राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-2434/1998
(जिला उपभोक्ता फोरम, रामपुर द्वारा परिवाद संख्या-1/1996 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 09.09.1998 के विरूद्ध)
दि मैनेजर, भगवती कूरियर सर्विस, 21, शादाब मार्केट, रामपुर।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्~
अमित कुमार अग्रवाल पुत्र श्री रामचन्द्र अग्रवाल, मोहाल साहूकारा बिसासपुर, जिला रामपुर।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : काई नहीं।
दिनांक 02.08.2016
माननीय श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रकरण पुकारा गया। वर्तमान अपील, विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से परिवाद संख्या-1/1996, अमित कुमार अग्रवाल बनाम प्रबन्धक भगवती कोरियर सर्विस में जिला फोरम, रामपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 09.09.1998 के विरूद्ध योजित की गयी है।
विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा की ओर से इस आशय का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया कि वर्तमान प्रकरण में काफी प्रयास करने के बावजूद भी अपीलार्थी पक्ष की ओर से कोई उपस्थित नहीं हो रहा है, अत: उनकी ओर से अपना वकालतनामा वापस लेने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया है। उक्त प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाता है।
पत्रावली के परिशीलन से प्रकट होता है प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 09.09.1998 के अन्तर्गत जिला मंच, रामपुर द्वारा परिवाद को स्वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया गया था कि वह आदेश के 15 दिन के अन्दर परिवादी को 45,000/- रूपये अदा करें।
उक्त वर्णित आदेश के विरूद्ध वर्तमान अपील योजित है।
-2-
पत्रावली के परिशीलन से प्रकट होता है कि वर्तमान प्रकरण में अपीलार्थी की ओर से पैरवी नहीं की गयी है और आज अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा इस आशय का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया है कि उनके द्वारा अपीलार्थी को पंजीकृत पत्र के माध्यम से सूचित किया गया था, परन्तु वह अपने अधिवक्ता के पास भी उपस्थित नहीं हुए, इसलिए वह अपना वकालतनामा वापस ले रहे हैं। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह कहा गया कि अपील योजित करते समय उनके द्वारा पंजीकृत पैरवी हेतु स्टेप्स लिये गये थे एवं बिना स्टेप्स के अपील कार्यालय द्वारा प्राप्त नहीं की जाती थी। अपीलार्थी के उक्त कथन के दृष्टिगत पत्रावली का परिशीलन किया गया और यह पाया गया कि वर्तमान प्रकरण में प्रत्यर्थी को पंजीकृत डाक के माध्यम से नोटिस निर्गत करने का कोई उल्लेख नहीं है। ऐसा कोई प्रमाण भी नहीं है, जिससे यह कहा जा सके कि पैरवी की गयी। पैरवी करने हेतु कई अवसर दिये गये और पैरवी करने हेतु अपीलर्थी की ओर से समय भी मांगा गया, परन्तु पैरवी नहीं की गयी। ऐसा प्रतीत होता है कि अपीलार्थी को वर्तमान अपील में कोई दिलचस्पी नहीं है, अत: प्रस्तुत अपील पैरवी के अभाव में निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील, पैरवी के अभाव में निरस्त की जाती है।
(जितेन्द्र नाथ सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0
कोर्ट-2