राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
पुनरीक्षण संख्या-69/2015
राजीव कुमार ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
ओ.आई.सी. ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-70/2015
दीपक कुमार ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
आविष्कार कार्गो ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-71/2015
हाजी अलाउद्दीन ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
एन.आई.सी. ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-72/2015
मायादेवी ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
एल0आई0सी0 ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-73/2015
वीर सिंह ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
ओ.आई.सी. ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-74/2015
अनीता ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
जी0डी0ए0 ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-75/2015
राधेश्याम ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
जी0डी0ए0 ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-76/2015
मनोहर लाल ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
जी0डी0ए0 ........प्रत्यर्थी
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पुनरीक्षण संख्या-77/2015
संजय ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
पी0एन0बी0 ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-78/2015
मुनीषा ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
एन.आई.सी. ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-79/2015
विशाल गर्ग ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
विद्युत विभाग ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-80/2015
विशाल गर्ग ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
विद्युत विभाग ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-81/2015
संजय त्यागी ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
यू.इ.इं.कं. ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-82/2015
आर.जी. पेंटस ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
आई.सी.आई.सी.आई. ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-83/2015
कालीचरन ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
जी0डी0ए0 ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-84/2015
मनोज त्यागी ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
यू0पी0आवास विकास परिषद ........प्रत्यर्थी
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पुनरीक्षण संख्या-85/2015
शिवदत्त शर्मा ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
बी.एस.एन.एल. ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-86/2015
राम मोहन शर्मा ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
एच.डी.एफ.सी. ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-87/2015
अभिषेक शर्मा ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
एच.डी.एफ.सी.बैंक ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-88/2015
मधू शर्मा ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
एच.डी.एफ.सी. बैंक ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-89/2015
पवन कुमार ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
आई.सी.आई.सी.आई. ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-90/2015
मोहम्मद हसनत ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
बी0एस0एन0एल0 ........प्रत्यर्थी
पुनरीक्षण संख्या-91/2015
चंद्रकान्ता ...........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
एस.वी.पी.बिल्डर ........प्रत्यर्थी
समक्ष:-
1. मा0 न्यायमूर्ति श्री वीरेन्द्र सिंह, अध्यक्ष।
2. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
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दिनांक 15.06.2015
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
उपरोक्त समस्त पुनरीक्षण की विषय वस्तु एक समान होने के कारण इन सभी का निस्तारण एक साथ किया जा रहा है। पुनरीक्षण संख्या 69/2015 राजीव कुमार बनाम ओ.आई.सी. अग्रणी पत्रावली रहेगी।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि अध्यक्ष, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम कोर्ट नं0 2 गाजियाबाद ने अपने पत्र संख्या 147/जि.फो./15 दिनांक 13.02.2015 जो कि निबंधक राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग को संबोधित है, यह अवगत कराया कि दि. 13.02.15 को श्री कशमीर सिंह, रीडर ने यह सूचना दी कि दि. 02.02.15 से 13.02.15 तक लगभग 25 परिवादों का अंतिम रूप से निस्तारण हुआ है, लेकिन इन पत्रावलियों में से मात्र तीन पत्रावलियों/आदेशों पर सदस्यगण ने हस्ताक्षर किया है, शेष पत्रावलियां/आदेश बिना सदस्यगण के हस्ताक्षर की रखी हुई हैं, जिसके कारण पक्षकारों को आदेशों की सत्य प्रतिलिपियां भी जारी नहीं हो पा रही हैं।
प्रकरण अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता आयोग के समक्ष दि. 19.02.15 को प्रस्तुत हुआ। समस्त तथ्यों का संज्ञान लेते हुए अध्यक्ष ने निबंधक राज्य उपभोक्ता आयोग को जांच हेतु निर्देशित किया। निबंधक द्वारा इस प्रकरण में अपनी विस्तृत जांच आख्या दि. 09.04.15 प्रस्तुत की। निबंधक, राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा अपनी विस्तृत जांच आख्या 116/11-15 में यह पाया कि महिला सदस्या श्रीमती किरन शुक्ला ने दिनांक 13.02.2015 के पश्चात पीठ में उपस्थित होकर वरिष्ठ सहायक श्री कशमीर सिंह से पत्रावलियां लेकर बाद में पूर्व के आदेश/निर्णयों पर हस्ताक्षर किये हैं।
निबंधक की जांच आख्या जिला फोरम से प्राप्त मूल पत्रावलियों व सदस्य जिला उपभोक्ता फोरम श्रीमती किरन शुक्ला के स्पष्टीकरण का अवलोकन करने के पश्चात उपरोक्त समस्त परिवादों को धारा 17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत पुनरीक्षणार्थ पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के आदेश हुए। दि. 15.06.2015 को पीठ के समक्ष उपरोक्त समस्त पुनरीक्षण प्रस्तुत हुए। पीठ ने जिला फोरम की पत्रावलियों व निबंधक की जांच आख्या व अन्य संबंधित अभिलेखों का भलीभांति परिशीलन किया। धारा 14(2) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में यह प्रावधान है कि जिला
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फोरम के समक्ष प्रत्येक कार्यवाही का संचालन जिला पीठ के अध्यक्ष और उनके साथ बैठने वाले कम से कम एक सदस्य द्वारा किया जाएगा। धारा 14 के प्रस्तर-2(क) में यह भी प्रावधान है कि जिला फोरम द्वारा उपधारा 1 के अधीन किए गए प्रत्येक आदेश पर उसके अध्यक्ष और ऐसे सदस्य या सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे जिसने या जिन्होंने कार्यवाही का संचालन किया है।
निबंधक, राज्य उपभोक्ता आयोग की जांच आख्या तथा अभिलेखों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि जिला फोरम ने अपनी कार्यवाही का संचालन विधिनुसार नहीं किया है। पीठ के एक सदस्य ने निर्णय पर Back Dating कर हस्ताक्षर किए गये, जबकि निर्णय को सुना दिया गया था और प्रतिलिपियां प्राप्त करने के प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किए जाने लगे तथा वरिष्ठ सहायक ने हस्ताक्षर न किए जाने का तथ्य लिखित रूप में अध्यक्ष को बता दिया गया था, अत: पीठ का मत है कि जिला फोरम ने प्रश्नगत परिवादों में जो निर्णय दिए हैं उन्हें कानून की दृष्टि में विधिनुसार दिए गए निर्णय नहीं कहा जा सकता और वे निरस्त किए जाने योग्य हैं।
उपरोक्त विवेचना के दृष्टिगत हम यह पाते हैं कि उपरोक्त समस्त पुनरीक्षण से संबंधित परिवादों को गाजियाबाद जनपद की अन्य पीठ में सुनवाई किया जाना न्यायोचित होगा।
आदेश
उपरोक्त पुनरीक्षणों से संबंधित सभी परिवादों में दिए गये निर्णयों को निरस्त करते हुए जिला फोरम गाजियाबाद की कोर्ट संख्या 1 को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए गुणदोष के आधार पर परिवादों का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर 3 माह के अंदर करना सुनिश्चित करें। तदनुसार उपरोक्त समस्त पुनरीक्षण निस्तारित किए जाते हैं।
इस निर्णय की प्रतिलिपि समस्त पत्रावलियों में पृथक-पृथक रखी जाएं।
(न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह) (उदय शंकर अवस्थी) (राज कमल गुप्ता)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक,
कोर्ट-1