Uttar Pradesh

StateCommission

A/705/2019

Chairman Seth Vishsmabhar Nath Institute of Engineering and Technology - Complainant(s)

Versus

Abhinav Aditya - Opp.Party(s)

Kumar Sambhav

14 Jul 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/705/2019
( Date of Filing : 30 May 2019 )
(Arisen out of Order Dated 22/01/2019 in Case No. C/64/2013 of District Barabanki)
 
1. Chairman Seth Vishsmabhar Nath Institute of Engineering and Technology
Distt. Barabanki
...........Appellant(s)
Versus
1. Abhinav Aditya
S/O Sri Vinod Kumar jaiswal R/O WArd No. 8 Civil Lines Kashaya Dist. Kushinagar
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 14 Jul 2022
Final Order / Judgement

(सुरक्षित )

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

 

अपील संख्‍या :705/2019

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, बाराबंकी द्वारा परिवाद संख्‍या-64/2013 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 22-01-2019 के विरूद्ध)

 

  1. चेयरमैन सेठ विशम्‍भर नाथ इन्‍स्‍टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एण्‍ड टेक्‍नोलाजी, बाराबंकी।
  2. प्राचार्य सेठ विभम्‍भर नाथ इन्‍स्‍टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एण्‍ड टेक्‍नालाजी जिला बाराबकी।

अपीलार्थी/विपक्षीगण

बनाम्

 

अभिनव आदित्‍य बालिग पुत्र विनोद कुमार जायसवाल आयु लगभग-17 वर्ष निवासी वार्ड नम्‍बर-8 सिविल लाईन, कसया जनपद कुशीनगर जिला बाराबंकी।  

 

समक्ष  :-

  1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार,     अध्‍यक्ष।

     उपस्थिति :

     अपीलार्थी की ओर से उपस्थित-      श्री कुमार सम्‍भव।

     प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-        श्री ए0 के0 पाण्‍डेय।

 

     दिनांक : 22-07-2022

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय

 

     परिवाद संख्‍या-64/2013 अभिनव आदित्‍य बनाम चेयरमैन सेठ विशम्‍भर नाथ इन्‍स्‍टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एण्‍ड टेक्‍नोलाजी व एक अन्‍य

 

 

 

-2-

में जिला उपभोक्‍ता आयोग, बाराबंकी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनां‍क 22-01-2019 के विरूद्ध यह अपील धारा-15  उपभोक्‍ता  संरक्षण अधिनियम-1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है:-

     ‘’आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है :-

     ‘’ परिवादी का परिवाद उसके द्वारा जमा रू0 25,000/- की धनराशि की वापसी के संबंध में विपक्षीगण के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। इस धनराशि पर जमा करने की दिनांक 10-07-2011 से वसूली की तिथि तक छ: प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज भी देय होगा। विपक्षीगण को निर्देश दिया जाता है कि वह ब्‍याज सहित परिवादी को यह धनराशि तीस दिन में अदा कर देंगे। इसके अलावा रू0 5,000/- खर्च मुकदमा भी विपक्षीगण परिवादी को तीस दिन में अदा करेंगे। शेष अनुतोष के संबंध में परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से अस्‍वीकार किया जाता है।‘’

     विद्धान जिला आयोग के निर्णय एवं आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षीगण की ओर से यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।

     अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी वर्ष 2011 में बी0टेक प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित हुआ, जिसमें उसने 112 अंक प्राप्‍त किये। परीक्षा में अच्‍छे अंक न आने के कारण परिवादी विपक्षी संख्‍या-1 के कालेज में मैनेजमेंट कोटे से बी0टेक(इलेक्‍ट्रानिक्‍स एण्‍ड कम्‍यूनीकेशन) प्रवेश हेतु दिनांक 10-07-2011 को गया और एडमीशन सेल में तत्‍कालीन काउन्‍सलर धनन्‍जय तिवारी परिवादी को उपस्थित मिले। परिवादी ने उनसे एडमीशन की इच्‍छा जाहिर की तो उन्‍होंने काउन्‍टर में फार्म लेने तथा भरकर

 

 

 

-3-

देने की बात कही। परिवादी ने रू0 1100/- का पंजीकरण फार्म क्रय किया जिसका फार्म नं0-10190 है। परिवादी द्वारा फार्म जमा करने के पश्‍चात उसे प्रथम वर्ष की सम्‍पूर्ण फीस 93,550/- बताया गयी। काउन्‍सलर ने फीस स्‍ट्रक्‍चर परिवादी को दिया, तो परिवादी ने कहा कि इतनी धनराशि अभी उसके पास नहीं है। काउन्‍सलर की बात पर विश्‍वास करते हुए परिवादी ने रू0 25,000/- दिनांक 10-07-2011 को जमा कर दिया, जिसमें पंजीकरण तथा हास्‍टल की धनराशि सम्मिलित थी। जब परिवादी ने अपने पिता से संबंधित कालेज के बारे में बताया तो उन्‍होंने नेट से कालेज की परफारमेंस पिछले वर्षों की निकलवाया तो ज्ञात हुआ कि विपक्षीगण का रिजल्‍ट बहुत खराब रहा है तथा उनके कालेज में छात्रावास की व्‍यवस्‍था नहीं है। उक्‍त कारणों को दृष्टिगत रखते हुए परिवादी अपने पिता के साथ दिनांक 17-07-2011 को विपक्षी संख्‍या-1 के कालेज गया तथा पंजीकरण धनराशि व छात्रावास शुल्‍क रू0 25,000/- की धनराशि की मांग की, तो उससे धनराशि वापसी का प्रार्थना पत्र व रू0 25,000/- की मूल रसीद ले ली गयी तथा विद्यालय द्वारा परिवादी के मूल शैक्षणिक  प्रमाण पत्र तो वापस कर दिये गये परन्‍तु रू0 25,000/- पंजीकरण एवं हास्‍टल की धनराशि देने से इंकार कर दिया गया। तब परिवादी ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से दिनांक 27-07-2011 को उपरोक्‍त धनराशि वापसी के संबंध में विधिक नोटिस भेजा परन्‍तु उसे धनराशि वापस नहीं की गयी। परिवादी का एक वर्ष का समय भी नष्‍ट हो गया है जिसके कारण उसे परेशानियों का सामना करना पड़ा जो कि विपक्षी के स्‍तर पर सेवा में कमी है। अत: परिवादी ने विवश होकर परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।

 

 

-4-

     विपक्षीगण द्वारा कागज संख्‍या-7/1 से लिखित उत्‍तर दाखिल करते हुए कथन किया कि परिवादी ने विद्धेष की भावना से असत्‍य एवं निराधार तथ्‍यों के आधार पर वाद योजित किया है। परिवादी द्वारा उत्‍तरदाता के इंस्‍टीट्यूट में दाखिला न लेने के कारण उत्‍तरदाता को आर्थिक नुकसान हुआ है। परिवादी ने काउन्‍सलर धनन्‍जय तिवारी से स्‍वयं मूल अभिलेख प्राप्‍त किये है तथा अभिलेखों के साथ ही फीस भी वापस की जा चुकी है जिसे परिवादी ने प्राप्‍त कर अपने हस्‍ताक्षर किये हैं। परिवाद में पक्षकारों के असंयोजन का दोष प्रकट करता है। विधि नोटिस का कोई ज्ञान उत्‍तरदाता को नहीं है। अन्‍य कालेजों में प्रवेश न लेना परिवादी की स्‍वयं की त्रुटि है। परिवादी द्वारा विपक्षीगण से कोई सेवा ली ही नहीं गयी है। परिवादी को वाद प्रस्‍तुत  करने का कोई अधिकार नहीं है अत: परिवाद खारिज किये जाने की प्रार्थना की गयी है। 

     परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज संख्‍या-17/2 से प्रस्‍तुत किया है। इसके साथ सूची संलग्‍न कागज संख्‍या-5/1 से अंक पत्र, आवेदन फार्म, फीस स्‍ट्रक्‍चर, रू0 1100/- की रसीद व हाई स्‍कूल का अंक पत्र कागज संख्‍या-5/2  लगायत 5/6 प्रस्‍तुत किया है।

     विपक्षी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज संख्‍या-7/04 व 14 प्रस्‍तुत किया है।

     विद्धान जिला आयोग द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍ताओं को सुना गया तथापत्रावली के अवलोकन किया गया। पत्रावली के अवलोकन से यह प्रकट होता है कि परिवादी ने विपक्षी की संस्‍था में वर्ष 2011 में मैनेजमेंट कोर्स से बी0टेक में प्रवेश लेने के लिए उनके काउन्‍सलर धर्मेन्‍द्र तिवारी से

 

 

-5-

सम्‍पर्क किया था और 1100/-रू0 पंजीयन फार्म उनके कहने पर लिया तत्‍पश्‍चात रू0 20,000/- पंजीयन धनराशि व रू0 5,000/- छात्रावास पंजीयन धनराशि जमा किया। कुल 93,550/-रू0 फीस विपक्षी की संस्‍था के काउन्‍सलर ने बतायी। परिवादी के पिता ने जब पता किया तो पता चला कि कालेज का रिजल्‍ट खराब आता रहा है तब उसने विपक्षी के कालेज में अपने भविष्‍य को देखते हुए प्रवेश न लेने का निर्णय लिया और अपने द्वारा जमा धनराशि वापस मांगा जिसे विपक्षी ने देने से इंकार कर दिया, तब यह परिवाद योजित किया गया है। विपक्षीगण का कथन है कि उन्‍होंने  मूल अभिलेख के साथ ही फीस भी वापस कर दी थी जिसे परिवादी ने प्राप्‍त किया था किन्‍तु इस संबंध में कोई भी रसीद विपक्षी ने दाखिल नहीं किया है, जिससे यह कहा जा सके कि परिवादी द्वारा जमा की गयी फीस उसे विपक्षी द्वारा वापस कर दी गयी थी।

     विपक्षी के विद्धान अधिवक्‍ता द्वारा यह कथन भी किया गया कि विद्यालय में प्रवेश लेने व फीस वापस करने के मामले में उपभोक्‍ता व सेवा प्रदाता का संबंध नहीं है।  परिवादी का परिवाद उपभोक्‍ता फोरम में पोषणीय नहीं है।

     विपक्षीगण के विद्धान अधिवक्‍ता ने ऐसा कोई साक्ष्‍य भी प्रस्‍तुत नहीं किया है जिससे यह ज्ञात हो सके कि परिवादी के द्वारा अपना प्रवेश स्‍कूल से  वापस लेने पर विपक्षीगण की प्रश्‍नगत संस्‍था की सीट खाली रह गयी और उसे नुकसान उठाना पड़ा। इस बात को साबित करने के लिए मात्र कोई तथ्‍य लाना पर्याप्‍त नहीं है, वरन उसे प्रलेखीय साक्ष्‍यों से साबित करना होता है और

 

 

 

-6-

उन प्रलेखों को साबित करने के लिए समर्थित मौखिक साक्ष्‍य के रूप में शपथ पत्र देना होता है।

     परिवादी द्वारा रखे गये तथ्‍यों व साक्ष्‍यों से यह स्‍पष्‍ट होता है कि उसने रू0 1100/- पंजीयन फार्म खरीदने में व्‍यय किया तथा रू0 20,000/- पंजीयन राशि प्रवेश हेतु तथा रू0 5,000/- छात्रावास में रहने का पंजीकरण फीस विद्यालय में जमा किया। ऐसे में रू0 1100/- पंजीकरण फार्म जो क्रय किया गया था उसे छोड़कर शेष पंजीकरण धनराशि रू0 20,000/- व छात्रावास पंजीकरण धनराशि रू0 5,000/- परिवादी को देय होगी। इस धनराशि पर जमा करने की तारीख दिनांक 10-07-2011 से छ: प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज भी परिवादी को दिलाया जाना उचित पाया गया। विपक्षीगण ने अपने विद्यालय में पढ़ाई व हास्‍टल की उचित व्‍यवस्‍था नहीं किया, जिससे परिवादी ने विद्यालय में प्रवेश नहीं लिया किन्‍तु उसका पैसा वापस न कर व शिक्षा/अध्‍ययन व रहने की उचित व्‍यवस्‍था न कर विद्यालय द्वारा उपभोक्‍ता सेवा में त्रुटि की गयी है।

     विपक्षी का यह का यह कथन कि परिवाद उपभोक्‍ता फोरम में चलने योग्‍य नहीं है माने जाने योग्‍य नहीं है। परिवादी का परिवाद उपभोक्‍ता फोरम में सर्वथा पोषणीय है तथा यह भी पाया गया कि परिवादी विपक्षीगण से प्रवेश/पंजीकरण धनराशि रू0 20,000/- व छात्रावास के पंजीकरण के रूप में जो धनराशि रू0 5,000/- जमा की गयी है इस प्रकार परिवादी विपक्षीगण से  कुल रू0 25,000/- मय ब्‍याज वापस पाने का अधिकारी है।

 

 

 

 

 

-7-

     अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री कुमार सम्‍भव उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री ए0 के0 पाण्‍डेय उपस्थित आए।

पत्रावली के परिशीलन से यह भी ज्ञात हुआ कि प्रस्‍तुत अपील विलम्‍ब से योजित की गयी है।

उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण को विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र पर विस्‍तार से सुना गया।

अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता द्वारा अपील प्रस्‍तुत किये जाने में हुए विलम्‍ब का पर्याप्‍त कारण दर्शित किया गया है अत: अपील प्रस्‍तुत किये जाने में हुए विलम्‍ब को क्षमा किया जाता है और अपील का निस्‍तारण गुणदोष के आधार पर उभयपक्ष के विद्धानअधिवक्‍तागण को सुनकर किया जा रहा है।

     अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय विधि विरूद्ध है, उनकी ओर से सेवा में कोई त्रुटि कारित नहीं की गयी है तथा परिवादी की जमा धनराशि उसे जमा किये गये प्रपत्रों के साथ वापस कर दी गयी थी। अत: अपील स्‍वीकार किये जाने की प्रार्थना उनके द्वारा की गयी।

     प्रत्‍यर्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय विधि अनुसार है, विद्यालय द्वारा केवल जमा प्रपत्रों को ही वापस किया गया था, उसके द्वारा जमा की गयी फीस वापस नहीं की गयी है। अत: अपील निरस्‍त किये जाने की प्रार्थना उनके द्वारा की गयी।

 

 

-8-

     पीठ द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का भली भॉंति अवलोकन एवं परिशीलन किया गया।

     पत्रावली के परिशीलन से यह ज्ञात होता है कि परिवादी ने विपक्षी के यहॉं रू0 20,000/- पंजीयन धनराशि प्रवेश हेतु एवं रू0 5,000/- छात्रावास पंजीकरण धनराशि के रूप में जमा किया था, किन्‍तु जब परिवादी के पिता द्वारा यह पता किया गया कि कालेज का परफारमेंस अच्‍छा नहीं है तो उसने अपनी जमा धनराशि विद्यालय से वापस मांगी  जिसे विद्यालय द्वारा वापस कर दी जानी चाहिए थी, क्‍यों कि अभी विद्यालय में शिक्षण कार्य प्रारम्‍भ नहीं हुआ था और इस विद्यार्थी के स्‍थान पर दूसरे विद्यार्थी का प्रवेश विद्यालय में कर लिया जाना चाहिए था और शायद ऐसा ही किया गया होगा क्‍योंकि विद्यालय द्वारा रिक्‍त सीट के संबंध में कोई प्रपत्र दाखिल नहीं किया गया है। जहॉं तक विद्यालय का यह कथन कि परिवादी को उसके द्वारा जमा फीस प्रपत्रों के साथ वापस कर दी गयी थी जिसका कोई भी साक्ष्‍य अपीलार्थी कालेज द्वारा दाखिल/प्रस्‍तुत नहीं किया गया है जिससे यह साबित हो सके कि कालेज द्वारा परिवादी को उसकी जमा फीस/धनराशि वापस कर दी गयी है।

     मेरे विचार से कोई भी विद्यार्थी अथवा उसका अभिभावक फीस वापस मिल जाने के पश्‍चात मुकदमेंबाजी में नहीं पड़ेगा क्‍यों कि विद्यार्थी तो अपना कैरियर बनाने की ओर अग्रसर होगा न कि फजूल में मुकदमेंबाजी में पड़ेगा और न ही कोई अभिभावक उसे ऐसा करने हेतु प्रोत्‍साहित करेगा। अत: विद्यालय/कालेज का यह कहना कि प्रपत्रों के साथ जमा फीस भी वापस कर दी गयी थी माने जाने योग्‍य नहीं है।

 

 

-9-

     अत: मेरे विचार से विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्‍त बिन्‍दुओं पर विस्‍तृत विचार करने के पश्‍चात विधि अनुसार आदेश पारित किया गया है जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।

     तदुनसार अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

 

आदेश

     अपील निरस्‍त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश 22-01-2019 की पुष्टि की जाती है।

     अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

     ( न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार )

अध्‍यक्ष

 

प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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