राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
परिवाद संख्या-235/2024
प्रमोद कुमार सिंह पुत्र श्री तपेश्वर सिंह
बनाम
ए0के0 इन्फ्रा एण्ड रियल्टी डेवलपर्स प्रा0लि0
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री यश कुमार केशरी,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 20.11.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद इस न्यायालय के सम्मुख परिवादी प्रमोद कुमार सिंह द्वारा विपक्षी ए0के0 इन्फ्रा एण्ड रियल्टी डेवलपर्स प्रा0लि0 के विरूद्ध निम्न अनुतोष प्रदान किये जाने हेतु योजित किया गया है:-
(i) Refund the principal amount invested by the claimant/complainant with 18% rate of Interest,
(ii) Provide the compensation for mental, physical, financial harassment and false commitment to the tune of Rs. 10 Lakh, and
(iii) Any other order or direction which this Hon’ble court may deem fit and proper in the fact and circumstances of the case may also be passed.
मेरे द्वारा परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री यश कुमार केशरी को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा प्रथम अपील संख्या-254/2023 ओमेक्स लिमिटेड बनाम संध्या सिंह में पारित निर्णय दिनांकित 27.09.2023 में उल्लिखित किया गया है कि परिवादिनी द्वारा 44,73,750/-रू0 की धनराशि का भुगतान किया गया, जो
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50,00,000/-रू0 से कम है, इसलिए माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया कि चूँकि प्रस्तुत प्रकरण में भुगतान की गयी धनराशि राज्य आयोग के आर्थिक क्षेत्राधिकार से कम है, अत: राज्य आयोग को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी द्वारा विपक्षी को प्रश्नगत भूखण्ड हेतु कुल धनराशि 4,10,000/-रू0 का भुगतान किया जाना उल्लिखित किया गया है तथा प्रस्तुत प्रकरण में उक्त धनराशि वापस दिलाये जाने की याचना की गयी है। अत: माननीय राष्ट्रीय आयोग के उपरोक्त निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत परिवाद राज्य आयोग के आर्थिक क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत पोषणीय नहीं है।
तदनुसार प्रस्तुत परिवाद निरस्त किया जाता है। परिवादी अपना परिवाद सक्षम न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत करने हेतु स्वतंत्र है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1