राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-1317/2005
(जिला उपभोक्ता फोरम, प्रथम मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्या-179/99 में पारित निर्णय दिनांक 27.06.01/28.06.2005 के विरूद्ध)
पेप्सी कोला इंडिया मार्केटिंग कंपनी तृतीय तल रीजेन्सी प्लाजा-5 पार्क
रोड लखनऊ 22001 द्वारा जनरल मैनेजर।
2. टी.डी.एन. बरेली डिवीजन बरेली, स्टेडियम के सामने पेप्सी आफिस
पीलीभीत रोड बरेली। .........अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम्
1.श्री अशोक कुमार सिंह पुत्र श्री लुभेन्द्र सिंह नि0 नया बाजार अपरकोट
बहजोई थाना बहजोई तहसील चन्दौसी जिला मुरादाबाद।
2.श्री हरीश चंद्र वार्ष्णेय पुत्र नन्दकिशोर नि0 पुराना डाकखाना रोड, बहजोई
थाना बहजोई तहसील चन्दौसी जिला मुरादाबाद।
3. उपाध्याय पान भण्डार चन्दौसी द्वारा मालिक। ........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विकास सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :श्री रूद्र प्रताप सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 04.08.2015
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम प्रथम मुरादाबाद के परिवाद संख्या 179/99 में पारित निर्णय एवं आदेश दि. 27.06.01/28.06.2005 के विरूद्ध योजित की गई है। जिला मंच द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
'' विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि आदेश की सूचना के एक माह में परिवादीगण को 4 किरेट पेप्सी की बोतलों का मूल्य रू. 768/-, सामाजिक व मानसिक क्षतिपूर्ति रू. 50000/- एवं रू. 2000/- परिवाद व्यय भुगतान करें।''
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादीगणों ने दि. 07.05.99 के व्यक्तिगत उत्सव हेतु अपीलार्थी की कंपनी पेप्सी कोला पेय पदार्थ की 4 किरेट विपक्षी संख्या 3 उपाध्याय पान भंडार से क्रय की। उत्सव के दौरान पेप्सी कोला की बोतलें खोलकर पिलाई जा रही थी, तभी एक बोतल की तली में छिपकली दिखायी दी तो उस बोतल को नहीं खोला गया। बोतल में छिपकली होने से स्वास्थ्य के दृष्टिगत जिन अतिथियों ने पेप्सी पी ली थी, उनसे उल्टी
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करायी व स्थानीय चिकित्सकों से चिकित्सा करायी गई। परिवादीगणों का कथन है कि विपक्षीगणों की सेवा में लापरवाही के कारण पेप्सी की बोतल में छिपकली होने से परिवादीगण व परिवार के लोगों, अतिथियों में उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा गिरी और आर्थिक व मानसिक क्षति पहुंची।
जिला मंच के अध्यक्ष ने दि. 27.06.2001 के अपने निर्णय में परिवाद को स्वीकार करते हुए परिवादीगण को 4 किरेट पेप्सी बोतल का मूल्य रू. 768/- सामाजिक व मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु रू. 50000/- एवं रू. 2000/- का परिवाद व्यय भुगतान करने का आदेश दिया।
जिला मंच के दूसरे सदस्य ने अध्यक्ष के निष्कर्ष से असहमति देते हुए परिवार को निरस्त करने का आदेश दिया। चूंकि अध्यक्ष व सदस्य के निष्कर्ष परस्पर विरोधी थे, अत: परिवाद पर तीसरे सदस्य का मंतव्य लेने के लिए उन्हें संदर्भित किया गया। तीसरे सदस्य ने अपने निर्णय दि. 28.06.2005 के अंतर्गत अध्यक्ष के आदेश एवं निष्कर्ष से सहमति व्यक्त की। इस प्रकार बहुमत के निर्णय में परिवाद को स्वीकार करते हुए उपर्युक्त आदेश पारित किया।
पीठ ने उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों का भलीभांति परिशीलन किया।
अपीलार्थी का कथन है कि परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष कोई क्रय रसीद दाखिल नहीं की तथा बोतल का सार्वजनिक विश्लेषण नहीं कराया गया। इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि प्रश्नगत बोतल का पेय पदार्थ उसके यहां बना। परिवादीगणों को कोई आर्थिक नुकसान नहीं हुआ। इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि बोतल की सील से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि प्रश्नगत पेय पदार्थ की बोतल उसके यहां निर्मित हुए। उसका प्लांट अत्याधुनिक प्लांट है, जिसमें इस तरह की गड़बडि़यां होने की आशंका नहीं है। अपीलार्थी का कथन है कि परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। अपीलार्थी द्वारा अपने कथन के समर्थन में P.A . Pouran Verus Mc Dowell and Company reported in 1991 (4) CPR 542 (para 1 & 2) , Oriental Insurance Co. Ltd. v. Muni Mahesh Patel reported in (2006) 7 SCC 655 (Para 10 & 12), the case of Synco Industries vs. State Bank of Bikaner reported in (2002) 2 SCC 1 (para 3 & 4) and the case of CCI Chambers Cooperative Housing Societies Ltd. vs. Development Credit Bank reported I (2003) 7 SCC 233 (para 6, 7, & 10), Vikram Mohann Johari v. Manager (TDM), Pepsico India Holdings
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Pvt. Ltd. Reported in 2000 (UAD 391 (para 7), 2003(1) CPR 396 Rajendra Singh Versus Amritsar Beverages (para 8 & 9) नजीरें प्रस्तुत की।
प्रत्यर्थी द्वारा अपनी बहस में कहा गया कि उनके द्वारा 4 किरेट पेप्सी कोला जो कि अपीलार्थी की कंपनी थी, उनके द्वारा अपने परिवार व मित्रों के लिए क्रय की गई, जिसमें एक बोतल में छिपकली पायी गई। कई लोगों ने अपीलार्थी की बोतल के पेय पदार्थों को पिया था, उन्हें डाक्टर को दिखाकर उल्टी करायी गईं, जिससे कि स्वास्थ्य को कोई नुकसान न पहुंचे। अपीलार्थी की लापरवाही के कारण उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा गिरी और उन्हें वित्तीय हानि व मानसिक क्लेश हुआ। प्रत्यर्थी का यह भी कथन है कि यह जिम्मेदारी अपीलार्थी की थी कि वह इसकी जांच विशेषज्ञ से कराते कि यह बोतल जाली है और उससे छेड़छाड़ नहीं की गई है। प्रत्यर्थी का यह भी कथन है कि अपील देरी से प्रस्तुत की गई है।
बहुमत का निर्णय दि. 28.06.2005 का है, जबकि अपील दि. 11.08.2005 को प्रस्तुत की गई है। इस प्रकार निर्णय की तिथि से अपील प्रस्तुत प्रस्तुत करने में विलम्ब किया गया है, परन्तु अपीलार्थी द्वारा कोई विलम्ब क्षमा प्रार्थना पत्र नहीं दिया है, लेकिन तथ्य एवं परिस्थितियों के दृष्टिगत एवं यह देखते हुए कि बहुमत के निर्णय आने में कई वर्षों का विलम्ब हुआ, इस विलम्ब को क्षमा किया जाता है।
अपीलार्थी का कथन है कि इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि यह बोतल उनकी फैक्ट्री में बनी हो, लेकिन अपने कथन के समर्थन में उनके द्वारा कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है। यह निर्विवाद है कि पेप्सी पेय पदार्थ की बोतलें परिवादी द्वारा क्रय की गई। यह सर्वविदित है कि अपीलार्थी की कंपनी की बोतले गांव-गांव में छोटे-छोटे दुकानदार रखते हैं और वे पेय पदार्थों की बिक्री का कोई लेखाजोखा नहीं रखते हैं और न ही रसीद देते हैं। अपीलार्थी कंपनी एक मल्टी नेशनल कंपनी है व देश में अरबो रूपये का व्यवसाय करती है तथा विज्ञापनों में भी करोड़ों रूपये खर्च करती है। यह उसका दायित्व था कि वे जिला मंच से इस संबंध में परीक्षण कराने की अपनी मांग रखते और स्वयं बोतल का परीक्षण कराते कि उसके साथ छेड़छाड़ की गई है या नहीं। पेप्सिको का यह कहना है कि बाजार में उनके ब्रांड का नकली सामान भारी मात्रा में बिक्री होता है, अपनी सामाजिक और विधिक दायित्व से भागना है। यह उसका दायित्व है कि जो उसके ब्रांड का गलत इस्तेमाल करते हैं उनके विरूद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही कराये और प्रशासन के सहयोग से अपने दायित्वों का भलीभांति निर्वहन करें। यह देश के नागरिकों में जनस्वास्थ्य का प्रश्न है, जिसे कोई भी
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साधारण तरीके से नहीं ले सकता है। जिस बोतल में छिपकली पायी गई वह जिला मंच के समक्ष सील बंद प्रस्तुत की गई थी और जिला मंच ने स्वयं इसे सुरक्षित रखा है। जिला मंच ने स्वयं बोतल का निरीक्षण किया और उसमें छिपकली पायी गई। पेय पदार्थों और खाद्य पदार्थों का बड़ी-बड़ी कंपनियां बड़ी मात्रा में अपने खाद्य एवं पेय पदार्थों का विक्रय करती है, परन्तु ऐसा पाया गया है कि वे जन स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखती हैं तथा अपने उत्पादनों में जो सावधानियां उन्हें बरतनी चाहिए, उनके द्वारा नहीं बरती जाती है, जिससे इस तरह की घटनाएं समय-समय पर होती रहती है। इस संबंध में खाद्य एवं पेय पदार्थों को निर्मित करने वाली बड़ी-बड़ी मल्टी नेशनल कंपनियों को जो कि लुभावने विज्ञापन देती है, उन्हें कड़े निर्देश दिए जाने आवश्यक है कि वे सामान्य जनता का स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए स्वच्छ तरीके से खाद्य एवं पेय पदार्थों का उत्पादन करें।
जिला मंच ने विस्तृत विवेचना करते हुए अपना निर्णय दिया है, जो कि विधिसम्मत है, पीठ उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं पाती है, अत: उपरोक्त विवेचना के दृष्टिगत प्रस्तुत अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-5