जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंचए नागौर
परिवाद संण् 235ध्2015
श्रीमती जीवणी देवी पत्नी स्वण् आषारामए जाति.जाटए निवासी.आकोडाए तहसील.जायलए जिला.नागौर ;राजण्द्ध। .परिवादी
बनाम
1ण् अध्यक्षध्प्रबन्ध निदेषकए अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेडए अजमेर।
2ण् अधीक्षण अभियंताए अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेडए नागौर।
3ण् सहायक अभियंताए अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेडए जायलए तहसील.जायल व जिला.नागौर।
4ण् सहायक अभियंता ;सतर्कताद्धए अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेडए नागौर।
.अप्रार्थीगण
समक्षः
1ण् श्री ईष्वर जयपालए अध्यक्ष।
3ण् श्री बलवीर खुडखुडियाए सदस्य।
उपस्थितः
1ण् श्री राजेष चैधरीए अधिवक्ताए वास्ते प्रार्थी।
2ण् श्री सुरेन्द्र कुमार ज्याणीए अधिवक्ताए वास्ते अप्रार्थीगण।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ए1986
निर्णय दिनांक 03ण्05ण्2016
1ण् परिवाद.पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिया जीवणी देवी के पति आषाराम के नाम से एक घरेलू विद्युत कनेक्षन ले रखा था। आषाराम की मृत्यु दिनांक 17ण्02ण्2014 को हो चुकी थी। पति आषाराम की मृत्यु के बाद उनके रहवासीय मकान में विद्युत का उपयोग उनकी पत्नी परिवादिनी जीवणी देवी करती आ रही है तथा विद्युत निगम की ओर से जारी बिलांे का समय.समय पर भुगतान करती आ रही है। अप्रार्थीगण की ओर से परिवादिनी के पति के नाम दिनांक 31ण्08ण्2015 को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें बताया गया कि वे अप्रार्थी संख्या 3 के कार्यालय में 9ए863ध्. रूपये जमा करवायें अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी। तब परिवादिनी ने अप्रार्थी संख्या 3 से सम्पर्क किया तो उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में न तो उन्हें जानकारी है और न ही कोई कागजात है। नोटिस से सतर्कता जांच प्रतिवेदन भरा गया प्रतीत हो रहा है। अप्रार्थी संख्या 4 से पता कीजिये। तब उसने अप्रार्थी संख्या 4 के नागौर स्थित सतर्कता कार्यालय में पता किया तो उनके यहां से बताया गया कि आपके परिसर की जांच की गई है। इस पर उसने कहा कि मेरे परिसर की कभी कोई जांच नहीं की गई और न ही मैंने विद्युत छेडछाड जैसा कृत्य किया है फिर मेरे खिलाफ जांच प्रतिवेदन कैसे तैयार किया गयाघ् उसी वक्त परिवादिनी ने वीसीआर की कॉपी भी मांगी मगर अप्रार्थी संख्या 4 ने देने से मना कर दिया मगर वीसीआर की कॉपी दिखाई जरूर थी। वीसीआर में खाता संख्या 1708ध्071 तथा उपभोक्ता का नाम आषारामध्रूपाराम अंकित था तथा मीटर संख्या 202171 अंकित किये हुए थे। तब परिवादिनी ने अप्रार्थी संख्या 4 को कहा कि न तो उक्त मीटर उसके यहां लगा है न ही खाता संख्या उसकी है फिर उसे किस आधार पर नोटिस दिया तो अप्रार्थी संख्या 4 ने कहा कि अब तो वीसीआर भरी जा चुकी है नोटिस में अंकित राषि जमा करवानी ही पडेगी अन्यथा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाई जायेगी। इस तरह अप्रार्थीगण ने गंभीर लापरवाही बरतते हुए परिवादिनी के पति के नाम गलत नोटिस जारी किया है तथा अन्य व्यक्ति की वीसीआर को परिवादी पर थोपना चाह रहे हैं। जबकि उसके पति की मृत्यु 18 माह पूर्व ही हो चुकी है। वीसीआर भरने जैसा कोई कृत्य परिवादिनी ने नहीं किया। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी की श्रेणी में आता है। अतः अप्रार्थीगण की ओर से भेजे गये नोटिस को निरस्त फरमाया जावे। साथ ही अप्रार्थीगण से मांगे गये अनुतोश मानसिक संताप व परिवाद खर्च दिलाया जावे।
2ण् अप्रार्थीगण द्वारा जवाब प्रस्तुत कर बताया गया है कि निगम के सतर्कता अधिकारी द्वारा जांच कर मौके पर वीसीआर षीट भरी गई थीए चूंकि परिवादिया का विद्युत कनेक्षन भी आषाराम के नाम से एवं खाता संख्या 1708ध्71ए मीटर संख्या 202171 का विद्युत कनेक्षन भी आषाराम के नाम से हैए ऐसी स्थिति में केवल मात्र खाताधारक का नाम समान होने से परिवादिया को आषाराम के नाम से जारी नोटिस मिल गयाए जबकि परिवादिया के खाते में किसी प्रकार की राषि उपरोक्त वीसीआर के आधार पर नहीं जोडी गई बल्कि सही खाताधारक आषाराम पुत्र हरदेव के खाते में ही जोडी गई है तथा परिवादिया को केवल मात्र खाताधारक का नाम समान होने से ही भूलवष नोटिस जारी हो गया था। अप्रार्थी पक्ष द्वारा बताया गया है कि जांच के समय मौके पर उपस्थित व्यक्ति द्वारा खाताधारक का नाम आषाराम पुत्र रूपाराम बताये जाने पर वीसीआर षीट में अंकन होने से मानवीय भूलवष नोटिस जारी हुआ था तथा यदि इस सम्बन्ध में परिवादिया अप्रार्थीगण से सम्पर्क करती या षिकायत प्रस्तुत करती तो परिवाद प्रस्तुत करने की आवष्यकता ही न रहती। अप्रार्थीगण द्वारा यह भी बताया गया है कि परिवादिया अप्रार्थीगण की विधिक रूप से उपभोक्ता नहीं है। ऐसी स्थिति में भी परिवाद चलने योग्य नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जावे।
3ण् दोनों पक्षों की ओर से अपने.अपने षपथ.पत्र एवं दस्तावेजात पेष किये गये।
4ण् बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। परिवादिया ने अपने परिवाद के साथ नोटिस प्रदर्ष 1ए विद्युत बिल प्रदर्ष 2 तथा अपने पति आषाराम का मृत्यु प्रमाण.पत्र प्रदर्ष 3 प्रस्तुत किये। जिनके अवलोकन पर स्पश्ट है कि परिवादिया के रिहायषी मकान पर घरेलू श्रेणी का विद्युत कनेक्षन खाता संख्या 1708ध्0059 परिवादिया के पति आषाराम पुत्र रूपाराम के नाम से लिया हुआ हैए जबकि आषाराम के मृत्यु प्रमाण.पत्र प्रदर्ष 3 के अनुसार आषाराम की मृत्यु दिनांक 17ण्02ण्2014 को हो चुकी है लेकिन अभी भी परिवादिया द्वारा किये गये विद्युत उपभोग का बिल आषाराम के नाम से जारी हो रहा है तथा परिवादिया स्वीकृत रूप से आषाराम की पत्नी है। ऐसी स्थिति में परिवादिया एवं अप्रार्थीगण के मध्य उपभोक्ता का सम्बन्ध होने से मामला उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में आता है।
5ण् यह स्वीकृत स्थिति है कि अप्रार्थीगण द्वारा जारी नोटिस प्रदर्ष 1 आषाराम पुत्र रूपाराम के नाम से जारी होकर परिवादिया के घर भिजवाया गया है। यद्यपि बहस के दौरान अप्रार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता ने स्पश्ट किया कि तथाकथित वीसीआरध्निरीक्षण रिपोर्ट निरस्त कर दी गई है एवं इस वीसीआर के आधार पर परिवादिया के खाते में किसी प्रकार की कोई राषि नहीं जोडी गई है बल्कि परिवादिया को नियमानुसार विद्युत सेवाएं दी जा रही है। अप्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत जवाब में भी उपर्युक्त आषय के कथन अंकित किये गये हैं लेकिन यह भी स्वीकृत स्थिति है कि अप्रार्थीगण द्वारा भूलवष आषाराम पुत्र रूपाराम के नाम से नोटिस जारी होने पर परिवादिया को मानसिक रूप से परेषान होना पडा तथा न केवल अप्रार्थीगण के विभाग में चक्कर काटने पडे बल्कि अंततः यह परिवाद भी पेष करना पडा। ऐसी स्थिति में स्पश्ट है कि परिवादिया को आर्थिक रूप से भी खर्चा करना पडा। साथ ही मानसिक रूप से परेषान होना पडा। अतः अप्रार्थीगण के द्वारा किये गये सेवा दोश के कारण परिवादिया को हुई आर्थिक एवं मानसिक परेषानी के रूप में 5ए000ध्. रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में 1ए000ध्. रूपये दिलाया जाना न्यायोचित होगा।
आदेश
6ण् परिवादिया जीवणी देवी द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12ए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियमए 1986 खिलाफ अप्रार्थीगण स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि परिवादिया अप्रार्थीगण द्वारा किये गये सेवा दोश के कारण हुई आर्थिक एवं मानसिक परेषानी हेतु बतौर क्षतिपूर्ति 5ए000ध्. रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में 1ए000ध्. रूपये प्राप्त करने की अधिकारिणी है। अप्रार्थीगण को आदेष दिया जाता है कि उपर्युक्त राषि परिवादिया के घरेलू श्रेणी के विद्युत कनेक्षन खाता संख्या 1708ध्0059 बाबत् भविश्य में जारी विद्युत बिलों में समायोजित की जावे।
7ण् आदेष आज दिनांक 03ण्05ण्2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
नोटः. आदेष की पालना नहीं किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियमए 1986 की धारा 27 के तहत तीन वर्श तक के कारावास या 10ए000ध्. रूपये तक के जुर्माने से दण्डनीय अपराध है।
।बलवीर खुडखुडिया। ।ईष्वर जयपाल।
सदस्य अध्यक्ष