Rajasthan

Nagaur

248/2012

chotharam jat - Complainant(s)

Versus

a.v.v.n.l. - Opp.Party(s)

sh.dinesh heda

05 May 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 248/2012
 
1. chotharam jat
godaro ki dani,degana
...........Complainant(s)
Versus
1. a.v.v.n.l.
ajmer
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:sh.dinesh heda, Advocate
For the Opp. Party: sh.surendra kumar jani, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

परिवाद सं. 248/2012


चैथाराम पुत्र श्री तेजाराम, जाति-जाट, निवासी-गोदारों की ढाणी, डेगाना, तहसील-डेगाना, जिला नागौर (राज)।                                                    -परिवादी     
बनाम
1. अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड जरिये अध्यक्ष/प्रबन्ध निदेशक प्रधान कार्यालय-हाथीभाटा, अजमेर।
2. अधीक्षण अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, नागौर।
3. सहायक अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, डेगाना, जिला-नागौर।
 -अप्रार्थीगण 
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

उपस्थितः
1. श्री दिनेश हेडा, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री सुरेन्द्र कुमार ज्याणी, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी।

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

                      आ  दे  श           दिनांक 05.05.2015

1. परिवाद पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अप्रार्थीगण से एक कृषि विद्युत कनेक्शन लिया हुआ है। जिसका स्वीकृत व कनेक्टेड लोड 50 अश्व शक्ति है। परिवादी नियमित रूप से मीटर के मुताबिक बिलों का भुगतान करता रहा है, परन्तु माह जुलाई, 2012 के बिल में पिछली बकाया राशि 72,195/- रूपये बताते हुए कुल 72,951/- रूपये का बिल जारी कर दिया। पता करने पर बताया गया कि उसके परिसर की वीसीआर भरी गई है जबकि  परिवादी के परिसर की कभी वीसीआर नहीं भरी गई। आॅफिस में बैठकर वीसीआर तैयार की गई है, क्योंकि वीसीआर तैयार करने के सम्बन्ध में विद्युत अधिनियम व इसके तहत नियमों में आज्ञापक प्रावधान किये गये, उनकी पालना नहीं की गई। ना ही कोई फोटोग्राफी की गई। किस व्यक्ति की उपस्थिति में वीसीआर भरी गई, उनके नाम का कोई उल्लेख नहीं है। ना ही परिवादी को वीसीआर की काॅपी दी गई। वीसीआर के महत्वपूर्ण काॅलम खाली पडे हैं। वीसीआर में परिवादी के मीटर का नम्बर 907219 बताया गया है, उक्त नम्बर का कोई मीटर परिवादी के परिसर में लगा हुआ नहीं है। परिवादी के परिसर में लगे हुए मीटर का नम्बर 743486 है।

2. वीसीआर के महत्वपूर्ण काॅलम बाॅडी सील नम्बर, टर्मिनल सील नम्बर, मीटर बाॅक्स सील नम्बर, केडब्लूएच खाली पडे हैं, जबकि जांच दल को मौके पर ही उनकी पूर्ति करनी पडती है। परन्तु जांच की ही नहीं गई। इसलिए यह सब काॅलम खाली हैं। 66 अश्व शक्ति का लोड बताकर गलत वीसीआर तैयार की गई है। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी एवं अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस की परिभाषा में माना जावे।


3. अनुतोष चाहा गया है कि विवादित वीसीआर दिनांक 12.01.2012 की राशि निरस्त की जावे। इस आधार पर जारी विद्युत बिल माह मई, 2012 व जुलाई 2012 भी निरस्त किये जावे। परिवादी को क्षतिपूर्ति व परिवाद व्यय राशि भी दिलाई जावे।

4. अप्रार्थीगण का जवाब संक्षेप में निम्न प्रकार हैः-परिवादी द्वारा भार बढाकर विद्युत चोरी की जा रही थी, जिसकी वीसीआर 8323-5 दिनांक 12.01.2012 परिवादी की उपस्थिति में तैयार की गई । स्वीकृत भार से 16 एचपी अतिरिक्त भार बढाकर परिवादी विद्युत चोरी कर रहा था। वीसीआर में सभी काॅलम दर्ज किये गये हैं।


5. बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अध्ययन व मनन किया गया।

6. इस प्रकरण में मुख्य विवादास्पद बिन्दु वीसीआर दिनांक 12.01.2012 प्रदर्श ए 1 है। अप्रार्थीगण का इस सम्बन्ध में यह कथन है कि वीसीआर सही भरी गई। प्रार्थी दो टयूबवेल चला रहा था। स्वीकृत भार 50 एचपी है जबकि मौके पर परिवादी 60 एचपी काम में ले रहा था। इस प्रकार से चोरी का मामला है।


7. इसके विपरित विद्वान अधिवक्ता परिवादी का तर्क है कि वीसीआर आॅफिस में बैठकर तैयार की गई है। विद्युत विभाग के नियमों एवं कंडीशन व शर्तों की पालना नहीं की गई है किसी अन्य के ट्यूबवेल की जांच की गई है परिवादी को गलत नोटिस दिया गया है। परिवादी के ट्यूबवेल की गलत तरीके से वीसीआर बताई गई है।

8. जहां तक वीसीआर की विश्वसनीयता का प्रश्न है वीसीआर में मीटर नम्बर 907219 अंकित है जबकि परिवादी की ओर से प्रस्तुत विद्युत बिल प्रदर्श 1 लगायत प्रदर्श 6 में मीटर नम्बर 743486 अंकित है। इसका कोई स्पष्टीकरण अप्रार्थीगण के पास नहीं है कि परिवादी का मीटर नम्बर गलत क्यों लिखा गया। गलत लिखा गया मीटर नम्बर किसका है, यह भी नहीं बता पाये हैं। जबकि परिवादी का मीटर नम्बर भिन्न है, क्यों नहीं सही मीटर नम्बर लिखा गया। इसके अलावा वीसीआर रिपोर्ट में काॅलम संख्या 3, 4, 5, 6, 7 खाली हैं। इनमें वांछित प्रविष्टि नहीं की गई है, इसका भी कोई स्पष्टीकरण अप्रार्थीगण के पास नहीं है। विवादित कनेक्शन/ट्यूबवेलस का छाया चित्र भी नहीं लिया गया है जिससे इस बात की प्राथमिक पुष्टि होती कि वस्तुतः मौके पर जाकर जांच की गई है। उपभोक्ता या उसके प्रतिनिधि के हस्ताक्षर नहीं है ना ही गवाहों के हस्ताक्षर है। यह एक आम प्रेक्टिस हो गई है कि वीसीआर के समय इस काॅलम में रिफ्यूज्ड यानि इन्कारी लिख देते हैं।


9. इसके अलावा यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि दिनांक 12.01.2012 को वीसीआर में स्वीकृत लोड 50 से अधिक बढा हुआ लोड 60 एचपी मानते हैं तो वीसीआर के पश्चात जो भी बिल यथा प्रदर्श 5, 6 जारी हुए हैं उनमें कनेक्टेड लोड 50 एचपी दर्शाया गया है, जबकि यह लोड 60 एचपी दर्शाया जाना चाहिए था क्योंकि अप्रार्थीगण के मुताबिक कनेक्टेड 50 एचपी के स्थान पर 60 एचपी पाया जाना मानते हैं, इसका भी कोई स्पष्टीकरण अप्रार्थीगण के पास नहीं है।

10. अप्रार्थीगण का यह तर्क है कि एक ही कनेक्शन से दो ट्यूबवेल चला रहा था जिसका अधिकार परिवादी को बिना अनुमति के प्राप्त नहीं होता है, परन्तु विद्वान अधिवक्ता परिवादी का यह तर्क है कि परिवादी को एक कनेक्शन से दो कुए चलाने का अधिकार है। उसे चोरी का मामला नहीं माना जा सकता। इस सम्बन्ध में विद्युत विभाग के सर्कूलर क्रम एवीवीनिलि/निलि/अ.अ./योजना/प्रे. 2110 दिनांक 16.07.05 आदेश 213 के अनुसार एक कृषक अपने खेत परिसर में दूसरे कुएं पर मोटर चलाने के लिए भार बढाना चाहता है तो उसे एक ही कनेक्शन से दो ट्यूबवेल चलाने का अधिकार है इसके लिए विद्युत विभाग को मांग पत्र कृषि कनेक्शन नीति 2004 के बिन्दु संख्या 10 (प्) के अनुसार जारी करना होगा। हमने इस सम्बन्ध में कृषि कनेक्शन नीति 2004 (संशोधित 18.09.2004) नियम 22 (प्प्) का अवलोकन किया। इसके अनुसार 10 मीटर अधिक दूरी पर उसी खसरे/खेत/परिसर/मुरब्बा में स्थान परिवर्तन कर लेता है तो उसे चोरी का मामला नहीं मानकर अतिरिक्त एलटी लाईन की कीमत 100 रूपये प्रति मीटर व लाईन में लगने वाले पोल रूपये 2000 प्रति पोल या 1500 रूपये प्रति हाॅर्सपावर 10 एचपी तक तथा इसके बाद 750 रूपये प्रति हाॅर्सपावर के दर से जो भी कम हो लिये जायेंगे। इस प्रकार से उक्त सर्कूलर की रोशनी में परिवादी का केस चोरी की श्रेणी में नहीं आता है।

11. अप्रार्थीगण के द्वारा जो विवादित वीसीआर की कार्रवाई की गई है वह संदेहजनक है, विश्वसनीय नहीं है। इस प्रकार से परिवादी अपना परिवाद साबित करने में सफल रहा है।


आदेश


12. आदेश दिया जाता है कि अप्रार्थीगण द्वारा तैयार की गई वीसीआर दिनांक 12.01.2012 निरस्त की जाती है। अप्रार्थीगण द्वारा उपरोक्त वीसीआर की राशि परिवादी से वसूल नहीं की जावे। अप्रार्थीगण, परिवादी को 1500/- रूपये परिवाद व्यय भी अदा करें।


आदेश आज दिनांक 05.05.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

।बलवीर खुडखुडिया।    ।बृजलाल मीणा।   ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।
     सदस्य                 अध्यक्ष            सदस्या

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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