जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 69/2014
भंवरलाल पुत्र श्री रामचन्द्र, जाति-माली, निवासी-रोडवेज बस स्टेण्ड के सामने, नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. अजमेर विद्युत वितरण निगम लि., जरिये एम.डी./चैयरमेन, अजमेर विद्युत वितरण निगम लि., अजमेर (राज.)।
2. अजमेर विद्युत वितरण निगम लि., जरिये सहायक अभियंता (ओ. एण्ड एम.), अजमेर विद्युत वितरण निगम लि., नागौर (राज.)।
3. अजमेर विद्युत वितरण निगम लि., जरिये अधिषाशी अभियंता (सतर्कता), अजमेर विद्युत वितरण निगम लि., नागौर (राज.)।
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री बद्रीनारायण पारीक, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री राधेष्याम सांगवा, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थीगण।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
निर्णय दिनांक 01.06.2016
1. परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अपने प्रतिश्ठान बाबा रामदेव भोजनालय पर अप्रार्थीगण से एक विद्युत कनेक्षन (स्वीकृत भार एक किलोवाट, श्रेणी एन.डी.एस.) ले रखा है। जिसके खाता संख्या 2410/108 है। परिवादी, अप्रार्थीगण द्वारा उपर वर्णित विद्युत कनेक्षन के लिए उपभोग के आधार पर जारी किये गये बिलों का नियम समयावधि में भुगतान करता आ रहा है अर्थात् गत माह तक परिवादी के खाते में अप्रार्थीगण की कोई राषि बकाया नहीं रही है। इसके बावजूद अप्रार्थीगण ने परिवादी के नाम से एक नोटिस क्रमांक 1208, दिनांक 04.03.2014 जारी किया जो परिवादी को मिला। उक्त नोटिस के अनुसार परिवादी में 42,450/- रूपये बकाया निकालते हुए सात दिवस में जमा कराने का कहा गया तथा यह भी बताया गया कि उक्त राषि जांच प्रतिवेदन संख्या 9727/16 दिनांक 19.02.2014 के द्वारा आरोपित की गई है। जबकि परिवादी या उसके किसी भी प्रतिनिधि की उपस्थिति में कभी उसके परिसर की जांच नहीं की गई। अप्रार्थीगण ने उसे नोटिस जारी करने से पूर्व भी सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया। परिवादी ने अपने परिसर में किसी भी प्रकार की कोई विद्युत चोरी नहीं की और ना ही विद्युत का किसी भी प्रकार से कोई दुरूपयोग किया है, बल्कि परिवादी विद्युत उपभोग के आधार पर जारी बिलों का समय-समय पर भुगतान करता आ रहा है। अप्रार्थीगण ने नोटिस के साथ सतर्कता जांच प्रतिवेदन की प्रति भी परिवादी को उपलब्ध नहीं करवाई, तथाकथित जांच प्रतिवेदन पर न तो परिवादी के हस्ताक्षर है और न ही उसके किसी प्रतिनिधि के हस्ताक्षर है। न ही उक्त जांच प्रतिवेदन पर परिवादी या उसके किसी प्रतिवेदन के हस्ताक्षर है और न ही उक्त जांच प्रतिवेदन पर जांच के समय मौके पर उपस्थित व्यक्ति का नाम एवं उपभोक्ता से सम्बन्ध ही अंकित किया गया है। इससे स्पश्ट है कि अप्रार्थीगण ने उक्त कार्रवाई सरासर फर्जी एवं गलत है। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी एवं अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस की श्रेणी में आता है। अतः अप्रार्थीगण द्वारा जारी नोटिस क्रमांक 1208, दिनांक 04.03.2014 व सतर्कता जांच प्रतिवेदन संख्या 9787/16, दिनांक 19.02.2014 निरस्त की जावे एवं इस नोटिस के आधार पर जारी आगामी बिलों को भी निरस्त फरमाया जावे। इसके अलावा परिवाद में अंकितानुसार अनुतोश दिलाये जावे।
2. अप्रार्थीगण का जवाब में मुख्य रूप से कहना है कि अजमेर विद्युत वितरण निगम, नागौर के अधिषाशी अभियंता (सतर्कता) ने उपभोक्ता भंवरलाल की उपस्थिति में ही दिनांक 19.02.2014 को उसके परिसर की जांच की। जांच के दौरान परिसर के पास स्थित थ्री फेस ट्रांसफार्मर के एल.टी. फ्यूज सर्किट की तरफ से काले रंग की केबल से सिंगल फेस सप्लाई लेकर विद्युत का उपभोग अपने परिसर में करता पाया गया। जिस पर उपभोक्ताा की उपस्थिति में ही इस मौके पर ही वी.सी.आर. तैयार की गई तथा फोटो ली गई तथा काले रंग की केबल जब्त की गई। उपभोक्ता को जांच प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर के लिए कहा गया तो उसने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। ऐसी स्थिति में अप्रार्थीगण की कार्यवाही को फर्जी करार नहीं दिया जा सकता। परिवादी का उक्त कृत्य विद्युत चोरी की श्रेणी में आता है। जांच अधिकारी द्वारा निगम नियमानुसार असेसमेंट करके 42,450/- रूपये का नोटिस दिया गया। जो सही दिया गया। निगम के अधिषासी अभियंता (सतर्कता) ने मौके पर प्राप्त साक्ष्य के आधार पर वी.सी.आर. षीट भरी तथा मौका उपस्थिति में जो साक्ष्य जांच अधिकारी के सामने आये उन साक्ष्यों का पूर्ण विवरण वी.सी.आर. षीट में इन्द्राज किया गया। परिवादी को नियमानुसार प्रषमन राषि 3,000/- रूपये व सिविल लाईबिलिटी की राषि 39,450/- रूपये, कुल 42,450/- रूपये की राषि का नोटिस जारी किया गया। नोटिस की राषि जमा नहीं करवाने पर उक्त राषि उपभोक्ता के खाते में डेबिट की गई। जो नियमानुसार वसूली योग्य होने से अप्रार्थीगण प्राप्त करने के अधिकारी है। परिवादी का उक्त सम्पूर्ण कृत्य विद्युत चोरी की श्रेणी में आता है और ऐसे मामले मंच के श्रवण क्षेत्राधिकार में नहीं आते हैं। अतः परिवादी का परिवाद मय हर्जा खर्चा खारिज किया जावे।
3. बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथ-पत्र प्रस्तुत करने के साथ ही अप्रार्थी पक्ष द्वारा जारी नोटिस प्रदर्ष 1 एवं विद्युत बिल प्रदर्ष 2 पेष किये हैं। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि परिवादी को नोटिस जारी करने से पूर्व सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया तथा न ही नोटिस के साथ सतर्कता जांच प्रतिवेदन की कोई प्रति ही पेष की गई। ऐसी स्थिति में परिवाद स्वीकार कर नोटिस के आधार पर जारी बिल निरस्त किया जावे।
4. उक्त के विपरित अप्रार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता ने अप्रार्थी पक्ष की ओर से प्रस्तुत प्रलेख नोटिस प्रदर्ष ए 1, वी.सी.आर. षीट प्रदर्ष ए 2 व मीटर बाईन्डर रिपोर्ट प्रदर्ष ए 3 की ओर मंच/न्यायालय का ध्यान आकर्शित कर तर्क दिया है कि दिनांक 19.02.2014 को मौके की जांच करने पर उपभोक्ता अपने परिसर के पास स्थित निगम के ट्रांसफार्मर के एल.टी. फ्यूज सर्किट की तरफ से काले रंग की केबल से सप्लाई लेकर विद्युत का उपभोग करता पाया गया। इसी आधार पर राषि की गणना कर परिवादी को दिनांक 04.03.2014 को नोटिस प्रदर्ष ए 1 जारी किया गया है। उनका तर्क रहा है कि परिवादी का कृत्य विद्युत चोरी का होकर दण्डनीय अपराध रहा है एवं ऐसे मामले उपभोक्ता न्यायालय के श्रवणाधिकार में नहीं होने के कारण खारिज किया जावे। उन्होंने अपने तर्क के समर्थन में निम्नलिखित न्याय निर्णय भी पेष किये हैंः-
(1.) 2013 (8) एससीसी 491 उतरप्रदेष पावर कोरपोरेषन लिमिटेड व अन्य बनाम अनीस अहमद
(2.) माननीय राज्य उपभोक्ता आयोग, जयपुर द्वारा अपील संख्या 934/13 सुरेष कुमार बनाम अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड आदेष दिनांक 01.12.2014
(3.) माननीय राज्य उपभोक्ता आयोग, जयपुर द्वारा अपील संख्या 674/2010 एसिसटेंड इंजीनियर, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड बनाम कैलाषचन्द्र आदेष दिनांक 13.03.2014
5. पक्षकारान के विद्वान अधिवक्तागण द्वारा दिये तर्कों पर मनन कर अप्रार्थी पक्ष की ओर से प्रस्तुत उपर्युक्त वर्णित न्याय निर्णयों में माननीय न्यायालयों द्वारा अभिनिर्धारित मत के परिप्रेक्ष्य में पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री का अवलोकन किया गया। पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर यह स्वीकृत स्थिति है कि परिवादी ने अपने प्रतिश्ठान बाबा रामदेव भोजनालय पर एक विद्युत सम्बन्ध जिसका स्वीकृत भार एक किलोवाट, श्रेणी एन.डी.एस. ले रखा है। अप्रार्थी पक्ष द्वारा प्रस्तुत प्रलेख केन्द्रीय सतर्कता जांच प्रतिवेदन प्रदर्ष ए 2 का अवलोकन पर स्पश्ट है कि दिनांक 19.02.2014 को चैकिंग पार्टी ने परिवादी के परिसर पर निरीक्षण किया तो परिवादी अपने परिसर के पास स्थित निगम के थ्री फेस ट्रांसफार्मर के एल.टी. फ्यूज सर्किट की तरफ से काले रंग की केबल से सप्लाई लेकर विद्युत का उपभोग अपने परिसर में करता पाया गया। पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री से यह भी स्पश्ट है कि दिनांक 19.02.2014 की निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर ही परिवादी को नोटिस प्रदर्ष ए 1 जारी कर 42,450/- रूपये की मांग की गई है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय 2013 (8) एससीसी 491 उतरप्रदेष पावर कोरपोरेषन लिमिटेड व अन्य बनाम अनीस अहमद में अभिनिर्धारित किया है कि ब्वउचसंपदज ंहंपदेज ंेेमेेउमदज उंकम नदकमत ैण् 126 वत ंबजपवद जंामद ंहंपदेज जीवेम बवउउपजजपदह वििमदबमे नदकमत ैेण् 135 जव 140 व िम्समबजतपबपजल ।बजए 2003ए ीमसकए पे दवज उंपदजंपदंइसम इमवितम ं ब्वदेनउमत थ्वतनउ. ब्पअपस बवनतजष्े रनतपेकपबजपवद जव बवदेपकमत ं ेनपज ूपजी तमेचमबज जव जीम कमबपेपवद व िंेेमेेपदह वििपबमत नदकमत ैण् 126ए वत ूपजी तमेचमबज जव ं कमबपेपवद व िजीम ंचचमससंजम ंनजीवतपजल नदकमत ैण् 127 पे इंततमक नदकमत ैण् 145 व िम्समबजतपबपजल ।बजए 2003ण्
6. माननीय राज्य आयोग राजस्थान, जयपुर द्वारा निर्णित अपील संख्या 674/2010 एसिसटेंट इंजीनियर, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड बनाम कैलाषचन्द्र आदेष दिनांक 13.03.2014 मामले में परिवादी ने अपनी फ्लोर मील पर 5 एच.पी. का विद्युत सम्बन्ध ले रखा था, जहां विजिलेंस पार्टी द्वारा दिनांक 29.05.2009 को निरीक्षण करने पर पाया कि परिवादी मौके पर 6.21 एच.पी. लोड का उपभोग कर रहा था जबकि मीटर धीरे चल रहा था, ऐसी स्थिति में वी.सी.आर. षीट के आधार पर गणना कर डिमांड नोटिस जारी किया गया था। यह मामला माननीय राज्य आयोग के समक्ष आने पर यही अभिनिर्धारित किया गया कि जहां उपभोक्ता अनाधिकृत रूप से विद्युत उपभोग करते पाया जाता है तथा वी.सी.आर. षीट के आधार पर गणना कर डिमांड नोटिस जारी कर वसूली की कार्रवाई प्रारम्भ की जाती है, वहां ऐसे मामले की सुनवाई का अधिकार उपभोक्ता न्यायालय को नहीं रहता है।
इसी प्रकार अपील संख्या 934/13 सुरेष कुमार बनाम अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड आदेष दिनांक 01.12.2014 वाला मामला भी विजिलेंस पार्टी द्वारा निरीक्षण से सम्बन्धित है तथा निरीक्षण के समय मीटर बंद पाया गया था एवं उपभोक्ता के परिसर में व्यावसायिक विद्युत सम्बन्ध रहा था, ऐसी स्थिति में माननीय राज्य आयोग का यही मत रहा कि उपभोक्ता न्यायालय को परिवाद की सुनवाई का अधिकार नहीं है।
7. उपर्युक्त वर्णित न्याय निर्णयों में माननीय न्यायालयों द्वारा अभिनिर्धारित मत के परिप्रेक्ष्य में हस्तगत मामले की पत्रावली का अवलोकन करें तो स्पश्ट है कि इस मामले में भी परिवादी ने अपने परिसर पर एन.डी.एस. श्रेणी का विद्युत सम्बन्ध ले रखा है, जहां विजिलेंस कमेटी ने दिनांक 19.02.2014 को मौके का निरीक्षण किया तो परिवादी अनाधिकृत रूप से विद्युत उपभोग करता पाया गया जो कि भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 135 के प्रावधान अनुसार विद्युत चोरी की श्रेणी में आता है। यह भी स्पश्ट है कि वी.सी.आर. षीट के आधार पर ही गणना कर बकाया राषि की वसूली हेतु परिवादी को नोटिस जारी किया गया। ऐसी स्थिति में स्पश्ट है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता न्यायालय के श्रवणाधिकार में नहीं आता है तथा परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
8. परिणामतः परिवादी भंवरलाल द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद अन्तर्गत धारा- 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच में पोशणीय न होने के कारण खारिज किया जाता है तथापि परिवादी सक्षम सिविल न्यायालय से अनुतोश प्राप्त करने हेतु स्वतंत्र होगा। पक्षकारान खर्चा अपना-अपना वहन करें।
9. आदेश आज दिनांक 01.06.2016 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।ईष्वर जयपाल। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या