प्रकरण क्र.सी.सी./14/98
प्रस्तुती दिनाँक 26.02.2014
सूर्यकांत आ. ज. ईश्वर, पता-वार्ड नं.19, जयकरण होटल के पीछे, तितुरडीह, दुर्ग, तह. व जिला-दुर्ग (छ.ग.)
- - - - परिवादी
विरूद्ध
1. मोबाईल गैलेरी, हिमालिया काम्पलेक्स, 57, आकाश गंगा, सुपेला, भिलाई, तह. व जिला-दुर्ग (छ.ग.)
2. मोबाईल शाॅपी, शाॅप नं.177, ढिल्लन काम्पलेक्स, सुपेला, भिलाई, इंटेक्स टेक्नोलाॅजी इंडिया लिमिटेड,
3. मुख्य कंपनी प्रबंधक, इंटेक्स मोबाइल कंपनी, जी.-18/2, ओखला इंडिया एरिया फेस-2, न्यू दिल्ली 1100200
- - - - अनावेदकगण
आदेश
(आज दिनाँक 09 मार्च 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादी द्वारा अनावेदकगण से त्रुटिपूर्ण मोबाइल को सुधार कर दिलाये जाने, मानसिक आर्थिक क्षति, वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
(2) प्रकरण अनावेदक क्र.1, 2 एवं 3 के विरूद्ध एकपक्षीय हैं।
परिवाद-
(3) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अनावेदक क्र.1 से एक मोबाइल इंटेक्स कंपनी का 9,800रू. में खरीदा, जिसमें एक साल की वारंटी थी। उक्त मोबाइल में न तो 8 मेगा पिक्सल का कैमरा था और न ही उसमें कैमरा साफ दिखाई देता था। मोबाइल में इंटरनेट की सुविधा भी सही नहीं थी। उक्त मोबाइल को सुधरवाने के लिए अनावेदक क्र.2 के पास ले कर गया तो वहां मोबाइल को सुधारने से मना कर दिया। दो-तीन बार सर्विस सेंटर गया, परंतु मोबाइल को सुधार कर नहीं दिया गया। उक्त मोबाइल में खरीदने के एक सप्ताह के बाद से ही उपरोक्त समस्या आ रही है, परंतु सर्विस सेंटर और मोबाइल विक्रेता दोनों के द्वारा कोई उपाय नहीं बताया गया तथा न ही सुधार कर दिया गया, जिससे परिवादी को आर्थिक, मानसिक और शारीरिक क्षति हुई। अतः परिवादी को मोबाइल सुधरवा कर दिलाया जावे, मानसिक, आर्थिक क्षति, वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाया जावे।
(4) परिवादी के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादी, अनावेदकगण से अभिकथित मोबाइल सुधरवा कर प्राप्त करने का अधिकारी है? हाँ
2. क्या परिवादी, अनावेदकगण से मानसिक परेशानी के एवज में 5,000रू. प्राप्त करने का अधिकारी है? हाँ
3. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद स्वीकृत
निष्कर्ष के आधार
(5) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(6) परिवादी का तर्क है कि उसने दि.01.11.2013 करे अभिकथित मोबाइल अनावेदक क्र.1 से खरीदा था, जिसमें एक साल की वारंटी दी गई थी। उक्त मोबाइल में न तो 8 मेगा पिक्सल कैमरा था न ही कैमरा साफ दिखाई देता और न ही मोबाइल में इंटरनेट की सुविधा सही थी। परिवादी जब अनावेदक क्र.2 के पास मोबाइल सुधारने के लिए लेकर गया तो अनावेदक ने सुधारने से मना कर दिया। मोबाइल खरीदने के एक सप्ताह के बाद ही समस्या आई, जिसके कारण परिवादी को काफी परेशानी उठानी पड़ी, जिसके संबंध में मानसिक क्षति दी जावे तथा अनावेदकगण को आदेश दिया जाये कि उक्त मोबाइल सुधार कर दें।
(7) तीनों अनावेदकगण एकपक्षीय है, अनावेदक क्र.1 का जवाबदावा प्रकरण में संलग्न है, जो इस आशय का प्रस्तुत है कि परिवादी ने जो मोबाइल खरीदा था वह जांच परख कर खरीदा था। परिवादी कभी भी कोई समस्या लेकर नहीं आया। अतः दावा अपरिपक्व होने से निरस्त किया जाये।
(8) प्रकरण के अवलोकन से स्पष्ट है कि परिवादी ने एनेक्चर-1 अनुसार अभिकथित मोबाइल खरीदा था। एनेक्चर-1 से स्पष्ट सिद्ध होता है कि परिवादी ने अनावेदक क्र.1 से अभिकथित मोबाइल खरीदा था, जिसमें एक साल की वारंटी थी। एनेक्चर-1 से उक्त मोबाइल परिवादी द्वारा दि.01.11.2013 को खरीदने का उल्लेख है, पंरतु ऐसा कोई कारण नहीं है कि परिवादी अनावेदक के विरूद्ध झूठा मुकदमा प्रस्तुत करेगा कि वह मोबाइल सुधारने के लिए दिया था, परंतु सर्विस सेंटर ने सुधार के लिए लिया ही नहीं और सुधारने से मना कर दिया। हम परिवादी के तर्को से सहमत है कि मोबाइल में खराबी होने के कारण परिवादी को काफी परेशानियां उठानी पड़ी रही है और सर्विस सेंटर और मोबाइल की दुकान वाले ने कोई उपाय नहीं बताये और न ही मोबाइल सुधार कर दिया। आज की स्थिति में मोबाइल अत्यंत आवश्यक वस्तु हो गई है और कोई भी व्यक्ति इसलिए इतना मंहगा मोबाइल खरीदता है कि उसमें सारी सुविधाएं रहे। अनावेदकगण ने यह सिद्ध नहीं किया है कि उक्त मोबाइल में इंटरनेट की सुविधा युक्त नहीं था, फलस्वरूप हम परिवादी के अखण्डित शपथ पत्र पर विश्वास करते हुए, परिवादी के तर्कों से असहमत होने का कोई कारण नहीं पाते हैं कि अनावेदकगण ने परिवादी का मोबाइल सुधरवाने हेतु नहीं लिये और सुधार कर नहीं दिये, जो कि एक घोर व्यवसायिक दुराचरण की श्रेणी में आता है, चूंकि अनावेदक क्र.1 विक्रेता है और शेष अनावेदकगण कस्टमरकेयर एवं अभिकथित मोबाइल की निर्माता कंपनी है अतः तीनों अनावेदकगण संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से जिम्मेदार है।
(9) फलस्वरूप हम परिवादी का परिवाद स्वीकार करने का समुचित आधार पाते हैं।
(10) अतः उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर हम परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करते है और यह आदेश देते हैं कि अनावेदक क्र.1, 2 व 3 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर निम्नानुसार राशि अदा करेंगे:-
(अ) अनावेदक क्र.1, 2 व 3 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को अभिकथित मोबाइल सुधार कर प्रदान करेंगे।
(ब) अनावेदक क्र.1, 2 व 3 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000रू. (पांच हजार रूपये) अदा करेंगे।
(स) अनावेदक क्र.1, 2 व 3 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को वाद व्यय के रूप में 1,000रू. (एक हजार रूपये) भी अदा करेंगे।