राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
परिवाद संख्या:-294/2018
Brij Bhushan Sachan, S/o Shri S.P. Sachan, R/o Flat No.9 Mansarovar Appartment, Plot No. 886, Ward No. 8 Mehrauli, New Delhi, Presently Resides at Village Gulawali, Sector 162 Noida.
........... Complainant
Versus
AVP Build Tech. Pvt. Ltd. Registered office AVP House, B-47, Sector 51 Noida through its Managing Director.
……..…. Opp. Party
समक्ष :-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री एस0के0 श्रीवास्तव
विपक्षी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :-09/10/2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादी श्री बृज भूषण सचान ने यह परिवाद विपक्षी ए.वी.पी. बिल्ड टेक प्राइवेट लिमिटेड के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
A- That the Opposite Party be directed to pay a total sum of Rs. 20,85,413/- along with 18% interest from the date of each deposit till the date of its actual payment.
B- And also sum of Rs. 5,00,000/- (Five Laces) being compensation/damages.
C- That the Hon’ble Commission may be pleased to award costs of this litigation to the complainant at present quantified at Rs. 1,10,000/-
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D- and or any other award or decree which this Hon,ble Commission feels just and necessary in the circumstances of the case.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षी के यहॉ 1,00,000.00 रू0 जमा कर एक फ्लैट के लिए आवेदन पत्र प्रस्तुत किया, परन्तु यह एक लाख रूपया जमा करने की रसीद विपक्षी ने नहीं दिया। उसके बाद 3,94,766.00 रू0 और दिनांक 12.10.2012 को जमा किया तब विपक्षी ने उसे यूनिट नं0-1303 ब्लाक ई, 13 फ्लोर नोएडा में 995.00 वर्ग फुट का आवंटित किया। जिसका कुल मूल्य 26,31,755.00 रू0 था और भुगातन Flexi Plan –B के अनुसार होना था। परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षी ने परिवादी के पक्ष में दिनांक 13.6.2011 को करार पत्र निष्पादित किया और करार पत्र की शर्तों के अनुसार परिवादी ने विपक्षी को दिनांक 28.6.2012 तक 20,85,413.00 रू0 का भुगतान किया। उसके बाद विपक्षी ने परिवादी से बढ़े हुए क्षेत्र के लिए अतिरिक्त धनराशि की मॉग की, जिसे परिवादी ने स्वीकार नहीं किया। तब विपक्षी ने परिवादी को फ्लैट नं0-एच-1303 प्रस्तावित किया, जिसे परिवादी ने स्वीकार कर लिया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने भुगतान हेतु Flexi Plan –B का विकल्प चुना और विपक्षी ने उसे 36 महीनों में फ्लैट का कब्जा देने का आश्वासन दिया, परन्तु विपक्षी ने परिवाद प्रस्तुत करने तक न तो फ्लैट का कब्जा दिया और न ही निर्माण कार्य शुरू
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किया जबकि परिवादी उसके यहॉ दिनांक 28.6.2012 तक 20,85,413.00 रू0 जमा कर चुका है। अत: विवश होकर परिवादी ने विपक्षी को कानूनी नोटिस भेजा, परन्तु विपक्षी ने उसका कोई जवाब नहीं दिया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसके द्वारा 20,85,413.00 रू0 जमा करने पर भी उसे फ्लैट का कब्जा नहीं मिला है और उसे उसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। विपक्षी ने उससे गलत ढंग से यह धनराशि प्राप्त की है और उसने अनुचित व्यापार पद्धति अपनाई है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने दिनांक 16.7.2018 को विपक्षी को अपनी जमा धनराशि ब्याज सहित वापस करने हेतु नोटिस भेजा, परन्तु विपक्षी ने जमा धनराशि वापस नहीं किया। तब विवश होकर उसने परिवाद राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षी को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस दिनांक 24.10.2018 को प्रेषित की गई है जो अदम तामील वापस नहीं आयी है। अत: 30 दिन से अधिक का समय बीतने के पश्चात विपक्षी पर नोटिस का तामीला पर्याप्त माना गया है, फिर भी विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है और न कोई लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है।
परिवादी की ओर से परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में शपथपत्र प्रस्तुत किया है।
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परिवाद की अंतिम सुनवाई के समय परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री एस0के0 श्रीवास्तव उपस्थित आये है।
मैंने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के साथ विपक्षी के यहॉ फ्लैट के आवंटन हेतु दिये गये प्रार्थना पत्र की फोटोप्रति और विपक्षी द्वारा उसके पक्ष में निष्पादित करार पत्र दिनांक 13.6.2011 की फोटोप्रति प्रस्तुत किया है। करार पत्र दिनांक 13.6.2011 के द्वारा विपक्षी ने परिवादी से दो बेड रूम फ्लैट नं0-1303 के विक्रय का करार किया है। फ्लैट का तय मूल्य 26,31,755.00 रू0 है, जिसमें 3,94,766.00 रू0 का अग्रिम भुगतान परिवादी ने विपक्षी को किया है और शेष धनराशि 22,36,989.00 रू0 का भुगतान करार पत्र के साथ संलग्न पेमेंट प्लान के अनुसार किया जाना है, पेमेंट प्लान कंस्ट्रकशन लिंक प्लान है। विक्रय करार पत्र के अनुसार फ्लैट का कब्जा जून 2016 तक या उसके पहले देने का वादा विपक्षी ने किया है, परन्तु अब तक फ्लैट का निर्माण होना नहीं बताया गया है। अत: अब परिवादी से और इंतजार की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। अत: परिवादी की जमा धनराशि ब्याज सहित परिवादी को वापस दिलाया जाना उचित है।
परिवादी ने एक लाख रूपया बुकिंग प्रार्थना पत्र के साथ विपक्षी के यहॉ जमा करना कहा है और कहा है कि विपक्षी ने इस घनराशि
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की रसीद नहीं दिया है। परिवादी द्वारा कथित जमा की यह धनराशि उसके द्वारा प्रस्तुत Statement of Account में भी अंकित नहीं है। अत: परिवादी द्वारा कथित जमा की यह धनराशि स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। परिवादी इस कथित जमा धनराशि के सम्बन्ध में सक्षम न्यायालय में कार्यवाही करने हेतु स्वतंत्र है।
विपक्षी द्वारा व्यवस्थित अपने एकाउन्ट के स्टेटमेंट की प्रति परिवादी ने प्रस्तुत की है, जिसके अनुसार उसने विपक्षी के यहॉ कुल 18,58,663.00 रू0 जमा किया है जिसमें 18,10,900.00 रू0 विक्रय प्रतिफल की धनराशि और 47,963.00 रू0 सर्विस टैक्स की धनराशि है। परिवादी ने 1,26,550.00 की रसीद दिनांक 21.7.2017 भी प्रस्तुत किया है। इस प्रकार परिवादी द्वारा जमा धनराशि 19,85,413.00 रू0 मानने हेतु उचित आधार है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र से भी यह जमा धनराशि समर्थित है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सिविल अपील नम्बर (एस) 3948 वर्ष 2019 एस.एल.पी. (सी) 9575 वर्ष 2019 मैसर्स कृष्णा स्टेट डेवलपर्स प्राइवेट लि0 बनाम नवीन श्रीवास्तव में पारित आदेश दिनांक 15 अप्रैल, 2019 को दृष्टगत रखते हुए विपक्षी को परिवादी की जमा धनराशि 19,85,413.00 रू0 इस निर्णय की तिथि से तीन मास के अन्दर जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस करने का अवसर दिया जाना उचित है यदि विपक्षी इस अवधि में परिवादी की जमा
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धनराशि उपरोक्त दर से ब्याज के साथ वापस नहीं करता है तब विपक्षी परिवादी की जमा धनराशि 19,85,413.00 रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज के साथ वापस करेगा।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद अंशत: स्वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से तीन मास के अन्दर परिवादी को उसकी जमा धनराशि 19,85,413.00 रू0 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ अदा करें। यदि इस अवधि में वह परिवादी की जमा धनराशि 19,85,413.00 रू0 उपरोक्त दर से ब्याज के साथ अदा करने में चूक करता है तब वह परिवादी की जमा धनराशि 19,85,413.00 रू0 परिवादी को जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस करेगा।
विपक्षी परिवादी को 10,000.00 रू0 वाद व्यय भी अदा करेगा।
परिवादी विपक्षी द्वारा आदेशित धनराशि के भुगतान में चूक किये जाने पर विधि के अनुसार वसूली राज्य आयोग के माध्यम से कर सकता है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1