राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 142 सन 2001 सुरक्षित
(जिला उपभोक्ता फोरम, सुल्तानपुर के परिवाद संख्या-369/1998 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19-12-2000 के विरूद्ध)
1-यूनियन आफ इंडिया द्वारा डिवीजनल रेलवे मैनेजर, नार्दन रेलवे, हजरतगंज, लखनऊ।
2-स्टेशन सुपरिन्टेंडेन्ट, असंल। ....अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
1-अब्दुल मुईद खॉ निवासी- मोहल्ला चौक (खान टेलर) जिला- सुल्तानपुर।
2-तौफीक अहमद पुत्र अब्दुल गफ्फार निवासी- मोहल्ला पल्टन बाजार, जिला- सुल्तानपुर।
3-डा0 राम गोपाल महेश्वरी निवासी- ग्राम जगदीशपुर, तहसील- मुशाफिरखाना जिला- सुल्तानपुर।
.प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण
समक्ष:-
1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्यायिक सदस्य।
2-मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
अधिवक्ता अपीलार्थी : श्री यू0के0 बाजपेई, विद्वान अधिवक्ता।
अधिवक्ता प्रत्यर्थी : श्री टी0एच0 नकवी, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:01-01-2015
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्यायिक सदस्य, द्वारा उदघोषित।
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी ने विद्वान जिला मंच, सुल्तानपुर द्वारा परिवाद संख्या-369/1998 श्री अब्दुल मुईद खॉ बनाम वरिष्ठ मण्डल रेल प्रबन्धक में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19-12-2000 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है, जिसमें यह आदेश किया गया है कि परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण को आज से तीस दिन के अन्दर शारीरिक और मानसिक कष्ट हेतु 3000-00 रूपये तथा वाद व्यय 200-00 रूपये का भुगतान करें।
(2)
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी सं0-1 व 2 ने सुल्तानपुर से आसनसोल तक यात्रा हेतु गाडी नं0-3050 डाउन अमृतसर हाबड़ा मेल से जाने के लिए दिनांक 22-11-1997 को सामान्य टिकट प्रति व्यक्ति 134-00 रूपये के हिसाब से देकर सुल्तानपुर स्टेशन के काउण्टर से लिया तथा परिवादी सं0-3 ने दो टिकट अपना एवं अपने पत्नी का निकालगढ़ स्टेशन से हाबड़ा तक लिया तथा गाड़ी पर ही आरक्षण शुल्क देकर कराया। उपरोक्त ट्रेन में एस0-1 बोगी न लगने के कारण उस बोगी के आरक्षित टिकट होल्डर परिवादीगण की बोगी में आ गये। कन्डक्टर की सहमति से एक- एक बर्थ पर दो-दो तीन-तीन आदमी यात्रा करने को मजबूर हो गये। जिस बोगी में परिवादीगण थे, उसमें शौचालय में पानी नहीं था और न बिजली थी। परिवादीगण के बोगी का नम्बर एस0-3 था। परिवादीगण ने कन्डक्टर एवं ट्रेन गार्ड से बोगी में शौचालय में पाने डालने की शिकायत की, परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई। वाराणसी स्टेशन पर जब गाड़ी पहुंची तो स्टेशन अधीक्षक से शिकायत की गई। शिकायत की एक प्रति पत्रावली पर है। वाराणसी में जब शिकायत दूर नहीं की गई तो मुगल सराय में अधिकारियों से यह शिकायत की गई। आसनसोल तक ट्रेन की न तो बत्ती ठीक की गई और न शौचालय में पानी ही डाला गया। परिवादीगण रात्रि में सो नहीं सका। यात्रा असुरक्षित था। परिवादीगण को शारीरिक, मानसिक परेशानी हुई। परिवादी सं0-2 हार्ट का मरीज होने के कारण बीमार हो गया, उसकी चिकित्सा में 3000-00 रूपये खर्च करना पड़ा। परिवादीगण ने विपक्षीगण से 7000-00 रूपये क्षतिपूर्ति परिवादी सं0-2 का 3,000-00 इलाज का खर्च, 500-00 रूपये वाद व्यय एवं क्षतिपूर्ति की धनराशि पर 10 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज विपक्षीगण से दिलाये जाने की याचना की गई है।
विपक्षीगण ने अपने वादोत्तर में कहा है कि उस दिन एस0-1 कोच गाड़ी नहीं लगी थी। उस दिन गाड़ी एक घंटा लेट थी। विपक्षीगण ने बिजली और पानी का न होना स्वीकार किया है, वाटर फेलोर होने के कारण वाराणसी स्टेशन पर पानी भरा जाना सम्भव नहीं था। परिवादी सं0-1 व 2 गाड़ी में उपलब्ध सुविधाओं को देखकर आरक्षण कराया था। विपक्षीगण ने अपने कर्तब्यों के प्रति पालन में
(3)
कोई कोताही नहीं की है। परिवादी सं0-2 को हुई परेशानी के लिए रेलवे प्रशासन उत्तरदायी नहीं है। परिवादीगण ने जो क्षतिपूर्ति की धनराशि मांगी है, वह बहुत अधिक है, जो उन्हें नहीं मिल सकती, ब्याज दिलाये जाने का कोई प्रश्न नहीं उठता। परिवाद निरस्त होने योग्य है।
अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री यू0के0 बाजपेई तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री टी0एच0 नकवी उपस्थित आये, उनको तर्को को सुना गया एवं प्रश्नगत निर्णय तथा पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि शारीरिक एवं मानसिक कष्ट के लिए विद्वान जिला मंच ने 3,000-00 रूपये तथा वाद व्यय के लिए 200-00 रूपये दिलाये जाने का आदेश पारित किया है, जो कि औचित्यपूर्ण नहीं है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क दिया कि विद्वान जिला मंच द्वारा विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है।
वर्णित परिस्थितियों में हम यह समीचीन पाते है कि अपीलार्थीगण परिवादी/प्रत्यर्थी को अपील के निर्णय के दो माह के अन्दर शारीरिक एवं मानसिक कष्ट के रूप में 3,000-00 रूपये के स्थान पर 2,000-00 ( दो हजार रूपये) तथा वाद व्यय के रूप में 200-00( दो सौ रूपये) दिलाया जाना न्यायोचित है। तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थीगण की अपील आंशिक रूप से की जाती है तथा विद्वान जिला सुल्तानपुर द्वारा परिवाद संख्या-369/1998 श्री अब्दुल मुईद खॉ बनाम वरिष्ठ मण्डल रेल प्रबन्धक में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19-12-2000 को संशोधित करते हुए यह आदेशित किया जाता है कि अपीलार्थीगण/विपक्षीगण परिवादी/प्रत्यर्थी को अपील के निर्णय के दो माह के अन्दर शारीरिक एवं
(4)
मानसिक कष्ट के रूप में 3,000-00 रूपये के स्थान पर 2,000-00 ( दो हजार रूपये) तथा वाद व्यय के रूप में 200-00( दो सौ रूपये) अदा करें।
उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्यय स्वयं वहन करेगें।
उभयपक्ष को इस निर्णय की प्रति नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाय।
( अशोक कुमार चौधरी ) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
आर0सी0वर्मा, आशु. ग्रेड-2
कोर्ट नं0-3