Rajasthan

Nagaur

CC/108/2015

Smt. Sada Kanwar - Complainant(s)

Versus

A.V.V.N.L. - Opp.Party(s)

Sh RK Dhaka

13 Jul 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/108/2015
 
1. Smt. Sada Kanwar
vill-Oladan teh-merta city
Nagaur
Rajasthan
...........Complainant(s)
Versus
1. A.V.V.N.L.
Hathi bata
Ajmer
Rajasthan
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Sh RK Dhaka, Advocate
For the Opp. Party:
Dated : 13 Jul 2016
Final Order / Judgement

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

 

परिवाद सं. 108/2015

 

श्रीमती सदा कंवर बेवा षंकरसिंह, जाति-राजपूत, निवासी-ओलादन, तहसील-मेडता, जिला-नागौर (राज.)।                                                                                                                                                                                                                           -परिवादी  

बनाम

 

1.            अध्यक्ष/प्रबन्धक, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड अजमेर, (राज.)।

2.            अधीक्षण अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, नागौर (राज.)।

3.            सहायक अभियंता (ग्रामीण), अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, मेडता, जिला-नागौर (राज.)।                                                    

                                                    -अप्रार्थीगण 

 

समक्षः

1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।

2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।

3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री रमेष कुमार ढाका एवं श्री ओमप्रकाष फूलफगर अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।

2.            श्री राधेष्याम सांगवा, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थीगण।

 

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                             आ  दे  ष                 दिनांक 13.07.2016

 

 

1.            यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादिया के पति स्व. षंकरसिंह ने अप्रार्थीगण के समक्ष कृशि कनेक्षन के लिए दो आवेदन पेष किये थे। जिनमें से एक के खाता संख्या 1801-335 है तथा दूसरे विद्युत कनेक्षन के खाता संख्या 1801-336 है। परिवादी ने बताया कि खाता संख्या 1801-335 का ट्रांसफार्मर अप्रार्थीगण द्वारा दे दिया गया था किन्तु खाता संख्या 1801-0336 बार-बार निवेदन करने के बावजूद आज तक ट्रांसफार्मर नहीं दिया गया है, जिसके कारण इस खाता में किसी प्रकार की विद्युत का उपयोग नहीं हो रहा है। परिवादिया ने बताया है कि उसके पति षंकरसिंह की मृत्यु हो चुकी है, परिवादिया व उसके दो नाबालिग पुत्र षंकरसिंह के उतराधिकारी है एवं अप्रार्थीगण सषुल्क विद्युत सेवा प्रदान करते हैं, इसलिए परिवादिया अप्रार्थीगण की उपभोक्ता है। परिवादिया ने बताया है कि खाता संख्या 1801-0336 में विद्युत सम्बन्ध जोडे बिना ही अप्रार्थीगण ने गलत तरीके से मार्च, 2013 में विद्युत बिल 1,48,531/- रूपये का जारी कर दिया, चूंकि परिवादिया के पति के नाम से एक अन्य विद्युत कनेक्षन भी था, ऐसी स्थिति में परिवादिया ने उक्त बिल को दूसरा विद्युत बिल समझते हुए अंतरिम तौर पर 50,000/- रूपये जमा करवा दिये तत्पष्चात् मई, 2013 में पिछली बकाया राषि व विद्युत खर्च की राषि जोडकर दूसरा बिल 1,06,957/- रूपये का जारी किया गया। तब पता चला कि विद्युत सम्बन्ध चालू किये बिना ही गलत तौर पर बिल जारी किया गया है, इस सम्बन्ध में षिकायत करने पर अप्रार्थीगण ने बताया कि एक बार सम्पूर्ण राषि जमा करा दिजिये, उसके बाद कोई कार्यवाही की जायेगी। अन्यथा दूसरा विद्युत कनेक्षन काट दिया जायेगा तब मजबूरन जुलाई, 2013 में 1,06,957/- रूपये जमा करवाये गये, जिन्हें परिवादिया वापस प्राप्त करने की अधिकारिणी है। यह भी बताया गया है कि गलत तरीके से राषि वसूल किये जाने का मौखिक निवेदन किये जाने पर अप्रार्थीगण ने बताया कि इसे दुरूस्त कर राषि लौटा देंगे लेकिन काफी समय निकल जाने के बावजूद जब कोई कार्यवाही नहीं की गई तो इस बाबत् अधिषाशी अभियंता को षिकायत की गई तथा लिखित निवेदन भी किया गया कि मांग पत्र अनुसार राषि जमा करवाने के बावजूद विद्युत ट्रांसफार्मर नहीं दिया गया है जो दिलाया जावे। इस बाबत् अप्रार्थीगण के कार्यालय रिपोर्ट अनुसार एसटीओ नम्बर 661/34/03.08.2009 का ट्रांसफार्मर नहीं दिया गया, जिससे साबित है कि अप्रार्थीगण ने परिवादिया से 1,56,957/- रूपये गलत रूप से वसूल किये हैं तथा वापस नहीं लौटाये हैं। परिवादिया ने उपर्युक्त आषय का परिवाद पेष कर निवेदन किया है कि खाता संख्या 1801-0336 के तहत गलत रूप से वसूल की गई राषि 1,56,957/- मय ब्याज वापस दिलाई जावे एवं इस खाता के लिए ट्रांसफार्मर लगाया जाकर विद्युत सम्बन्ध जोडने का आदेष देने के साथ ही मानसिक एवं आर्थिक परेषानी हेतु 50,000/- रूपये दिलाये जावे।

 

2.            अप्रार्थीगण की ओर से जवाब पेष कर बताया गया है कि षंकरसिंह पुत्र लादूसिंह के नाम से विद्युत कनेक्षन चालू हालत में था एवं परिवादिया ने षंकरसिंह की मृत्यु बाबत् कार्यालय में कोई प्रमाण-पत्र पेष नहीं किया है, ऐसी स्थिति में परिवादिया इस मामले में अप्रार्थीगण की उपभोक्ता नहीं है। यह भी बताया गया है कि षंकरसिंह के नाम  से दोनों विद्युत कनेक्षन चालू थे तथा उनके चालू होने से ही विद्युत आपूर्ति के बिल नियमानुसार जारी किये गये, इसी स्थिति में बकाया राषि जमा करवाई गई तथा संपूर्ण बकाया राषि जमा करवाकर नाम परिवर्तन की पत्रावली गुमानाराम पुत्र सुजाराम के नाम से दिनांक 16.07.2013 को जमा करवाकर षंकरसिंह से गुमानाराम के नाम की स्वीकृति जारी की गई तथा अब षंकरसिंह व परिवादिया अप्रार्थीगण के उपभोक्ता नहीं है बल्कि गुमानाराम पुत्र सुजाराम उपभोक्ता है। अप्रार्थीगण ने बताया है कि परिवादिया ने वास्तविक तथ्यों को छिपाकर यह परिवाद पेष किया है जबकि बताया गया उक्त विद्युत कनेक्षन एवं कृशि भूमि गुमानाराम को बेच दी गई थी, इस बाबत् पूर्व उपभोक्ता षंकरसिंह ने षपथ-पत्र भी प्रस्तुत किया है, ऐसी स्थिति में परिवाद चलने योग्य नहीं है। अप्रार्थीगण ने बताया है कि परिवादिया ने मनगढंत तथ्यों के आधार पर वास्तविक तथ्यों को छिपाते हुए परिवाद पेष किया है जबकि विवादित विद्युत कनेक्षन एवं कृशि भूमि गुमानाराम को बेच दी गई थी तथा यह विद्युत कनेक्षन गुमानाराम के नाम होकर चालू है, जहां गुमानाराम को निरन्तर विद्युत आपूर्ति की जा रही है। ऐसी स्थिति में यह परिवाद मय खर्चा खारिज किया जावे।

 

3.            बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। परिवादिया की ओर से परिवाद पत्र के समर्थन में स्वयं का षपथ-पत्र प्रस्तुत करने के साथ ही डिमांड नोटिस की राषि जमा कराने की रसीद प्रदर्ष 1, पुसबसिंह द्वारा अप्रार्थी संख्या 3 को दिये गये आवेदन प्रदर्ष 2 व 3, मार्च, 2013 का विद्युत बिल प्रदर्ष 4, मई, 2013 का विद्युत बिल प्रदर्ष 5 एवं पुसबसिंह द्वारा दिनांक 24.12.2014 को अधीक्षण अभियंता को दिया गया आवेदन प्रदर्ष 6 की फोटो प्रतियां पेष की गई है। परिवादिया के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि खाता संख्या 1801-0336 में ट्रांसफार्मर लगाकर विद्युत सम्बन्ध जोडे बिना ही अप्रार्थीगण ने मार्च 2013 व मई 2013 में गलत रूप से बिल जारी कर राषि वसूल कर ली जबकि अप्रार्थीगण को इसका कोई अधिकार नहीं था। अतः परिवाद स्वीकार कर यह राषि मय ब्याज वापस दिलाई जावे।

 

4.            उक्त के विपरित अप्रार्थीपक्ष की ओर से भी जवाब के समर्थन में षपथ-पत्र प्रस्तुत करने के साथ ही विवादित खाता के नाम परिवर्तन की पत्रावली प्रदर्ष ए 1, षंकरसिंह का षपथ-पत्र प्रदर्ष ए 2, गुमानाराम का षपथ-पत्र प्रदर्ष 3 एवं पुसबसिंह का षपथ-पत्र प्रदर्ष ए 4, षंकरसिंह द्वारा जमीन विक्रय करने बाबत् पंजीकृत बेचाननामा प्रदर्ष ए 5 तथा मई 2013 का विद्युत बिल प्रदर्ष ए 6 पेष किये गये हैं। अप्रार्थी पक्ष के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि परिवादिया के पति षंकरसिंह द्वारा विवादित विद्युत कनेक्षन एवं कृशि भूमि दिनांक 25.06.2013 को ही जरिये पंजीकृत बेचाननामा गुमानाराम को विक्रय करते हुए विद्युत सम्बन्ध भी गुमानाराम के नाम से करवाने हेतु पत्रावली पेष कर दी थी तथा षंकरसिंह एवं उसके भाई पुसबसिंह द्वारा प्रस्तुत षपथ-पत्रों एवं दस्तावेजात के आधार पर ही विवादित विद्युत सम्बन्ध गुमानाराम के नाम परिवर्तित कर दिया गया था, जो उस समय भी चालू था तथा आज भी चालू है। उनका तर्क रहा है कि षंकरसिंह के जीवनकाल में ही विवादित विद्युत बिल की राषि जमा हुई थी, क्योंकि उस समय विद्युत सम्बन्ध चालू था इसलिए षंकरसिंह ने अपने जीवनकाल में इस सम्बन्ध में कोई आपति नहीं की। यह भी तर्क दिया गया कि इस मामले में परिवादिया अप्रार्थीगण की उपभोक्ता नहीं है बल्कि अप्रार्थीगण को परेषान करने की नियत से यह परिवाद पेष किया गया है जो मय खर्चा खारिज किया जावे।

 

5.            पक्षकारान के विद्वान अधिवक्तागण द्वारा दिये तर्कों एवं प्रतितर्काें पर मनन करने के साथ ही पत्रावली पर उपलब्ध समस्त सामग्री का सावधानीपूर्वक अवलोकन किया गया। पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर यह स्वीकृत स्थिति है कि प्रारम्भ में विवादित विद्युत सम्बन्ध खाता संख्या 1801-0336 परिवादिया के पति षंकरसिंह पुत्र लादूसिंह के नाम से था एवं बाद में षंकरसिंह तथा उसके भाई पुसबसिंह द्वारा दिनांक 25.06.2013 को अपनी कृशि भूमि गुमानाराम को विक्रय कर दी तथा षंकरसिंह ने अपने नाम से रहे विद्युत सम्बन्ध को गुमानाराम के नाम से किये जाने बाबत् दिनांक 25.06.2013 को ही षपथ-पत्र प्रदर्ष ए 2 निश्पादित किया था। पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री से यह भी स्पश्ट है कि इसी दिनांक 25.06.2013 को गुमानाराम व पुसबसिंह द्वारा भी अपने-अपने षपथ-पत्र प्रदर्ष ए 3 एवं प्रदर्ष ए 4 निश्पादित किये गये हैं। उपर्युक्त तीनों ही षपथ-पत्रों में स्पश्ट किया हुआ है कि विद्युत खाता संख्या 1801-0336, जो कि षंकरसिंह के नाम से लिया हुआ है, उसे गुमानाराम के नाम से ट्रांसफर कर दिया जाये, इन षपथ-पत्रों में यह भी स्पश्ट उल्लेख है कि आज से पहले का बिजली का बिल जमा किया हुआ है। उपर्युक्त तीनों ही षपथ-पत्रों में अंकित तथ्यों को देखते हुए स्पश्ट है कि दिनांक 25.06.2013 को एवं उससे पूर्व विद्युत सम्बन्ध खाता संख्या 1801-0336 पर विद्युत सम्बन्ध चालू था तथा इस सम्बन्ध में विद्युत उपभोग हेतु प्राप्त बिल षंकरसिंह द्वारा जमा करवाये गये थे। अप्रार्थी पक्ष द्वारा प्रस्तुत प्रलेख प्रदर्ष ए 1 विद्युत सम्बन्ध में नाम परिवर्तन की पत्रावली है, जिसके अनुसार विद्युत सम्बन्ध खाता संख्या 1801-0336 षंकरंिसंह के नाम से गुमानाराम राईका के नाम हो चुका है। यह भी स्वीकृत स्थिति है कि परिवादिया द्वारा अपने परिवाद में या बहस के दौरान षंकरसिंह की मृत्यु की दिनांक प्रकट नहीं की गई है तथा न ही षंकरसिंह की मृत्यु बाबत् कोई मृत्यु प्रमाण-पत्र ही पेष किया गया है। परिवादिया की ओर से विवादित राषि जमा कराने बाबत् जो दो बिल पेष किये गये हैं उनमें से प्रथम बिल प्रदर्ष 4 माह मार्च, 2013 का रहा है, जिसके अनुसार दिनांक 31.03.2013 को 50,000/- रूपये जमा हुए हैं तथा दूसरा बिल प्रदर्ष 5 मई, 2013 का रहा है। जिसके अनुसार दिनांक 01.07.2013 को 1,06,957/- रूपये जमा हुए हैं। अप्रार्थी पक्ष द्वारा प्रस्तुत प्रलेख प्रदर्ष ए 1 विद्युत कनेक्षन में नाम परिवर्तन की पत्रावली रही है जो दिनांक 16.07.2013 को प्रस्तुत हुई है। उपर्युक्त प्रलेखिय साक्ष्य को देखते हुए यही प्रतीत होता है कि विद्युत बिल प्रदर्ष 4 एवं प्रदर्ष 5 की विवादित राषि परिवादिया के पति षंकरसिंह के जीवनकाल में ही जमा हो चुकी थी तथा षंकरसिंह द्वारा ही प्रस्तुत षपथ-पत्र प्रदर्ष ए 2 के अनुसार दिनांक 25.06.2013 को एवं उससे पूर्व विद्युत सम्बन्ध खाता संख्या 1801-0336 पर विद्युत कनेक्षन चालू था तथा इस सम्बन्ध में बिजली के बिल भी जमा किये हुए थे। यह भी स्वीकृत स्थिति है कि षंकरसिंह द्वारा अपने जीवनकाल में इस सम्बन्ध में कोई षिकायत या आपति प्रस्तुत नहीं की थी कि विवादित बिल प्रदर्ष 4 एवं प्रदर्ष 5 की राषि अप्रार्थीगण द्वारा गलत रूप से वसूल की गई है। यह भी स्वीकृत स्थिति है कि वर्तमान में विवादित विद्युत खाता संख्या 1801-0336 गुमानाराम के नाम से है जो कि अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है तथा गुमानाराम द्वारा यह कहीं भी नहीं बताया गया है कि विवादित खाता संख्या को क्रय करने के समय या अपने नाम करवाने के समय वहां ट्रांसफार्मर लगा हुआ न हो अथवा विद्युत सम्बन्ध चालू न हो।

 

6.            उपर्युक्त विवेचन को देखते हुए स्पश्ट है कि इस मामले में परिवादिया के प्रति अप्रार्थीगण का कोई सेवा दोश नहीं रहा है बल्कि परिवादिया ने वास्तविक तथ्यों को छिपाते हुए यह परिवाद पेष किया है जो निराधार होने के कारण खारिज किये जाने योग्य है।

 

 

 

आदेश

 

 

 

7.            परिणामतः परिवादिया सदाकंवर द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद अन्तर्गत धारा-12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का निराधार होने के कारण खारिज किया जाता है। पक्षकारान खर्चा अपना-अपना वहन करें।

 

8.            आदेश आज दिनांक 13.07.2016 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

 

।बलवीर खुडखुडिया।          ।ईष्वर जयपाल।      ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।

   सदस्य                            अध्यक्ष                   सदस्या

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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