आदेश
1. परिवादी ने इस आशय का परिवाद पत्र इस फोरम के समक्ष दाखिल किया कि उसने महिंद्रा दो पहिया वाहन दि० 21.09.2010 को जिसका इंजन नंबर PFE-AB251460, फ्रेम नंबर-MCDFRIBIVAIB02317 है को 43599 रु० में VAT के साथ विपक्षी कंपनी से ख़रीदा।
2. परिवादी का यह भी कथन है कि उसने विपक्षी सं० 2 और 3 के अनुरोध पर गाड़ी के निबंधन के लिए तथा बीमा के लिए 3600 रु० विपक्षीगण को गाड़ी के मूल्य के भुगतान के समय भुगतान कर दिया। विपक्षी तीन ने बीमा का कागज भी हस्तगत कर दिया तथा कहा कि प्रीमियम की धनराशि समय से जमा हो जाएगी और निबंधन का कागज समय से मिल जायेगा।
3. परिवादी का यह भी कथन है की उपरोक्त दो पहिया वाहन खरीद की तिथि से परिवादी के घर के परिसर में खड़ा है। चूँकि विपक्षी द्वारा निबंधन का कागज उपलब्ध नहीं कराया।
4. परिवादी का यह भी कथन है की उसने विपक्षी-2 और 3 से अनेको बार मिल करके निबंधन की मांग किया। विपक्षीगण बारबार आश्वस्त करते लेकिन निबंधन का कागज उनलोगों ने नहीं दिया है।
5. परिवादी का यह भी कथन है कि वह विपक्षी-3 से मिला तो विपक्षी-3 ने कहा कि उसकी एजेंसी बंद होने जा रही है। वह मुख्य एजेंसी जो कि विपक्षी-1 है को निबंधन से सम्बंधित कागजात हस्तगत कर दिया।
6. परिवादी का यह भी कथन है कि वह विपक्षी-1 से अनेकों बार मिला लेकिन बारबार वह टालमटोल करता रहा। विपक्षीगण के इस कृत्य से परिवादी को काफी मानसिक एवं आर्थिक क्षति उठाना पड़ा विपक्षीगण द्वारा सेवा में त्रुटि किया गया है।
अतः अनुरोध है कि विपक्षी एक को आदेश दिया जाए कि वह निबंधन के धनराशि को परिवादी को 18% सूद के साथ वापस कर दें तथा 50000 रु० परिवादी को पहुंची मानसिक एवं आर्थिक क्षति के पूर्ति के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में परिवादी को भुगतान करे एवं वाद खर्च भी परिवादी को भुगतान करें।
विपक्षीगण के विरुद्ध निबंधित डाक से नोटिस भेजा गया। निबंधित डाक से भेजे गये नोटिस के मिलने के बाद विपक्षी-2 उपस्थित होकर अपना व्यान तहरीर दाखिल किया। व्यान तहरीर दाखिल करने के बाद विपक्षी-2 ने अपनी पैरवी छोड़ दिया। विपक्षी-3 के विरुद्ध परिवादी द्वारा दुवारा निबंधित डाक से नोटिस भेजा गया जो इस पृष्ठांकन के साथ वापस आया कि विपक्षी-3 ने बिना किसी सूचना के अपना स्थान छोड़ दिया है। विपक्षी-1 एवं 3 के विरुद्ध तामिला घोषित करते हुए इनके विरुद्ध एकपक्षीय सुनवाई प्रारंभ किया जाता है। विपक्षी-2 ने अपने जबाब में स्पष्ट किया है कि विपक्षी-1 जो कि मुख्य एजेंसी है, उसने अपनी पंडौल शाखा को जनवरी-2011 के प्रथम सप्ताह से बंद कर दिया। उसने इस बात को स्वीकार किया कि विपक्षी-3 द्वारा परिवादी से 3600 रु० निबंधन एवं बीमा शुल्क के रूप में लिया गया था। उसने इस बात को भी स्वीकार किया कि उसने कैश मेमो तैयार किया था। उसने उसपर हस्ताक्षर किया था तथा हरिओम ऑटोमोबाइल्स का मोहर विपक्षी-3 राजू कुमार मिश्रा के निर्देश पर लगाया था। प्रश्नगत वाहन का बीमा बिना किसी विलंब के कर दिया गया चूँकि विपक्षी-1 द्वारा पंडौल में स्थित अपनी शाखा एजेंसी को वापस ले लिया गया तो वैसी स्थिति में विपक्षी-3 ने प्रश्नगत वाहन के निबंधन धनराशि को भी विपक्षी-1 को हस्तगत कर दिया।
7. विपक्षी सं०-2 का यह भी कथन है कि जिस दिन से पंडौल शाखा विपक्षी-1 द्वारा बंद किया गया उस तिथि से विपक्षी-2 एवं 3 को कोई भी काम करने से रोक दिया गया। इस कारण विपक्षी-2 एवं 3 प्रश्नगत वाहन का निबंधन नहीं कराने के लिए दोषी नहीं है। निबंधन की धनराशि विपक्षी एक द्वारा प्राप्त कर लिया गया है। इस कारण प्रश्नगत वाहन के निबंधन की जबाबदेही विपक्षी-1 की है। अपना व्यान तहरीर दाखिल करने के बाद विपक्षी-2 ने अपना पैरवी छोड़ दिया।
परिवादी ने अपने केस के समर्थन में उपस्थित होकर शपथ पत्र पर अपना साक्ष्य दिया। मौखिक साक्ष्य के आलावा मेसर्स हरिओम ऑटोमोबाइल्स पंडौल का रिटेल इनवॉइस दिनांक 21.09.2010 को परिवादी द्वारा दाखिल किया गया जिसमें शिकायतकर्ता द्वारा 47199 रु० विपक्षी कंपनी को भुगतान किया गया है। जिसमें से 3600 रु० निबंधन एवं बीमा शुल्क है शेष 43599 रु० गाड़ी की कीमत मय 12.5% VAT है।
उभयपक्षों के तर्क को सुना तथा अभिलेख का अवलोकन किया परिवादी द्वारा दाखिल दस्तावेजी साक्ष्य जो कि रिटेल इनवॉइस मेसर्स हरिओम ऑटोमोबाइल्स पंडौल मधुबनी का है। जिसमें स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा वाहन की कीमत जो की VAT के साथ 43599 रु० है। परिवादी ने 3600 रु० निबंधन एवं बीमा शुल्क के रूप में विपक्षी कंपनी को जमा किया था। परिवादी द्वारा दाखिल उक्त दस्तावेजी साक्ष्य से यह भी स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता ने प्रश्गात दो पहिया वाहन की कीमत के आलावा 3600 रु० बीमा शुल्क एवं निबंधन शुल्क के रूप में भुगतान किया है। इस बात की स्वीकृति विपक्षी-2 अपने व्यान तहरीर में भी किया है कि उसने निबंधन शुल्क एवं बीमा शुल्क मूल्य 3600 रु० रिटेल इनवॉइस रसीद में अंकित किया है। विपक्षी-2 ने अपने व्यान तहरीर में इस बात को स्वीकार किया है कि विपक्षी-3 ने प्रश्नगत वाहन के निबंधन शुल्क में बीमा शुल्क के लिए शिकायतकर्ता से को 3600 रु० का भुगतान प्राप्त किया है।
शिकायतकर्ता के शपथ पर व्यान उसके द्वारा दाखिल दस्तावेजी साक्ष्य एवं विपक्षी-2 के व्यान तहरीर से यह स्पष्ट है कि विपक्षी-2 एवं 3 के आश्वासन के बाद शिकायतकर्ता ने विपक्षी-3 को 3600 रु० प्रश्नगत वाहन के निबंधन एवं बीमा शुल्क के लिए गाड़ी खरीद करते समय ही भुगतान कर दिया था। विपक्षी-1 माँ श्यामा मोटर्स के प्रो० आकाश कुमार महिंद्रा दो पहिया वाहन के मुख्य एजेंट है उक्त एजेंसी खनका चौक लालबाग़ थाना-नगर, जिला-दरभंगा में है। मेसर्स हरिओम ऑटोमोबाइल्स पंडौल के प्रो० विपक्षी-3 राजू कुमार मिश्रा माँ श्यामा मोटर्स के शाखा प्रभारी के रूप काम करते थे जो कि मेसर्स हरिओम ऑटोमोबाइल्स के नाम से था
परिवादी द्वारा अभिलेख पर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं लाया गया जिससे यह साबित होता कि विपक्षी-3 हरिओम ऑटोमोबाइल्स विपक्षी-1 माँ श्यामा मोटर्स की शाखा थी लेकिन विपक्षी-2 ने अपने व्यान तहरीर में स्पष्ट किया कि हरिओम ऑटोमोबाइल्स माँ श्यामा मोटर्स की शाखा एजेंसी थी। यद्पि की इस बिंदु पर कोई साक्ष्य नहीं है जिससे यह साबित होता कि विपक्षी एक ने कथित हरिओम ऑटोमोबाइल्स पंडौल की शाखा को बंद कर दिया लेकिन विपक्षी-2 के व्यान तहरीर में यह बात आयी है कि विपक्षी-1 मेसर्स माँ श्यामा मोटर्स एजेंसी ने अपनी हरिओम ऑटोमोबाइल्स पंडौल मधुबनी शाखा को बंद कर दिया।
यह सही है कि प्रो० आकाश कुमार मेसर्स माँ श्यामा मोटर्स की शाखा मेसर्स हरिओम ऑटोमोबाइल्स पंडौल मधुबनी से परिवादी ने प्रश्नगत वाहन को ख़रीदा था तथा वाहन पर हरिओम ऑटोमोबाइल्स शाखा के प्रो० राजू कुमार मिश्रा सेल्समैन विनीत सिंह को 3600 रु० प्रश्नगत वाहन के निबंधन एवं बीमा के लिए दिया था। यद्पि की इस बात का कोई लिखित प्रमाण नहीं है कि आकाश कुमार प्रो० मेसर्स माँ श्यामा मोटर्स की शाखा हरिओम ऑटोमोबाइल्स पंडौल मधुबनी थी कि नहीं लेकिन परिवादी द्वारा जो प्रश्नगत वाहन के रिटेल इनवॉइस की रसीद दिया गया है उससे स्पष्ट है कि मेसर्स हरिओम ऑटोमोबाइल्स पंडौल मधुबनी माँ श्यामा मोटर्स दरभंगा की शाखा थी इसके आलावा विपक्षी-2 मामले में उपस्थित होकर अपना व्यान तहरीर दिया है ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि मेसर्स हरिओम ऑटोमोबाइल्स पंडौल मधुबनी माँ श्यामा ऑटोमोबाइल्स दरभंगा की शाखा थी और परिवादी ने हरिओम ऑटोमोबाइल्स से प्रश्नगत वाहन को ख़रीदा था तथा वाहन के निबंधन एवं बीमा राशि 3600 रु० मेसर्स हरिओम ऑटोमोबाइल्स में जमा किया।
अभिलेख पर इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि हरिओम ऑटोमोबाइल्स पंडौल मधुबनी को माँ श्यामा मोटर्स दरभंगा द्वारा बंद कर दिया गया और विपक्षी-2 एवं 3 ने विक्रय से सम्बंधित समस्त कागजात एवं धनराशि विपक्षी-1 को हस्तगत कर दिया। जिसमें परिवादी के द्वारा निबंधन एवं बीमा के लिए जमा किये गए धनराशि 3600 रु० भी था लेकिन विपक्षी दो विनीत सिंह ठाकुर ने फोरम के समक्ष अपने व्यान तहरीर में यह स्पष्ट किया है कि उसने प्रश्नगत वाहन का रिटेल इनवॉइस रसीद बनाया था। परिवादी ने वाहन की कीमत 43599 रु० तथा 3600 रु० निबंधन एवं बीमा का कुल 47199 रु० जमा किया था। विपक्षी -2 ने अपने व्यान तहरीर में यह भी स्पष्ट किया है कि बीमा तो तुरंत हो गया लेकिन वाहन के निबंधन के पहले माँ श्यामा मोटर्स ऑटोमोबाइल्स दरभंगा जो कि मुख्य एजेंसी थी ने मेसर्स हरिओम ऑटोमोबाइल्स पंडौल मधुबनी को बंद कर दिया। विपक्षी-2 एवं 3 द्वारा विक्रय से सम्बंधित समस्त कागजात एवं धनराशि को विपक्षी-1 को हस्तगत कर दिया गया। चूँकि विपक्षी-1 इस मामले में उपस्थित नहीं है। इस कारण और कोई अन्य साक्ष्य विपक्षी-2 के व्यान तहरीर के अतिरिक्त अभिलेख पर नहीं है।
ऐसी स्थिति में विपक्षी-2 के व्यान पर अविश्वास का कोई कारण नहीं है। विपक्षी-2 के व्यान से प्रथम दृष्टया में यह साबित हो जाता है कि मेसर्स हरिओम ऑटोमोबाइल्स पंडौल मधुबनी जो कि माँ श्यामा मोटर्स दरभंगा की शाखा थी उसे बंद कर दिया गया और समस्त कागजात और नगद को विपक्षी-1 को हस्तगत कर दिया गया।
परिवादी द्वारा अभिलेख पर लाए गए साक्ष्य एवं विपक्षी-2 के कथन से इस बात की पुष्टि हो जाती है कि उसने प्रश्नगत वाहन को मेसर्स हरिओम ऑटोमोबाइल्स पंडौल मधुबनी जो कि माँ श्यामा मोटर्स दरभंगा की शाखा है से खरीद किया था एवं वाहन मूल्य के साथ निबंधन एवं बीमा शुल्क के रूप में विपक्षी-2 एवं 3 को 3600 रु० का भुगतान किया था। लेकिन परिवादी के प्रश्नगत वाहन का निबंधन परिवादी द्वारा पैसा जमा करने के बाद भी नहीं कराया गया। निबंधन नहीं होने के कारण इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता की शिकायतकर्ता द्वारा प्रश्नगत वाहन को नहीं लाया गया विपक्षीगण द्वारा सेवा में की गयी त्रुटि द्वारा शिकायतकर्ता को काफी आर्थिक एवं मानसिक क्षति हुआ।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह फोरम इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि प्रो० आकाश कुमार माँ श्यामा मोटर्स एजेंट महिंद्रा दरभंगा विनीत सिंह ठाकुर सेल्समैन हरिओम ऑटोमोबाइल्स पंडौल मधुबनी राजू कुमार मिश्रा प्रो० हरिओम ऑटोमोबाइल्स पंडौल मधुबनी के द्वारा सेवा शर्तों का उल्लंघन किया गया जिसमें आर्थिक एवं मानसिक क्षति के लिए तीनो दोषी है, ऐसी स्थिति में विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह शिकायतकर्ता द्वारा निबंधन एवं बीमा के लिए जमा धनराशि 3600 रु० को 6% वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज की दर से जमा करने की तिथि से आदेश पारित होने की तिथि तक एवं परिवादी को पहुंची मानसिक पीड़ा की क्षतिपूर्ति के रूप में 25000 रु० तथा वाद खर्चा 5000 रु० की धनराशि आदेश पारित होने की थिति से तीन माह के अंदर भुगतान कर दें। ऐसा नहीं करने पर उपरोक्त धनराशि की वसूली विधिक प्रक्रिया द्वारा किया जायेगा।