनाओं के विकास हेतु न तो अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, परिवादीगण से कोर्इ षुल्क प्राप्त किया जाना दर्षित है, न ही नगरपालिका को कालोनी अंतरित हुये बिना अनावेदक क्रमांक-2 का परिवादीगण के प्रति कोर्इ दायित्व है और ऐसे में परिवादीगण, अनावेदक क्रमांक-2 के उपभोक्ता होना स्थापित नहीं पाये जाते हैं। अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी किया जाना भी स्थापित नहीं। तदानुसार सभी मामलों में विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'स को निश्कर्शित किया जाता है।
        परिवाद प्रकरण क्रमांक-472013, 512013 
        व 522013 के संबंध में विचारणीय प्रष्न क्रमांक-
        (द):-
(13)        क्योंकि उक्त तीनों प्रकरण के परिवादी, अनावेदकगण के उपभोक्ता होना स्थापित नहीं, इसलिये उनके द्वारा पेष परिवाद स्वीकार योग्य न होने से निरस्त किये जाते हैं, उक्त तीनों मामलों के परिवादीगण स्वयं का कार्यवाही-व्यय वहन करेंगे और अनावेदक क्रमांक-2 को कार्यवाही-व्यय के रूप में उक्त तीनों मामले में प्रत्येक मामले के परिवादी- पक्ष 1,000-1,000-रूपये (एक-एक हजार रूपये) आदेष दिनांक से चार माह की अवधि के अंदर अदा करेंगे।
        प्रकरण क्रमांक-41, 42, 43, 44, 45, 46, 48, 49, 
        50 व 532013 के संबंध में विचारणीय प्रष्न                 क्रमांक-(द):-
(14)        मामले में षेश विचारणीय प्रष्न के निश्कर्शों के आधार पर, निम्न आदेष उक्त परिवाद प्रकरणों के संबंध में पारित किया जाता है:-
        (अ)    अनावेदक क्रमांक-1 कालोनार्इजर ने उक्त मामलों के
            परिवादीगण को प्लाट विक्रय करने के इतने वर्शों बाद
            भी कालोनी में पक्की सड़क व नाली, जलप्रदाय व
            विधुत प्रदाय की अधोसंरचना का समुचित विकास न
            कर, परिवादीगण के प्रति जो सेवा में कमी किया है,
            उक्त हेतु परिवादीगण को हुर्इ असुविधा व क्षति बाबद
            अनावेदक क्रमांक-1 उक्त मामलों में प्रत्येक मामले के
            परिवादी को 20,000-रूपये (बीस हजार रूपये)                 हर्जाना आदेष की प्रति प्राप्त होनेतामिल होने के             दिनांक से तीन माह की अवधि के अंदर अदा करे।
        (ब)    अनावेदक क्रमांक-1 उक्त कालोनी में पक्की सड़क,
            नाली, विधुत व जलप्रदाय बाबद समुचित मूलभूत
            अधोसंरचना का निर्माण व विकास आदेष की प्रति
            प्राप्त हो जाने के दिनांक से 9 माह की अवधि के
            अंदर करेगा। और उसके पष्चात 1 माह की अवधि के
            अंदर अधोसंरचना निर्माणविकास का कार्य पूर्ण हो
            जाने की रिपोर्ट संबंधित प्राधिकारीअनुविभागीय
            अधिकारी को उनकी संतुशिट हेतु पेष करेगा।
        (स)    उक्त मामलों में अनावेदगण स्वयं का कार्यवाही-व्यय
            वहन करेंगे और अनावेदक क्रमांक-1 उक्त में-से                 प्रत्येक मामले के परिवादी को कार्यवाही-व्यय के रूप में
            2,000-रूपये (दो हजार रूपये) अदा करेगा।


                                
       मैं सहमत हूँ।                                 मेरे द्वारा लिखवाया गया।         

(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत)                          (रवि कुमार नायक)
           सदस्य                                                  अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                           जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी                         प्रतितोषण फोरम,सिवनी                         

           (म0प्र0)                                                (म0प्र0)

                        

 

 

 

        
            

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.