// जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम,बिलासपुर छ.ग.//
प्रकरण क्रमांक cc/170/2010
प्रस्तुति दिनांक 04/09/2010
श्रीमती शंपा मजूमदार,
पति श्री अनूप मजूमदार
उम्र 34 साल, साकिन जी-6,
अर्चनाविहार, नेहरूनगर
जिला बिलासपुर छ0ग0 ......आवेदिका/परिवादी
विरूद्ध
- आयुष मोटर्स द्वारा संचालक,
जी0ई0ई0 बाईक्स, सीपत रोड, नया सरकंडा,
बिलासपुर छ0ग0
- जी0ई0ई0 ऑटो प्राइवेट लिमिटेड,
द्वारा गगन राठी, (संचालक)
श्री कृष्णा बिल्डर व डेव्लपर,चैतन्य नगर
भीमपुरा रोड रायगढ 496001 .........अनावेदकगण/विरोधीपक्षकार
आदेश
(आज दिनांक 30/03/2015 को पारित)
१. आवेदिका श्रीमती शंपा मजूदार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदकगण से बैटरी बदलने में लगे खर्च 15,000/- को क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदिका अपने दैनिक कार्य हेतु दिनांक 21/01/2009 को जी. बाईक्स के अधिकृत डीलर अनावेदक क्रमांक 1 से 35,000/-रू. में एक बैटरी चलित वाहन जी.बाईक्स क्रय की, जिसकी बैटरी एवं वाहन के अन्य पुर्जो पर उसे वारंटी दी गई थी । यह कहा गया है कि उक्त वाहन क्रय करने के करीब एक माह तक ठीक से चली, किंतु उसके बाद उसकी बैटरी में समस्या आ गई वह पूरी तरह चार्ज नहीं होता था, आवेदिका द्वारा इस बात की शिकायत पहली सर्विसिंग के दौरान अनावेदक क्रमांक 1 से की गई, जिसके द्वारा सर्विसिंग में वाहन की समस्या दूर कर दिये जाने का आश्वासन दिया गया किंतु कुछ दिन पश्चात् वाहन में फिर से वही समस्या आने लगी । आवेदिका द्वारा दूसरी, तीसरी एवं चौथी सर्विसिंग के दौरान भी इस बात की ओर अनावेदक क्रमांक 1 का ध्यान आकृष्ट करवाया गया, जिसके द्वारा बैटरी को बदल दिये जाने का आश्वासन दिया गया, किंतु बदला नहीं गया । 14 अप्रेल 2010 को उक्त वाहन लोड लेना बंद कर दिया तब आवेदिका की शिकायत पर अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा मैकेनिक भेजा गया, जिसने वाहन की बैटरी में खराबी होना बताया तथा बदलने के लिए कहने पर 6 माह बाद अपने दायित्व से इंकार कर दिया, जबकि बैटरी में खराबी होने की शिकायत पहली ही सर्विसिंग के दौरान की गई थी । अत: यह अभिकथित करते हुए कि अनावेदक द्वारा बैटरी बदले जाने का आश्वासन देने के बाद भी बैटरी नहीं बदला गया, जिसके कारण आवेदिका को बाहर से बैटरी क्रय कर वाहन में लगवाना पडा, जिसमें उसे 15,000/-रू- का खर्च आया । अत: उसने उक्त रकम को क्षतिपूर्ति के साथ दिलाये जाने हेतु यह परिवाद पेश करना बताया है ।
3. अनावेदक क्रमांक 1 जवाब पेश कर आवेदिका को अपने पास से प्रश्नाधीन वाहन क्रय किये जाने की बात तो स्वीकार किया, किंतु इस बात से इंकार किया कि उक्त वाहन की बैटरी में किसी प्रकार की कोई खराबी थी, जिसकी शिकायत आवेदिका द्वारा उसके पास की गई थी । आगे उसका कथन है कि कंपनी द्वारा बैटरी की वारंटी 6 माह दी गई थी, उसके उपरांत कंपनी की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती । आगे उसका कथन है कि एक निश्चित अपयोग के बाद बैटरी बदलना होता है, जिसकी जिम्मेदारी वाहन स्वामी की होती है । यह भी कहा गया है कि वाहन के संबंध में दिये गये वारंटी की जिम्मेदारी कंपनी अर्थात् अनावेद क्रमांक 2 की है और इस प्रकार उसने अपनी जिम्मेदारी से इंकार करते हुए आवेदिका का परिवाद निरस्त किये जाने का निवेदन किया है ।
4. अनावेदक क्रमांक 2 पृथक से जवाब पेश कर परिवाद का विरोध इस आधार पर किया कि आवेदिका द्वारा प्रश्नाधीन वाहन की बैटरी के संबंध में कोई टैक्नीकल अथवा विशेषज्ञ रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है । यह भी कहा गया है कि उसके द्वारा प्रश्नाधीन वाहन की बैटरी के संबंध में कोई वारंटी प्रदान नहीं की गई थी। यह भी कहा गया है कि आवेदिका द्वारा बैटरी की निर्माता कंपनी को मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया है फलस्वरूप आवेदिका के परिवाद को पोषणीय न होने के आधार पर उसने परिवाद निरस्त किये जाने का निवेदन किया है ।
5. उभय पक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।
6. देखना यह है कि क्या आवेदिका, अनावेदकगण से वांछित अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी है ।
सकारण निष्कर्ष
7. इस संबंध में कोई विवाद नहीं कि आवेदिका दिनांक 21/01/2009 को जी.बाईक्स के अधिकृत डीलर अनावेदक क्रमांक 1 से 35,000/-रू- में एक बैटरी चलित वाहन जी.बाईक्स, क्रय की थी ।
8. आवेदिका का कथन है कि उसके द्वारा अनावेदक क्रमांक 1 के पास से प्रश्नाधीन वाहन क्रय किये जाने के उपरांत वह करीब एक माह तक ठीक से चला, किंतु उसके बाद उसकी बैटरी में समस्या आ गई वह पूरी तरह चार्ज नहीं होता था, तब उसके द्वारा इस बात की शिकायत पहली, दूसरी, तीसरी एवं चौथी सर्विसिंग के दौरान अनावेदक क्रमांक 1 से की गई, किंतु अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा बैटरी बदलने का मात्र आश्वासन दिया जाता रहा और अंत में 6 माह उपरांत बैटरी बदलने की अपनी जिम्मेदारी से इंकार कर दिया ।
9. इसके विपरीत अनावेदक क्रमांक 1 इस बात से इंकार किया है कि आवेदिका द्वारा क्रय किये गये प्रश्नाधीन वाहन की बैटरी में कोई खराबी थी और इस संबंध में उसने उससे कभी कोई शिकायत की थी ।
10. आवेदिका अपनी वाहन का अनावेदक क्रमांक 1 के पास एक के बाद एक चार सर्विसिंग कराने की बात कहा है, किंतु उसके द्वारा किसी भी सर्विसिंग के संबंध में जॉबकार्ड मामले में दाखिल नहीं किया गया है । फलस्वरूप लिखित रूप में यह साबित नहीं हो पाता कि आवेदिका द्वारा अपने प्रश्नाधीन वाहन की बैटरी की खराबी के संबंध में कभी कोई शिकायत अनावेदक क्रमांक 1 के पास की गई थी ।
11. इसी प्रकार आवेदिका का कथन है कि जब उसके द्वारा प्रश्नाधीन वाहन अनावेदक क्रमांक 1 के पास से क्रय किया गया तो उसे बैटरी समेत अन्य मशीन पुर्जो पर वारंटी प्रदान की गई थी, किंतु यह वारंटी उसे कितनी दिनों के लिए प्रदान की गई थी, इस बाबत् भी कोई वारंटी कार्ड आवेदिका द्वारा मामले में पेश नहीं किया गया है तथापि अनावेदक क्रमांक 1 के कथन से यह अवश्य स्पष्ट होता है कि आवेदिका को प्रश्नाधीन वाहन में छह माह की वारंटी प्रदान की गई थी, किंतु उक्त वारंटी अवधि में प्रश्नाधीन वाहन की बैटरी में खराबी आने के संबंध में अनावेदक क्रमांक 1 के पास शिकायत करने संबंधी कोई साक्ष्य मामले में आवेदिका द्वारा पेश नहीं किया गया है । ऐसी स्थिति में इस बाबत आवेदिका के एममात्र मौखिक कथन को बगैर समर्थित साक्ष्य विचार में लिया जाना उचित प्रतीत नहीं होता ।
12. वैसे भी बैटरी एक ऐसी चीज है जो एक निश्चित अवधि के उपयोग बाद बदलना आवश्यक हो जाता है । आवेदिका द्वारा प्रश्नाधीन वाहन की बैटरी में वारंटी अवधि में खराबी आने के संबंध में न तो कोई विशेषज्ञ रिपोर्ट मामले में पेश किया गया है और न ही इस बाबत् मौखिक कथन के अतिरिक्त कोई लिखित साक्ष्य पेश किया गया है । ऐसी स्थिति में यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि अनावेदक गण द्वारा प्रश्नाधीन वाहन की बैटरी में वारंटी अवधि में खराबी आने पर उसे न सुधार कर आवेदिका के साथ सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी की गई है ।
13. उपरोक्त कारणों से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि आवेदिका, अनावेदकगण के विरूद्ध अपना मामला प्रमाणित करने में असफल रही है, अत: वह अनावेदकगण से कोई अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारी नहीं । अत: आवेदिका का परिवाद निरस्त किया जाता है
14. उभय पक्ष अपना-अपना वाद-व्यय स्वयं वहन करेंगे ।
आदेश पारित
(अशोक कुमार पाठक) ( प्रमोद वर्मा)
अध्यक्ष सदस्य