जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
दषरथ सिंह षेखावत , जाति- राजपूत, निवासी- मकान नं. 31-32, पथ नम्बर -01, महाराणा प्रतापनगर, खातीपुरा, जयपुर ।
- प्रार्थी
ब्नाम
आषीष चतुर्वेदी, निदेषक, ट्रम्प ऐकेडमी, 81-बी/3, लोहागल रोड, अजमेर ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 309/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री राजेंन्द्र सिंह राठौड़, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री सुधीर सिंह , अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 14.07.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसने अप्रार्थी के इस आष्वासन पर कि उनके कोचिंग संस्थान में उसके पुत्र गिरीप्रताप को अध्ययन से सन्तुष्टि प्राप्त नहीं होती है या आपका स्थानान्तरण अन्यत्र हो जाता है तो जमा कराई गई पूरी फीस लौटा दी जावेगी, अप्रार्थी संस्थान में अपेन पुत्र की कोचिंग हेतु दिनंाक 17.4.2012 को रू. 47160/- जरिए रसीद संख्या 9107 के जमा कराई । प्रार्थी का स्थानान्तरण दिनंाक 27.4.2012 को जयपुर में हो जाने पर उसने अप्रार्थी के यहां जमा कराई गई राषि रिफण्ड करने का निवेदन किया। जिस पर अप्रार्थी ने रू. 20,225/- उसके बैंक खाते में दिनंाक 20.7.2012 को जमा कराए । इस प्रकार अप्रार्थी ने रू. 26,935/- कम अदा किए । अप्रार्थी ने उक्त राषि बावजूद कई तकाजों व विधिक नोटिस दिए जाने के भी अदा नहीं की । प्रार्थी ने अप्रार्थी के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रार्थी के पुत्र द्वारा उनके कोचिंग संस्थान में प्रवेष लिए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे कथन किया है कि प्रार्थी व अप्रार्थी के मध्य परिवाद की चरण संख्या 2 में वर्णित अनुसार राषि रिफण्ड किए जाने बाबत् कोई बात नहीं हुई थी । फिर भी प्रार्थी के खातें में फीस रिफण्ड राषि पेटे रू. 20,225/- जमा करा दिए गए थे । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अपने अतिरिक्त कथन में माननीय उच्चतम न्यायालय के विनिष्चय का हवाला देते हुए दर्षाया है कि षिक्षण संस्था उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है । इस कारण प्रार्थी कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की है ।
3. प्रार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि उसके पुत्र ने अप्रार्थी संस्थान में माह- अप्रेल में कोचिंग प्राप्त करने के लिए प्रवेष लिया व इस हेतु फीस पेटे दिनंाक 17.4.2012 को रू. 47160/- जमा कराए । किन्तु अप्रार्थी ने प्रवेष लिए जाते समय दिए गए आष्वासन के अनुसार पूरी फीस नहीं लौटाई है । लिखित में आवेदन करने पर मात्र दिनंाक 20,225/- प्रार्थी के खाते में जमा करवाए वष्षेष राषि रू. 26,935/- अब तक नहीं लौटाई है । अप्रार्थी ने यह राषि नहीं लौटा कर सेवा में दोष किया है ।
4. अप्रार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया कि ऐसी कोई लिखित संविदा नहीं हुई थी। अपितु मानवीय आधारों पर रू. 20,225/- की राषि लौटा दी गई है । विनिष्चय 2010ब्ज्श्रण्985;ैब्द्ध;ब्च्द्ध डंींतेीप क्ंलंदंदक न्दपअमतेपजल टे ैनतरममज ज्ञंनत के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्वान्त को दृष्टिगत रखते हुए प्रार्थी कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है क्योंकि षिक्षण संस्थान उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुने हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
6. प्रस्तुत उपरोक्त विनिष्चय में माननीय उच्चतम न्यायालय ने मान्यता प्राप्त षिक्षण संस्थान के मामले में सिद्वान्त प्रतिपादित करते हुए माननीय राष्ट्रीय आयेाग के निर्णय को पलट दिया। जिसके तहत माननीय राष्ट्रीय आयोग ने निर्धारित किया था कि -
श्ज्ीम छंजपवदंस ब्वउउपेेपवद ेजंजमक जींज पउचंतजपदह व िमकनबंजपवद इल जीम मकनबंजपवदंस पदेजपजनजपवदे व िबवदेपकमतंजपवद ंिससे ूपजीपद जीम ंउइपज व िेमतअपबम ंे कमपिदमक नदकमत जीम ब्वदेनउमत च्तवजमबजपवद ।बजण् ज्ीम ैनचतमउम ब्वनतज ेमज ंेपकम जीम पउचनहदमक रनकहमउमदजए वद हतवनदके व िदवद.बवउचमजमदबम व ि जीम कपेजतपबज वितनउ जव मदजमतजंपद जीम बवउचसंपदज ेपदबम ठपींत ैबीववस म्गंउपदंजपवद ठवंतक टे ैनतमेी च्तंेंक ैपदीं बसमंतसल मदनदबपंजमक जींज ेमतअपबमे चतवअपकमक इल मकनबंजपवदंस पदेजपजनजपवदे बंददवज इम इतवनहीज नदकमत ब्वदेनउमत च्तवजमबजपवद ।बजण्’’ । चूंकि हस्तगत प्रकरण में अप्रार्थी संस्थान मान्यताप्राप्त षिक्षण संस्थान की श्रेणी में नहीं आता है बल्कि ऐसे संस्थान में प्रवेष के लिए ट्यूषन के माध्यम से विद्यार्थियों को अग्रिम उच्च अध्ययन हेतु तैयार करने का काम किया जाता है । अतः यह विनिष्चय उनके लिए सहायक नहीं है । चूंकि अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी को उसके द्वारा जमा कराई गई फीस पेटे राषि रू. 26,935/- कम लौटाई है । अतः यह तो सिद्व रूप से प्रकट हो रहा है कि तत्समय उत्पन्न हुई परिस्थितियों के प्रकाष में उनके संस्थान द्वारा प्रवेषार्थियों की पूर्व में जमा कराई गई फीस को किसी हद तक लौटाने का प्रावधान है । इसी को ध्यान में रखते हुए हस्तगत मामले में प्रार्थी को राषि लौटाई गई है ।
7. अब प्रष्न यह उत्पन्न होता है कि क्या प्रार्थी, अप्रार्थी के यहां जमा कराई गई पूरी राषि को प्राप्त करने का अधिकारी है ?
8. स्वीकृत रूप से प्रार्थी द्वारा दिनंाक 17.4.2012 को राषि रू. 47160/- जमा कराई है । हालांकि प्रार्थी ने अपना स्थानान्तरण दिनांक 27.4.2012 को होने के कारण तुरन्त फीस रिफण्ड हेतु अप्रार्थी से निवेदन किया जाना बताया है । किन्तु इस संबंध में कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर दिनांक 9.6.2012 को फीस रिफण्ड के लिए लिखित में आवेदन पत्र प्रस्तुत करना बताया है । इस पर अप्रार्थी द्वारा 41 दिन बाद दिनंाक 20.7.2012 को राषि रू. 20,225/- प्रार्थी के खाते में जमा कराए गए है । मंच की राय में लौटाई जाने वाली राषि समानुपातिक तरीके से लौटाई जानी चाहिए थी । इस प्रकार अप्रार्थी ने लगभग पौने तीन माह की अवधि में जमा कराई गई राषि में से रू. 26935/- काट कर षेष राषि रू. 20,225/- प्रार्थी के बैंक खाते में जमा कराए है । फीस की राषि में से सर्विस टैक्स की स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रार्थी, अप्रार्थी से समानुपातिक रूप से रू. 10,000/- और प्राप्त करने का हकदार है । मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद आंषिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
9. (1) प्रार्थी अप्रार्थी से रू. 10,000/- मय परिवाद प्रस्तुत करने की दिनंाक से तादायगी 9प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू. 5000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 14.07.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष