Uttar Pradesh

StateCommission

A/215/2019

Central Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Abhay Kumar Jain - Opp.Party(s)

Shard Kumar Shukla , Alok Kumar Singh

24 Aug 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/215/2019
( Date of Filing : 14 Feb 2019 )
(Arisen out of Order Dated 18/12/2018 in Case No. C/88/2016 of District Varanasi)
 
1. Central Bank Of India
Through Branch Manager Branch Saranath Distt.Vaaranasi
...........Appellant(s)
Versus
1. Abhay Kumar Jain
S/O Late Jamuna Lal jain R/O House No. S-14/37A Baraipur SArnath Distt. Varanasi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 24 Aug 2022
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या- 215/2019

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्‍या- 88/2016 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 18-12-2018 के विरूद्ध)

 

सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया, द्वारा ब्रांच मैनेजर, ब्रांच सारनाथ, डिस्ट्रिक वाराणसी।

  •  

                           बनाम

अभय कुमार जैन, पुत्र स्‍व0 जमुना लाल जैन निवासी- मकान नं० एस-14/37 ए, बरईपुर सारनाथ, जिला वाराणसी।

  •  

समक्ष  :-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

उपस्थिति :

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित-  विद्वान अधिवक्‍ता श्री शरद कुमार शुक्‍ला

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-  विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रदीप कुमार मिश्रा

दिनांक : 11-10-2022

मा0 सदस्‍य श्री सुशील कुमार, द्वारा उदघोषित

 निर्णय

         प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया द्वारा विद्वान जिला आयोग वाराणसी द्वारा परिवाद संख्‍या- 88/2016 अभय कुमार जैन, बनाम शाखा प्रबन्‍धक, सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा सारनाथ, डिस्ट्रिक वाराणसी में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18-12-2018 के विरूद्ध इस आयोग के समक्ष योजित की गयी है।

                             

2

    विद्वान जिला आयोग ने परिवाद एकपक्षीय रूप से स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया है कि वह 30 दिन के अन्‍दर परिवादी को 1,85,780/-रू० तथा इस पर परिवाद दाखिल करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज एवं मानसिक, शारीरिक कष्‍ट के रूप में 10,000/-रू० तथा वाद व्‍यय के रूप में 2000/-रू० अदा करने का आदेश पारित किया है।

      परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि दिनांक 28-09-2015 की रात में चोरों द्वारा लाकर रूम का मुख्‍य दरवाजा तोड़कर परिवादी के लाकर नं० 82 का ताला तोड़कर उसमें रखा एक हार, कान का सेट, दो अंगूठी, एक मांग टीका राजस्‍थानी, एक चांदी की करधनी, एक जोड़ी कान का सेट, 06 चांदी के सि‍क्‍के, जिनका कुल मूल्‍य 1,85,780/-रू० था, चोरी कर लिया गया। चोरी की घटना की रिपोर्ट विपक्षी संख्‍या-1 शाखा प्रबन्‍धक द्वारा दर्ज करायी गयी जिस पर मुकदमा अपराध संख्‍या- 257/2015 धारा-380/457 पंजीकृत किया गया। घटना की सूचना विपक्षी ने परिवादी को बैंक बुलाकर दिया और चोरी गये सामान का मूल्‍य देने के लिए कहा परन्‍तु बाद में दिनांक 03-04-2016 को भुगतान करने से इन्‍कार कर दिया। इसके बाद परिवादी द्वारा दिनांक 05-04-2016 को विधिक नोटिस दी गयी परन्‍तु नोटिस के बावजूद चोरी गये सामान की कीमत अदा नहीं की गयी। तब परिवादी द्वारा परिवाद जिला आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया।

     विपक्षी की ओर से कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया गया है इसलिए परिवादी के साक्ष्‍य पर विश्‍वास करते हुए उपरोक्‍त वर्णित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है।

     

3

     इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि विद्वान जिला आयोग ने इस विधिक बिन्‍दु पर विचार नहीं किया है कि बैंक एवं परिवादी के सम्‍बन्‍ध केवल लैसर और लैसी के हैं, इस अवसर पर यह उल्‍लेख करना समीचीन होगा कि यह आधार अवैधानिक है। यहॉं पर यह उल्लिखित किया जाना आवश्‍यक है कि बैंक एवं उपभोक्‍ता के सम्‍बन्‍ध जिसके द्वारा लॉकर किराए पर लिया गया हो बेलर और बेली के मध्‍य होते हैं और बेली को बेल किये गये समस्‍त सामान की सुरक्षा करने का उत्‍तरदायित्‍व इस सीमा तक होता है जिस सीमा तक वह अपने सामान की सुरक्षा कर सकता है।

     परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक में लॉकर प्राप्‍त किया गया इस तथ्‍य से उभय-पक्ष की ओर से इन्‍कार नहीं किया गया है। स्‍वयं बैंक के शाखा प्रबन्‍धक द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है जिसका उल्‍लेख विद्वान जिला आयोग के निर्णय में मौजूद है। अपील के ज्ञापन में कहीं पर यह उल्‍लेख नहीं है कि बैंक द्वारा परिवादी द्वारा किराए पर लिये गये लॉकर की सुरक्षा उस सीमा तक की गयी जिस सीमा तक बेली अपने सामान की सुरक्षा करता है। परिवाद पत्र में कहीं पर भी इसका कोई उत्‍तर नहीं दिया गया है और अपील के ज्ञापन में समुचित सुरक्षा हेतु प्रबन्‍धक का कोई उल्‍लेख नहीं किया गया है और न ही शपथ-पत्र से ऐसा साबित किया गया है।

    नजीर 2015(2) CPR 579 (NC) के तथ्‍यों के अनुसार जब बैंक में लिये गये लॉंकर से कीमती सामान चोरी हो जाता है तब बैंक स्‍वयं इसके लिए उत्‍तरदायी है कि चोरी गये सामान की कीमत का भुगतान करें क्‍योंकि

 

4

बैंक द्वारा उपभोक्‍ता के सामान की सुरक्षा न करके सेवा में कमी की गयी है। उपरोक्‍त नजीर प्रस्‍तुत वाद के लिए पूर्णत: सुसंगत है।

      उपरोक्‍त समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त हम इस मत के हैं कि विद्वान जिला आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों एवं साक्ष्‍यों का विधिवत ढंग से परीक्षण एवं परिशीलन करने के उपरान्‍त निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जिसमें किसी हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है, तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।.....  

  आदेश

      प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 18-12-2018 की पुष्टि की जाती है।

   अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

  आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को    आयोग  की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                   (सुशील कुमार)

        अध्‍यक्ष                                             सदस्‍य

 

      कृष्‍णा,आशु0 कोर्ट न0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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