Uma Shanker filed a consumer case on 21 Jun 2023 against A.R.T.O.(Admin.) Barabanki & Chola Mandalam Invst. & Fin. Co. Ltd. in the Barabanki Consumer Court. The case no is CC/98/2019 and the judgment uploaded on 23 Jun 2023.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 17.05.2019
अंतिम सुनवाई की तिथि 30.05.2023
निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि 21.06.2023
परिवाद संख्याः 98/2019
उमाशंकर आयु लगभग 50 वर्ष पुत्र रामानन्द निवासी ग्राम महुलारा थाना व तहसील रामसनेहीघाट जनपद-बाराबंकी।
द्वारा-श्री अनूप शुक्ला अधिवक्ता
बनाम
1. उप संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) जनपद-बाराबंकी।
2. जनरल मैनेजर चोलामण्डलम इन्वेस्टमेन्ट एण्ड फायनेन्स कम्पनी लि0 पता डेयर हाउस प्रथम तल 2 एन. एस. सी. बोस रोड चेन्नई इंडिया।
द्वारा-श्री राजेश कुमार सिंह, एडवोकेट
समक्षः-
माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष
माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य
माननीय डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य
उपस्थितः परिवादी की ओर से -कोई नहीं
विपक्षीगण की ओर से-कोई नहीं
द्वारा-श्रीमती मीना सिंह, सदस्य
निर्णय
परिवादी ने यह परिवाद, विपक्षी के विरूद्व अंतर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत कर अनुतोष चाहा है कि विपक्षी सं0-02 को आदेशित किया जाय कि वह अपने व्यय पर ए. आर. टी. ओ. बाराबंकी को सूचित करें कि वाहन महिन्द्रा मैक्सिमो टैक्सी गाड़ी पंजीयन नं0-यू0 पी0 41टी 8526 को दिनांक 31.03.2016 से अपने कब्जे में ले लिया गया है ऐसे में टैक्स के संबंध में परिवादी को विपक्षी संख्या-01 द्वारा आर0 सी0 जारी न की जाय एवं शारीरिक क्षति व मानसिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 1,00,000/- तथा परिवाद व्यय व अधिवक्ता शुल्क के रूप में कुल रू0 55,000/-दिलाया जाय।
परिवादी ने परिवाद में मुख्य रूप से अभिकथन किया है कि परिवादी उक्त पते का निवासी है। उसने अपने परिवार के पालन पोषण हेतु विपक्षी की कम्पनी से फायनेन्स कराकर महिन्द्रा मैक्सिमो टैक्सी गाड़ी पंजीयन नं0-यू0 पी0 41 टी 8526 क्रय किया था। परिवादी अपनी उपरोक्त टैक्सी की किश्तें समयानुसार विपक्षी की कम्पनी में जमा करता रहा और अधिकांश किश्तें जमा कर दिया है। परिवादी बीमार पड़ जाने के कारण वाहन का संचालन सुचारू रूप से नहीं कर सका जिसकी वजह से कुछ किश्तें समय से जमा नहीं हो सकी जिस पर विपक्षी सं0-02 के कर्मचारियों ने दिनांक 30.06.2016 को परिवादी से उसकी महिन्द्रा मैक्सिमो टैक्सी गाडी़ पंजीयन सं0-यू0पी0 41 टी 8526 मय समस्त पंजीयन कागजात के अवैध व विधि विरूद्व तरीके से अपने कब्जे में ले लिया और वाहन कब्जे में लेने की रसीद परिवादी को दिया तथा कहा कि आपका वाहन अच्छी स्थिति में है। आप द्वारा लिया गया सम्पूर्ण लोन आपके वाहन से अदा हो जायेगा। आप आज दिनांक 31.03.2016 से उक्त वाहन के देय टैक्स व कर्ज की जिम्मेदारी से मुक्त हो गये है। परिवादी के वाहन को विपक्षी संख्या-02 के कर्मचारी दिनांक 30.06.2016 को लकी यार्ड हरदोई रोड मलिहाबाद लखनऊ लेकर चले गये। लेकिन विपक्षी सं0-02 द्वारा जानबूझकर हैरान व परेशान करने व क्षति पहुॅचाने के उद्देश्य से परिवादी के वाहन महिन्द्रा मैक्सिमो टैक्सी गाड़ी पंजीयन नं0-यू0 पी0 41 टी 8526 को समय से कर्ज अदा न कर पाने के कारण अपने कब्जे में लेने की सूचना ए. आर. टी. ओ. आफिस बाराबंकी को नहीं प्रेषित किया। चूॅकि परिवादी का वाहन महिन्द्रा मैक्सिमो टैक्सी व्यवसायिक श्रेणी में पंजीकृत था इसलिये उस पर देय टैक्स लगातार चलता रहा। परिवादी को ए. आर. टी. ओ. बाराबंकी से दिनांक 11.12.2018 को रू0 1,04,742/-की आर0 सी0 प्राप्त हुई। विपक्षी सं0-02 के उक्त कृत्य से परिवादी की सामाजिक मान मर्यादा व प्रतिष्ठा धूमिल हुई। विपक्षी ने परिवादी का वाहन महिन्द्रा मैक्सिमो टैक्सी दिनांक 31.03.2016 को लेने की सूचना ए. आर. टी. ओ. बाराबंकी को जानबूझकर नहीं प्रेषित किया जिसके कारण परिवादी के विरूद्व आर0 सी0 काट दी गई जिससे परिवादी को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादी ने उक्त अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।
परिवादी ने सूची से रजिस्टर्ड नोटिस दिनांक 08.04.2019, वसूली पत्र कार्यालय सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी दिनांक 11.12.2018, वाहन इन्वेन्ट्री लिस्ट दिनांक 30.06.2016, वाहन रीपजेशन से सम्बन्धित पत्र दिनांक 31.03.2016 की छाया प्रति दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-01 ने अपने जवाबदावा में कहा है कि वाहन सं0-यू0 पी0 41 टी 8526 महिन्द्रा मैक्सिमो कार्यालय अभिलेखानुसार श्री उमाशंकर पुत्र श्री रामानन्द निवासी ग्राम महुलारा रामसनेहीघाट बाराबंकी के नाम पंजीकृत है। वाहन जनरल मैनेजर चोलामण्डलम इन्वेस्टमेन्ट एण्ड फायनेन्स कम्पनी लि0 डेयर हाउस प्रथम तल 2 एन. एस. सी. बोस रोड चेन्नई से वित पोषित है। वाहन का कर दिनांक 30.04.2015 तक जमा है। कर न जमा करने के कारण मांग पत्र संख्या-1049/टी0 आर0/बकाया मांग पत्र/2018 दिनांक 22.11.2018 प्रेषित किया गया। करों की अदयगी न किये जाने पर वसूली पत्र संख्या-7229 दिनांक 11.12.2018 अवधि 01.05.2015 से 31.01.2019 तक रू0 59,400/-शास्ति रू0 45,342/-कुल रू0 1,04,742/-की वसूली हेतु जिलाधिकारी को प्रेषित किया गया। उक्त वाहन को वित्त पोषक द्वारा कब्जे में लिये जाने के सम्बन्ध में कोई सूचना प्रेषित नहीं की गई। मोटरयान अधिनियम 1988 के प्राविधानों के अंतर्गत किसी वाहन का पंजीकृत स्वामी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता। पंजीयन अभिलेखों में केवल वाहन का स्वामित्व अंकित किया जाता है। उ0 प्र0 मोटरयान काराधान अधिनियम 1997 व मोटर काराधान नियमावली 1998 के नियमों के अनुसार वसूली की कार्यवाही की गई। परिवाद गलत आधार पर योजित किया गया है। अतः परिवाद को निरस्त किये जाने की याचना की गई है।
विपक्षी सं0-02 द्वारा वादोत्तर प्रस्तुत करते हुए परिवादी को वाहन क्रय करने हेतु ऋण दिया जाना व परिवादी का वाहन व्यवसायिक श्रेणी में होना स्वीकार किया है तथा ऋण की अदायगी नियमानुसार किया जाना अस्वीकार करते हुये कहा है कि विपक्षी संख्या-02 द्वारा वाहन को विधि के अनुसार कार्यवाही करते हुए अपने कब्जे में लिया गया है तथा यह भी कहा है कि वाहन को परिवादी द्वारा कब्जे में दिये जाने के उपरान्त इस संबंध में ए. आर. टी. ओ. बाराबंकी को सूचना देने की जिम्मेदारी परिवादी की ही थी।
सुनवाई के लिये नियत तिथि पर परिवादी/विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। पत्रावली एवं साक्ष्यों का अवलोकन किया गया।
प्रस्तुत परिवाद में परिवादी ने विपक्षी संख्या-02 से फाइनेन्स कराकर महिन्द्रा मैक्सिमो टैक्सी गाड़ी यू0 पी0-41 टी 8526 खरीदा था। परिवादी लिये गये ऋण के सापेक्ष कुछ किश्तें जमा करने के बाद आगे ऋण की अदायगी नहीं कर सका जिसके उपरान्त विपक्षी ने दिनांक 31.03.2016 को वाहन वापस अपने कब्जे में ले लिया। परिवादी का वाहन टैक्सी श्रेणी में पंजीकृत था और उस पर लगातार टैक्स की देयता थी। विपक्षी संख्या-01 द्वारा दिनांक 11.12.2018 को बकाया वाहन कर रू0 1,04,742/-की वसूली हेतु वसूली अधिपत्र जारी किया गया। परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्या-02 के कर्मचारियों ने दिनांक 30.06.2016 को उसका वाहन लकी यार्ड हरदोई रोड मलिहाबाद लखनऊ में दाखिल किया लेकिन विपक्षी संख्या-02 द्वारा इसकी सूचना सम्बन्धित ए. आर. टी. ओ. कार्यालय बाराबंकी को नहीं प्रेषित की गई।
विपक्षी संख्या-01 ने अपने वादोत्तर में कथन किया है कि वाहन सं0-यू0 पी0 41 टी 8526 महिन्द्रा मैक्सिमो कार्यालय अभिलेखानुसार श्री उमाशंकर पुत्र श्री रामानन्द निवासी ग्राम महुलारा रामसनेहीघाट बाराबंकी के नाम पंजीकृत है। वाहन जनरल मैनेजर चोलामण्डलम इन्वेस्टमेन्ट एण्ड फायनेन्स कम्पनी लि0 डेयर हाउस प्रथम तल 2 एन. एस. सी. बोस रोड चेन्नई से वित पोषित है। वाहन का कर दिनांक 30.04.2015 तक जमा है। कर न जमा करने के कारण मांग पत्र संख्या-1049/टी0 आर0/बकाया मांग पत्र/2018 दिनांक 22.11.2018 प्रेषित किया गया। करों की अदयगी न किये जाने पर वसूली पत्र संख्या-7229 दिनांक 11.12.2018 अवधि 01.05.2015 से 31.01.2019 तक रू0 59,400/-शास्ति रू0 45,342/-कुल रू0 1,04,742/-की वसूली हेतु जिलाधिकारी को प्रेषित किया गया। इसके अतिरिक्त विपक्षी संख्या-01 का कथन है कि वाहन स्वामी एवं वित्त पोषक द्वारा वाहन को वित्त पोषक के कब्जे में लिये जाने के सम्बन्ध में कोई सूचना इस कार्यालय में प्रेषित नहीं की गई। साथ ही वादोत्तर में उल्लेख किया है कि वाद संख्या-31/2009 हीना वारसी बनाम सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) बाराबंकी व उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जिलाधिकारी बाराबंकी में उपभोक्ता आयोग बाराबंकी में माननीय न्यायालय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, बाराबंकी द्वारा तथा अपील संख्या-1333/2006 सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) बाराबंकी बनाम आमोद कुमार मिश्रा में माननीय राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा आदेश पारित किया है कि वाहन स्वामी उपभोक्ता नहीं है। विपक्षी संख्या-01 का यह भी कहना है कि उनके विरूद्व किसी न्यायालय में कर आरोपण के विरूद्व कोई वाद दायर नहीं किया जा सकता है।
विपक्षी संख्या-02 ने वादोत्तर में परिवादी को वाहन क्रय किये जाने हेतु ऋण दिया जाना तथा ऋण की अदायगी नियमानुसार न किये जाने के कारण विधिक कार्यवाही करने हुये नियमानुसार वाहन दिनांक 31.03.2016 को अपने कब्जे में लिया जाना स्वीकार किया है। इसके अतिरिक्त परिवादी द्वारा प्रस्तुत रीपजेशन पत्र दिनांकित 31.03.2016 से स्पष्ट है कि विपक्षी संख्या-02 वित्त पोषक द्वारा वाहन संख्या-यू0 पी0 41 टी 8526 दिनांक 31.03.2016 को पुनः अपने कब्जे में वापस प्राप्त किया गया है। वाहन वित्त पोषक द्वारा वापस प्राप्त किये जाने की दशा में वाहन स्वामी एवं वित्त पोषक दोनो का समान दायित्व था कि यथास्थिति से परिवहन विभाग को अवगत कराया जाता। इस प्रकरण में वित्त पोषक द्वारा वाहन वापस प्राप्त करने के उपरान्त भी परिवहन विभाग के अभिलेखों में वाहन स्वामी का नाम दर्ज रहा है जसके कारण परिवहन विभाग (विपक्षी संख्या-01) द्वारा बकाया कर की नियमानुसार वसूली की कार्यवाही की गई।
उपरोक्त विवेचन के आधार पर पाया गया कि वर्तमान प्रकरण में परिवादी विपक्षी संख्या-01 उप संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) जिला-बाराबंकी का उपभोक्ता नहीं है। विपक्षी संख्या-01 द्वारा मात्र वाहन के बकाया कर की वसूली की कार्यवाही की गई है। विपक्षी संख्या-01 केवल प्रोफार्मा पक्षकार है। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-02 से ऋण लेकर वाहन क्रय किया गया। परिवादी ने कुछ किश्तों की अदायगी करना भी कहा है। अतः परिवादी विपक्षी संख्या-02 (वित्त पोषक) का उपभोक्ता है। वाहन संख्या-यू0 पी0 41 टी 8526 दिनांक 30.03.2016 तक परिवादी के कब्जे में रहा। परिवादी द्वारा ऋण की अदायगी नियमानुसार न करने के कारण दिनांक 31.03.2016 से वाहन का कब्जा वित्त पोषक द्वारा वापस प्राप्त किया गया है। परिवादी ने वाहन विपक्षी संख्या-02 से फाइनेन्स कराकर हीपीथीकेशन करार के तहत वाहन क्रय किया। धारा-2(30) मोटर वाहन अधिनियम में Owner की परिभाषा में प्राविधानित है “…and in relation to a motor vehicle which is the subject of a higher purchase agreement or an agreement of lease or agreement of hypothecation, the person in possession of the vehicle under that agreement.” धारा-51(5) मोटर वाहन अधिनियम के प्राविधान के अनुसार हीपोथीकेशन करार के तहत फाइनेन्सर द्वारा यदि वाहन का कब्जा ऋण अदायगी में डिफाल्टर के आधार पर प्राप्त कर लिया जाता है तो पंजीयन प्रमाण पत्र फाइनेन्सर अपना नाम दर्ज कराने की कार्यवाई करेगा। उपरोक्त प्राविधानों के आधार पर विवेचन से स्पष्ट है कि हीपोथिकेशन करार के मामले में ऋण अदायगी के व्यतिक्रम के आधार पर यदि फाइनेन्सर वाहन का कब्जा वापस प्राप्त कर लेते है तो फाइनेन्सर धारा-2(30) के अनुसार स्वामी हो जाता है। अतः उसके बाद पंजीयन प्रमाण पत्र में नाम परिवर्तन व टैक्स अदायगी की जिम्मेदारी फाइनेन्सर की है। केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम की धारा-2(30) में दी गई व्यवस्था के अनुसार वाहन को वित्त पोषक द्वारा अपने कब्जे में लेने के पश्चात वित्त पोषक वाहन का स्वामी है और कब्जा प्राप्त कर लेने के बाद से समस्त कर जमा करने की जिम्मेदारी वित्त पोषक की एवं उसके पूर्व की समस्त कर अदायगी की जिम्मेदारी वाहन स्वामी की होती है।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी उपभोक्ता व विपक्षी संख्या-02 सेवा प्रदाता है। विपक्षी संख्या-02 वित्त पोषक द्वारा वाहन का कब्जा परिवादी से वापस प्राप्त करने के बाद विपक्षी संख्या-01 संभागीय परिवहन अधिकारी को सूचित न करने व वाहन का कब्जा प्राप्त करने के बाद से विपक्षी संख्या-01 को वाहन कर न अदा करके परिवादी/उपभोक्ता के साथ विपक्षी संख्या-02 द्वारा सेवा में कमी की गई है। अतः वाहन संख्या-यू0 पी0 41 टी 8526 महिन्द्रा मैक्सिमो टैक्सी की दिनांक 30.03.2016 तक की वाहन कर देयता का उत्तरदायित्व वाहन स्वामी (परिवादी) का है तथा दिनांक 31.03.2016 से शेष कर देयता का उत्तरदायित्व वित्त पोषक (विपक्षी संख्या-02) का है।
परिवाद तद्नुसार अंशतः स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद संख्या-98/2019 अंशतः स्वीकार किया जाता है। वाहन महिन्द्रा मैक्सिमो टैक्सी संख्या-यू0पी0 41 टी 8526 का दिनांक 30.03.2016 तक का बकाया वाहन कर परिवादी (वाहन स्वामी) एवं दिनांक 31.03.2016 से शेष बकाया वाहन कर विपक्षी संख्या-02 (वित्त पोषक) नियमानुसार अदा करने के उत्तरदायी है। विपक्षी सं0-02 परिवादी को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 3,000/-तथा वाद व्यय के रूप में रू0 2,000/-पैतालिस दिन में अदा करेंगें।
(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी) (मीना सिंह) (संजय खरे)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
यह निर्णय आज दिनांक को आयोग के अध्यक्ष एंव सदस्य द्वारा खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी) (मीना सिंह) (संजय खरे)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
दिनांक 21.06.2023
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