Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/1161/2019

ANJU ASTHANA - Complainant(s)

Versus

ABHAY KUMAR SRIVASTAVA - Opp.Party(s)

18 Feb 2021

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/1161/2019
( Date of Filing : 19 Nov 2019 )
 
1. ANJU ASTHANA
51/35 jai hind chabutra udayganj
LUCKNOW
UTTAR PRADESH
...........Complainant(s)
Versus
1. ABHAY KUMAR SRIVASTAVA
281/17 mawaiyaa
LUCKNOW
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  ARVIND KUMAR PRESIDENT
  Ashok Kumar Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 18 Feb 2021
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या-1161/2019      

        उपस्थित:-श्री अरविन्‍द कुमार, अध्‍यक्ष।

                      श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्‍य।         

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-19.11.2019

परिवाद के निर्णय की तारीख:-18.02.2021

1-Smt.  Anju Ashthana W/o Late G.K. Asthana R/o House number 51/35, Jai Hind Chabutra, Udayganj.

2-Mr. R.K. Asthana S/o T.N. Asthana R/o 143, Talkatora road, Langda Faatak, Lucknow   .                                              ....................Complainant.

 

                                                          Versus

                          

Abhay Kumar Shrivastav, R/o 281/17, Mawaiyaa, Lucknow, U.P. .

                                              ...................... Opposite Party. 

                                                                                                                

आदेश द्वारा-श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्‍य।

                           निर्णय 

      परिवादीगण ने प्रस्‍तुत परिवाद विपक्षी से भवन का पुर्ननिर्माण हेतु भुगतान की गयी धनराशि (5,81,300+4,00,000) रूपये समय से पूर्व नहीं किये जाने तथा घोर अनियमितता बरते जाने, दर्द एवं उत्‍पीड़न के लिये क्षतिपूर्ति 50,000.00 रूपये तथा वाद व्‍यय हेतु 25,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।

     संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादीगण एक दूसरे के रिश्‍तेदार हैं और वे अपने पैतृक घर जो 51/35 जयहिन्‍द चबूतरा,  उदयगंज, लखनऊ में स्थित है और जहॉं परिवादी द्वितीय रहता है का पुर्ननिर्माण करना चाहता था, इसलिए विपक्षी से एक संविदा साइन करके उन्‍हें लगभग 6,00,000.00 रूपये देकर उस घर का पुर्ननिर्माण कराना चाहता था जो माह अप्रैल 2019 से प्रारम्‍भ होकर माह जून तक किया जाना था। परिवादीगण ने उक्‍त 5,81,300.00 रूपये एडवांस के रूप में नकद भुगतान विपक्षी को किया था, जिसके विषय में विपक्षी ने अपने प्रभाव के कारण प्राप्‍त करना अस्‍वीकार किया। माह जून 2019 के पश्‍चात अतिरिक्‍त भुगतान हेतु विपक्षी से मॉंग की गयी, क्‍योंकि कार्य अधूरा था, जो विपक्षी के स्‍तर पर अत्‍यन्‍त आपत्तिजनक था, क्‍योंकि विपक्षी ने उप मानक सामग्री का इस्‍तेमाल किया जिसके फलस्‍वरूप पुर्ननिर्माण में एक दीवार पड़ोसी के छज्‍जे (ऐसबेस्‍टास) पर गिर गयी, जिससे स्‍पष्‍ट हुआ कि विपक्षी ने खराब, घटिया सामग्री एवं पुराने फ्लोरटाइल्‍स का इस्‍तेमाल किया था। फलस्‍वरूप विपक्षी को जिम्‍मेदार ठहराया गया जिसके कारण विपक्षी को भारी क्षतिपूर्ति का भुगतान करना पड़ा था। विपक्षी द्वारा परिवादीगण से 13,00,000.00 रूपये की अतिरिक्‍त मॉंग की गयी, जो उनके स्‍तर पर वृत्तिक अवचार एवं मनमाना था। यह राशि अत्‍यधिक ज्‍यादा थी और अवैधानिक तरीके से मॉंग की गयी थी, जिसके कारण परिवादीगण को मानसिक कष्‍ट हुआ। विपक्षी द्वारा 13,00,000.00 रूपये की मॉंग का कारण यह था कि विपक्षी ने सर्वप्रथम पुर्ननिर्माण में घटिया सामग्री का इस्‍तेमाल किया था और अब फिर से उसके निर्माण के लिये अत्‍यधिक धनराशि की मॉंग की जा रही थी। परिवादीगण को विपक्षी पर पूर्व में भरोसा था जिसका उन्‍होंने दुरूपयोग किया, और भरोसा तोड़ा। पुर्ननिर्माण में चॅूकि लगभग 6,00,000.00 रूपया अग्रिम भुगतान परिवादीगण द्वारा जो दिया गया वह विपक्षी ने स्‍वीकार नहीं किया और अनावश्‍यक कार्य में बाधा उत्‍पन्‍न की गयी एवं उसमें विलम्‍ब किया गया। विलम्‍ब के कारण परिवादीगण को अत्‍यधिक मानसिक कष्‍ट हुआ है। विपक्षी ने पूर्व में ही मजबूत पुर्ननिर्माण का आश्‍वासन दिया था,  परन्‍तु विपक्षी ने अपने वायदे के विपरीत कार्य किया जिसका प्रमाण यह था कि पुर्ननिर्माण की एक दीवार पड़ोस के छज्‍जे पर गिर गयी। विपक्षी एक वास्‍तुकार (Architects) था और निर्माण के लिये सर्वथा सक्षम था,  परन्‍तु उसने अनुचित व्‍यापार व्‍यवहार किया और दुर्भावना से कार्य करते हुए पुर्ननिर्माण का कार्य पूर्ण न कर अतिरिक्‍त 13,00,000.00 रूपये की मॉंग की गयी। परिवादीगण द्वारा घटिया निर्माण का साक्ष्‍य निर्माणाधीन दीवार की छायाप्रति तथा दीवार गिरने के प्रत्‍यक्षदर्शी की लिस्‍ट साक्ष्‍य के रूप में संलग्‍न किया है।

     विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही चल रही है।

     पत्रावली का अवलोकन किया जिससे प्रतीत होता है कि परिवादीगण ने विपक्षी जो एक योग्‍य वास्‍तुकार था (Architects) और चॅूंकि परिवादीगण को विपक्षी पर भरोसा था इसलिए उन लोगों द्वारा पुर्ननिर्माण हेतु विपक्षी वास्‍तुकार द्वारा मॉंगे गये 5,81,300.00 रूपये का नकद भुगतान कर दिया गया। परन्‍तु विपक्षी द्वारा पुर्ननिर्माण में अत्‍यधिक अनियमितता की गयी और घटिया तथा उप मानक सामग्री का इस्‍तेमाल कर पुर्ननिर्माण का कार्य दोषपूर्ण किया गया। फलस्‍वरूप एक दीवार पड़ोसी के छज्‍जे पर गिरी जिसमें कई लोगों को नुकसान हुआ। फलस्‍वरूप क्षतिपूर्ति के रूप में अत्‍यधिक धनराशि का भुगतान करना पड़ा। पुर्ननिर्माण कार्य दोषपूर्ण तथा घटिया किस्‍म का हो जाने के कारण विपक्षी द्वारा अतिरिक्‍त धनराशि जो पूर्व के भुगतान से दोगुने के लगभग थी की मॉग की गयी,  जो परिवादीगण देने की स्थिति में नहीं थे। परिवादीगण वरिष्‍ठ नागरिक थे जिसका दुरूपयोग विपक्षी द्वारा किया गया और अनुचित व्‍यापार व्‍यवहर किया गया जो अवैधानिक था। दोषपूर्ण निर्माण सुरक्षा की दृष्टि से अत्‍यन्‍त खतरनॉक था। भवन निर्माण/पुर्ननिर्माण में वास्‍तुकार (Architects) की अहम भूमिका होती है और वे एक तरह से अपरिहार्य हो जाते हैं। यदि इतनी महत्‍वपूर्ण भूमिका वाले व्‍यक्ति के द्वारा भवन निर्माण/पुर्ननिर्माण में निर्माणकर्ता वालों के साथ धोखाधड़ी एवं शोषण किया जाता है तो भवन निर्माता/पुर्ननिर्माता का अत्‍यधिक नुकसान होता है। परिवादीगण वरिष्‍ठ नागरिक है और वास्‍तुकार (Architects) का यह कृत्‍य वरिष्‍ठ नागरिकों के साथ अत्‍यन्‍त आपत्तिजनक एवं अवैधानिक है।  पुर्ननिर्माण कार्य अपूर्ण रहा क्‍योंकि पुर्ननिर्माण कार्य में गुणवत्‍ता एवं पेशेवर नैतिकता का ध्‍यान नहीं रखा गया और विधि पूर्वक कार्य नहीं किया गया तथा विपक्षी द्वारा विश्‍वासघात भी किया गया जिसके लिये  विपक्षी दोषी प्रतीत होता है।  परिवादीगण को आर्थिक तथा मानसिक नुकसान हुआ, जिसके लिये भी विपक्षी उत्‍तरदायी है। परिवादीगण द्वारा अपने कथन के समर्थन में शपथ पत्र/साक्ष्‍य दाखिल किया गया है। परिवादीगण के शपथ पर साक्ष्‍य के विरूद्ध कोई अन्‍य साक्ष्‍य उपलब्‍ध नहीं है। अत: परिवादीगण के शपथ पर अविश्‍वास करने का कोई कारण नहीं है। ऐसी परिस्थिति में परिवादीगण का परिवाद औचित्‍यपूर्ण प्रतीत होता है। फलस्‍वरूप परिवादीगण का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

                               आदेश

     परिवादीगण का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए उनके द्वारा विपक्षी को भुगतान की गयी धनराशि मुबलिग 5,81,300.00 (पॉच लाख इक्‍यासी हजार तीन सौ रूपया मात्र) वाद दायर करने की तिथि से 45 दिन के अन्‍दर अदा किया जाना सुनिश्चित करें। परिवादीगण को हुई परेशानी के लिये दण्‍ड स्‍वरूप मुबलिग 1,00,000.00 (एक लाख रूपया मात्र) तथा मानसिक कष्‍ट एवं उत्‍पीड़न के लिये क्षतिपूर्ति के रूप में मुबलिग 20,000.00 (बीस हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्‍यय के लिये मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) भुगतान किया जाना सुनिश्चित करें। यदि आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भुगतेय होगा।

 

 

 

    (अशोक कुमार सिंह)                     (अरविन्‍द कुमार)

             सदस्‍य                                      अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                                       लखनऊ।

           

                                   

 

 

 
 
[ ARVIND KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[ Ashok Kumar Singh]
MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.