सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, लखनऊ द्वितीय द्वारा परिवाद संख्या 242 सन 2005 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 12.11.2008 के विरूद्ध)
अपील संख्या 2305 सन 08
1 यूनियन आफ इण्डिया द्वारा सेके्टरी कम्यूनिकेशन (डिपार्टमेंट आफ पोस्ट)
नई दिल्ली ।
2. चीफ पोस्ट मास्टर जनरल, यू0पी0 सर्किल, लखनऊ ।
3. मैनेजर (बी0डी0) स्पेशन पोस्ट सेन्टर, जनरल पोस्ट आफिस, लख्नऊ।
.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
अशोक कुमार त्रिपाठी, 2/98, विशाल खण्ड, गोमतीनगर, लख्नऊ ।
.........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - डा0 उदयवीर सिंह के सहयोगी
श्री कृष्ण पाठक।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री एस0के0 राव ।
दिनांक:-12-12-19
श्री गोवर्धन यादव, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, लखनऊ द्वितीय द्वारा परिवाद संख्या 242 सन 2005 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 12.11.2008 के विरूद्ध के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है ।
संक्षेप में, परिवादी के कथनानुसार उसने सिविल सेवा (प्रारम्भिक) परीक्षा 2003 का आवेदन पत्र स्पीड पोस्ट रसीद संख्या एसपीएनईई 71661839इन द्वारा दिनांक 26.12.2002 को संघ लोक सेवा आयोग, नई दिल्ली को प्रेषित किया तथा 30.00 रू0 का शुल्क अदा किया। अपीलार्थीगण द्वारा उक्त स्पीड पोस्ट निर्धारित समयान्तर्गत गन्तब्य स्थान तक नहीं पहुंचाया गया जिसके कारण वह सिविल सेवा (प्रारम्भिक) परीक्षा 2003 में सम्मिलित होने से बंचित हो गया। यह उसका अनिवार्य प्रयास था इसके पूर्व के तीन प्रयासों में सफलता प्राप्त की थी और अन्तिम प्रयास में चयन की सुनिश्चितता के लिए सुनियोजित तैयारी की थी। विपक्षीगण की लापरवाही के कारण उसका भविष्य अंधकारमय हो गया, जिससे क्षुब्ध होकर उसने 15 लाख रू0 क्षतिपूर्ति दिलाए जाने हेतु जिला मंच के समक्ष परिवाद योजित किया।
जिला मंच के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अपना वादोत्तर प्रस्तुत कर उल्लिखित किया गया कि प्रश्नगत स्पीड पोस्ट खो जाने की जॉंच करायी गयी और नियमानुसार वस्तु खेा जाने की क्षतिपूर्ति हेतु मु0 60.00 का चेक दिनांक 13.05.2003 को परिवादी को भेजा गया जिसे परिवादी ने लेने से इन्कार कर दिया । परिवादी द्वारा इस संबंध में मा0 उच्च न्यायालय में रिट दायर की थी जो दिनांक 14.05.2003 को इस निर्देश के साथ निरस्त कर दी गयी कि परिवादी को अपना मामला सचिव, यूनियन पब्लिक कमीशन के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए ।
जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्य एवं अभिवचनों के आधार पर निम्न आदेश पारित किया :-
''परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह स्पीड पोस्ट न भेजने के फलस्वरूप परिवादी को हुई हानि, मानसिक क्लेश एवं दौड भाग हेतु मु0 50 हजार रू0 तथा वाद व्यय हेतु मु0 1000.00 रू0 अदा करे। आदेश का अनुपालन अन्दर एक माह हो। ''
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील की गयी है।
अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला मंच का प्रश्नगत निर्णय विधिपूर्ण नहीं है तथा सम्पूर्ण तथ्यों को संज्ञान में लिए बिना प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया है, जो अपास्त किए जाने योग्य है।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता डा0 उदयवीर सिंह के सहयोगी अधिवक्ता श्री कृष्ण पाठक एवं प्रत्यर्थी के अधिवक्ता श्री एस0के0 राव के तर्क विस्तार पूर्वक सुने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक अवलोकन किया।
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने सिविल सेवा (प्रारम्भिक) परीक्षा 2003 का आवेदन पत्र दिनांक 26.12.2002 को जरिए स्पीड पोस्ट, संघ लोक सेवा आयोग, नई दिल्ली को निर्धारित शुल्क अदा करके प्रेषित किया जो निर्धारित समयान्तर्गत गन्तब्य स्थान तक नहीं पहुंचाया जिसके कारण वह सिविल सेवा (प्रारम्भिक) परीक्षा 2003 में सम्मिलित होने से बंचित हो गया जबकि अपीलार्थी का तर्क है कि प्रश्नगत स्पीड पोस्ट खो जाने की जॉंच करायी गयी और नियमानुसार वस्तु खेा जाने की क्षतिपूर्ति हेतु मु0 60.00 का चेक दिनांक 13.05.2003 को परिवादी को भेजा गया जिसे परिवादी ने लेने से इन्कार कर दिया ।
विद्वान अधिवक्ता प्रत्यर्थी द्वारा अपने तर्क के समर्थन में मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा रिवीजन पिटीशन नं0 309/2017 का उद्धरण प्रस्तुत किया जिसके तथ्य प्रश्नगत प्रकरण के समान हैं।
विद्वान अधिवक्ता अपीलार्थी द्वारा अवगत कराया गया कि प्रश्नगत प्रकरण इण्डियन पोस्ट आफिस एक्ट की धारा-06 से बाधित है] जो निम्नवत् अंकित है :-
Section 6 of the Indian Post Office Act. 1989 reads as under :
“6, Exemption from liability for loss, misdelivery, delay or damage - The Government shall not incur any liability by reason of the loss, misdelivery or delay of or damage to, any postal article in course of transmission by post, except insofar as such liability may in express terms be undertaken by the Central Government as hereinafter provided and no officer of the Post Office shall incur any liability by reason of any such loss, misdelivery, delay or damage, unless he has caused the same fraudulently or by his willful act or default.”
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने अपने तर्क के समर्थन में मा0 राष्ट्रीय आयोग नई दिल्ली द्वारा 2009 (1) सीपीसी 360 (एनसी) रंजीत सिंह बनाम् सेक्रेटरी डिपार्टमेंट आफ पोस्ट्स गवर्नमेंट आफ इण्डिया, नई दिल्ली व अन्य, Revision Petition No. 2751of 2008 Decided on 17-09-2008 में पारित विधि व्यवस्था को सन्दर्भित किया, जिसके अन्तर्गत निम्नवत् अवधारित किया गया है :-
“ Section 6 – Postal service – A registered letter containing demand draft was sent by the complainant which was not delivered to addressee – Complaint filed – District Forum accepting the complaint directed OP to pay amount of bank draft with interest at the rate of 18 % p.a. and cost of Rs.5,000/- - State Commission set aside the order giving rise to present revision – Held, in view of the Post Office Act, postal employees cannot be held liable for mis-delivery of the registered letter in the absence of any willful act on their part – Order of State Commission upheld.”
हम विद्वान अधिवक्ता अपीलार्थी के तर्को से सहमत हैं एवं पीठ इस निष्कर्ष पर पहुँचती है कि भारतीय डाक अधिनियम की धारा-06 एवं माननीय राष्ट्रीय आयोग के द्वारा अवधारित विधि व्यवस्था के आलोक में जिला मंच द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश विधि संगत एवं न्यायोचित नहीं है। फलस्वरूप अपील स्वीकार करते हुए जिला मंच का प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त होने तथा परिवाद निरस्त किये जाने योगय है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, लखनऊ द्वितीय द्वारा परिवाद संख्या 242 सन 2005 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 12.11.2008 अपास्त करते हुए परिवाद निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय-व्यय स्वंय वहन करेंगे।
इस निर्णय की सत्य प्रति पक्षकारों को विधिवत उपलब्ध करा दी जाये।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट-2
(S.K.Srivastav,PA)