Uttar Pradesh

StateCommission

A/565/2015

Surat Garh Builder Pvt Ltd - Complainant(s)

Versus

A.D. A. - Opp.Party(s)

Naveen Tiwari

18 Jul 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/565/2015
( Date of Filing : 24 Mar 2015 )
(Arisen out of Order Dated 07/07/2005 in Case No. C/210/2002 of District Agra-I)
 
1. Surat Garh Builder Pvt Ltd
Agra
...........Appellant(s)
Versus
1. A.D. A.
Agra
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 18 Jul 2023
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-565/2015

सूरतगढ़ बिल्‍डर्स प्राइवेट लि0।

                             अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्  

आगरा डेवलपमेंट अथारिटी।

     प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

एवं

अपील संख्‍या-566/2015

सूरतगढ़ बिल्‍डर्स प्राइवेट लि0।

                             अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्  

आगरा डेवलपमेंट अथारिटी।

     प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित       : श्री नवीन कुमार तिवारी,

                                                    विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित         : श्री आर.के. गुप्‍ता,   

    विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक:  28.07.2023

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-210/2002, सूरतगढ़ बिल्‍डर्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम आगरा डेवलपमेंट अथारिटी में विद्वान जिला आयोग, प्रथम आगरा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 7.7.2005 के विरूद्ध अपील संख्‍या-565/2015 परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत की गई है। परिवाद संख्‍या-211/2002, सूरतगढ़ बिल्‍डर्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम आगरा डेवलपमेंट अथारिटी में विद्वान जिला आयोग, प्रथम आगरा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 7.7.2005 के विरूद्ध अपील संख्‍या-566/2015 प्रस्‍तुत की गई है। चूंकि दोनों अपीलों में तथ्‍य एवं विधि के एक ही प्रश्‍न निहित हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्‍तारण एक ही निर्णय/आदेश द्वारा एक साथ किया जा रहा है। इस हेतु अपील संख्‍या-565/2015 अग्रणी अपील होगी

2.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार प्राधिकरण द्वारा परिवादी को वर्ष 1992 में 167.22 वर्गमीटर के दो भूखण्‍ड आवंटित किए गए, जिनकी कीमत अदा कर दी गई, परन्‍तु भूखण्‍ड के संबंध में कोई सूचना प्राधिकरण द्वारा नहीं दी गई और न ही कब्‍जा दिया गया। अधिवक्‍ता के माध्‍यम से नोटिस दिलवाया गया, इसके बावजूद कब्‍जा नहीं दिया गया, इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत किए गए तथा कब्‍जा के अनुतोष की मांग की गई और विकल्‍प में कुल जमा राशि पर 24 प्रतिशत की दर से ब्‍याज की मांग की गई।

3.         प्राधिकरण ने इस तथ्‍य को स्‍वीकार किया है कि उच्‍चतम बोली लगाने के आधार पर परिवादी को दो भूखण्‍ड आवं‍टित किए गए, परन्‍तु उनके द्वारा आवश्‍यक गैर न्‍यायिक स्‍टाम्‍प पेपर, पट्टा लिखाई, सीमांकन शुल्‍क समय के अंदर जमा नहीं किए गए, जिसके कारण पट्टा अभिलेख व कब्‍जा हस्‍तांतरण की कार्यवाही संपन नहीं हो सकी।

4.         दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी द्वारा आवंटन पत्र की शर्तों के अनुसार भूखण्‍ड की कीमत जमा नहीं कराई गई तथा कब्‍जा लेने हेतु औपचारिकताएं पूर्ण नहीं की गईं। साथ ही यह भी निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवाद देरी से प्रस्‍तुत किया गया है। तदनुसार दोनों परिवाद खारिज कर दिए गए।

5.         उपरोक्‍त निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई दोनों अपीलों में वर्णित तथ्‍यों का सार यह है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा तथ्‍य एवं विधि के विपरीत निर्णय पारित किया गया है। परिवादी द्वारा वांछित धन जमा किया गया है और धन जमा करने के बाद जवाब का इंतजार किया गया। परिवादी द्वारा शर्तों का अनुपालन न करने के संबंध में विद्वान जिला आयोग द्वारा विधि विरूद्ध निष्‍कर्ष दिया गया है।

6.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री नवीन कुमार तिवारी तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर.के. गुप्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावलियों का अवलोकन किया गया।

7.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी द्वारा परिवाद संख्‍या-210/2002 में भूखण्‍ड संख्‍या-1 की मद में कुल 1,14,147/-रू0 तथा दूसरे परिवाद संख्‍या-211/2002 में भूखण्‍ड संख्‍या-2 की मद में अंकन 1,08,114/-रू0 जमा किए गए। इसी धनराशि की मांग की गई थी। इसके पश्‍चात कब्‍जा सुपुर्द किया जाना था, परन्‍तु कब्‍जा सुपुर्द नहीं किया गया।

8.         प्राधिकरण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि चूंकि परिवादी द्वारा नीलामी में सम्‍पत्ति क्रय की गई है, इसलिए परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आते हैं। यह तर्क कदाचित विधिसम्‍मत नहीं कहा जा सकता, क्‍योंकि प्राधिकरण द्वारा भूखण्‍ड की बोली लगवाने का तात्‍पर्य अधिकतम मूल्‍य प्राप्‍त करना है, परन्‍तु मूल्‍य प्राप्‍त करने के पश्‍चात नीलामी द्वारा भूखण्‍ड क्रय करने वाला व्‍यक्ति आवंटी की श्रेणी में आता है और तदनुसार प्राधिकरण का उपभोक्‍ता बनता है।

9.         विद्वान जिला आयोग का यह निष्‍कर्ष भी विधिसम्‍मत नहीं है कि परिवाद समयावधि से बाधित है, क्‍योंकि स्‍वंय प्राधिकरण द्वारा परिवाद प्रस्‍तुत करने तक कब्‍जा का प्रस्‍ताव नहीं दिया गया, इसलिए वाद कारण हमेशा उत्‍पन्‍न रहा है।

10.        परिवादी द्वारा कब्‍जा प्राप्‍त करने तथा विकल्‍प में जमा धनराशि 24 प्रतिशत की दर से वापस लौटाने की मांग की गई है। प्रस्‍तुत केस की परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए जमा राशि 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज की दर से वापस लौटाने का आदेश दिया जाना उचित है। इसी प्रकार परिवाद व्‍यय की मद में अंकन 5,000/-रू0 का आदेश दिया जाना उचित है। मानसिक प्रताड़ना की मद में किसी प्रकार का आदेश दिया जाना उचित नहीं पाया जाता है। तदनुसार प्रस्‍तुत दोनों अपीलें स्‍वीकार होने योग्‍य हैं।

आदेश

11.        उपरोक्‍त दोनों अपीलें, अर्थात् अपील संख्‍या-565/2015 तथा अपील संख्‍या-566/2015 स्‍वीकार की जाती हैं। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 7.7.2005 अपास्‍त किया जाता है। प्रश्‍नगत दोनों परिवाद स्‍वीकार किए जाते हैं और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि परिवादी द्वारा जमा धनराशि 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज के साथ इस निर्णय/आदेश की तिथि से 03 माह के अंदर परिवादी को भुगतान किया जाए। ब्‍याज की गणना धनराशि जमा करने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक की जाएगी।

           परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 5,000/-रू0 (पांच हजार रूपये) का भुगतान भी उपरोक्‍त अवधि में किया जाए। इस राशि पर कोई ब्‍याज देय नहीं होगा।

           मानसिक प्रताड़ना की मद में कोई राशि देय नहीं होगी।

           इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्‍या-565/2015 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्‍य प्रति संबंधित अपील में भी रखी जाए।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

     

 

            (सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

       सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

           निर्णय एवं आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

   सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.