राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या :1898/2003
(जिला मंच, सहारनपुर द्धारा परिवाद सं0-221/2000 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 16.6.2003 के विरूद्ध)
United India Insurance Company Limited, through its Assistant Manager, Regional Office, Arif Chambers, Kapoorthala Complex, Aliganj, Lucknow.
........... Appellant/Opp. Party
Versus
Anil Kumar Jindal S/o Sri Om Prakash, C/o New Saharanpur Rajasthan Transport Company, Bhandari Buklding, Ambala Road, Saharanpur.
.......... Respondent/Complainant.
समक्ष :-
मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री टी0के0 मिश्रा
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :04.7.2016
मा0 श्री जे0एन0 सिन्हा, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद सं0-221/2000 अनिल कुमार जिन्दल बनाम युनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कं0लि0 व अन्य में जिला मंच, सहारनपुर द्वारा दिनांक 16.6.2003 को निर्णय पारित करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया कि,
"परिवाद पत्र आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि इस निर्णय की प्रति प्राप्ति से 45 दिन के अन्दर वादी को 27,500.00 रू0 तथा इस पर दिनांक 28.3.2000 से इस निर्णय की तिथी तक 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर पर ब्याज अदा करें। इस अवधि में अदायगी न करने पर इस निर्णय की तिथी से अंतिम अदायगी की तिथी तक समस्त राशि पर 15 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर पर ब्याज विपक्षी द्वारा वादी को देय होगा। विपक्षी वादी को 500.00 रू0 वाद व्यय के रूप में भी अदा करेंगा।"
उपरोक्त वर्णित आदेश से क्षुब्ध होकर विपक्षी/अपीलार्थी बीमा कम्पनी की ओर से वर्तमान अपील योजित की गई है।
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अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री टी0के0 मिश्रा उपस्थित आये। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। यह अपील वर्ष-2003 से पीठ के समक्ष विचाराधीन है। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को विस्तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
प्रकरण संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 23.7.1996 को एक याम्हा मोटर साईकिल खरीदी थी, जिसका विपक्षी/बीमा कम्पनी से परिवादी द्वारा दिनांक 29.8.1999 से 28.8.2000 तक की अवधि के लिए कराया गया था और प्रीमियम का भुगतान भी किया गया था, परन्तु दिनांक 22.01.2000 को सायं करीब 9.25 बजे परिवादी का प्रश्नगत वाहन चोरी हो गया, जिसकी रिपोर्ट थाने पर दर्ज करायी गई, किन्तु प्रश्नगत वाहन नहीं मिला। जिसके संदर्भ में परिवादी द्वारा दिनांक 23.01.2000 को विपक्षी/बीमा कम्पनी को सूचित किया गया और समस्त औपचारिकताएं पूर्व कर बीमा कम्पनी के समक्ष दावा प्रस्तुत किया गया, परन्तु दिनांक 11.8.2000 को बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के दावे को निरस्त कर दिया गया। जिसके फलस्वरूप परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध बीमित धनराशि मय क्षतिपूर्ति प्रदान का अनुतोष दिलाये जाने हेतु जिला मंच के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया है।
विपक्षी/बीमा कम्पनी द्वारा जिला मंच के समक्ष अपना लिखित कथन प्रस्तुत कर यह अभिवचित किया गया है कि परिवादी ने प्रश्नगत घटना की सूचना उन्हें दिनांक 23.01.2000 को नहीं दी गई थी एवं घटना की सूचना पाते ही राजकुमार को जॉच हेतु नियुक्त किया गया था एवं प्रश्नगत वाहन की अनुमानित कीमत के संदर्भ में आर0के0 चावला को नियुक्त किया गया, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट दिनांक 28.3.2000 व 10.5.2000 को दी, जिसके अनुसार प्रश्नगत वाहन की कीमत 20,000.00रू0 निर्धारित की जो कि पालिसी की शर्तो के अनुसार थी। परिवादी को औपचारिकताएं पूर्ण करने के लिए कहा गया और यह भी कहा गया कि उसका क्लेम रू0 20,000.00 के लिए पास कर दिया गया है, परन्तु परिवादी द्वारा औपचारिकताएं पूर्ण नहीं की गई, इसलिए दावा निरस्त कर दिया गया और परिवाद पोषणीय नहीं है और निरस्त होने योग्य है।
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उभय पक्ष के अभिवचन एवं उपलब्ध अभिलेखों पर विचार करते हुए जिला मंच द्वारा उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया, जिससे क्षुब्ध होकर वर्तमान अपील योजित है।
वर्तमान प्रकरण में प्रश्नगत मोटर साइकिल की चोरी की घटना का होना उभय पक्ष को स्वीकार है एवं प्रश्नगत मोटर साइकिल की बीमित धनराशि के संदर्भ में जो विपक्षी/बीमा कम्पनी के सर्वेयर आर0के0 चावला द्वारा बाजारू मूल्य 27500.00 आंकलित किया गया है वह पीठ के अभिमत में भी उचित है एवं परिवादी/प्रत्यर्थी बीमित धनराशि मय ब्याज के पाने का अधिकारी है और इस संदर्भ में जिला मंच द्वारा दिया गया निष्कर्ष विधि अनुकूल है, परन्तु जिला मंच द्वारा ब्याज के संदर्भ में जो आदेश पारित किया गया है, वह पीठ के अभिमत में उचित नहीं है अत: जिला मंच द्वारा पारित आदेश में निर्णय की तिथि तक 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर पर ब्याज के स्थान पर 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज एवं इस अवधि में अदायगी न करने पर इस निर्णय की तिथि से अंतिम अदायगी की तिथि तक समस्त राशि पर 15 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर पर ब्याज के स्थान पर 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर पर ब्याज विपक्षी/बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को देय होना, संशोधित किया जाना न्यायोचित पाया जाता है।
प्रस्तुत अपील अंशत: स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील अंशत: स्वीकार करते हुए जिला मंच, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0-221/2000 अनिल कुमार जिन्दल बनाम युनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कं0लि0 व अन्य में पारित आदेश दिनांक 16.6.2003 में निर्णय की तिथि तक 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर पर ब्याज के स्थान पर 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज एवं इस अवधि में अदायगी न करने पर इस निर्णय की तिथि से अंतिम अदायगी की तिथि तक समस्त राशि पर 15 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर पर ब्याज के स्थान पर 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर पर ब्याज अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी/प्रत्यर्थी को देय होना, संशोधित किया जाता है तथा निर्णय/आदेश के शेष भाग की पुष्टि की जाती है।
(जे0एन0 सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-2