परिवादी ने यह परिवाद इस आशय से योजित किया है कि उसके द्वारा खरीदे गये मोबाइल का मूल्य रू0 10500/-तथा वाद व्यय के रूप में रू0 2000/- विपक्षी गण से दिलाये जायॅ।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन संक्षेप में इस प्रकार है कि उसने विपक्षी सं01 से एक मोबाइल माइक्रोमैक्स ए110 कैनवास 2 रू0 10500/- में दिनांक 26-06-2013 को खरीदा था। क्रय करने के कुछ दिन बाद उक्त मोबाइल में कुछ समस्या हो गयी, इसके बावत परिवादी ने विपक्षी सं01 को सूचित किया तो उसने कहा कि इसे विपक्षी सं02 सर्विस सेन्टर पर दीजिए, उनके द्वारा जल्द से जल्द ठीक किया जायेगा। परिवादी ने अपना मोबाइल दिनांक 24-02-2014 को मरम्मत हेतु विपक्षी सं02 के यहॉ जमा किया। उसे 10 दिन बाद मरम्मत करके देने का आश्वासन दिया गया। 10 दिन बाद जब परिवादी विपक्षी के यहॉ मोबाइल लेने गया, तो उसे बताया गया कि उसका मोबाइल कम्पनी भेजा जायेगा और इसकी सूचना उसे दी जायेगी और सूचना मिलने पर वह आये। विपक्षी सं02 से सूचना मिलने के उपरांत परिवादी जब विपक्षी सं02 के यहॉ गया तो उसे बताया गया कि उसका मोबाइल कहीं रख दिया गया है, इस प्रकार से परिवादी को दो माह तक परेशान किया गया। बाद में परिवादी का मोबाइल, जिस हालत में था, उसी हालत में मिला। विपक्षी सं02 द्वारा कहा गया कि उक्त मोबाइल को एल.3 कम्पनी को सर्विस हेतु पुन: भेजा जायेगा, अत: वह एक माह के उपरांत आये। एक माह के उपरांत जब परिवादी विपक्षी सं02 के यहॉ पहॅुचा तो बताया गया कि सर्विस सेन्टर की गलती के कारण कम्पनी ने उक्त मोबाइल बिना मरम्मत किये, वापस कर दिया है क्योंकि सर्विस सेन्टर द्वारा मोबाइल सेट में एक भी स्क्रूप लगे बिना ही भूलवश कम्पनी को भेज दिया गया था। कई माह तक विपक्षी सं02 द्वारा परेशान करने से परिवादी को आर्थिक एवं मानसिक कष्ट हुआ। अब तक उसका मोबाइल मरम्मत कराकर वापस नहीं किया गया है।
विपक्षी सं01 की ओर से अपने प्रतिवाद पत्र में यह स्वीकार किया गया है कि परिवादी ने उसके यहॉ से प्रश्नगत मोबाइल दिनांक 26-06- 2013को खरीदा था। शेष कथनों को विपक्षी सं01 की ओर से स्वीकार नहीं किया गया है। उसकी ओर से आगे कहा गया है कि विपक्षी सं01 द्वरा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गयी है विपक्षी सं01, द्वारा केवल मोबाइल की बिक्री की जाती है। उसमें खराबी आने पर सेवा का कार्य सर्विस सेन्टर द्वारा किया जाता है । परिवादी को मोबाइल बेचते समय यह बता दिया गया था कि मोबाइल में त्रुटि होने पर सर्विस सेन्टर जाकर इसे दुरुस्त कराना होगा। इससे सन्तुष्ट होने पर परिवादी ने प्रश्नगत मोबाइल क्रय किया।
परिवादी की ओर से अपने कथन के समर्थन में शपथ पत्र 19ग तथा अभिलेख कागज संख्या 8ग, 9ग प्रस्तुत किये गये हैं। परिवादी की ओर से लिखित बहस कागज संख्या 18ग प्रस्तुत की गई है।
विपक्षी सं01 की ओर से अपने कथन के समर्थन में शपथ पत्र कागज सं0 17ग व 19ग तथा लिखित बहस 20ग प्रस्तुत की गयी है।
विपक्षी सं02 को नाटिस तामील होने के बावजूद उसकी ओर से न तो प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया और न कोई साक्ष्य प्रस्तुत की गयी और न उसकी ओर से कोई मौखिक बहस करने हेतु उपस्थित हुआ। अत: उसके विरुद्ध एक पक्षीय सुनवाई की गयी ।
परिवादी तथा विपक्षी सं01 के अधिवक्ता की मौखिक बहस सुनी गयी तथा उपलब्ध कराई गई साक्ष्य और लिखित बहस का भलीभॅति परिशीलन किया गया।
विपक्षी सं01 ने परिवादी के इस कथन को स्वीकार किया है कि परिवादी ने उससे माइक्रोमैक्स ए110 कैनवास2 मोबाइल दिनांक 26-06-13 को रू0 10500/- में खरीदा था, इसकी पुष्टि रसीद कागज सं0 9ग से भी होती है।
परिवादी की ओर से कहा गया है कि उक्त मोबाइल खरीदने के कुछ दिन बाद ही उसमें खराबी आ गयी थी। अत: उसने इस सम्बन्ध में विपक्षी सं01 को सूचित किया था। विपक्षी सं01 ने अपनी लिखित बहस के प्रस्तर 2 में उक्त कथन को स्वीकार किया है। उसकी ओर से लिखित बहस में यह भी कहा गया है कि परिवादी की शिकायत पर उसने विपक्षी सं02 सर्विस सेन्टर को फोन करके सूचित किया था और परिवादी ने विपक्षी सं02 के यहॅा अपना मोबाइल जमा कर दिया था। इस प्रकार परिवादी द्वारा दिनांक 24-02-2014 को मरम्मत हेतु अपना मोबाइल विपक्षी सं02 के यहॅा जाने की पुष्टि विपक्षी सं01 की ओर से लिखित बहस में किये गये कथन से होती है। परिवादी का कहना है कि उसका मोबाइल मरम्मत करके अब भी विपक्षी सं02 द्वारा वापस नहीं किया गया है और उसे एक या अन्य बहाने करके टाला गया है। परिवादी की ओर से कहा गया है कि विपक्षी सं02 मोबाइल से सम्बन्धित कम्पनी का सर्विस सेन्टर है। इस कथन को विपक्षी सं01 ने भी स्वीकार किया है। इस कथन का खण्डन करने के लिए विपक्षी सं02 की ओर से न तो लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और न कोई मौखिक बहस हेतु उपस्थित हुआ है। ऐसी स्थिति में परिवादी का यह कथन विश्वसनीय है कि उसने दिनांक 24-02-2014 को प्रश्नगत मोबाइल विपक्षी सं02 के यहॉ जमा किया था लेकिन मरम्मत करके अब तक वापस नहीं किया गया है। इस प्रकार विपक्षी सं02 द्वारा सेवा में त्रुटि किया जाना स्पष्ट है। मामले के तथ्यों से प्रकट है कि परिवादी उपभोक्ता है और विपक्षी सं02 सेवा प्रदाता है और सेवा प्रदाता द्वारा सेवा में त्रुटि की गई है। मामले की इन परिस्थितियों में मेरे विचार से इस स्तर पर विपक्षी सं02 को यह निर्देश दिया जाना उचित नहीं है कि वह उसे प्रश्नगत मोबाइल का विक्रय मूल्य अदा करे। मामले की इन परिस्थितियों को देखते हुए विपक्षी सं02 को यह निर्देश दिया जाना उचित है कि वह परिवादी के मोबाइल को रिपेयर करके उसे एक माह के अन्दर वापस करे यदि विपक्षी सं02 ऐसा करने में असफल रहे, तो परिवादी को प्रश्नगत मोबाइल का क्रय मूल्य रूपये 10500/- भुगतान करे । मामले की परिस्थितियों को देखते हुए परिवादी को वाद व्यय के रूप में रू0 1000/- भी दिलाना उचित होगा । तद्नुसार परिवादी का परिवाद स्वीकार होने योग्य है ।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षी सं02 के विरुद्ध इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि विपक्षी सं02 परिवादी का प्रश्नगत मोबाइल माइक्रोमैक्स ए110 कैनवास 2 जिसका अन्य विवरण रसीद 9ग में वर्णित है, मरम्मत करके एक माह के अन्दर प्रदान करे। यदि विपक्षी सं02 ऐसा करने में असफल रहता है तो प्रश्नगत मोबाइल का मूल्य रू0 10500/-परिवादी को भुगतान करे। विपक्षी सं02 को यह भी निर्देश दिया जाता है कि वह वाद व्यय के रूप में रू0 1000/- परिवादी को भुगतान करे। विपक्षी सं01 के विरुद्ध परिवाद अस्वीकृत किया जाता है।
इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्क दी जाय। निर्णय आज खुले न्यायालय में, हस्ताक्षरित, दिनांकित कर, उद्घोषित किया गया।