(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-523/2009
Shahnawaj Saifi S/O Sri Abdul Hanif
Versus
Tata A.I.G. Life Insurance Company
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री सुशील कुमार शर्मा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित:- कोई नहीं
दिनांक :18.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद संख्या-331/2007, शहनवाज शैफी बनाम टाटा ए0आई0ए0 जी लाइफ इं0कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, गौतमबुद्ध नगर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 05.02.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा बीमा धारक द्वारा प्रस्तुत परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि स्थायी अपंगता का तथ्य प्रमाणित नहीं है।
- परिवादी द्वारा दिनांक 31.03.2006 को एक बीमा पॉलिसी प्राप्त की गयी थी, जिसकी शर्त के अनुसार मृत्यु की अवस्था में 2,00,000/-रू0 तथा स्थायी अपंगता की स्थिति में 1,00,000/-रू0 की राशि देय थी। दिनांक 01.07.2006 को लगभग 8-10 बजे परिवादी ई.एम.यू. ट्रेन पर चढ़ते दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसके कारण उसे सीधे पैर व बायें हाथ में गंभीर चोटें आयी। इलाज के दौरान बायीं टांग पूरी काट दी गयी एवं उनका बायां हाथ पूर्ण रूप से अपंग व अक्रियाशील हो गया, परंतु जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि बीमा पॉलिसी की शर्त के अनुसार शत-प्रतिशत अपंगता कारित नहीं हुई है। अत: बीमा क्लेम देय नहीं है।
- सी0एम0ओ0 गौतमबुद्ध नगर द्वारा जारी प्रमाण पत्र की प्रति पत्रावली पर मौजूद है, जिसके अनुसार परिवादी के शरीर में 90 प्रतिशत अपंगता कारित हुई है। 50 प्रतिशत से अधिक अपंगता टोटल स्थायी अपंगता की श्रेणी में आती है, इसलिए परिवादी को बीमा क्लेम देय है। अत: जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अवैधानिक है, जो अपास्त होने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है। परिवाद इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि परिवादी को बीमे की राशि अंकन 1,00,000/-रू0 परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज के साथ प्रत्यर्थी/विपक्षी अदा करे तथा परिवाद व्यय के रूप में 10,000/-रू0 की राशि भी प्रत्यर्थी, अपीलार्थी/परिवादी को अदा करे।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2